विद्युत से आप क्या समझते हैं समझाइए? - vidyut se aap kya samajhate hain samajhaie?

उत्तर : विद्युत चुम्बकीय प्रेरण वह प्रक्रम है, जिसमें किसी कुंडली में, जो किसी ऐसे क्षेत्र में स्थित है, जहाँ समय के साथ चुम्बकीय क्षेत्र परिवर्तित होता है, एक प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होती है। चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन किसी चुम्बक तथा उसके पास स्थित किसी कुंडली के बीच आपेक्षित गति के कारण हो सकता है। यदि कुंडली किसी विद्युत धारावाही। चालक के निकट रखी है, तब कुंडली से संबद्ध चुम्बकीय क्षेत्र या तो चालक से प्रवाहित विद्युत धारा में अन्तर के कारण हो सकता है अथवा चालक तथा कुंडली के बीच आपेक्षित गति के कारण हो सकता है।

Solution : विद्युत क्षेत्र में किसी बिंदु पर विद्युत विभव को उस कार्य के रूप में परिभाषित किया जाता है जो इकाई धन आवेश को अनंत से उस बिंदु तक लाने में किया जाता है। अर्थात किसी बिंदु पर आवेश की मात्रा को विद्युत विभव कहते है। विभव का SI मात्रक वोल्ट (V) है।

Solution : चुम्बक और कुंडली की सापेक्षिक गति के कारण धारा की उत्पत्ति होती है इसे विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहते हैं तथा उत्पन्न धारा को प्रेरित धारा कहते है।
अथया, वह प्रक्रम जिसके द्वारा किसी चालाक में परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र में धारा प्रेरित होती है. विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहलाता है।

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प्रयोग- लकड़ी या प्लास्टिक की खोखली नली के ऊपर बहुत लपेटन वाली विसंवाहित चालक तार को लपेट देते हैं। तार के सिरों को एक गैल्वेनोमीटर से जोड़ते हैं। एक शक्तिशाली स्थायी छड़ चुम्बक को तेजी से खोखली नली के भीतर ले जाते हैं। ऐसा करने से गैल्येनोमीटर की सूई में विक्षेप उत्पन्न होता है। चुम्बक की गति की दिशा के बदलने पर गैल्येनोमीटर की सूई के विक्षेप की दिशा भी बदल जाती है। चुम्बक को स्थिर रखने पर गैल्वेनोमीटर की सूई में कोई विलेप नहीं होता है। अब चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुंडली से बाहर लाते हैं तो गैल्वेनोमीटर की सूई में विक्षेप उत्पन्न होता है। इससे स्पष्ट है कि कुंडली के सापेक्ष चुम्बक की गति एक प्रेरिता विभवांतर उत्पन्न करती है जिसके कारण परिपथ में प्रेरित विद्युत धारा प्रवाहित होती है।

A simple electric circuit, where current is represented by the letter i. The relationship between the voltage (V), resistance (R), and current (I) is V=IR; this is known as Ohm's law.

ISI इकाईएम्पियरI=VR,I=Qt{\displaystyle I={V \over R},I={Q \over t}}आयामI{\displaystyle {\mathsf {I}}}

विद्युत से आप क्या समझते हैं समझाइए? - vidyut se aap kya samajhate hain samajhaie?

आवेशों के प्रवाह की दिशा से धारा की दिशा निर्धारित होती है।

विद्युत आवेश के गति या प्रवाह में होने पर उसे विद्युत धारा (इलेक्ट्रिक करेण्ट) कहते हैं। मात्रात्मक रूप से, आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं। इसका SI मात्रक एम्पीयर है। एक कूलांम प्रति सेकेण्ड की दर से प्रवाहित विद्युत आवेश को एक एम्पीयर धारा कहेंगे।

धारा का परिमाणयुक्ति1 mAमानव को इसका आभास हो पाता है।10 mAप्रकाश उत्सर्जक डायोड100 mAविद्युत का झटका1 Aबल्ब10 A2000 W का हीटर100 Aमोटरगाड़ियों का स्टार्टर मोटर1 kAरेलगाड़ियों की मोटर10 kAऋणात्मक तड़ित100 kAधनात्मक तड़ित

किसी सतह, जैसे किसी तांबे के चालक के खंड (cross-section) से प्रवाहित विद्युत धारा की मात्रा (एम्पीयर में मापी गई) को परिभाषित किया जा सकता है।

यदि किसी चालक के किसी अनुप्रस्थ काट से Q कूलम्ब का आवेश t समय में निकला; तो औसत धारा

I=Qt{\displaystyle I={\frac {Q}{t}}}

मापन का समय t को शून्य (rending to zero) बनाकर, हमें तत्क्षण धारा i(t) मिलती है :

i(t)=dQdt{\displaystyle i(t)={\frac {dQ}{dt}}}I = Q / t (यदि धारा समय के साथ अपरिवर्ती हो)

विद्युत धारा की SI इकाई एम्पीयर है। परिपथों की विद्युत धारा मापने के लिए जिस यंत्र का उपयोग करते हैं उसे एमीटर कहते हैं।

एम्पीयर की परिभाषा: किसी विद्युत परिपथ में 1 कूलॉम आवेश 1 सेकण्ड में प्रवाहित होता है तो उस परिपथ में विद्युत धारा का मान 1 एम्पीयर होता है।

उदाहरण

किसी तार में 10 सेकण्ड में 50 कूलॉम आवेश प्रवाहित होता है तो उस तार में प्रवाहित विद्युत धारा का मान 50 कूलॉम / 10 सेकण्ड = 5 एम्पीयर

एक धात्विक तार विद्युत चालन हेतु अनेक तारों में बंटा हुआ तांबे का तार

इकाई क्षेत्रफल से प्रवाहित होने वाली धारा की मात्रा को धारा घनत्व (करेंट डेन्सिटी) कहते हैं। इससे J से प्रदर्शित करते हैं।

यदि किसी चालक से I धारा प्रवाहित हो रही है और धारा के प्रवाह के लम्बवत उस चालक का क्षेत्रफल A हो तो,

धारा घनत्व

J=IA{\displaystyle J={\frac {I}{A}}}

इसकी इकाई एम्पीयर / वर्ग मीटर होती है।

यहाँ यह मान लिया गया है कि धारा घनत्व, चालक के पूरे अनुप्रस्थ क्षेत्रफल पर एक समान है। किन्तु अधिकांश स्थितियों में ऐसा नहीं होता है। उदाहरण के लिये जब ही चालक से बहुत अधिक आवृति की प्रत्यावर्ती धारा (जैसे १ मेगा हर्ट्स की प्रत्यावर्ती धारा) प्रवाहित होती है तो उसके बाहरी सतक के पास धारा घनत्व अधिक होता है तथा ज्यों-ज्यों सतह से भीतर केन्द्र की ओर जाते हैं, धारा घनत्व कम होता जाता है। इसी कारण अधिक आवृति की धारा के लिये मोटे चालक बनाने के बजाय बहुत ही कम मोटाइ के तार बनाये जाते हैं। इससे तार में नम्यता (फ्लेक्सिबिलिटी) भी आती है।

ओम के नियम के अनुसार, एक आदर्श प्रतिरोधक में प्रवाहित धारा, विभवान्तर के समानुपाती होती है। दूसरे शब्दों में,

I=VR{\displaystyle I={\frac {V}{R}}}

जहाँ

I धारा, (एम्पीयर में)V विभवांतर, (वोल्ट में)R प्रतिरोध, (ओह्म में)

है।

विद्युत से आप क्या समझते हैं समझाइए? - vidyut se aap kya samajhate hain samajhaie?

विद्युत धारा की दिशा : परम्परागत रूप से धनात्मक आवेश को प्रवाह की दिशा में माना जाता है। अतः इलेक्ट्रानों के प्रवाह की दिशा के विपरीत दिशा ही धारा की दिशा है।

प्राकृतिक उदाहरण हैं आकाशीय विद्युत या तड़ित (दामिनी) एवं सौर वायु, जो उत्तरीय ध्रुवप्रभा एवं दक्षिणीय ध्रुवप्रभा का कि स्रोत है। धारा का मानवनिर्मित रूप है- धात्वक चालकों में आवेशित इलेक्ट्रॉन का प्रवाह, जैसे शिरोपरि विद्युत प्रसारण तार लम्बे दूरी हेतु, एवं छोटे विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में विद्युत तार। बैटरी के अंदर भी इलैक्ट्रॉन का प्रवाह होता है।

विद्युत से आप क्या समझते हैं समझाइए? - vidyut se aap kya samajhate hain samajhaie?

विद्युत प्रवाह चुम्बकीय क्षेत्र बनाता है। चुम्बकीय क्षेत्र को चालक तार को घेरे हुए, घुमावदार क्षेत्रीय रेखाओं द्वारा आभासित किया जा सकता है।

विद्युत धारा को सीधे एमीटर से मापा जा सकता है। परंतु इस प्रक्रिया में परिपथ को तोड़ना पड़ता है। धारा को बिना परिपथ को तोड़े भी, उसके चुम्बकीय क्षेत्र को माप कर, नापा जा सकता है। ये उपकरण हैं, हॉल प्रभाव संवेदक, करंट क्लैम्प, रोगोव्स्की कुण्डली।