दीवानों की हस्ती कविता से हमें क्या सीख मिलती है? - deevaanon kee hastee kavita se hamen kya seekh milatee hai?

इस कविता से हमें क्या संदेश मिलता है?


इस कविता से हमें यह संदेश मिलता है कि हमारे मन मैं देशप्रेम की भावना होनी चाहिए। हम केवल ‘स्व’ हेतु नहीं बल्कि ‘पर’ हेतु जीना चाहिए। अपने रिश्ते-नातों से भी बढ्कर सभी देशवासियों के बारे में सोचना चाहिए और देश पर यदि कोई विपत्ति आ जाए तो सर्वस्व समर्पण करने में संकोच नहीं करना चाहिए। जिस प्रकार ‘दीवानो की हस्ती’ कविता में वीर सेनानी केवल देश हेतु ही जीवन जीता है बाकी सभी बंधनों को तोड़ देने में विश्वास करता है।

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एक पंक्ति में कवि ने यह कहकर अपने अस्तित्व को नकारा है कि “हम दीवानों की क्या हस्ती, हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले।” दूसरी पंक्ति में उसने यह कहकर अपने अस्तित्व को महत्व दिया है कि “मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले।” यह फाकामस्ती का उदाहरण है। अभाव में भी खुश रहना फाकामस्ती कही जाती है।
कविता में इस प्रकार की अन्य पंक्तियाँ भी हैं उन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और अनुमान लगाइए कि कविता में परस्पर विरोधी बातें क्यों की गई हैं?


ऐसे परस्पर विरोधी विचारों का समावेश कविता में इसलिए किया गया है क्योंकि बलिदानी वीर अपने विचारों उद्यम व बलिदान पथ के स्वयं ही मालिक थे। उनके विचारों में दुख-सुख, उल्लास-अश्रु, बंधन-मुक्ति आदि शब्दों का कोई महत्त्व न था। उनका लक्ष्य तो था देश को स्वाधीन करवाना और इस हेतु वे निरंतर कार्यरत रहते हैं।

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भिखमंगों की दुनिया में बेरोक प्यार लुटानेवाला कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है? क्या वह निराश है या प्रसन्न है?


कवि संसार के लोगों के प्रति स्वच्छंद रूप में प्रेम लुटाता है क्योंकि उसका मानना है कि इस दुनिया के लोग सदैव दूसरों से पाने की चाहत रखते हैं। सभी को प्रसन्न रखने पर भी उसका हृदय द्रवित है, उसके हृदय पर असफलता का निशान है कि अपने जीवनकाल में उसने बहुत प्रयत्न करके भी स्वतंत्रता प्राप्त नहीं की।

इसके लिए कवि निराश तो नहीं लेकिन यह टीस उसके मन में अवश्य है कि उसके भरसक प्रयत्नों से भी देश आजाद न हो सका। साथ ही उसे प्रसन्नता इस बात की है कि उसने स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु हर संभव प्रयत्न किया है।

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जीवन में मस्ती होनी चाहिए, लेकिन कब मस्ती हानिकारक हो सकती है? सहपाठियों के बीच चर्चा कीजिए।


यह सही है कि जीवन में मस्ती अर्थात् मजा होना चाहिए क्योंकि इससे ही व्यक्ति जीवन मैं आनंद व हर्ष अनुभव करता है। लेकिन यदि हमारे द्वारा की गई मस्ती किसी को नुकसान पहुँचाए तो उसे हम मस्ती का नाम नहीं दे सकते।

हम बलि-वीरों की मस्ती को सर्वश्रेष्ठ व आनंददायक मानते हैं क्योंकि लाख कठिनाइयाँ सहने पर भी वे संतुष्ट व आनंदित रहते हैं। उनके हृदय में सदा आगे बढ़ने की चाह बनी रहती है। अपने जीवनकाल में कुछ विशेष कार्य करके वे लोगों के लिए प्रेरक बनना चाहते हैं।

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कविता में ऐसी कौन-सी बात है जो आपको सबसे अच्छी लगी?


कविता में हमें सबसे अच्छी लगी दीवानों की ‘मस्ती’। सुख-दुख सब सहते हुए भी वै मस्त हैं उन्हें किसी की परवाह नहीं। मस्ती में जीकर जान हथेली पर रखकर देश को स्वतंत्र करवाना चाहते हैं।

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कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को ‘आँसू बनकर बह जाना’ क्यों कहा है?


कवि का मानना है कि जब वे अपने बंधु-बांधवों से मिलने आते हैं तो सबके चेहरों पर खुशी छा जाती है और जब सहसा जाने की बात आती है तो वही खुशी अश्रुओं का रूप धारण कर लेती है अर्थात् उनके जाने का दुख सहन नहीं होता। लेकिन वीरों को तो अपने चुने मार्ग पर बढ़ना ही होता है।

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लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: दीवानों की चाल अन्य लोगों की चाल से किस तरह अलग होती है?
उत्तर: दीवानों में जोश कूट-कूट कर भरा रहता है। जब वे एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं, बड़े जोश के साथ बढ़ते हैं, जबकि सामान्य लोगों की चाल में ऐसा नहीं होता है।

प्रश्न 2: दीवाने ‘आज यहाँ, कल वहाँ’ आवागमन क्यों करते रहते हैं?
उत्तर:
दीवाने अलमस्त रहते हैं। वे लोगों में खुशियाँ बाँटते फिरते हैं। वे अभावग्रस्त तथा खुशियों से वंचित लोगों के सुख-दुःख में शामिल होते हैं। वे देश के लिए अपना सब कुछ अर्पित करने को तैयार रहते है। वे यह सब एक स्थान पर टिककर नहीं कर सकते। उन्हें आवागमन करते ही रहना पड़ता है।

प्रश्न 3: कवि ने दीवानों के लिए सांसारिक सुख-दुःख को समान भाव से अपनाने की बात क्यों कही है?
उत्तर:
दीवाने लोग अपने दुःख से न बहुत दुःखी होते है न सुख से सुखी। वे लोगों के दुःख-सुख में शामिल होते है। उनको खुशियाँ देने की कोशिश करते हैं। वे सुख-दुःख को समान भाव से अपनाते हैं और किसी भी तरह से अपना लक्ष्य नहीं भूलते।

प्रश्न 4: दीवानों के जीवन में आँसू (दुःख) और उल्लास (खुशी) का विरोधाभास साथ-साथ क्यों है?
उत्तर: 
दीवाने लोग जहाँ भी जाते हैं, उल्लास का वातावरण छा जाता है। वे अभावग्रस्त लोगों का जीवन देखकर दुःखी भी होते हैं। इसलिए आँसू और उल्लास का विरोधाभास साथ-साथ है।

प्रश्न 5: ‘आबाद रहें रुकने वाले’ पंक्ति का क्या आशय है?
उत्तर: 
दीवाने एक जगह टिककर नहीं रहते, क्योंकि उससे उनके उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो सकती है पर वे देशवासियों के लिए हँसी-खुशी के जीवन की कामना करते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: दीवानों ने संसार को भिखमंगा क्यों कहा है?
उत्तर:
दीवानों ने संसार को भिखमंगा इसलिए कहा है, क्योंकि उनका मानना है कि यहाँ संसार केवल लेना जानता है अर्थात् अपने कर्तव्यों को निभाने में लोग आगे नहीं आते। यहाँ तक कि वीर सेनानियों के साहस को बढ़ाने के लिए उनको प्रेरित करने की बात भी उनके वश की नहीं है। वे तो स्वार्थपूर्ण जीवन व्यतीत करने में लगे हैं।

प्रश्न 2: ‘दीवानों की हस्ती’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर: ‘दीवानों की हस्ती’ कविता का प्रतिपाद्य यह है कि हमें सुख-दुःख को समान भाव से अपनाना चाहिए। हमें मस्ती भरा जीवन जीना चाहिए। अपने-पराये की भावना से ऊपर उठकर हमें सभी के कल्याण की कामना करनी चाहिए। हमें गरीबों के सुख-दुःख का भी ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न 3: कविता ‘दीवानों की हस्ती’ में दीवाने कौन है?
उत्तर:
भगवतीचरण वर्मा की कविता ‘दीवानों की हस्ती’ में मस्तमौला और बेफ्रिक और स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु कुर्बानी को तैयार लोगों को दीवाने कहा गया है। वे बंधन-मुक्त रहते है और लोगों में खुशियाँ बाँटने का कार्य करते हैं।’ सुख-दुःख को एक समान भाव से ग्रहण करते हैं।

प्रश्न 4: इस कविता से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:
इस कविता से हमें यह संदेश मिलता है कि हमारे मन में भी देश-प्रेम की भावना होनी चाहिए। हमें केवल अपने लिए नहीं, अपितु दूसरों के लिए भी जीना चाहिए। यदि देश पर कोई विपत्ति आ जाए, तो अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तैयार रहना चाहिए। जिस तरह से इस कविता में वीर सैनिक केवल देश के लिए ही जीता है, बाकी सभी बन्धनों को तोड़ देने में विश्वास करता है।

प्रश्न 5: ‘दीवानों की हस्ती’ कविता के आधार पर दीवानों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
‘दीवानों की हस्ती’ कविता में दीवानों के विषय में बताया गया है कि वे मनमौजी स्वभाव वाले तथा एक जगह टिककर रहने वाले नहीं होते हैं। वे अभावों में जी रहे लोगों से भी अपनत्व के साथ मिलते हैं। उनके सुख-दुःख में शामिल होते हैं। उन्हें खुश रखने का प्रयास करते है। देश-वासियों की हँसी-खुशी की कामना करते हैं। वे अपने तथा पराए धन की भावना से ऊपर उठ चुके होते हैं।

मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1: जीवन के प्रति कवि का नज़रिया किस प्रकार का है? अपने विचार भी प्रकट करिए।
उत्तर:
जीवन के प्रति कवि का नज़रिया सकारात्मक है। वह अपने-पराए का भेद नहीं रखता। वह सबको प्रेम करता है। वह सबके भले की बात करता है। न तो वह स्वार्थी है और न ही संकीर्ण विचार रखने वाला है। पलायन करना भी उसका दृष्टिकोण नहीं है। वह जीवन के उद्देश्यों को समझने के लिए भी कहता है। हमें कवि के विचार अच्छे लगे। वास्तव में लोग जीवन के बंधनों में उलझ कर जीवन जीने का तरीका ही भूल जाते हैं। तटस्थ भाव से और त्यागपूर्ण जीवन ही मस्ती का जीवन होता है।

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दीवानों की हस्ती कविता में हमें क्या संदेश देती है?

कवि ने इस कविता में हमें क्या सन्देश दिया है? Solution : कवि ने इस कविता में हमें सन्देश दिया है कि हमारे मन में देश-प्रेम की भावना होनी चाहिए। हमें केवल अपने लिए ही नहीं, दूसरों के लिए भी जीना चाहिए।

दीवानों की हस्ती पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

इससे हमें शिक्षा मिलती है कि हमें माँगने के स्थान पर देना सीखना चाहिए। ऐसा मनुष्य बनना चाहिए कि जहाँ जाए लोग हमें सराहें तथा हमारे द्वारा समाज का कल्याण हो।

दीवानों की हस्ती कविता का मूल उद्देश्य क्या है?

'दीवानों की हस्ती' कविता से कवि के प्रेमी हृदय का पता चलता है । कवि घर, परिवार व समाज में फैले हर एक दुख एवं कठिनाइयों को समाप्त कर चहुँ ओर मस्ती भरा वातावरण स्थापित करना चाहते हैं। वे अपने मन की भावनाओं को कभी उल्लास तो कभी ऑसू के रूप में प्रकट करते हैं। उनकी ये भावनाएँ उसके समाज हितैषी होने का सबसे बड़ा प्रमाण है ।

दीवानों ने अपनी क्या विशेषता बताते हैं?

प्रस्तुत कविता में कवि ने दीवानों की विशेषता बताते हुए कहा है कि दीवाने कभी किसी की नहीं सुनते उनकी अपनी एक अलग दुनिया होती है। उनके लिए अपना-पराया, मित्र…