26 कवि जयशंकर प्रसाद आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहते थे? - 26 kavi jayashankar prasaad aatmakatha likhane se kyon bachana chaahate the?

Aatmkathya Jaishankar Prasad Kshitij NCERT Solutions for Class 10

कवि परिचय

जयशंकर प्रसाद

इनका जन्म सन 1889 में वाराणसी में हुआ था। काशी के प्रसिद्ध क्वींस कॉलेज में वे पढ़ने गए परन्तु स्थितियाँ अनुकूल ना होने के कारण आँठवी से आगे नही पढ़ पाए। बाद में घर पर ही संस्कृत, हिंदी, फारसी का अध्ययन किया। छायावादी काव्य प्रवृति के प्रमुख कवियों में ये एक थे। इनकी मृत्यु सन  1937 में हुई।

आत्मकथ्य

जयशंकर प्रसाद से हिंदी पत्रिका हंस के एक विशेष अंक के लिए आत्मकथा लिखने को कहा गया था। लेकिन वे अपनी आत्मकथा लिखना नहीं चाहते थे। इस कविता में उन्होंने उन कारणों का वर्णन किया है जिसके कारण वे अपनी आत्मकथा नहीं लिखना चाहते थे।

मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,

मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज घनी।

इस गंभीर अनंत नीलिमा में असंख्य जीवन इतिहास

यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य मलिन उपहास

तब भी कहते हो कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती।

तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे यह गागर रीती।

अर्थ – इस कविता में कवि ने अपनी आत्मकथा न लिखने के कारणों को बताया है। कवि कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति का मन रूपी भौंरा एक अनजान सा लेकिन मधुर प्रेम गीत गाता हुआ अपनी कहानी सुना रहा है। पेड़ों से गिरती हुई पत्तियों की ओर इशारा करते हुए कवि कहते हैं कि आज असंख्य पत्तियाँ मुरझाकर गिर रही हैं क्योंकि उनकी जीवन लीला समाप्त हो रही है। इस प्रकार अंतहीन नीले आकाश के नीचे हर पल अनगिनित जीवन का इतिहास बन और बिगड़ रहा है क्योंकि इस संसार में कुछ भी स्थिर नही है। कवि के अनुसार यहाँ प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे का मज़ाक बनाने में लगे हैं, हर किसी को दूसरे में कमी नजर आती है। अपनी कमी कोई नही कहता। कवि कहता है कि यदि वह खुद पर बीती हुई कहानी वह सुनाते हैं तो लोगों को कवि का जीवन सुख और प्रसन्नता से बिलकुल ही खाली है यह जानकर शायद ही आनंद आएगा।

किंतु कहीं ऐसा न हो कि तुम ही खाली करने वाले-

अपने को समझो, मेरा रस ले अपनी भरने वाले।

यह विडंबना! अरी सरलते हँसी तेरी उड़ाऊँ मैं।

भूलें अपनी या प्रवंचना औरों की दिखलाऊँ मैं।

उज्‍ज्‍वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की।

अरे खिल-खिलाकर हँसतने वाली उन बातों की।

मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्‍वप्‍न देकर जाग गया।

आलिंगन में आते-आते मुसक्‍या कर जो भाग गया।

अर्थ – कवि कहते हैं कि उनका जीवन स्वप्न के समान एक छलावा रहा है। क्योंकि उन्होंने जीवन में कितने सपने देखे कितनी ही महत्त्वकांक्षाएं पाली थी लेकिन जो कुछ वो पाना चाहते हैं, वह सब उनके पास आकर दूर हो गया। वे अपनी इन कमज़ोरियों का बखान कर जगहँसाई नही करा सकते। वे अपने छले जाने की कहानी नहीं सुनाना चाहता। जिस प्रकार सपने में व्यक्ति को अपने मन की इच्छित वस्तु मिल जाने से वह प्रसन्न हो जाता है, उसी प्रकार कवि के जीवन में भी एक बार प्रेम आया था परन्तु वह स्वपन की भांति टूट गया। उनकी सारी आकांक्षाएँ महज मिथ्या बनकर रह गयी चूँकि वह सुख का स्पर्श पाते-पाते वंचित रह गए। इसलिए कवि कहते हैं कि यदि तुम मेरे अनुभवों के सार से अपने जीवन का घड़ा भरने जा रहे हो तो मैं अपनी उज्जवल जीवन गाथा कैसे सुना सकता हूँ।

जिसके अरूण-कपोलों की मतवाली सुन्‍दर छाया में।

अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।

उसकी स्‍मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा की।

सीवन को उधेड़ कर देखोगे क्‍यों मेरी कंथा की?

छोटे से जीवन की कैसे बड़े कथाएँ आज कहूँ?

क्‍या यह अच्‍छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूँ?

सुनकर क्‍या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्‍मकथा?

अभी समय भी नहीं, थकी सोई है मेरी मौन व्‍यथा।

अर्थ – इन पंक्तियों में कवि अपने सुन्दर सपनों का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि उनके जीवन में भी कोई ऐसा जिसके चेहरे को देखकर कवि को प्रेरणा मिलती है। उन्होंने प्रेम के अनगनित सपने संजोये थे परन्तु वे सपने मात्र रह गए, वास्तविक जीवन में उन्हें कुछ ना मिल सका और अब उसकी यादें ही बची हुई है। कवि अपने प्रेयसी के सुन्दर लाल गालों का वर्णन करते हुए कहते हैं कि मानो भोर अपनी लाली उनकी प्रेयसी के गालों की लाली से प्राप्त करती है परन्तु अब ऐसे रूपसी की छवि केवल उनका सहारा बनकर रह गयी है क्योंकि वास्तविक जीवन वे क्षण कवि को मिलने से पहले ही छिटक कर दूर चले गए। इसलिए कवि कहते हैं कि मेरे जीवन की कथा को जानकर तुम क्या करोगे। वे कहते हैं कि अभी उनके जीवन की कहानी सुनाने का वक़्त नही आया है। मेरे अतीतों को मत कुरेदो, उन्हें मौन रहने दो। अभी उचित समय नहीं आया है कि वह अपनी आत्मकथा लिख सकें।

प्रश्न1. कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहते हैं?

उत्तर: आत्मकथा लिखने के लिए अपने मन की दुर्बलताओं और कमियों का उल्लेख करना पड़ता है। कवि का स्वभाव बहुत सरल है और अपनी इस सरलता के कारण उन्होंने कई बार धोखा भी खाया है। उनके जीवन में बहुत सारी पीड़ादायक घटनाएं हुई हैं जिन्हें वह फिर से याद नहीं करना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि उनकी आत्मकथा में कुछ रोचक और प्रेरक नहीं है।

प्रश्न 2. आत्मकथा सुनने के संदर्भ में ‘अभी समय भी नहीं’ कभी ऐसा क्यों कहता है?

उत्तर: कवि को लगता है कि आत्मकथा लिखने का अभी उचित समय नहीं हुआ है क्योंकि उनका जीवन संघर्षों से भरा पड़ा है और उनके अनुसार अब तक उन्होंने कोई बड़ी उपलब्धि प्राप्त नहीं की है। वे अपने अभावग्रस्त जीवन के दुखों को खुद तक ही सीमित रखना चाहते हैं इसलिए वे कहते हैं की आत्मकथा लिखने का समय अभी नहीं हुआ है।

प्रश्न3. स्मृति को ‘ पाथेय ‘ बनाने से कवि का क्या आशय है? 

उत्तर: ‘ पाथेय ‘ अर्थात रास्ते का सहारा। कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था, वह उसे कभी प्राप्त नहीं हुआ। जिस प्रकार ‘ पाथेय ‘ यात्रा में यात्री को सहारा देता है ठीक उसी प्रकार स्वप्न में उनके द्वारा देखी हुए सुख की स्मृति भी उनको जीवन मार्ग में आगे बढ़ने का सहारा देती है।

प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया। 

आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग नया।

उत्तर: कभी कहना चाहता है कि जिस प्रेम का कवि सपने देख रहा था वह उसे कभी प्राप्त नहीं हुआ। सुख हमेशा उनके करीब आते-आते रह गया और उनका जीवन हमेशा सुख से वंचित रहा।

(ख) जिसके अन कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में। अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।

उत्तर: इन पंक्तियों में कभी अपनी प्रेयसी के सौंदर्य का वर्णन करते हुए लिखते हैं कि उनकी प्रियसी के गालों की लालीमा इतनी अधिक है की भोर वेला भी अपनी मधुर लालिमा उनके गालों से लिया करती थी। कवि की प्रेयसी की लालिमा के सामने उषा की लालिमा भी फीकी है।

प्रश्न 5. ‘उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की’- कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर: कवि कहना चाहता है, कि अपनी प्रेयसी के साथ चांदनी रातों में बिताए हुए वो सुखदायक पल उनके लिए किसी उज्जवल गाथा की तरह है जिसने उनके अंधकार में जीवन में उन्हें आगे बढ़ने का एकमात्र सहारा दिया। कवि को डर है की इन स्मृतियों का दूसरों को पता चलता है तो वह उनका मजाक उड़ाएंगे इसलिए वह इन स्मृतियों को अपने तक ही सीमित रखना चाहते हैं।

प्रश्न 6. ‘आत्मकथ्य ‘ कविता की काव्य भाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर: ‘जयशंकर प्रसाद’ द्वारा रचित कविता ‘आत्मकथ्य’ की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

१. इस कविता में खड़ी बोली भाषा के शब्दों का प्रयोग हुआ है।

जैसे: जिसके अरुण-कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।

२. अलंकारों के प्रयोग से काव्य सौंदर्य और बढ़ गया है।

उदाहरस्वरूप: पुनरुक्ति अलंकार: खिल-खिलाकर।

अरुण-कपोलों में रूपक अलंकार है।

३. इसमें तत्सम शब्दों का प्रयोग भी किया गया है।

जैसे: इस गंभीर अनंत नीलिमा में असंख्य जीवन इतिहास।

प्रश्न 7. कवि ने जो मुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है?

उत्तर: कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसको उन्होंने अपनी प्रेयसी नायिका के माध्यम से व्यक्त किया है। कवि कहता है चांदनी रात में प्रेयसी के साथ हुई बातें उनके लिए सदा के लिए दुख में तब्दील हो गई है, क्योंकि उनकी प्रेयसी उनके आलिंगन में आने से पूर्व ही उनसे दूर चली गई है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न1. इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की जो झलक मिलती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: इस कविता को पढ़कर प्रशाद जी के व्यक्तित्व की ये विशेषताएं हमारे सामने आती हैं कि प्रसाद जी एक सीधे-सादे व्यक्तित्व के इंसान थे। उनके जीवन में दिखावा बिलकुल भी नहीं था। वे अपने जीवन के सुख-दुख को कभी भी लोगों से व्यक्त नहीं करना चाहते थे। और अपनी दुर्बलताओं को अपने तक ही सीमित रखना चाहते थे क्यूंकि अपनी दुर्बलताओं को समाज में प्रस्तुत कर वे स्वयं को हँसी का पात्र बनाना नहीं चाहते थे। प्रशाद जी स्वयं को दुर्बलताओं से भरा मानते थे। जिसके कारण वे स्वयं को श्रेष्ठ कवि मानने से इनकार करते हैं।

प्रश्न 2. आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों?

उत्तर: हमें महान, प्रसिद्ध और कर्मठ लोगों की आत्मकथा पढ़कर उनसे शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए –

(1) महात्मा गाँधी की आत्मकथा – हमें महात्मा गाँधी की आत्मकथा पढ़नी चाहिए। इससे हमें उनके जीवन को सत्य तथा अहिंसा के साथ जीने की जानकारी और प्रेरणा मिलती है।

(2) भगत सिंह की आत्मकथा  – देशभक्त भगतसिंह की आत्मकथा को पढ़ने से हमें भी देश-भक्ति की प्रेरणा मिलती है।

(3) महावीर प्रसाद द्विवेदी की आत्मकथा  – वें एक महान साहित्यकार थे। उनकी आत्मकथा को पढ़कर हमें भी उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।

प्रश्न 3. कोई भी अपनी आत्मकथा लिख सकता है। उसके लिए विशिष्ट या बड़ा होना जरूरी नहीं। हरियाणा राज्य के गुड़गाँव में घरेलू सहायिका के रुप में काम करने वाली बेबी हालदार की आत्मकथा बहुतों के द्वारा सराही गई। आत्मकथात्मक शैली में अपने बारे में कुछ लिखिए।

उत्तर:

आत्मकथात्मक शैली –

(1) जीवन परिचय

(2) शिक्षा

(3) जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएँ

(4) उपलब्धियाँ

(5) जीवन का आदर्श

(6) उद्देश्य

 उपर्युक्त बिन्दुओं की सहायता से बच्चे स्वयं अपना आत्मकथ्य लिखें।

जयशंकर प्रसाद आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है?

कवि स्वयं को इतना सामान्य मानता है कि आत्मकथा लिखकर वह खुद को विशेष नहीं बनाना चाहता है, कवि अपने व्यक्तिगत अनुभवों को दुनिया के समक्ष व्यक्त नहीं करना चाहता। क्योंकि वह अपने व्यक्तिगत जीवन को उपहास का कारण नहीं बनाना चाहता। इन्हीं कारणों से कवि आत्मकथा लिखने से बचना चाहता है।

कवि के द्वारा अपनी आत्मकथा न लिखने का क्या कारण है?

उन्हें लगता है कि उनका जीवन केवल कष्टों से भरा हुआ है अतः वे अपने कष्टों को लोगों को बताना नहीं चाहते तथा उन्हें अपने तक ही सीमित रखना चाहते हैं। यही कारण है कि कवि अपनी आत्मकथा नहीं लिखना चाहते।

आत्मकथा सुनाने के सन्दर्भ में अभी समय भी नहीं कवि ऐसा क्यों कहता है?

Solution : इसके दो कारण हैं <br> (1) कवि के अनुसार, अभी उसने ऐसी कोई महान उपलब्धि नहीं पाई है कि वह उसके बारे में सबको बताए और कुछ प्रेरणा दे। <br> (2) अभी कवि की व्यथाएँ मन में सोई हुई हैं। वह शांतचित्त है।

कैसे आत्मकथा लिखने के लिए?

अपने जीवन के पलों के घटनाक्रम को लिखकर रखें: अपने जीवन के बारे में अध्ययन करते हुए आत्मकथा लिखने की शुरुआत करें। अपनी जिंदगी के उम्दा पलों की समयसारणी बनाकर रखने से आपको अपने जीवन में घटे हर एक अच्छे पल को अपनी इस कहानी में शामिल कर पाने में आसानी होगी, और साथ ही ये आपको अपने लेखन के लिए एक ढ़ांचा भी तैयार करके देगा।