शौर्य दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? - shaury divas kab aur kyon manaaya jaata hai?

क्या आप जानते हैं कि एक जनवरी को शौर्य दिवस के तौर पर मनाया जाता है? ये दिन है जो बहुजन समाज के लिए ऐतिहासिक और गर्व से भर देने वाला। बेशक इस दिन दुनिया नए साल का जश्न मनाती है लेकिन बहुजन समाज के लोग को अपने पूर्वजों के शौर्य को सेलिब्रेट करते हैं। बहुजन 1 जनवरी की तारीख को शौर्य दिवस के तौर पर मनाते हैं।

दरअसल, 19वीं सदी की जब शुरुआत ही थी तब पुणे के ब्राह्मण राजा पेशवा वाजीराव-II का शासन चल रहा था। इस शासन का आधार मनुस्मृति के कानून को बताया जाता है। महाराष्ट्र की अछूत जातियों से छुआ-छूत तो किया ही जाता बल्कि शारीरिक तौर पर भी काफी अत्याचार किये जा रहे थे। पेशवा की क्रूरता और उदंडता, उसकी नीचता किसी के लिए भी बर्दाश्त से बाहर हो रही थी। इन अत्याचारों को रोकने की कुछ अंग्रेज शासकों ने कोशिश तो की पर कुछ राजा उनके गुलाम थे, ऐसे में वो ज्यादा दखल नहीं देते थे।

महाराष्ट्र की अंग्रेजी सेना में  रेजीमेंट थी जिसका नाम था महार रेजीमेंट थी। वाजीराव पेशवा के अत्याचारों से महार रेजीमेंट के महार सैनिक काफी गुस्से से भर गए थे। उनके भी अंदर उस अत्याचार को खत्म करने की मन में चिंगारी थी। हुआ ये कि अंग्रेजों और पेशवा में किसी बात को लेकर विवाद हो गया। सताए हुए महारों को जैसे बड़ा मौका हाथ लग गया। अंग्रेजों ने पेशवाओं के सताए गए महार रेजीमेंट के चुनिंदा सैनकों को रेडी किया ताकि पेशवा को सबक सिखाया जा सके। महार सैनिक भी गुस्से भरे थे।

1817 के दिसंबर महीने में उन्होंने पेशवा पर हमला बोलने की पूरी प्लैनिंग कर ली। 1 और 2 बटालियन जो कि महार रेजीमेंट की लाइट इन्फैंट्री की थी वो पूरी तरह से तैयार हो गई। अंग्रेजों ने उनकी पूरी पूरी हेल्प की। इस लड़ाई को लीड कर रहे थे अंग्रेज कैप्टन फ्रांसिस स्टौनसन। एक तरफ दुनिया क्रिसमस सेलिब्रेट कर रही थी तो दूसरी तरफ महार रेजीमेंट की बटालियन खुद को तैयार करने में लगी थी और पेशवा की तरफ हमला करने जा रही थी। सैनिक भूखे प्यासे जरूर थे पर उनके हैसले बुलंद थे।

वाजीराव पेशवा के पास बड़ी सी सेना था जिसमें 20 हजार सवार सैनिक और करीब करीब 10 हजार पैदल सैनिक थे। ऐसी विशाल सेना को खत्म करने के लिए उनके सामने महज 500 की संख्या वाली महार सेना था। 1 जनवरी 1818 को पुणे के कोरेगांव के उत्तर पश्चिम में युद्ध लड़ा गया। ये युद्ध भीमा नदी के किनारे लड़ा गया। 1 जनवरी 1818 को जमकर युद्ध हुआ और एक के बाद एक क्रूर पेशवा की धरती उन्हीं के खून से हार सैनिकों ने रंग डाली।

महार सैनिकों ने पेशवा के करीब करीब 30 हजार सैनिकों की जो शक्ति थी वो बस दिखाने को रह गई।  पेशवा की सेना धूल में मिल गई। आखिर में पेशवा को बंदी बनाया गया। महारों की बहादुरी ने अंग्रेजों के भी होश उड़ा दिए। 500 महार सैनिक बेसिकली बम्बई के ही रहने वाले थे। इस युद्ध में महज 22 महार सैनिक शहीद हुए। 1851 में कोरेगांव में इन शहीदों की याद में अंग्रेजों ने एक विजय स्तम्भ बनवाया। आज भी वो स्तंभ जाति-व्यवस्था पर महार सैनिकों के किए गए चोट के खिलाफ किए संघर्ष को दिखाता है। 

दूसरे युद्धों से योद्ध कैसे अलग था इसे समझना इतना भी मुश्किल नहीं। ये युद्ध जागीर या राज्य रियासत जीत लेने या कब्जाने का नहीं था बल्कि अपनी अस्मिता और अपने सम्मान के लिए था। पुरानी जाति-व्यवस्था की जो गुलामी एक वर्ग को जकड़ा हुए थी उसे तोड़ने का ये युद्ध था। छूत अछूतों के दायरे तो तोड़ देने का ये युद्ध था। एक ऐसा युद्ध जिसने भारत की जाति-व्यवस्था की नींव को हिलाया, एक ऐसा युद्ध जिसने छुआछूत से लड़ने की लोगों को प्रेरणा दिया।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) वीरता दिवस (शौर्य दिवस) हर साल 9 अप्रैल को बल के बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2022 में 57वां सीआरपीएफ वीरता दिवस है। इस दिन 1965 में, CRPF की एक छोटी टुकड़ी ने गुजरात के कच्छ के रण में स्थित सरदार पोस्ट में बड़े पैमाने पर आक्रमणकारी पाकिस्तानी सेना को हराकर इतिहास रचा था । सीआरपीएफ के जवानों ने 34 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और चार को जिंदा पकड़ लिया। इस युद्ध में, सीआरपीएफ ने छह कर्मियों को खो दिया, जिन्होंने शहादत प्राप्त की थी।

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केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल भारत का सबसे बड़ा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल है। यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधिकार के तहत कार्य करता है। सीआरपीएफ की प्राथमिक भूमिका राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों को कानून-व्यवस्था बनाए रखने और उग्रवाद-निरोध के लिए पुलिस के संचालन में सहायता करने में निहित है।

रक्षा मंत्रालय ने 1947 में बडगाम हवाई अड्डे पर भारतीय सेना के हवाई लैंडिंग ऑपरेशन के 75 वें वर्ष के उपलक्ष्य में 27 अक्टूबर, 2022 को श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर में ‘शौर्य दिवस’ समारोह का आयोजन किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शौर्य दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे। यह कार्यक्रम ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था।

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दिन की पृष्ठभूमि

 

27 अक्टूबर, 1947 को, भारतीय वायु सेना द्वारा भारतीय सेना को एयर-लिफ्ट कर जम्मू-कश्मीर के बडगाम हवाई अड्डे पर उतरा गया था । भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के बीच ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसेशन’ पर हस्ताक्षर किए जाने के एक दिन बाद भारतीय सशस्त्र बल को वहां भेजा गया था ताकि पाकिस्तानी समर्थित जनजातीय आक्रमणकारियों कोराज्य से बाहर किया जा सके।

 

इन्फैंट्री दिवस/ पैदल सेना दिवस

 

27 अक्टूबर को भारतीय सेना द्वारा ‘इन्फैंट्री डे’ के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिवस का राष्ट्र के लिए एक विशेष महत्व है क्योंकि वर्ष 1947 के इसी दिन भारतीय सेना के इन्फैंट्री सैनिकों (पैदल सैनिकों) का पहला सैन्यदस्ता श्रीनगर के हवाई अड्डे पर उतरा था।

शौर्य दिवस कब मनाया जाता है?

रक्षा मंत्रालय ने 1947 में बडगाम हवाई अड्डे पर भारतीय सेना के हवाई लैंडिंग ऑपरेशन के 75 वें वर्ष के उपलक्ष्य में 27 अक्टूबर, 2022 को श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर में 'शौर्य दिवस' समारोह का आयोजन किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शौर्य दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे।

शौर्य दिवस का अर्थ क्या है?

बल के बहादुर जवानों की गाथा को श्रद्धांजलि के रूप में हरवर्ष 9 अप्रैल को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। पश्चिमी सेक्टर मुख्यालय केरिपुबल द्वारा102 द्रुकाब बटालियन के साथ दिनांक9 अप्रैल 2021 को तलोजा,नवी मुंबई में शौर्य दिवस मनाया गया।