वसंत आया कविता के कवि का नाम क्या है? - vasant aaya kavita ke kavi ka naam kya hai?

'वसंत आया' कविता में कवि की चिंता क्या है? उसका प्रतिपाद्य लिखिए?

आज के मनुष्य का प्रकृति से संबंध टूट गया है। उसने प्रगति और विकास के नाम पर प्रकृति को इतना नुकसान पहुँचाया है कि अब प्रकृति का सानिध्य सपनों की बात लगती है। महानगरों में तो प्रकृति के दर्शन ही नहीं होते हैं। चारों ओर इमारतों का साम्राज्य है। ऋतुओं का सौंदर्य तथा उसमें हो रहे बदलावों से मनुष्य परिचित ही नहीं है। कवि के लिए यही चिंता का विषय है। प्रकृति जो कभी उसकी सहचरी थी, आज वह उससे कोसों दूर चला गया है। मनुष्य के पास अत्यानुधिक सुख-सुविधाओं युक्त साधन हैं परन्तु प्रकृति के सौंदर्य को देखने और उसे महसूस करने की संवेदना ही शेष नहीं बची है। उसे कार्यालय में मिले अवकाश से पता चलता है कि आमुक त्योहार किस ऋतु के कारण है। अपने आसपास हो रहे परिवर्तन उसे अवगत तो कराते हैं परन्तु वह मनुष्य के हृदय को आनंदित नहीं कर पाते हैं। मनुष्य और प्रकृति का प्रेमिल संबंध आधुनिकता की भेंट चढ़ चुका है। आने वाला भविष्य इससे भी भयानक हो सकता है।

बसंत आया कविता के कवि का क्या नाम है?

पुस्तक : चुनी हुई कविताएँ (पृष्ठ 116) संपादक : नरेंद्र पुंडरीक रचनाकार : केदारनाथ अग्रवाल

वसंत आया कविता का मूल भाव क्या है?

Answer: वसंत आया कविता में कवि की मूल चिंता प्रकृति के विनाश के बारे में है। मनुष्य विकास के नाम पर प्रकृति को निरंतर नुकसान पहुंचाया है अब तो प्रकृति के प्राकृतिक स्वरूप की बातें सपने जैसी लगती हैं। ... उसके पास आधुनिक साधन है लेकिन प्रकृति नहीं है।

बसंत आया की रचना कब हुई थी?

1929 - 1990 लखनऊ , भारत

वसंत आया कविता की विषयवस्तु क्या है?

1) इस कविता में कवि ने बसंत ऋतु के आगमन के बारे में बताया है ! 2) कवि ने बताया है कि मनुष्य का प्रकृति से रिश्ता टूट गया है ! बसंत के आने के बारे में कवि कहता है कि सुबह की सैर करते समय किसी बंगले में लगे अशोक के पेड़ पर बैठी एक चिड़िया के कुकने की आवाज सुनाई देती है !