शरीर में देवी देवता क्यों आते हैं? - shareer mein devee devata kyon aate hain?

आत्मा और पुनर्जन्म के रहस्य पर पहले ही धर्मों में मतभेद हैं। आध्यात्मिक रहस्य का यह सबसे बड़ा पहलू है। यहूदी, ईसाईयत और इस्लाम को छोड़कर हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख यह चारों धर्म मानते हैं कि पुनर्जन्म एक सच्चाई है। ऐसा है तो फिर आत्मा का होना भी सचाई है।

हिंदू धर्म पुनर्जन्म में विश्वास रखता है। इसका अर्थ है कि आत्मा जन्म एवं मृत्यु के निरंतर पुनरावर्तन की शिक्षात्मक प्रक्रिया से गुजरती हुई अपने पुराने शरीर को छोड़कर नया शरीर धारण करती है। उसकी यह भी मान्यता है कि प्रत्येक आत्मा मोक्ष प्राप्त करती है, जैसा गीता में कहा गया है। 

सूक्ष्म-शरीरधारी आत्माओं का संघ : इसी तरह हिन्दू पौराणिक शास्त्रों में कहा गया है कि हिमालय में सूक्ष्म-शरीरधारी आत्माओं का एक संघ है। इनका केंद्र हिमालय की वादियों में उत्तराखंड में स्थित है। इसे देवात्मा हिमालय कहा जाता है। अपने श्रेष्ठ कर्मों के अनुसार सूक्ष्म-शरीरधारी आत्माएं यहां प्रवेश कर जाती हैं। जब भी पृथ्वी पर संकट आता है, नेक और श्रेष्ठ व्यक्तियों की सहायता करने के लिए वे पृथ्वी पर आती हैं। 

आत्मा के तीन स्वरूप माने गए हैं- जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा। जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। यह आत्मा जब सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है, उस उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि क्या कोई अच्‍छी या बुरी आत्माएं किसी के शरीर में प्रवेश करके अपना संदेश लोगों तक पहुंचाती है या की वह उनके शरीर पर कब्जा करके उनको दुख पहुंचाती रहती है? भारत के ग्रामिण क्षेत्रों में यह देखा गया है कि किसी के शरीर में नाग देवता आते हैं, तो किसी के शरीर में देवी आती है। इसके विपरित कोई भूतात्मा ने किसी के शरीर पर कब्जा कर लिया है तो उस व्यक्ति को किसी पीर, फकीर की दरगाह या देवी, हनुमान मंदिर में ले जाकर इस भूतबाधा को दूर किया जाता है। किसी आत्मा के शरीर में आने को बदन में आना डील में आना कहा जाता है।

शरीर में किसी आत्मा का आना : इसे भारत में हाजिरी आना या पारगमन की आत्मा का आना कहते हैं। ग्रामिण क्षेत्रों में डील में आना। किसी व्यक्ति विशेष के शरीर में नाग महाराज, भेरू महाराज या काली माता के आने के किस्से सुनते रहते हैं। भारत में ऐसे कई स्थान या चौकी हैं, जहां आह्वान द्वारा किसी व्यक्ति विशेष के शरीर में दिव्य आत्मा का अवतरण होता है और फिर वह अपने स्थान विशेष या गद्दी पर बैठकर हिलते हुए लोगों को उनका भूत और भविष्य बताता है और कुछ हिदायत भी देता है।

हालांकि इन लोगों में अधिकतर तो नकली ही सिद्ध होते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं, जो किसी भी व्यक्ति का भूत और भविष्य बताकर उसकी समस्या का समाधान करने की क्षमता रखते हैं। ऐसे लोग किसी भी व्यक्ति का जीवन बदलने की क्षमता रखते हैं। ऐसे कुछ लोगों के स्थान पर मेला भी लगता है। जहां वे किसी मंदिर में बैठकर किसी चमत्कार की तरह लोगों के दुख-दर्द दूर करते हैं। 

प्रेत बाधा : हालांकि यह भी देखा गया है कि कुछ बुरी आत्माएं भी लोगों को परेशान करने के लिए उनके शरीर पर कब्जा कर लेती हैं। विदेशों (अमेरिका या योरप में) में अधिकतर लोगों को बुरी आत्माएं परेशान करती हैं जिससे छुटकारा पाने के लिए वे चर्च के चक्कर लगाते रहते हैं जबकि भारत में किसी दरगाह, समाधि मंदिर, किसी जानकार, तांत्रिक, बाबा या संत के पास जाते हैं। कुछ लोग ऐसे लोगों के पास जाते हैं जिनके शरीर में पहले से ही किसी समय विशेष में कोई दिव्य आत्मा आई हुई होती है।

आत्मा बुलाने के तरीके : आजकल आत्मा को बुलाने के कई तरीके विकसित हो चले हैं, जैसे हिप्नोटिज्म, प्लेनचिट और ओइजा बोर्ड, जेलंगकुंग आदि ऐसे कई तरीके विकसित हो चले हैं जिसके माध्यम से किसी दिव्य आत्मा के संपर्क से सवालों के जवाब और समाधान पाए जाते हैं। हालांकि यह भी कहना होगा कि उक्त सभी तरह का बातों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं होता इसलिए इसे मानना एक अंधविश्‍वास ही कहा जाता रहा है।

परकाय प्रवेश के उल्लेख : अखंड ज्योति में श्रीराम शर्मा आचार्य ने उल्लेख किया है कि 'नाथ सम्प्रदाय' के आदि गुरु मुनिराज 'मछन्दरनाथ' के विषय में भी कहा जाता है कि उन्हें परकाया प्रवेश की सिद्धि प्राप्त थी। सूक्ष्म शरीर से वे अपनी इच्छानुसार गमनागमन विभिन्न शरीरों में करते थे। एकबार अपने शिष्य गोरखनाथ को स्थूल शरीर की सुरक्षा का भार सौंपकर एक मृत राजा के शरीर में उन्होंने सूक्ष्म शरीर से प्रवेश किया था। 'महाभारत के शान्ति पर्व' में वर्णन है कि सुलभा नामक विदुषी अपने योगबल की शक्ति से राजा जनक के शरीर में प्रविष्ट कर विद्वानों से शास्त्रार्थ करने लगी थी। उन दिनों राजा जनक का व्यवहार भी स्वाभाविक न था।

'अनुशासन पर्व' में ही कथा आती है कि एक बार इन्द्र किसी कारण वश ऋषि देवशर्मा पर कुपित हो गये। उन्होंने क्रोधवश ऋषि की पत्नी से बदला लेने का निश्चय किया। देवशर्मा का शिष्य ‘विपुल’ योग साधनाओं में निष्णात और सिद्ध था। उसे योग दृष्टि से यह मालूम हो गया कि मायावी इन्द्र, गुरु पत्नी से बदला लेने वाले हैं। ‘विपुल’ ने सूक्ष्म शरीर से गुरु पत्नी के शरीर में उपस्थित होकर इन्द्र के हाथों से उन्हें बचाया।

'पातंजलि योग दर्शन' में सूक्ष्म शरीर से आकाश गमन, एक ही समय में अनेकों शरीर धारण, परकाया प्रवेश जैसी अनेकों योग विभूतियों का वर्णन है। 

मरने के बाद सूक्ष्म शरीर जब स्थूल शरीर को छोड़कर गमन करता है तो उसके साथ अन्य सूक्ष्म परमाणु कहिए या कर्म भी गमन करते हैं जो उनके परिमाप के अनुसार अगले जन्म में रिफ्लेक्ट होते हैं, जैसे तिल, मस्सा, गोली का निशान, चाकू का निशान, आचार-विचार, संस्कार आदि। इस सूक्ष्म शरीर को मरने से पहले ही जाग्रत कर उसमें स्थिति हो जाने वाला व्यक्ति ही परकाय प्रवेश सिद्धि योगा में पारंगत हो सकता है।

सबसे बड़ा सवाल यह कि खुद के शरीर पर आपका कितना कंट्रोल है? योग अनुसार जब तक आप खुद के शरीर को वश में करन नहीं जानते तब तक दूसरे के शरीर में प्रवेश करना मुश्किल होगा। दूसरों के शरीर में प्रवेश करने की विद्या को परकाय प्रवेश योग विद्या कहते हैं। आदि शंकराचार्य इस विद्या में अच्छी तरह से पारंगत थे। नाथ संप्रदाय के और भी बहुत से साधक इस तकनीक से अवगत थे, लेकिन आम जनता के लिए तो यह बहुत ही कठिन जान पड़ता है।

अगले पन्ने पर पढ़े... दूसरे के शरीर में प्रवेश कैसे करें

क्या इंसान के शरीर में देवी देवता आते हैं?

भारत के ग्रामिण क्षेत्रों में यह देखा गया है कि किसी के शरीर में नाग देवता आते हैं, तो किसी के शरीर में देवी आती है। इसके विपरित कोई भूतात्मा ने किसी के शरीर पर कब्जा कर लिया है तो उस व्यक्ति को किसी पीर, फकीर की दरगाह या देवी, हनुमान मंदिर में ले जाकर इस भूतबाधा को दूर किया जाता है।

इंसान के शरीर में माता क्यों आती है?

मान्यताओं के मुताबिक, चिकन पॉक्स उस इंसान को होता है, जिसपर माता का बुरा प्रकोप पड़ता है। ऐसे में इस दौरान उनकी पूजा करने पर माता व्यक्ति की बॉडी में आती है और बीमारी को ठीक कर देती हैं। लोग चिकन पॉक्स का इलाज करवाने की जगह इस दौरान काफी प्रिकॉशन रखते हैं और 6 से 10 दिन में बीमारी के ठीक होने का इंतजार करते हैं।

देवी आना क्या होता है?

जैसे हिंदुओं में देवी या माता आना है, वैसे ही इस्लाम में जिन्न आना या फिर क्रिश्चियनिटी में ऐसा दिख जाता है, जब लोग अपने ऊपर किसी सुपर-नैचुरल ताकत का वास होने का दावा करने लगते हैं।

महिलाओं को देवी क्यों आती है?

इसे सुनेंरोकेंयह माता किसी धार्मिक स्थल या जगराते के समय इंसान के शरीर में आती हैं. जब कोई माता किसी इंसान के शरीर में आती हैं तो वो अपनी जीभ बार बार बाहर निकालने लगता हैं और अपने सिर को जोर जोर से हिलाने लगता हैं. यह माता अक्सर महिलाओं के शरीर में ही प्रवेश करती हैं.