शास्त्रीय संगीत से क्या तात्पर्य है? - shaastreey sangeet se kya taatpary hai?

उपशास्त्रीय संगीत को अर्धशास्त्रीय संगीत भी कहा जाता है। इस संगीत के अन्तर्गत की गई रचनाओं में संगीत के शास्त्रीय पक्ष का पालन नहीं किया जाता। उपशास्त्रीय संगीत के अन्तर्गत ठुमरी, दादरा, चैती, कजरी आदि रचनाएँ आती है। 

4. सुगम संगीत

आधुनिक काल में सुगम संगीत का बहुत प्रचार है। गज़ल, गीत, कव्वाली, युगल गीत, सामूहिक गीत (वृन्दगान) भक्ति संगीत आदि की रचनाओं को सुगम संगीत के अनुसार गाया जाता है।

5. फिल्मी संगीत

फिल्मों में प्रयुक्त गाने और बजाने वाले संगीत को फिल्मी या चित्र पर संगीत कहा जाता है। फिल्मी धुन मधुर, आकर्षक और सरल होती है। जिसका आनन्द संगीत का ज्ञान रखने वाला व्यक्ति भी ले सकता है।

शास्त्री तथा चित्रपट संगीत में क्या अंतर है- समझ लो | शास्त्री तथा चित्रपट संगीत में क्या अंतर है- सच्चाई | Shastri Tatha Chitrapat Sangeet Mein Antar

बदलते समय के साथ-साथ संगीत में अंतर आना भी स्वाभाविक है। शास्त्री तथा चित्रपट संगीत दोनों एक दूसरे के विपरीत से लगते हैं। वर्तमान में शास्त्री संगीत की जगह चित्रपट संगीत की अत्यधिक लोकप्रियता है। 

प्राचीन काल में शास्त्री संगीत पर विशेष ध्यान दिया जाता था। मूल रूप से संगीत सामवेद से लिया गया है। समय के साथ-साथ संगीत का भी रूप बदलता गया। 

प्यारे पाठकों, शास्त्री संगीत व चित्रपट संगीत क्या होता है? शास्त्री तथा चित्रपट संगीत में क्या अंतर है- आज हम आपको यह स्पष्ट करने जा रहे हैं। तो आइये, शास्त्री तथा चित्रपट संगीत में अंतर तथा कुछ विशेष बातें समझिए‌।


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शास्त्री संगीत क्या होता है?

मानव जीवन में संगीत का संबंध अनादिकाल से रहा है। संगीत के सात स्वर जीवन के विभिन्न रहस्यों को छिपाए हुए हैं। शास्त्रीय संगीत राग रागिनी पर आधारित होता है। 

प्राचीन काल में संगीत को मूल रूप में गाया व बजाया जाता है। संगीत का वास्तविक प्राचीन मूल रूप ही शास्त्री या शास्त्रीय संगीत कहलाता है। इसी को अंग्रेजी में क्लासिकल म्यूजिकल के रूप में भी जानते हैं।


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चित्रपट संगीत किसे कहते हैं

वर्तमान की भाग दौड़ भरी जिंदगी में मनोरंजकता एवं आनंद प्राप्ति के लिए संगीत को आधार बनाया जाता है। आधुनिक संगीत को ही चित्रपट संगीत के रूप में भी समझ सकते हैं। चित्रपट संगीत वह संगीत होता है जिसमें गंभीरता के बजाय चंपलता व  मनोरंजकता पर ध्यान दिया जाता।


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शास्त्री तथा चित्रपट संगीत में क्या अंतर है

आइए, शास्त्रीय संगीत तथा चित्रपट संगीत दोनों का सामान्य परिचय समझते हुए, दोनों में क्या अंतर स्पष्ट होता है- यह भी जानना अति आवश्यक है। अतः शास्त्री तथा चित्रपट संगीत में अंतर का स्पष्टीकरण देख लीजिए।

शास्त्री तथा चित्रपट संगीत में अन्तर

     शास्त्री संगीत

        चित्रपट संगीत

     शास्त्री संगीत गंभीरता से युक्त होता है।

     चित्रपट संगीत में चपलता अधिक होती है।

     शास्त्री संगीत में ताल परिष्कृत होती है।

     चित्रपट संगीत में आधे तालों का प्रयोग किया जाता है।

     शास्त्री संगीत में गहराई होती है।

     चित्रपट संगीत फिल्म आदि में प्रयोग होता है। 

     राग की प्रधानता होती है।

     गाने की प्रधानता होती है।

     शास्त्री संगीत में सुर,ताल आदि पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

     चित्रपट संगीत में मनोरंजन पर केन्द्रित होता है।


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चित्रपट संगीत के विकसित होने का क्या कारण है

चित्रपट संगीत की प्रसिद्धि के बहुत सारे कारण हैं। चित्रपट संगीत ने लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, मनोरंजनना एवं सरलता को समझते हुए शास्त्रीय संगीत को एक नया रूप दे डाला। यही कारण है कि चित्रपट संगीत ज्यादा प्रसिद्ध हुआ और काफी विकसित होता रहा।

शास्त्रीय संगीत से आप क्या समझते हैं?

भारतीय शास्त्रीय संगीत या मार्ग, भारतीय संगीत का अभिन्न अंग है। शास्त्रीय संगीत को ही 'क्लासिकल म्यूजिक भी कहते हैंशास्त्रीय गायन सुर-प्रधान होता है, शब्द-प्रधान नहीं। इसमें महत्व सुर का होता है (उसके चढ़ाव-उतार का, शब्द और अर्थ का नहीं)।

शास्त्रीय संगीत कितने प्रकार के होते हैं?

ध्रुपद: ध्रुपद गायन की प्राचीनतम एवं सर्वप्रमुख शैली है। ... .
खयाल: यह हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की सबसे लोकप्रिय गायन शैली है। ... .
धमार: धमार का गायन होली के अवसर पर होता है। ... .
ठुमरी: इसमें नियमों की अधिक जटिलता नहीं दिखाई देती है। ... .
टप्पा: टप्पा हिंदी मिश्रित पँजाबी भाषा का श्रृंगार प्रधान गीत है।.

शास्त्रीय संगीत की विशेषता क्या है?

शास्त्रीय संगीत की विशेषता यह है कि यह ध्वनि प्रधान होता है, शब्द प्रधान नहीं। इसमें ध्वनि या संगीत को शब्द या गीत के भावार्थ कि अपेक्षा अधिक महत्व दिया जाता है। भारत में शास्त्रीय संगीत का इतिहास वैदिक काल से शुरू होता है। सामवेद संगीत पर आधारित दुनिया कि पहली पुस्तक है।

शास्त्रीय संगीत महत्व क्या है?

शास्त्रीय संगीत में राग और ताल का महत्व है, जो क्रमशः ध्वनि एवं समय की आवृत्ति पर आधारित हैं। राग प्रकृति से प्रेरित हैं। उनके गायन-वादन के ऋतु एवं प्रहर निर्धारित हैं। शास्त्रीय संगीत हमारी आस्था एवं लोक-कल्याण की भावना से जुड़ा है।