Solutions For All Chapters Vitan Class 11 Show प्रश्न 1: पाठ के किन अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है। क्या वर्तमान समय में स्त्रियों की इस सामाजिक स्थिति में कोई परिवर्तन आया है? तर्क सहित उत्तर दीजिए। उत्तर – पाठ के निम्नलिखित अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है- 1. घर में अकेले रहते देख आस-पास के सभी लोग पूछते, तुम यहाँ अकेली रहती हो? तुम्हारा स्वामी कहाँ रहता है? तुम कितने दिनों से यहाँ हो? तुम्हारा स्वामी वहाँ क्या करता है? तुम क्या यहाँ अकेली रह सकोगी। तुम्हारा स्वामी क्यों नहीं आता? ऐसी बातें सुन मेरी किसी के पास खड़े होने की इच्छा नहीं होती, किसी से बात करने की इच्छा नहीं होती। प्रश्न 2: अपने परिवार से लेकर तातुश के घर तक के सफ़र में बेबी के सामने रिश्तों की कौन-सी सच्चाई उजागर होती है? उत्तर – अपने परिवार से लेकर तातुश के घर तक के सफर में बेबी ने रिश्तों की सच्चाई जानी। उसने जाना कि रिश्तों का संबंध दिल से होता है, अन्यथा रिश्ते बेगाने होते हैं। पति का घर छोड़कर आने के बाद वह अकेली व असहाय थी। वह अकेले ही बच्चों के साथ किराये के मकान में रहने लगी। वह खुद ही काम ढूँढ़ने जाती। हालाँकि उसके समीप ही भाई व रिश्तेदार रहते थे, परंतु किसी ने उसकी सहायता नहीं की। वे उससे मिलने तक नहीं आए। उसे अपनी माँ की मृत्यु का समाचार तक छह महीन बाद अपने पिता से मिला। दूसरी तरफ, बाहरी व्यक्तियों ने उसकी सहायता की। सुनील नामक युवक ने उसे काम दिलवाया, तातुश ने उसे बेटी के समान माना तथा उसकी हर तरीके से मदद की। उनके प्रोत्साहन से वह लेखिका बन पाई। मकान टूटने के बाद भोला दा उसके साथ रात भर खुले आसमान में बैठा रहा। इस प्रकार दिल में स्नेह हो तो रिश्ते बन जाते हैं। प्रश्न 3: इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता है। घरेलू नौकरों को और । किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? इस पर विचार करिए। उत्तर – इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की निम्नलिखित जटिलताओं का पता चलता है- 1. घरेलू
नौकरों को आर्थिक सुरक्षा नहीं मिलती। उनकी नौकरी कभी भी खत्म हो सकती है। अन्य समस्याएँ प्रश्न 4: ‘आलो-आँधारि’ रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ कई सामाजिक मददों को समेटे है। किन्हीं दो मुख्य समस्याओं पर अपने विचार प्रकट कीजिए। (क) परित्यक्ता स्त्री की स्थिति-इस रचना में बेबी एक परित्यक्ता स्त्री है। वह किराए के मकान में रहकर घरों में नौकरानी का काम करके गुजारा कर रही है। समाज का व्यवहार उसके प्रति कटु है। स्वयं औरतें ही उस पर ताना मारती हैं। हर व्यक्ति उस पर अपना अधिकार समझता है तथा उसका शोषण करना चाहता है। उसका मानसिक, शारीरिक व आर्थिक शोषण किया जाता है। उस पर तरह-तरह की वर्जनाएँ थोपी जाती हैं तथा सहायता के नाम पर उसका मजाक उड़ाया जाता
है। प्रश्न 5: तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो-जेदू का यह कथन रचना संसार के किस सत्य को उद्घाटित करता है? प्रश्न 6: बेबी की जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन कैसा होता? कल्पना करें और लिखें। मूल्यपरक प्रश्ननिम्नलिखित गदयांशों को पढ़कर पूछे गए मूल्यपरक प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (क) मेम साहब की कोठी के सामने की एक कोठी में सुनील नाम का तीस-बत्तीस साल का एक युवक मोटर चलाता था। वह मुझे पहचानता था इसलिए मैंने उससे भी अपने काम के बारे में कह रखा था। एक दिन रास्ते में मुझे देखकर उसने पूछा, तुम क्या अब उस कोठी में काम नहीं करतीं? मैंने कहा, मुझे उस कोठी को छोड़े डेढ़ सप्ताह हो गए। अभी तक मुझे कोई काम नहीं मिला है। वह बोला, ठीक है, मुझे काम के बारे में कुछ पता चलेगा तो बताऊँगा। दो-एक दिन बाद दोपहर को बच्चों को खिला-पिलाकर मैं उनके साथ सो रही थी कि सुनील आया और बोला, क्यों, काम मिला? मैंने कहा, नहीं, अभी तक कुछ नहीं मिला। वह बोला, तो चलो मेरे साथ। मैंने पूछा, कहाँ? तो वह बोला, काम करना है तो मैं तुम्हें लिए चलता हूँ, बाकी बातें तुम स्वयं वहाँ कर लेना। प्रश्न उत्तर – (ख) मैं इसी तरह रोज सबेरे आती और दोपहर तक सारा काम खत्म कर चली जाती। बीच-बीच में साहब मेरे बारे में इधर-उधर की बातें पूछ लेते। एक दिन उन्होंने मेरे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछा तो मैंने कहा, ‘मैं तो पढ़ाना चाहती हूँ लेकिन वैसा सुयोग कहाँ है, फिर भी चेष्टा तो करूंगी ही बच्चों के लिए। उन्होंने एक दिन बुलाकर फिर कहा, तुम अपने लड़के और लड़की को लेकर आना। यहाँ एक छोटा-सा स्कूल है। मैं वहाँ बोल दूँगा। तुम रोज बच्चों को वहाँ छोड़ देना और घर जाते समय अपने साथ ले जाना। मैं अब बच्चों को साथ लेकर आने लगी। उन्हें स्कूल में छोड़, घर आकर अपने काम में लग जाती। स्कूल से बच्चे जब मेरे पास आते तो साहब कुछ-न-कुछ उन्हें खाने को देते। प्रश्न 2. ‘आज बच्चों का अनपढ़ रहना कल के समाज पर बोझ बन जाएगा।” इस कथन से मैं पूर्णतया सहमत हूँ। अनपढ़ बच्चे अपने जीवन में कोई विशेष प्रशिक्षण प्राप्त नहीं कर पाएँगे। ऐसे में वे आजीवन मजदूर बनकर रह जाएँगे। उचित कौशल के अभाव में शायद वे अपराध की ओर कदम बढ़ा दें और समाज-देश के लिए अपना योगदान न दे सकें। (ग) मैं सवेरे उठकर बच्चों को खिला-पिलाकर रेडी करती और घर में ताला लगाकर उनके साथ निकल पड़ती। मैं एक ही कोठी में काम करते कैसे अपना काम चलाऊँगी और कैसे घर का किराया दूँगी, इस बात को लेकर लोग आपस में खूब बातें करते। मैं स्वयं भी चिंतित थी कि मुझे और दो-एक कोठियों में काम नहीं मिला तो इतने पैसों में गुजारा कैसे होगा। मैं रोज साहब से पूछती कि किसी ने उन्हें काम के बारे में कुछ बताया क्या। वह मेरा प्रश्न और कोई बात कर टाल देते लेकिन उन्हें देखकर मुझे लगता जैसे वह नहीं चाहते कि मैं कहीं और भी काम करूं। शायद वह सोचते रहे हों कि मुझसे वह सब होगा नहीं और हेागा भी तो उससे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई ठीक से नहीं चल पाएगी। शायद इसीलिए उन्होंने एक दिन हठात् मुझसे पूछा, बेबी, महीने में तुम्हारा कितना खर्चा हो जाता है? शरम से मैं कुछ नहीं बोली और उन्होंने भी दुबारा नहीं पूछा। प्रश्न (घ) देखो बेबी, तुम समझो कि मैं तुम्हारा बाप, भाई, माँ, बंधु, सब कुछ हूँ। यह कभी मत सोचना कि यहाँ तुम्हारा कोई नहीं है। तुम अपनी सारी बातें मुझे साफ-साफ बता सकती हो, मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगेगा। थोड़ा रुककर उन्होंने फिर कहा, देखो, मेरे बच्चे मुझे तातुश कहते हैं, तुम भी मुझे वही कहकर बुला सकती हो। उस दिन से मैं उन्हें तातुश कहने लगी। मैं तातुश कहकर उन्हें बुलाती तो वह बहुत खुश होते और कहते, तुम मेरी लड़की जैसी हो। इस घर की लड़की हो। कभी यह मत सोचना कि तुम परायी हो। वहाँ कोई भी मेरे साथ पराये जैसा व्यवहार नहीं करता। तातुश के तीन लड़के थे। उस समय तक मैंने एक ही को देखा था और वह उनका सबसे छोटा लड़का था। उसके मुँह में जैसे जबान ही नहीं थी। प्रश्न (ड) किताब पढ़ना मुझे बहुत अच्छा लगता। कुछ दिनों बाद तातुश ने एक दिन पूछा, तुम जो किताब ले गई थीं उसे ठीक से पढ़ तो रही हो? मैंने हाँ कहा तो वह बोले, मैं तुम्हें एक चीज दे रहा हूँ, तुम उसका इस्तेमाल करना। समझना कि वह भी मेरा ही एक काम है। मैंने पूछा, कौन-सी चीज? तातुश ने अपनी लिखने की टेबिल के ड्रार से एक पेन और कॉपी निकाली और बोले, इस कॉपी में तुम लिखना। लिखने को तुम अपनी जीवन-कहानी भी लिख सकती हो। होश सँभालने के बाद से अब तक की जितनी भी बातें तुम्हें याद आएँ सब इस कॉपी में रोज थोड़ा-थोड़ा लिखना। पेन और कॉपी हाथ में लिए मैं सोचने लगी कि इसका तो कोई ठिकाना नहीं कि जो लिखूंगी वह कितना गलत या सही होगा। तातुस ने पूछा, क्यों, क्या हुआ? क्या सोचने लगी? मैं चौंक पड़ी। फिर बोली, सोच रही थी कि लिख सकूंगी या नहीं। वह बोले, जरूर लिख सकोगी। लिख क्यों नहीं सकोगी! जैसा बने वैसा लिखना। प्रश्न (च) जब मेरे स्वामी के सामने वहाँ के लोगों के मुँह बंद नहीं होते थे तो यहाँ तो बच्चों को लेकर मैं अकेली थी! यहाँ तो वैसी बातें और भी सुननी पड़तीं। मैं काम पर आती-जाती तो आस-पास के लोग एक-दूसरे को बताते कि इस लड़की का स्वामी यहाँ नहीं रहता है, यह अकेली ही भाड़े के घर में बच्चों के साथ रहती है। दूसरे लोग यह सुनकर मुझसे छेड़खानी करना चाहते। वे मुझसे बातें करने की चेष्टा करते और पानी पीने के बहाने मेरे घर आ जाते। मैं अपने लड़के से उन्हें पानी पिलाने को कह कोई बहाना बना बाहर निकल आती। इसी तरह मैं जब बच्चों के साथ कहीं जा रही होती तो लोग जबरदस्ती न जाने कितनी तरह की बातें करते, कितनी सीटियाँ मारते, कितने ताने मारते! लेकिन मुझ पर कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं उनसे बचकर निकल जाती। तातुश के यहाँ जब पहुँचती और वह बताते कि उनके किसी बंधु ने उनसे फिर मेरे पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछा है तो खुशी में मैं वह सब भूल जाती जो रास्ते में मेरे साथ घटता। प्रश्न उत्तर – निबंधात्मक प्रश्नप्रश्न 1: ‘आलो-आँधारि’ पाठ के आधार पर तातुश का
चरित्र-चित्रण कीजिए। प्रश्न 2: बेबी के चरित्र की विशेषताएँ बताइए। प्रश्न 3: सजने-सँवरने के बारे में बेबी की क्या राय थी? लघुत्तरात्मक प्रश्नप्रश्न 1: शर्मिला दी और बेबी के संबंधों के बारे में बताइए। प्रश्न 2: ‘बेबी के लिए तातुश के हृदय में माया है।’-स्पष्ट कीजिए। प्रश्न 3: सुनील ने बेबी की सहायता कैसे की? उत्तर – सुनील तीस-बत्तीस साल का युवक था जो एक कोठी में ड्राइवर का काम करता था। बेबी ने उसे कहीं काम दिलवाने के लिए कह रखा था, जब सुनील को पता चला कि बेबी को डेढ़ सप्ताह से कोई काम नहीं मिला तो वह उसे तातुश के घर ले गया। उनसे बातचीत करके उसने बेबी को उनके घर का काम दिलवा दिया। प्रश्न 4: तातुश ने बेबी
को क्या दिया? उस पर बेबी की क्या प्रतिक्रिया थी? प्रश्न 5: लखिका को
लेखन के लिए किन-किन लोगों ने उत्साहित किया? प्रश्न 6: तातुश के घर बेबी सुखी थी, फिर भी उदास हो जाती थी। क्यों? प्रश्न 7: मोहल्लेवासियों का लेखिका के प्रति कैसा रवैया था? प्रश्न 8: बेबी को अपनी माँ की मृत्यु का समाचार कैसे मिला? प्रश्न 9: बेबी ने पार्क में घूमना क्यों छोड़ दिया? प्रश्न 10: अपनी प्रकाशित रचना देखने से बेबी पर क्या प्रतिक्रिया हुई? तातुश लेखिका को देखकर अक्सर क्या सोचते थे?लेखिका अपने पति से अलग किराए के मकान में अपने तीन छोटे बच्चों के साथ रहती थी। उसे हर समय काम की तलाश रहती थी। वह सभी को अपने (लेखिका) लिए काम ढूँढ़ने के लिए कहती थी। शाम को जब वह घर वापिस आती तो पड़ोस की औरतें काम के बारे में पूछतीं।
तातुश का व्यक्तित्व हमें क्या सिखाता है?तातुश के व्यक्तित्व से हमें दूसरों की मदद करने की प्रेरणा, शिक्षा के प्रति बच्चों को जागरूक बनाने, सहृदय बनने, दूसरों के जीवन में शिक्षा की रोशनी फैलाने की प्रेरणा मिलती है।
तातुश का अर्थ क्या होता है?तातुश उन पन्नों को पढ़ते, उन्हें सुधारते और उनकी ज़ेराक्स करवाते. लिखने का यह काम महीनों चलता रहा.
तातुश के घर काम करने वाली औरत ने बेटी को गालियां क्यों दी?“ यदि किसी दिन काम से घर पहुंचने में देरी हो जाती तो मकान मालिक की महिला उसका कारण पूछने लगती।” “ जब मैं काम पर जाती थी, तो आसपास के लोग एक दूसरे से कहते थे कि, इस लड़की का स्वामी यहां नहीं रहता, यह बच्चों के साथ अकेली रहती है।, दूसरे लोग उनकी बातें सुनकर मुझे बताना चाहते थे। वह मुझसे बात करने की कोशिश करते थे।
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