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detailed explanation, It will help to score more marks in your examinations. Question 1. Answer: (d) साक्षात्कार। Question 2. Answer: (c) खिड़की नामक गाँव में Question 3. Answer: (c) सोलह साल Question 4. Answer: (c) हॉकी खेल में पारंगत Question 5. Answer: (d) लोकल ट्रेन। Question 6. Answer: (b) 1985 Question 7. Answer: (b) दसवीं Question 8. Answer: (b) फ़्लैट भेंटकर (1) मैंने अपनी जूनियर राष्ट्रीय हॉकी सन् 1985 में मणिपुर में खेली। तब मैं सिर्फ 16 साल का था-देखने में दुबला-पतला और छोटे बच्चे जैसा चेहरा…। अपनी दुबली कद-काठी के बावजूद मेरा दबदबा था कि कोई मुझसे भिड़ने की कोशिश नहीं करता था। मैं बहुत जुझारू था-मैदान में भी और मैदान से बाहर भी। 1986 में मुझे सीनियर टीम में डाल दिया गया और मैं बोरिया-बिस्तरा बाँधकर मुंबई चला आया। उस साल मैंने और मेरे बड़े भाई रमेश ने मुंबई लीग में बेहतरीन खेल खेला-हमने खूब धूम मचाई। इसी के चलते मेरे अंदर एक उम्मीद जागी कि मुझे ओलंपिक (1988) के लिए नेशनल कैंप से बुलावा ज़रूर आएगा, पर नहीं आया। मेरा नाम 57 खिलाड़ियों की लिस्ट में भी नहीं था। बड़ी मायूसी हुई। मगर एक साल बाद ही ऑलविन एशिया कप के कैंप के लिए मुझे चुन लिया गया। तब से लेकर आज तक मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। Question 1. Answer: (c) 16 वर्ष Question 2. Answer: (c) आकू Question 3. Answer: (c) जुझारूपन Question 4. Answer: (b) राष्ट्रीय टीम में शामिल होना (2) मेरी तुनुकमिज़ाजी के पीछे कई वजहें हैं, लेकिन मैं बिना लाग-लपेटवाला आदमी हूँ। मन में जो आता है, सीधे-सीधे कह डालता हूँ और बाद को कई बार पछताना भी पड़ता है। मुझसे अपना गुस्सा रोका नहीं जाता। दूसरे लोगों को भी मुझे उकसाने में मज़ा आता है। मुझे जिंदगी में हर छोटी-बड़ी चीज़ के लिए जूझना पड़ा, जिससे मैं चिड़चिड़ा हो गया हूँ। साथ-ही-साथ मैं बहुत भावुक इनसान भी हैं। मैं किसी को तकलीफ़ में नहीं देख सकता। मैं अपने दोस्तों और अपने परिवार की बहुत कद्र करता हूँ। मुझे अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँगने में कोई शरम महसूस नहीं होती। Question 1. Answer: (c) तुनुकमिज़ाजी Question 2. Answer: (b) कुछ पाने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा Question 3. Answer: (b) गरीबी के कारण Question 4. Answer: (b) दयालु होना Question 5. Answer: (c) माँ की (3) कुछ रुपये ईनाम में मिले थे, मगर आज खिलाड़ियों को जितना मिलता है, उसके मुकाबले में पहले कुछ नहीं मिलता था। मेरी पहली ज़िम्मेदारी थी परिवार में आर्थिक तंगी को दूर करना और उन सबको एक बेहतर जिंदगी देना। विदेश में जाकर खेलने से जो कमाई हुई, उससे मैंने 1994 में पुणे के भाऊ पाटिल रोड पर दो बेडरूम का एक छोटा-सा फ़्लैट खरीदा। घर छोटा ज़रूर है पर हम सबके लिए काफ़ी है। 1999 में महाराष्ट्र सरकार ने मुझे पवई में एक फ़्लैट दिया। वह ऐसा घर है जिसे खरीदने की मेरी खुद की हैसियत कभी नहीं हो पाती। Question 1. Answer: (c) स्वयं धनराज के Question 2. Answer: (c) परिवार की आर्थिक तंगी दूर करना Question 3. Answer: (c) पवई में Question 4. Answer: (d) हॉकी। Question 5. Answer: (d) फ़्लैट देकर। (4) बचपन मुश्किलों से भरा रहा। हम बहुत गरीब थे। मेरे दोनों बड़े भाई हॉकी खेलते थे। उन्हीं के चलते मुझे भी उसका शौक हुआ। पर, हॉकी-स्टिक खरीदने तक की हैसियत नहीं थी मेरी। इसलिए अपने साथियों की स्टिक उधार माँगकर काम चलाता था। वह मुझे तभी मिलती, जब वे खेल चुके होते थे। इसके लिए बहुत धीरज के साथ अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता था। मुझे अपनी पहली स्टिक तब मिली, जब मेरे बड़े भाई को भारतीय कैंप के लिए चुन लिया गया। उसने मुझे अपनी पुरानी स्टिक दे दी। वह नई तो नहीं थी लेकिन मेरे लिए बहुत कीमती थी, क्योंकि वह मेरी अपनी थी। Question 1. Answer: धनराज का बचपन बहुत कठिन परिस्थितियों में व्यतीत हुआ। उनकी आर्थिक स्थिति काफ़ी खराब थी। Question 2. Answer: धनराज के दोनों बड़े भाई हॉकी खेलते थे। उन्हीं को देखकर उन्हें हॉकी खेलने की प्रेरणा मिली। हॉकी स्टिक न खरीद पाने की परिस्थिति में वे अपने मित्रों से उधार माँगकर खेलते थे। उनके मित्र जब खेल समाप्त कर लेते थे जब वे उनसे लेकर खेलते थे। Question 3. Answer: आर्थिक तंगी के कारण धनराज पिल्लै खुद की हॉकी स्टिक नहीं खरीद सकते थे। उन्हें अपने मित्रों से स्टिक उधार माँग कर काम चलाना पड़ता था, परंतु वह उन्हें तभी मिलती थी जब उनके साथी अपना खेल समाप्त कर लेते थे। Question 4. Answer: उनके बड़े भाई को भारतीय कैंप के लिए चुन लिया गया तो उन्होंने अपनी पुरानी स्टिक धनराज को दे दी। यह स्टिक उनके जीवन के लिए अमूल्य थी क्योंकि यह अब उनकी अपनी थी। (5) मैं हमेशा से ही अपने आपको बहुत असुरक्षित महसूस करता रहा। मैंने अपनी माँ को देखा है कि उन्हें हमारे पालन-पोषण में कितना संघर्ष करना पड़ा है। मेरी तुनुकमिज़ाजी के पीछे कई वजहें हैं लेकिन मैं बिना लाग-लपेट वाला आदमी हूँ। मन में जो आता है, सीधे-सीधे कह डालता हूँ और बाद को कई बार पछताना भी पड़ता है। मुझसे अपना गुस्सा रोका नहीं जाता। दूसरे लोगों को भी मुझे उकसाने में मज़ा आता है। मुझे जिंदगी में हर छोटी-बड़ी चीज़ के लिए जूझना पड़ा, जिससे मैं चिड़चिड़ा हो गया हूँ। साथ-ही-साथ मैं बहुत भावुक इन्सान भी हूँ। मैं किसी को तकलीफ़ में नहीं देख सकता। मैं अपने दोस्तों और अपने परिवार की बहुत कद्र करता हूँ। मुझे अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँगने में कोई शरम महसूस नहीं होती। Question 1. Answer: धनराज का बचपन अत्यधिक गरीबी से बीता। उनकी माँ उनका एवं उनके भाइयों के पालन-पोषण के लिए काफ़ी संघर्ष करती थीं। इन सब बातों का असर धनराज के स्वभाव पर पड़ा। Question 2. Answer: धनराज ने अपने स्वभाव के बारे में यह सफ़ाई दी कि वे बचपन से ही स्वयं को असुरक्षित महसूस करते रहे हैं। उन्होंने अपनी माँ को बहुत संघर्ष करते देखा है। Question 3. Answer: धनराज की तुनुकमिज़ाजी का कारण यह था कि वे अपनी बात बिना लाग-लपेट के कहने वाले इनसान हैं। तुनुकमिज़ाजी का प्रमुख कारण उनकी जिंदगी में हर छोटी-बड़ी चीज़ के लिए उन्हें जूझना पड़ा, जिससे वे तुनुकमिज़ाजी हो गए। Question 4. Answer: धनराज के व्यक्तित्व की यह विशेषता है कि वे भावुक हैं और दूसरों की तकलीफ़ को नहीं देख सकते। वे अपने परिवार तथा मित्रों की बहुत कद्र करते हैं। अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँगने में कोई शर्म महसूस नहीं होता था। Question 5. Answer:
संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया (6) सबसे अधिक प्रेरणा मझे अपनी माँ से मिली। उन्होंने हम सब भाई-बहनों में अच्छे संस्कार डालने की कोशिश की। मैं उनके सबसे नज़दीक हूँ। मैं चाहे भारत में रहूँ या विदेश में, रोज़ रात में सोने से पहले माँ से ज़रूर बात करता हूँ। मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता के साथ सभालने की सीख दी है। मेरी सबसे बड़ी भाभी कविता भी मेरे लिए माँ की तरह हैं और वह भी मेरे लिए प्रेरणा स्रोत रही हैं। Question 1. Answer: धनराज के लिए सबसे अधिक प्रेरणा स्रोत उनकी माँ रही हैं। Question 2. Answer: अपनी माँ की सबसे बड़ी सीख वे यह मानते हैं कि प्रसिद्धि प्राप्त करने पर सदा विनम्र रहना चाहिए, कभी अभिमान नहीं करना चाहिए। Question 3. Answer: माँ के अलावे उनका प्रेरणा स्रोत बड़ी भाभी कविता रही हैं। Question 4. Answer: तरक्की-उन्नति, प्रेरणा–प्रोत्साहन। (7) मेरी पहली ज़िम्मेदारी थी परिवार में आर्थिक तंगी को दूर करना और उन सबको एक बेहतर जिंदगी देना। विदेश में जाकर खेलने से जो कमाई हुई, उससे मैंने 1994 में पुणे के भाऊ पाटिल रोड पर दो बेडरूम का एक छोटा सा फ़्लैट खरीदा। घर छोटा ज़रूर है पर हम सबके लिए काफ़ी है। 1999 में महाराष्ट्र सरकार ने मुझे पवई में एक फ़्लैट दिया। वह ऐसा घर है जिसे खरीदने की मेरी खुद की हैसियत कभी नहीं हो पाती। Question 1. Answer: धनराज अपनी पहली ज़िम्मेदारी अपने परिवार की आर्थिक तंगी को दूर करना मानते थे। वे अपने परिवार को खुशहाल जिंदगी देना चाहते थे। Question 2. Answer: धनराज ने अपने खेलों की कमाई से 1994 में पुणे के भाऊ पाटिल रोड पर दो बेडरूम का एक छोटा-सा फ़्लैट खरीदा। यह छोटा ज़रूर था, पर उनके परिवार के लिए पर्याप्त था। Question 3. Answer: महाराष्ट्र सरकार ने उनको सम्मानित करने के लिए पवई में एक अच्छा फ़्लैट दिया। यह फ़्लैट उनके हैसियत से बढ़कर था। Question 4. Answer: इस गद्यांश से हमें संदेश मिलता है कि विपरीत परिस्थिति में भी हम अपने मेहनत और परिश्रम से लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। We hope the given NCERT MCQ Questions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 18 संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया धनराज with Answers Pdf free download will help you. If you have any queries regarding CBSE Class 7 Hindi संघर्ष के कराण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया धनराज MCQs Multiple Choice Questions with Answers, drop a comment below and we will get back to you soon. धनराज पिल्लै पढ़ने में कैसे थे?उत्तर: धनराज पढ़ने में कुछ ज्यादा अच्छे नहीं थे।
धनराज पिल्ले बचपन में पढ़ने में कैसे थे?उनके पास बचपन में तो हॉकी खरीदने के भी पैसे न थे। जब उनके मित्र खेल चुके होते थे, तो वे उनसे हॉकी स्टिक माँगकर खेलने का अभ्यास करते थे। जब उनके बड़े भाई को भारतीय कैंप के लिए चुना गया तो उन्होंने इन्हें अपनी हॉकी स्टिक दी जो इनकी अपनी थी।
धनराज की मां ने कौन से सीख दी थी?धनराज पिल्लै का यह कहना 'मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है। का तात्पर्य है कि मनुष्य चाहे कितनी भी सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ जाए उसे कभी घमंड नहीं करना चाहिए और किसी को अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए। माँ की इसी सीख को उन्होंने जीवन में अपनाया है।
धनराज कैसे इंसान हैं?उत्तर:- साक्षात्कार पढ़कर मन में धनराज पिल्लै की ऐसी छवि उभरती है जो सीधे-सरल, भावुक, स्पष्ट वक्ता, परिवार से जुड़े और स्वाभिमानी हैं परन्तु कठिन संघर्षों के और आर्थिक संकटों के दौर से गुजरने के कारण अपने आप-को असुरक्षित समझने लगे थे। प्रसिद्धि प्राप्त करने पर भी उनमें जरा भी अभिमान नहीं है।
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