तुलसी की माला सिद्ध कैसे करें? - tulasee kee maala siddh kaise karen?

हमारी प्रार्थना करने के विभिन्न तरीके हैं , कभी सरल शब्दों से,कभी कीर्तन से और कभी मन्त्रों से. इनमे मंत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली मानते जाते हैं , क्योंकि ये मन को तुरंत एकाग्र कर देते हैं और शीघ्र प्रभाव देते हैं. हर मंत्र से अलग तरह का प्रभाव और शक्ति उत्पन्न होती है इसलिए मंत्र का जप करने के लिए अलग अलग तरह की मालाओं का प्रयोग किया जाता है. ऐसा करने से अलग अलग मन्त्रों की शक्ति का लाभ मिल सकता है. माला का प्रयोग इसलिए भी किया जाता है ताकि मंत्र जप की संख्या में त्रुटी न हो सके. माला में लगे हुये दानों को मनका कहा जाता है. सामान्यतः माला में १०८ मनके होते हैं परन्तु कभी कभी इसमें २७ अथवा ५४ मनके भी होते हैं.

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माला के प्रयोग की सावधानियां और नियम क्या हैं?

- माला के मनकों की संख्या कम से कम २७ या १०८ होनी चाहिए. हर मनके के बाद एक गाँठ जरूर लगी होनी चाहिए.

- मंत्र जप के समय तर्जनी अंगुली से माला का स्पर्श नहीं होना चाहिए साथ ही सुमेरु का उल्लंघन भी नहीं होना चाहिए.

- मंत्र जप के समय माला किसी वस्त्र से ढंकी होनी होनी चाहिए या गोमुखी में होनी चाहिए.

- मंत्र जाप करने के पूर्व हाथ में माला लेकर प्रार्थना करनी चाहिए कि माला से किया गया मंत्र जाप सफल हो .

ईश्वर की आराधना में मंत्रों के जाप का विशेष महत्व है. देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों के जाप का विधान है. लेकिन मंत्रों के जाप के लिए लोग अक्सर एक ही माला का प्रयोग करते हैं. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो हर देवी-देवता की आराधना के लिए एक विशेष माला तय है, जिसके प्रयोग से देवता जल्दी प्रसन्न होते हैं. सही माला से मंत्रों का जाप करने से मंत्र सिद्ध होते हैं. आइए आपको बताते हैं कौन से देव मंत्र का जाप कौन सी माला से करना सही होता है और ईश्वर की उपसना का महत्व क्या है.

उपासना में माला का महत्व

- प्रार्थना करने के कई तरीके हैं, शब्द, कीर्तन या मंत्र से प्रार्थना

- इनमें मंत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली माने जाते हैं

- मन को तुरंत एकाग्र करते हैं मंत्र, इनका प्रभाव भी जल्दी होता है

- हर मंत्र में अलग प्रभाव और अलग शक्ति होती है

- मंत्र जाप के लिए अलग-अलग मालाओं का इस्तेमाल होता है

- ऐसा करने से अलग-अलग मन्त्रों की शक्ति का पूरा लाभ मिलता है

- मंत्र जाप में संख्या का विशेष महत्व है

-सही संख्या में मंत्रों का जाप करने के लिए भी माला का प्रयोग होता है

- माला में लगे हुए दानों को मनका कहते हैं

- आमतौर पर माला में 108 मनके होते हैं

-कभी-कभी माला में 27 या 74 मनके भी होते हैं

माला के प्रयोग की सावधानियां

- माला के मनकों की संख्या कम से कम 27 या  108 होनी चाहिए.

- हर मनके के बाद एक गाँठ जरूर लगी होनी चाहिए.

- मंत्र जप के समय तर्जनी अंगुली से माला का स्पर्श नहीं होना चाहिए

- सुमेरु का उल्लंघन भी नहीं होना चाहिए.

- मंत्र जप के समय माला किसी वस्त्र से ढंकी होनी होनी चाहिए या गोमुखी में होनी चाहिए.

-  मंत्र जाप करने के पूर्व हाथ में माला लेकर प्रार्थना करनी चाहिए

-  प्रार्थना करें कि माला से किया गया मंत्र जाप सफल हो .

- माला हमेशा व्यक्तिगत होनी चाहिए

-  दूसरे की माला का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

- जिस माला से मंत्र जाप करते हैं उसे धारण नहीं करना चाहिए.

रुद्राक्ष की माला का महत्व

- सामान्यतः किसी भी मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से कर सकते हैं

- शिव जी और उनके परिवार के लिए मन्त्र जाप रुद्राक्ष की माला से लाभकारी होता है

- महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय मन्त्र केवल रुद्राक्ष पर ही जपना चाहिए

स्फटिक की माला का महत्व

- ये माला एकाग्रता , सम्पन्नता  और शान्ति की माला मानी जाती है

- माँ सरस्वती और माँ लक्ष्मी के मन्त्र इस माला से जपना उत्तम होता है

- धन प्राप्ति और एकाग्रता के लिए स्फटिक की माला धारण करें

हल्दी की माला का महत्व

- विशेष प्रयोगों और मनोकामनाओं के लिए हल्दी की माला का प्रयोग किया जाता है

- बृहस्पति देव और माँ बगलामुखी के मन्त्रों के लिए हल्दी की माला का प्रयोग होता है

- हल्दी की माला से ज्ञान और संतान प्राप्ति के मन्त्रों का जाप भी कर सकते हैं

चन्दन की माला का महत्व

- चन्दन की माला दो प्रकार की होती है - लाल चन्दन और श्वेत चन्दन

- देवी के मन्त्रों का जाप लाल चन्दन की माला से करना फलदायी होता है

- भगवान् कृष्ण के मन्त्रों के लिए सफ़ेद चन्दन की माला का प्रयोग कर सकते हैं

तुलसी की माला का महत्व

- वैष्णव परंपरा में इस माला का सर्वाधिक महत्व है

- भगवान विष्णु और उनके अवतारों के मन्त्रों का जाप इसी माला से किया जाता है

- ये माला धारण करने पर वैष्णव परंपरा का पालन जरूर करना चाहिए

- तुलसी की माला पर कभी भी देवी और शिव जी के मन्त्रों का जप नहीं करना चाहिए.

- रूद्राक्ष से लेकर तुलसी तक, जानें मंत्र जाप कौन सी माला है  बेहतर

भक्ति मार्ग में जप या जाप का महत्व है। मंत्र का जप या परमात्मा के नाम का जप नित्य करते रहना चाहिए। जप के कुछ नियम है, जिन्हें जानना हर किसी के लिए जरूरी है। हम आपको बता रहे हैं कि जप किस तरह से करना चाहिए।

तुलसी माला (Tulsi Mala) का महत्व बहुत है क्योंकि वैष्णव सम्प्रदाय के लोग तुलसी की माला से ही भगवान् विष्णु का ध्यान करते हैं। तुलसी माला को धारण भी किया जाता है ताकि शरीर का शुद्धिकरण किया जा सके। हिन्दू समाज में तुलसी को बहुत पवित्र पौधों की श्रेणी में स्थान दिया गया है। 

हिन्दू पौराणिक शास्त्रों में तो तुलसी की माला को सबसे शुद्ध माना गया है। बताते चलें कि तुलसी आध्यात्मिक के साथ-साथ औषधीय गुण भी अपने साथ लिए हुए है। तुलसी के प्रयोग से रतौंधी, किडनी से संबंधित समस्याएं, माइग्रेन और साइनस जैसी बिमारियों से छुटकारा मिलता है।

भगवान् विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा में यदि तुलसी (Tulsi) शामिल न की जाए तो वह पूजा अधूरी मानी जाती है। साथ ही उनके हर प्रसाद में तुलसी का होना बहुत जरुरी है। तुलसी के कई अद्भुत लाभ भी है जिनको जान लेने के बाद कोई भी व्यक्ति इस माला का प्रयोग किये बिना नहीं रह सकते।

तुलसी की माला के लाभ ( Tulsi ki Mala ke laabh )आइये जानते हैं तुलसी माला बेनिफिट्स इन हिंदी ( tulsi mala benefits in hindi ) :

1. Tulsi mala pahnane ke fayde में सबसे पहला है कि इससे व्यक्ति का मन शांत और स्थिर होता है।

2. यह व्यक्ति के शरीर को बाहरी और आंतरिक रूप से पवित्र करती है।  

3. यह रक्तचाप को नियंत्रण में रखने के साथ-साथ पाचन तंत्र मजबूत बनाती है।  

4. पीलिया की स्थिति में भी इस माला को पहनाया जाता है क्योंकि इससे यह रोग जल्दी खत्म होता हैं।

5. गले में तुलसी की माला धारण करने से व्यक्ति के शरीर में विद्युत् शक्ति का प्रवाह बढ़ता है। इस प्रकार ये सभी Tulsi ki mala ke fayde हैं।  

तुलसी माला पहनने के नियम क्या है? ( Tulsi ki Mala pehne ke niyam kya hai? )आइये जानें आखिर तुलसी की माला कौन पहन सकता है और इसके नियम क्या है :

1. तुलसी माला (Tulsi Mala) को पहनने के लिए सबसे पहले उसे गंगाजल से धो लें फिर उसे सुखाने के बाद पहनें।  

2. इसका दूसरा नियम है कि इस माला को पहनने वाले लोगों को रोज माला का जाप करना अनिवार्य है। 
 
3. माला धारण करने के बाद सात्विक रहें और तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा आदि का सेवन न करें। 
 
4. माला पहनने के बाद उसे शरीर से कभी अलग न करें।  

तुलसी माला जपने के नियम क्या है? ( Tulsi Mala Japne ke niyam kya hai? )आइये जानते हैं tulsi mala japa rules :

1. माला (Mala) में कम से कम 27 या 108 मनके तो होने चाहिए।  

2. तुलसी माला में हर मनके के बाद एक गाँठ जरूर लगी होनी चाहिए।  

3. जाप करने वाली माला को कभी न पहनें।

4. किसी दूसरे व्यक्ति की माला को प्रयोग में कभी नहीं लाना चाहिए।  

5. जाप करने के लिए माला को किसी कपड़े से जरूर ढक लें।

तुलसी माला मंत्र
”ॐ विष्णवै नमः”

(यदि आप असली Tulsi Japa Mala खरीदने के इच्छुक हैं तो इसे prabhubhakti.in पर जाकर खरीद सकते हैं।)

असली तुलसी माला की पहचान कैसे करें? ( Asli Tulsi Mala ki pehchan kaise kare? )

असली तुलसी माला की पहचान ( tulsi mala ki pahchan ) करने के लिए उसे करीब 30 मिनट तक पानी में रख दें। यदि वह माला अपना रंग न छोड़े तो वह माला असली है।

तुलसी माला पहनने के लिए प्रतिबंध कौन-कौन से है? ( Tulsi Mala pehanne ke liye pratibandh kaun-kaun se hai? )

तुलसी की माला पहनने वालों को सात्विक रहना चाहिए। तामसिक भोजन जैसे- प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा आदि का सेवन प्रतिबंधित होता है। इसे शरीर से अलग भी नहीं किया जाना चाहिए।

तुलसी की माला कब पहने? या तुलसी की माला कब धारण करें? ( Tulsi ki Mala kab pahne? or tulsi mala kab dharan kare? )

तुलसी की माला तभी पहनने का निश्चय करें जब आपने स्वयं को सात्विक और अनुशासन में रहने का संकल्प ले लिया हो। बिना इसके तुलसी की माला धारण करने से आप अपने ईश्वर को नाराज़ कर सकते हैं।

तुलसी की माला किस दिन पहने? ( Tulsi ki Mala kis din pahne? )

तुलसी की माला दो प्रकार की होती हैं – रामा तुलसी और श्यामा तुलसी। दोनों ही तुलसी की माला को धारण करने के लिए शुभ दिन सोमवार, बुधवार और बृहस्पतिवार माना गया है।

तुलसी की माला पहनने से क्या होता है? ( Tulsi ki Mala pehanne se kya hota hai? )

तुलसी की माला हमें कई तरह की बुरी शक्तियों और रोगों से रक्षा करती है। यह शरीर के शुद्धिकरण के साथ-साथ आत्मा को भी पवित्र करने कार्य करती है।

तुलसी की माला को सिद्ध कैसे करें?

तुलसी की माला को पहनने से पहले गंगाजल से धो लेना चाहिए और सूखने के बाद धारण करना चाहिए..
इस माला को धारण करने वाले लोग रोजाना जाप करना होता हैं. इससे भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती हैं..
तुलसी माला पहनने वाले व्यक्ति को सात्विक भोजन करना चाहिए. ... .
किसी भी स्थिति परिस्थिति में तुलसी की माला को शरीर से अलग नहीं करना चाहिए.

तुलसी की माला पहनने के क्या नियम है?

तुलसी की माला को पहनने से पहले अच्छी तरह से गंगाजल से धो लें। इसके बाद सूख जाने के बाद ही पहनना चाहिए। माना जाता है कि तुलसी की माला हाथों से बनाकर पहनना काफी लाभकारी होता है। जो जातक तुलसी की माला को धारण करते हैं उन्हें रोजाना भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

तुलसी की माला से कौन सा जप करना चाहिए?

तुलसी की माला का प्रयोग विशेषतौर पर भगवान विष्णु के मंत्र जाप के लिए किया जाता है। इसके अलावा भगवान राम और श्री कृष्ण के मंत्रो का जाप करने के लिए भी तुलसी की माला का प्रयोग करना श्रेष्ठ रहता है क्योंकि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्री राम और कृष्ण जी दोनों ही विष्णु जी का अवतार हैं।

तुलसी की माला कौन से दिन पहने?

तुलसी की माला किस दिन पहने? ( Tulsi ki Mala kis din pahne? ) तुलसी की माला दो प्रकार की होती हैं – रामा तुलसी और श्यामा तुलसी। दोनों ही तुलसी की माला को धारण करने के लिए शुभ दिन सोमवार, बुधवार और बृहस्पतिवार माना गया है।