सनातन धर्म में सभी व्रत त्योहार प्रमुख तौर पर किसी न किसी भगवान को समर्पित होते हैं और उन्हीं की इस दिन पूजा की जाती है। इसी प्रकार से महाशिवरात्रि का व्रत भी शिवजी और माता पार्वती को समर्पित होता है और इस दिन उन्हीं की पूजा भी की जाती है। मान्यता है कि भगवान शिव और पार्वती विवाह संपन्न हुआ था। यह त्योहार उनकी वैवाहिक वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। देवी पार्वती और शिवजी के मिलन के इस उत्सव को पूरे भारत में
विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग व्रत करके शिवजी की आराधना करते हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे किया जाता है शिवरात्रि का व्रत और पूजा… शिवजी की पूजा में इन 5 बातों का रखेंगे ध्यान,
शिवजी करेंगे आपका कल्याण ऐसे करें व्रत की शुरुआत महाशिवरात्रि व्रतविधि महाशिवरात्रि व्रत के लाभ पूजापाठ से जुड़े ये 10 नियम हमेशा रखें ध्यान, कभी नहीं होगा आपका नुकसान
Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें शिवरात्रि का व्रत फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी को होता है। कुछ लोग चतुर्दशी के दिन भी इस व्रत को करते हैं। माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्य रात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की बेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्माण्ड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं, इसलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया है। तीनों भुवनों की अपार सुन्दरी तथा शीलवती गौरी को अर्धांगिनी बनाने वाले शिव प्रेतों व पिशाचों से घिरे रहते हैं। उनका रूप बड़ा अजीब है। शरीर पर मसानों की भस्म, गले में सर्पों का हार, कंठ में विष, जटाओं में जगत-तारिणी पावन गंगा तथा माथे में प्रलयंकारी ज्वाला है। बैल को वाहन के रूप में स्वीकार करने वाले शिव अमंगल रूप होने पर भी भक्तों का मंगल करते हैं और श्री सम्पत्ति प्रदान करते हैं। काल के काल और देवों के देव महादेव के इस व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत को ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्व, शूद्र, नर-नारी, बालक-वृद्ध हर कोई कर सकता है। 1. इस दिन प्रातःकाल स्नान-ध्यान से निवृत्त होकर अनशन व्रत रखना चाहिए। 2. पत्र-पुष्प तथा सुंदर वस्त्रों से मंडप तैयार करके सर्वतोभद्र की वेदी पर कलश की स्थापना के साथ-साथ गौरी-शंकर और नंदी की मूर्ति रखनी चाहिए। 3. यदि इस मूर्ति का नियोजन न हो सके तो शुद्ध मिट्टी से शिवलिंग बना लेना चाहिए। 4. कलश को जल से भरकर रोली, मौली, चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, कमलगट्टा, धतूरा, बेलपत्र, कमौआ आदि का प्रसाद शिवजी को अर्पित करके पूजा करनी चाहिए। पूजन विधि विस्तृत में पृथक से दी गई है, उसे पूजन से पूर्व एक बार अवश्य पढ़ लें। 5. रात को जागरण करके शिव की स्तुति का पाठ करना चाहिए। इस अवसर पर शिव पुराण का पाठ मंगलकारी है। शिव आराधना स्तोत्रों का वाचन भी लाभकारी होता है। 6. इस जागरण में शिवजी की चार आरती का विधान जरूरी है। 7. शिवरात्रि की कथा कहें या सुनें... 8. दूसरे दिन प्रातः जौ, तिल-खीर तथा बेलपत्रों का हवन करके ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करना चाहिए। इस विधि तथा स्वच्छ भाव से जो भी यह व्रत रखता है, भगवान शिव प्रसन्न होकर उसे अपार सुख-सम्पदा प्रदान करते हैं। 9. भगवान शंकर पर चढ़ाया गया नैवेद्य खाना निषिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि जो इस नैवेध को खा लेता है, वह नरक के दुःखों का भोग करता है। इस कष्ट के निवारण के लिए शिव की मूर्ति के पास शालिग्राम की मूर्ति का रहना अनिवार्य है। यदि शिव की मूर्ति के पास शालिग्राम हों तो नैवेद्य खाने का कोई दोष नहीं होता। शिवरात्रि के व्रत में खाना कब खाते हैं?सुबह के समय फलाहार करना चाहिए। फलाहार में संतरा, खीरा, पपीता, सेब आदि फल ले सकते हैं। महाशिवरात्रि के व्रत में भी सात्विक भोजन खाना चाहिए। अगर स्वास्थ्य संबंधी समस्या न हो तो बिना नमक के भी यह व्रत किया जा सकता है।
महा शिवरात्रि का व्रत कैसे रखा जाता है?ऐसे करें व्रत की शुरुआत
माना जाता है कि महाशिवरात्रि के व्रत की शुरुआत त्रयोदशी से ही हो जाती है और इसी दिन से लोगों को शुद्ध सात्विक आहार लेना शुरू कर देना चाहिए। कुछ लोग तो इसी दिन से व्रत का आरंभ कर देते हैं। इसके बाद चतुर्दशी तिथि को पूजा करके व्रत करने का संकल्प लेते हैं।
महाशिवरात्रि का व्रत कब खोलते हैं?मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव का व्रत रखने वालों सौभाग्य, समृद्धि और संतान की प्राप्ति होती है। चतुर्दशी तिथि समाप्त - मार्च 02, 2022 को 01:00 ए एम बजे। रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:39 ए एम से 06:45 ए एम, मार्च 02। भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि व्रत 2 मार्च को, सुबह 06:45 बजे के बाद पारण किया जा सकेगा।
महाशिवरात्रि को क्या क्या चढ़ाया जाता है?सावन शिवरात्रि पर दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें। अभिषेक करते समय ऊं नम: शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जप जरूर करें। उसके बाद भांग, धतूरा और बेलपत्र शिवजी को अर्पित करें। फिर शिवलिंग पर फल, फूल और अक्षत चढ़ाएं व भगवान को इत्र अर्पित करें।
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