वेलेजली की सहायक संधि स्वीकार करने वाला प्रथम राज्य कौन था? - velejalee kee sahaayak sandhi sveekaar karane vaala pratham raajy kaun tha?

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Question

लॉर्ड वेलेजली की सहायक संधि को स्वीकार करने वाला प्रथम मराठा सरदार पेशवा बाजीराव द्वितीय था।

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Solution

The correct option is A सहीबसीन की संधि दिसंबर, 1802 में पेशवा बाजीराव द्वितीय और अंग्रेजों के मध्य हुई थी।इस सहायक संधि के तहत पेशवा बाजीराव द्वितीय ने अंग्रेजों की संरक्षकता स्वीकार कर ली।

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लॉर्ड वेलेजली ने भारतीय प्रांतों पर नियंत्रण रखने, फ्रांसीसी प्रभाव को कम करने तथा एक शक्तिशाली सेना बनाने हेतु एक योजना तैयार की जिसे आज इतिहास में सहायक संधि के नाम से जाना जाता है।

यह एक प्रकार की मैत्री संधि थी, जिसका प्रयोग 1798-1805 तक भारत के गवर्नर-जनरल रहे लॉर्ड वेलेजली ने भारत के देशी राज्यों से संबंध स्थापित करने के लिए किया था। लॉर्ड वेलेजली इस संधि का जनक नहीं था, इसका प्रथम प्रयोग फ्रांसीसी “डूप्ले” द्वारा किया गया था। यद्यपि इसका व्यापक प्रयोग लॉर्ड वेलेजली द्वारा किया गया।

सहायक संधि की शर्तें

  1. अंग्रेजों के साथ सहायक गठबंधन करने वाले भारतीय शासक को अपने स्वयं के सशस्त्र बलों को भंग करना पड़ा और अपने क्षेत्र में ब्रिटिश सेना को स्वीकार करना पड़ा।
  2. भारतीय शासकों को ब्रिटिश सेना का भुगतान करना पड़ेगा। अगर वह भुगतान करने में असफल हुआ तो उनके क्षेत्र में से एक भाग को अंग्रेजों को सौप दिया जायेगा।
  3. इसके बदले में अंग्रेजों विदेशी आक्रमण या आंतरिक विद्रोह से भारतीय रियासतों की रक्षा करेगा।
  4. अंग्रेजों ने भारतीय रियासतों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का वादा किया। लेकिन वे इसका पालन कम ही करते थे।
  5. भारतीय शासक किसी भी अन्य विदेशी शक्तियों से संधि नहीं करेगी। इसके अलावा बिना अंग्रेजों की अनुमति के एक रियासत किसी अन्य रियासत से राजनीतिक संपर्क स्थापित नहीं करेगा।

सहायक संधि स्वीकार करने वाले राज्य

  1. हैदराबाद – 1798 – भारत में सहायक संधि को स्वीकार करने वाला पहला शासक
  2. मैसूर – 1799
  3. तंजौर – अक्तूबर, 1799
  4. अवध – नवम्बर, 1801
  5. पेशवा – दिसम्बर, 1802
  6. बराड के भोसले – दिसम्बर 1803
  7. सिंधिया – फरवरी, 1804

सहायक संधि के परिणाम

  1. कम्पनी का भारत में प्रभुत्व स्थापित हो गया। कम्पनी की प्रतिष्ठा एवं शाक्ति में वृद्धि हुई।
  2. इससे कम्पनी को भारतीय राज्यों के खर्च पर एक महान सेना मिल गयी। जो अल्प सूचना पर किसी भी समय किसी भी दिशा में लड़ने के लिए प्रस्तुत थी।
  3. सहायक संधि के माध्यम से कम्पनी की सेना राजनीतिक सीमा से बहुत आगे जाने में सफल रही।
  4. इस प्रणाली से कम्पनी भारत में फ्रांसीसी चालों को, जिनका उस समय बहुत भय था, विफल करने में पूर्णतया सफल हो गयी।
  5. अंग्रेजों के विरूद्ध भारतीय राज्य कोई संघ नहीं बना सकते थे।
  6. कम्पनी का सामरिक महत्व के स्थानों पर नियंत्रण स्थापित हो गया।
  7. इन राज्यों में स्थित रेजीडेन्ट कालान्तर में आन्तरिक मामले में भी हस्तक्षेप करने लगे।

वेलेजली की सहायक संधि स्वीकार करने वाला प्रथम राज्य कौन सा था?

इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसीसी गवर्नर जनरल मार्किस डुप्लेक्स ने किया था। लार्ड वेलेजली की सहायक संधि को स्वीकार करने वाला प्रथम भारतीय शासक हैदराबाद के निज़ाम था। निज़ाम ने सन् 1798 में लार्ड वेलेजली की सहायक संधि को स्वीकार किया था

वेलेजली की सहायक संधि कब हुई?

ज्ञातव्य हैं कि अवध के नबाव ने नबम्वर 1801 मे, पेशवा बाजीराव द्वितीय ने दिसम्बर 1803, मैसूर तथा तंजौर ने 1799 में, बरार के भोसलें ने दिसम्बर 1803 में तथा ग्वालियर के सिंधिया ने फरवरी 1804, वेलेजली की सहायक संधि को स्वीकार किया।

सहायक संधि स्वीकार करने वाला दूसरा राज्य कौन था?

दिसम्बर, 1803 ई. दिसम्बर, 1803 ई. फ़रवरी, 1804 ई. नोट- सहायक संधि स्वीकार करने वाले अन्य राज्य थे- जोधपुर, जयपुर, मच्छेड़ी, बूंदी तथा भरतपुर।

सहायक संधि का जनक कौन है?

लॉर्ड वेलेजली ने भारत में सहायक संधि की शुरुआत की। सहायक संधि के अनुसार, यदि कोई भारतीय शासक अंग्रेजों के साथ सहायक संधि करता है, तो उसे अपने क्षेत्र में ब्रिटिश सेना को आने देना स्वीकार करना होगा और उसे ब्रिटिश सेना के खर्च का भी वहन करना होगा। वारेन हेस्टिंग्स बंगाल के पहले गवर्नर जनरल थे।