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खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं? खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं? खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है? यदि व्यक्ति 3 हफ्तों से अधिक समय तक किसी ऐसी खांसी से ग्रसित है जो रुक नहीं रही, जिसमें सूखा और गीला, दोनों प्रकार का बलगम आ रहा है, तो वह खांसी टीबी हो सकती है । यह एक संक्रमित रोग है जो व्यक्ति के खांसने और छींकने से दूसरे व्यक्ति को होता है । फैफड़ों का कैंसर क्या है ?जब एक लंबी और बेहिसाब खांसी में बलगम के साथ-साथ खून के लक्षण दिखने लगे तो वह फेफड़ों के कैसंर को पहचानने का सटीक तरीका है । फेफड़े का कैंसर क्या है? कारण, लक्षण और उपचार टीबी और फेफड़ों के कैंसर में अंतरसांस लेने में परेशानी, छाती में दर्द और कफ या बलगम के साथ खून का आना फेफड़ों का कैंसर का संकेत है । वैसे अमूमन टीबी के भी इसी तरह मिलते-जुलते लक्षण होते हैं, जिसमें रोगी जानकारी न होने के कारण टीबी का उपचार शुरू कर देते हैं। डॉक्टरों द्वारा जब उसे देख-रेख में रखा जाता है और अगर फिर रोगी को दो या तीन हफ्तों तक टीबी की दवा से आराम नहीं आता, तब अनुमान लगाया जाता है कि उसे फेफड़ों का कैंसर है ।एम्स, दिल्ली की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि फेफड़ों के कैंसर के75प्रतिशत रोगी वह हैं, जो पहले कभी टीबी से संक्रमित थे। फेफड़ों के कैंसर होने की सबसे अधिक संभावना उन लोगों में होती है जो धूम्रपान करते हैं या किसी धुएं वाले स्थान पर वक्त गुज़ारते हैं, जैसे कारखाने, मिल, फैक्टरी ।इस रिपोर्ट में यह बात भी निकल कर आई कि जो व्यक्ति महीने में 25 या इससे अधिक सिगरेट का सेवन करते हैं, उनमें रिस्क बहुत बढ़ जाता है। ट्यूबरकुलोसिस(टीबी) और फेफड़ों के कैंसर के बीच बहुत कुछ एक जैसा ही होता है । यही सबसे बड़ी वजह है कि लोग इनके बीच में अंतर नहीं कर पाते, उनके लिए यह मुश्किल होता है । इसी के चलते कईं बार लोग टीबी को कैंसर समझ लेते हैं और कैंसर को टीबी मानते रहते हैं । लेकिन कुछ बारिक अंतर है जो इन दोनों को अलग करते हैं, इसलिए इन दोनों के बीच कभी भी कन्फ्यूज नहीं होना चाहिए। हालांकि इन दोनों रोगों में लंबी खांसी, खांसी के साथ खून का निकलना, आवाज का भारी हो जाना, इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। इलाज से पहले जांच बहुत ज़रुरी है परंतु ध्यान रहे, यदि आप टीबी से ग्रसित हैं तो इसका इलाज कराने से पहले एक बार अपने बलगम का परिक्षण जरूर कराएं । परिक्षण में यह देख लिया जाता है कि स्क्रूटम के अंदर एएफबी बैक्टीरिया दिखता है या नहीं । अगर दिखता है तो यह फेफड़े के कैंसर होने के लक्षण हैऔर यदि बैक्टीरिया दिखाई नहीं देता तो यह कैंसर नहीं टीबी के लक्षण होते हैं, इसलिए हमेशा टीबी के इलाज से पहले जांच करानी ज़रुरी है । भारत ऐसा देश हैं, जहां फेफड़ों के कैंसर से सबसे अधिक मौतें होती हैं । एम्स, दिल्ली की रिपोर्ट के अनुसार देश के लगभग 90फीसदी लोग इलाज के लिए तब आते हैं जब वह कैंसर की दूसरी या तीसरी स्टेज में होते हैं। इसकी वजह है जानकारी की कमी, जिसके चलते ज्यादातर केसों में लोग फेफड़े के कैंसर में टीबी का इलाज कराते रहते हैं, जिसकी वजह से देर हो जाती है । टीबी के साथ कैंसर की जांच बहुत ज़रुरी लोहिया संस्थान से जुड़े हुए डॉ. गौरव ने बताया कि वर्ष 2018-19 में पूरे भारत में लंग कैंसर के लगभग 7 हजार मामले सामने आए । लंग कैंसर के खांसी, बलगम, छाती में दर्द, भूख न लगना, बुखार आना, सिर में दर्द रहना, नींद पूरी न होना, कमज़ोरीहोना जैसे लक्षण हैं। इसकी बाद की स्टेज में बलगम के साथ खून का आना, हड्डियों में दर्द होना जैसै लक्षण दिखाई देते हैं। समझने वाली बात यह है कि यह सभी लक्षण टीबी होने पर भी दिखाई देते हैं, इसलिए आवश्यक है कि टीबी के साथ-साथ कैंसर की जांच भी अवश्य कराएं और विशेषकर तब जब टीबी में दवा लेने के बाद भी असर न दिखे । डॉक्टर क्या कहते हैं ? रोगी को ध्यान रहे कि यदि उसकी खांसी दवा के बाद भी बेहतर नहीं हो रही, तो यह चिंता की बात है । यह टीबी या लंग कैंसर हो सकता है। यदि रोगी 1 महीने तक लगातार टीबी की दवाई ले रहा है और टीबी ठीक नहीं हो रही तो उसे फौरन किसी कैंसर विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। डॉक्टर्स का कहना है कि यह बहुत दुख की बात है कि भारत में लोग टीबी का इलाज तब तक नहीं करवाते जब तक वह कैंसर नहीं बन जाती और जब कैंसर एडवांस स्टेज पर पहुंच जाता है, तब वह उपचार करवाना शुरु करते हैं, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, कैंसर पूरी तरह फैल चुका होता है । परंतु यदि रोगी समय रहते इलाज शुरु करवा ले तो लंग कैंसर को पहचानकर उसे सर्जरी के ज़रिएठीक किया जा सकता है, परंतु अफसोस यह है कि यह बहुत कम केसों में होता है । लिक्विड बायोप्सी है सबसे बेहतर इलाज देश के सीनियर कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अमन शर्मा कहते हैं कि लंग कैंसर के रोगी अगर पहली स्टेज में आ गए तोमुमकिन है कि 90फीसदी को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि फेफड़ों के कैंसर में लिक्विड बायोप्सी बहुत सफल रही है। पहले हमारे देश में इसकी व्यवस्था नहीं थी, लेकिन अब यह महानगरों और बड़े शहर में उपलब्ध है। अब धीरे-धीरे लोग इसे जानने लगे हैं और इसीलिए इसका प्रचारभी हो रहा है। पहले कैंसर रोगी को जांच में बहुत-सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था परंतु अब यह बहुत सहज है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति के फेफड़ों और श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है। यह रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु से होता है। यह रोग इलाज योग्य और रोकथाम योग्य है। लेकिन इसका सक्रिय रूप अत्यधिक संचारी है और खांसी, छींक, लार आदि के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। अपने अत्यधिक संचारी रूप के कारण यह रोग विश्व स्तर पर दूसरी घातक बीमारी है। टीबी के दो प्रकार अव्यक्त टीबी और सक्रिय टीबी हैं। अव्यक्त ट्यूबरक्लोसिस संक्रामक नहीं होता है और जीवाणु शरीर में निष्क्रिय रूप में रहते हैं। सक्रिय टीबी में बैक्टीरिया सक्रिय होता है और इस प्रकार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। रोग के सामान्य लक्षण 3 महीने से अधिक समय तक खांसी, थकान, बुखार, ठंड लगना, रात में पसीना आना, सीने में दर्द, सांस लेने में समस्या, भूख न लगना है। टीबी पैदा करने वाले बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए विभिन्न दवाएं और एंटीबायोटिक हैं। रोग के कई रूप दवा प्रतिरोधी बन गए हैं। रोग से संबंधित कुछ तथ्य इस प्रकार हैं:
ट्यूबरक्लोसिस (क्षय रोग) के विभिन्न प्रकार क्या हैं? | Types of Tuberculosis (TB) in Hindi
ट्यूबरक्लोसिस (क्षय रोग) के शुरुआती लक्षण क्या हैं? | Tuberculosis (TB) Symptoms in Hindi
अधिकांश टीबी संक्रमण फेफड़ों को प्रभावित करते हैं जो निम्न कारण हो सकते हैं:
फेफड़ों के बाहर टीबी:
लक्षणों में शामिल हैं:
ट्यूबरक्लोसिस माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस से प्रेरित एक संचारी रोग है, यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हवा की सूक्ष्म बूंदों के माध्यम से फैलता है। ट्यूबरक्लोसिस आमतौर पर तब फैलता है जब किसी के पास बिना निदान या उपचार न किए गए लक्षण होते हैं। यह छींकने, हंसने, बोलने, खांसने, स्पिरिट या गाने से फैलता है। ट्यूबरक्लोसिस के जीवाणु बिना रोग पैदा किए जीवन भर निष्क्रिय अवस्था में शरीर में रह सकते हैं। हालांकि, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं और ट्यूबरक्लोसिस रोग का कारण बनते हैं। फिर भी यह शरीर में लगभग 6 महीने तक ही रहता है, जो कि टीबी के जीवाणुओं को मारने के लिए दवा की मात्रा है। ट्यूबरक्लोसिस के मुख्य कारण क्या हैं? | Tuberculosis (TB) Causes in Hindi
टीबी विकसित करने वाले जोखिम कारक क्या हैं? Risk Factors for Tuberculosis (TB) in Hindiटीबी होने के जोखिम वाले लोगों में शामिल हैं:
ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है जो आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, कुछ मामलों में, यह किडनी, रीढ़ और मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है। यदि पर्याप्त उपचार प्राप्त नहीं किया गया तो ट्यूबरक्लोसिस घातक हो सकता है। यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो ट्यूबरक्लोसिस के जीवाणु फेफड़ों के साथ-साथ रीढ़, मस्तिष्क और किडनी पर भी हमला करते हैं और इस प्रकार घातक हो सकते हैं। यदि आप किसी टीबी से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में हैं या खांसी, वजन घटना, बुखार, रात को पसीना, ग्रंथियों में सूजन आदि जैसे रोग के लक्षण विकसित होते हैं, तो डॉक्टर को दिखाना महत्वपूर्ण है। ट्यूबरक्लोसिस के तीन चरण होते हैं: ट्यूबरक्लोसिस के अंतिम चरण में, व्यक्ति एक सक्रिय संक्रमण के सभी संकेत और लक्षण विकसित करता है और एक सकारात्मक त्वचा परीक्षण और छाती का एक्स-रे होता है। ट्यूबरक्लोसिस के लिए किस प्रकार की सावधानियां बरती जाती हैं? | Precautions for Tuberculosis (TB) in Hindiएक वयस्क से दूसरे वयस्क में टीबी के संचरण को रोकना: यह पहले सक्रिय टीबी वाले लोगों की पहचान करके और फिर उनका इलाज करके किया जाता है। उचित उपचार के साथ, कोई व्यक्ति संक्रमण को दूर कर सकता है और इसलिए अब वह दूसरों को संक्रमित नहीं कर सकता है। यदि कोई इलाज पर नहीं है, तो एक वयस्क से दूसरे में संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए खांसी तहज़ीब जैसी सावधानियां बरतनी चाहिए। अन्य टीबी रोकथाम गतिविधियाँ: यह पहले सक्रिय टीबी वाले लोगों की पहचान करके और फिर उनका इलाज करके किया जाता है। उचित उपचार के साथ, कोई व्यक्ति संक्रमण को दूर कर सकता है और इसलिए अब वह दूसरों को संक्रमित नहीं कर सकता है। यदि कोई इलाज पर नहीं है, तो एक वयस्क से दूसरे में संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए खांसी तहज़ीब जैसी सावधानियां बरतनी चाहिए। खांसी की तहज़ीब: अव्यक्त टीबी वाले मरीजों को सक्रिय टीबी विकसित करने से रोका जाना चाहिए। जेलों और अस्पतालों जैसी सेटिंग में मास्क और श्वासयंत्र का उपयोग करके संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है। दूध का पाश्चुरीकरण भी बोवाइन टीबी के प्रसार को रोकता है टीकाकरण का उपयोग किया जा सकता है, हालांकि यह केवल टीबी के प्रसार को रोकने में एक छोटी भूमिका निभाता है। बीसीजी वैक्सीन: इसका मतलब है कि अगर आपको टीबी है या हो सकती है, तो जब आप खांसते या छींकते हैं, तो आपको अपने चेहरे को टिश्यू से ढंकना चाहिए। आपको अपना इस्तेमाल किया हुआ टिश्यू कूड़े में डालना चाहिए। यदि आपके पास टिश्यू नहीं है, तो आपको अपनी ऊपरी बांह या कोहनी में खांसना या छींकना चाहिए। आपको अपने हाथों पर खासना नहीं चाहिए। खांसने के बाद आपको अपने हाथ धोने चाहिए। टीबी की शिक्षा: इसे पहली बार 1920 के दशक में विकसित किया गया था। यह वर्तमान टीकों का सबसे व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, और यह सभी नवजात बच्चों और शिशुओं के 80% तक पहुंचता है जहां यह राष्ट्रीय बचपन टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा है। घरों में रोकथाम: घरों को पर्याप्त रूप से हवादार होना चाहिए और खांसी की तहज़ीब और श्वसन स्वच्छता पर शिक्षा दी जानी चाहिए। स्मीयर पॉज़िटिव होने पर, रोगियों को चाहिए:
ट्यूबरक्लोसिस में जिन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए वे हैं:
ट्यूबरक्लोसिस का निदान करने के लिए कौन से परीक्षण किए जाते हैं? Diagnosis of Tuberculosis (TB) in Hindi
ट्यूबरक्लोसिस (क्षय रोग) के लिए सबसे अच्छा उपचार क्या है? Tuberculosis (TB) Treatment in Hindi
ट्यूबरक्लोसिस के लिए सबसे अच्छा घरेलू उपचार क्या है? Home Remedies forTuberculosis (TB) in Hindiदिसंबर 2018 में, एक घोषणा की गई थी कि यदि आइसोनियाज़िड या रिफैम्पिसिन के लिए कोई प्रतिरोध नहीं पाया गया, तो पहले से इलाज किए गए सभी रोगियों को मानक 6 महीने की पहली पंक्ति का उपचार प्राप्त करना चाहिए। यह टीबी के उपचार को डब्ल्यूएचओ के उपचार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप लाता है। यह सुनिश्चित करने के लिए दवा संवेदनशीलता परीक्षण किया जाना महत्वपूर्ण है कि पहले से इलाज किए गए रोगी में कोई दवा प्रतिरोध नहीं है। TB में खांसी कितने दिन रहती है?आपको इसके लक्षणों को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए. खांसी टीबी का सबसे आम लक्षण है. इसमें 15-20 दिनों तक खांसी बनी रहती है. इस स्थिति में आपके फेफड़े सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
टीवी के मरीज को क्या क्या तकलीफ होती है?ट्यूबरक्लोसिस के लक्षण (Tuberculosis Symptoms in Hindi). तीन सप्ताह से अधिक समय तक खांसी होना. सांस फूलना. सांस लेने में तकलीफ होना. शाम के दौरान बुखार का बढ़ जाना. सीने में तेज दर्द होना. अचानक से वजन का घटना. भूख में कमी आना. बलगम के साथ खून आना. ज्यादा खांसी आने पर कौन सी बीमारी होती है?फेफड़ों का कैंसर- लंबे समय तक होने वाली खांसी का कारण फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है. फेफड़ों का कैंसर होने पर खांसते समय खून भी आ सकता है. लेकिन अगर आप धूम्रपान नहीं करते हैं या आपकी फैमिली में किसी को भी लंग कैंसर नहीं हुआ है तो आपकी खांसी का कुछ और कारण हो सकता है.
टीवी का लास्ट स्टेज क्या है?क्षय यानी टीबी के रोगी का जब बीच में इलाज छूट जाता है तो वह एक दिन एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंस) की स्थिति में पहुंच जाता है। यह टीबी की अगली स्टेज है। ऐसे रोगियों को शुरुआत में ज्यादा तकलीफ नहीं होती लेकिन जब बीमारी लास्ट स्टेज में पहुंचती है तो वे अति गंभीर कुपोषित हो जाते हैं। उनके शरीर में ताकत नहीं रहती है।
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