श्रीकृष्ण गोपियों के यहाँ दूध माखन चुराने क्यों जाते होंगे? - shreekrshn gopiyon ke yahaan doodh maakhan churaane kyon jaate honge?

श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा-चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुरानेवाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दिजिए।

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दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं?


दूध की तुलना में श्रीकृष्ण माखन-रोटी को अधिक पसंद करते हैं।

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श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे?


श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में सोच रहे थे कि कब उनकी चोटी बड़ी होगी; कब यह लंबी और मोटी होगी; कब यह गूँथने पर जमीन पर नागिन की तरह लोटेगी

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बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए?


बालक श्रीकृष्ण चोटी बड़ी होने के लोभ में दूध पीने के लिए तैयार हुए।

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‘तैं ही पूत अनोखी जायौ’-पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?


‘तैं ही पूत अनोखी जायौ’ अर्थात् गोपी का यशोदा को यह कहना कि क्या तुम्हारा पुत्र ही अनोखा है? इसमें गोपी का शिकायत रूप में उलाहना का भाव मुखरित हो रहा है। 

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मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?


मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा देते थे क्योंकि मक्खन ऊँच टंगे छींकों की हांडियों में पड़ा होता था और श्रीकृष्ण छोटे बालक थे। छोटे-छोटे हाथों से जब ऊपर चढ़कर छींके से मक्खन चुराते व साथियों को खिलाते तो जल्दी-जल्दी में थोड़ा-बहुत बिखर जाता था।

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Students can prepare for their exams by studying NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 15 सूरदास के पद was designed by our team of subject expert teachers.

प्रश्न-अभ्यास

पदों से

प्रश्न 1.
बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए? .
उत्तर:
माता यशोदा ने श्रीकृष्ण से कहा था कि यदि तुम बार-बार दूध पीते रहोगे तो तुम्हारी चोटी भी बलराम के समान ही लंबी और मोटी हो जाएगी। इसी लोभ के कारण श्रीकृष्ण दूध पीने को तैयार हो गए थे।

प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे?
उत्तर:
श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में निम्नलिखित बातें सोच रहे थे –

  • अनेक बार दूध पीते रहने पर भी यह अब तक छोटी ही बनी हुई है।
  • बार-बार दूध पीने से यह भी बलराम की चोटी की तरह मोटी और लंबी हो जाएगी।
  • बार-बार बालों को काढ़ने और गूंथने से यह बढ़कर नागिन की तरह जमीन पर लोटने लगेगी।

प्रश्न 3.
दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं?
उत्तर:
दूध की तुलना में श्रीकृष्ण को मक्खन-रोटी, दही आदि ज्यादा अच्छे लगते हैं।

प्रश्न 4.
‘तैं ही पूत अनोखौ जायौ’-पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?
उत्तर:
“ते ही पूत अनोखौ जायौ” पंक्ति में ग्वालन के मन के निम्नलिखित भाव मुखरित हो रहे हैं –

  • बेटे तो हम सभी ग्वालिनों के भी हैं, पर इतनी शरारतें कोई नहीं करता है। लगता है तुमने (यशोदा) ही इस अनोखे पुत्र को जन्म दिया है।
  • बार-बार शिकायत करने पर भी यशोदा अपने पुत्र को शरारत करने से मना नहीं कर रही हैं।
  • खाने के अलावा दूध-दही, मक्खन का नुकसान भी करता है।
  • चोरी तो खुद करता है, पर खाने-पीने में अपने साथियों को भी शामिल कर लेता है, जिससे वे भी उसके (कृष्ण) पक्ष में ही बोलें।

प्रश्न 5.
मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?
उत्तर:
मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा देते हैं, क्योंकि –

  • ऐसा बाल सुलभ गतिविधियों और चेष्टाओं के कारण हो जाता है।
  • जल्दबाजी में काम करने के कारण प्रायः ऐसा हो जाया करता है।

प्रश्न 6.
दोनों पदों में से आपको कौन-सा पद | अधिक अच्छा लगा और क्यों?
उत्तर:
दोनों पदों में मुझे दूसरा पद ज्यादा अच्छा लगा, क्योंकि श्रीकृष्ण अपनी बाल सुलभ चेष्टाओं, क्रिया-कलापों और आदत के कारण माखन चोरी करना छोड़ नहीं पाते हैं। ग्वालिने भी कृष्ण की शरारतों की शिकायत लेकर माता यशोदा के पास आती हैं। ग्वालियों की शिकायत और उलाहनों का श्रीकृष्ण पर कोई असर नहीं पड़ता है। पद्य का अंतिम भाग “तँ ही पूत अनोखो जायौ” अत्यंत प्रभावपूर्ण बन गया है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
दूसरे पद को पढ़कर बताइए कि आपके अनुसार उस समय श्रीकृष्ण की उम्र क्या रही होगी?
उत्तर:
दूसरे पद को पढ़ने से पता चलता है कि उस समय श्री कृष्ण की उम्र नौ-दस वर्ष रही होगी।

प्रश्न 2.
ऐसा हुआ हो कभी कि माँ के मना करने पर भी घर में उपलब्ध किसी स्वादिष्ट वस्तु को आपने चुपके-चुपके थोड़ा-बहुत खा लिया हो और चोरी पकड़े जाने पर कोई बहाना भी बनाया हो। अपनी आपबीती की तुलना श्रीकृष्ण की बाल लीला से कीजिए।
उत्तर:
मेरे यहाँ फ्रिज में मिठाइयाँ रखी थीं। मेरा ध्यान मिठाइयों में लगा था कि कब मौका मिले और मैं मिठाइयाँ चोरी से खा सकूँ। मुझे रात में यह मौका मिल गया। रात में मेरी आँख खुल गई। मैंने चुपचाप फ्रिज खोला और जी भर मिठाइयाँ खाई. पर मेरा दुर्भाग्य कि रसगुल्ले का रस गिरकर मेरे कपड़े पर लग गया जिसे मैं रात में न देख सका।

मैंने लाख बहाने बनाए कि मैंने मिठाई नहीं खाई किंतु मेरी चोरी पकड़ी जा चुकी थी। माँ से दो-चार डाँट पड़ी, पर मिठाइयाँ खाने का लोभ मैं नहीं छोड़ पाया। मौका मिलते ही घरवालों से छिप-छिपाकर मिठाइयाँ खा लेता हूँ। इस तरह बाल सुलभ चेष्टा के कारण चोरी से दूध – माखन खाना न श्रीकृष्ण छोड़ पाते हैं और न मैं। हम दोनों की चेष्टा एक-सी है।

प्रश्न 3.
किसी ऐसी घटना के विषय में लिखिए जब किसी ने आपकी शिकायत की हो और फिर आपके किसी अभिभावक (माता-पिता, बड़ा भाई-बहिन इत्यादि) ने आपसे उत्तर माँगा हो।
उत्तर:
मेरे घर से कुछ दूर ही आम का बगीचा था। एक दिन जब दोपहर में घर के सभी लोग सो गए तो मैं बगीचे में चला गया। अभी मैंने तीन-चार आम ही तोड़े थे कि बगीचे में सो रहा आदमी जाग गया और मुझे पकड़कर पिताजी के पास लाया। घर आकर माता-पिता ने ऐसा करने के लिए डाँटा। हाँ, वे तोड़े गए आम जरूर खाने को मिल गए।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा-चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुरानेवाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दीजिए।
उत्तर:
‘माखन चुराने वाला’ के लिए एक शब्द-माखनचोर।

प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए।
उत्तर:
माखनचोर, मुरलीधर, स्याम, मोहन, गोपाल, मुरारी।

प्रश्न 3.
कुछ शब्द परस्पर मिलते-जुलते अर्थवाले होते हैं, उन्हें पर्यायवाची कहते हैं। और कुछ विपरीत अर्थवाले भी। समानार्थी शब्द पर्यायवाची कहे जाते हैं और विपरीतार्थक शब्द विलोम, जैसे –
पर्यायवाची – चंद्रमा-शशि, इंदु, राका
मधुकर – भ्रमर, भौंरा, मधुप
सूर्य – रवि, भानु, दिनकर
विपरीतार्थक – दिन-रात, श्वेत-श्याम, शीत-उष्ण पाठों से दोनों प्रकार के शब्दों को खोजकर लिखिए।
उत्तर:

श्रीकृष्ण गोपियों के यहाँ दूध माखन चुराने क्यों जाते होंगे? - shreekrshn gopiyon ke yahaan doodh maakhan churaane kyon jaate honge?

नोट-पर्यायवाची एवं विपरीतार्थक शब्दों के लिए व्याकरण खंड देखें।

कृष्ण गोपियों के यहाँ दूध माखन चुराने क्यों जाते होंगे?

Answer: यह तो सभी का मालूम है कन्हैया को मक्खन कितना पसंद था। माता यशोदा कृष्ण को जो मक्खन देती थीं, उससे उनका मन नहीं भरता था। इसलिए, मैया जहां भी मक्खन रखती कृष्ण चुपके से गांव के बच्चों के साथ आकर सारा मक्खन खा जाते थे।

श्री कृष्ण कैसे घर में मक्खन की चोरी के लिए घुसते थे?

कान्हा चोरी चोरी चुपके चुपके अपने पांव दबाते हुए एक घर में जाते हैं और वहां पर वो माखन देखते हैं जब उस मटकी पर उनके हाथ नहीं पहुंचते तो वो छज्जे पर चढ़कर मटकी से माखन निकालते हैं. तभी गांव की सभी औरतें आ जाती हैं और कान्हा को माखन चुराते हुए निहारती रहती हैं.

दूध की तुलना में श्री कृष्ण कौन से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं?

Solution : दूध की तुलना में श्रीकृष्ण माखन-रोटी को खाना अधिक पसन्द करते हैं

यशोदा उन्हें क्या लालच देते हैं?

उन्हें तो माखन-रोटी खाना पसंद था लेकिन बलराम की तरह चोटी करने के लालच में माता यशोदा के कहने पर वे दूध पीने को तैयार हुए थे।