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मधुमक्खी के डंक से ब्लड प्रेशर हो जाता है कमजिले में सालाना मधुमक्खी काटने के 13 केस आते हैं, चाहे वह समूह में हो या एक, यह स्वास्थ्य विभाग का आंकड़ा है। लेकिन पिछले 11 माह में 89 लोगों को मधुमक्खी काट चुके हैं। जिसमें एक की ही मौत हुई है। बाकी सुरक्षित हैं। मधुमक्खी के डंक मारने से तीन दिन पहले आदिता की मौत हुई है। हालांकि यह घटना बालाघाट में हुई, इस वजह से इस आंकड़े को स्वास्थ्य विभाग जोड़ नहीं रहा है। मधुमक्खी के एक डंक से बच्ची की मौत चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा यह कि आखिर मधुमक्खी के काटने से किसी की मौत कैसे हो सकती है। दैनिक भास्कर ने एक्सपर्ट से वास्तविकता जानने कई मामले सामने रखे, तब कई दिलचस्प तथ्य सामने आए। एक्सपर्ट की मानें तो मधुमक्खी के डंक मारते ही उनका ब्लड शरीर में फैलने लगता है, जो जहरीला होता है। जो शरीर के अंगों को प्रभावित करता है। लेकिन इलाज के बाद ठीक हो जाते है। यह उम्र पर भी डिपेंड करता है, बच्चाें को अगर मधुमक्खी काट दे तो प्रतिरोधक क्षमता के हिसाब से असर करता है, बच्चे मधुमक्खी के जहर को सहन नहीं कर पाते। इसलिए तत्काल इलाज की जरुरत होती है। वैसे कई केस ऐसे भी है, जहां इलाज के अभाव में पीड़ितों की मौत हुई है, कुछ साल पहले खपरी गांव की पानी टंकी के पास मधुमक्खियों के हमले से दो लोगों की मौत हो चुकी है। शरीर के अंगों में प्रभाव, हार्टअटैक फिर तत्काल इलाज न मिले तो मौत भी हो सकती है, जिले में हर साल 13 केस आ रहेएक्सपर्ट व्यूमधुमक्खी के डंक से ब्लड प्रेशर हो जाता है कम फिर हार्टअटैक: आईएमए अध्यक्ष व वरिष्ठ चिकित्सक डा. प्रदीप जैन ने बताया कि मधुमक्खी के डंक से ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। सहनशीलता कम होने लगती है। फिर हार्टअटैक आता है। ऐसी हालात में ही मौत होती है। अगर संबंधित व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर है तो वे जल्दी स्वस्थ हो जाते है। मधुमक्खी के डंक से निकलने वाला रक्त भी खतरनाक होता है। जिले के डॉक्टर भी मौत की स्पष्ट वजह नहीं बता पा रहे: पिछले साल 31 मई को बुधवारी बाजार से साग-सब्जी लेकर घर लौट रहे सिवनी के राजेन्द्र कुमार को मधुमक्खी ने डंक मार दिया। जान बचाने तांदुला नदी में छलांग लगा दी। नदी से तैरकर निकलने के बाद किनारे में गस खाकर गिरा तो वह उठ नहीं पाया। पुलिस और डाॅक्टर बता नहीं पाए कि युवक की मौत कैसे हुई। मधुमक्खियां यहां के लोगोें को काट चुकीकेस 1. लिमोरा में 80 ने तालाब में कूदकर बचाई थी जान: जिला मुख्यालय से 21 किमी दूर ग्राम लिमोरा में 9 माह 30 सितंबर शाम 5 बजे जंवारा विसर्जन का कार्यक्रम चल रहा था। मंच के सामने रखे दुर्गा मां की प्रतिमा तालाब के पास विसर्जन के लिए पहुंची तो पीपल के पेड़ पर बैठी मधुमक्खियों ने लोगों को डंक मारना शुरू कर दिया। 80 लोग तालाब में कूदकर अपनी जान बचाई थी। केस 2. मनरेगा में काम के दौरान 9 लोगों को काटा: इस साल अप्रैल के पहले सप्ताह में पेवराे में मनरेगा के तह तालाब गहरीकरण का कार्य कर रहे मजदूरों पर मधुमक्खियों की झुंड ने डंक मारा। 9 लोगों को मधुमक्खी ने काटा। सभी कार्यरत मजदूरों को गुरुर के शासकीय अस्पताल में दाखिल किया गया। केस 3. दुर्गा विसर्जन के दौरान पीपरछेड़ी में 27 लोगों को काटा: 9 माह पहले 29 सितंबर को पीपरछेड़ी में दोपहर तीन बजे दुर्गा विसर्जन के दौरान तालाब के पास मधुमक्खियों के झुंड ने लोगों को डंक मारा। जिससे भगदड़ मच गई। 27 लोगों को मधुमक्खियों ने एक से तीन बार काटा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। अजब-गजब: किसी को डंक मारने के बाद मर जाती हैं मधुमक्खियां? जानिए क्या है सच्चाईफीचर डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: ज्योति मेहरा Updated Fri, 27 May 2022 12:21 PM IST मधुमक्खियों (Honeybee) के बारे में हमने कई बातें सुनी हैं, जिसमें से एक बात ये भी है कि मधुमक्खी डंक मारने के बाद मर जाती है। लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है, आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल, देखा जाए तो ये बात पूरी तरह सच नहीं है। क्योकि मधुमक्खियों की कुछ प्रजातियां तो डंक भी नहीं मार पातीं। जबकि कुछ मधुमक्खियां डंक मारने के बाद मर जाती हैं। पेन स्टेट में मॉलिक्यूलर सेल्युलर और इंटीग्रेटेड बायोसाइंसेज के डॉक्टरेट छात्र एलिसन रे के मुताबिक, दुनिया भर में मधुमक्खियों की करीब 20,000 प्रजातियां मौजूद हैं, जिनमें से सभी डंक नहीं मार सकती हैं। दरअसल, स्टिंगलेस ग्रुप' यानी बिना डंक वाली मधुमक्खियां डंक नहीं मार पाती, इन्हें 'माइनिंग बीज' भी कहा जाता है। इन मधुमक्खियों में डंक तो होते हैं, लेकिन काफी छोटे होने की वजह से प्रभावी नहीं होते। इसलिए ये इनसे किसी को चोट नहीं पहुंचा सकती। मधुमक्खियों पर दो दशकों से अध्ययन कर रहे वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के मॉलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट निकोलस नेगर की माने तो बिना डंक वाली मधुमक्खियों की 500 से ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं। ये मधुमक्खियां डंक मारने के बजाय काट लेती हैं। वहीं एलिसन रे ने बताया कि मधुमक्खियां अक्सर मनुष्यों या किसी दूसरे स्तनधारी को डंक मारने के बाद मर जाती हैं। ऐसा उनके डंक की शारीरिक रचना (Anatomy) की वजह से होता है। दरअसल, उनके डंक कांटेदार होता है, जो त्वचा के अंदर तक जुड़ा होता है। ऐसे में डंक एक ही जगह पर बना रहता है और डंक में जहर भी पंप होता रहता है। निकोलस नेगर का कहना है कि मधुमक्खियों की करीब 10 प्रजातियां दूसरे कीड़ों या मकड़ियों को डंक मारने के बाद नहीं मरतीं। ऐसा केवल तभी देखने को मिलता है जब मधुमक्खी को अपने छत्ते पर आक्रमण का खतरा महसूस होता है। अपनी सुरक्षा के लिए मधुमक्खियां दूसरे कीड़ों पर हमला करती हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि स्थिति में मधुमक्खियां मरती क्यों नहीं, तो इसकी वजह यह है कि डंक आमतौर पर एक कीड़े के पतले एक्सोस्केलेटन को छेदने में सफल होता है और डंक मारने के बाद आसानी से निकल भी जाता है। वहीं इंसानों की त्वचा कीड़ों की त्वचा की तुलना में काफी मोटी होती है, ऐसे में डंक अंदर धंस जाते हैं। मधुमक्खी डंक मारने के बाद मर जाती है क्या?जो मधुमक्खी हमे शहद देती है और फूलों पर रीझ जाती है। वो डंक मारने के बाद मर जाती है, है ना अजीब बात। लेकिन ये सच है। दरअसल, मधुमक्खी जब हमें डंक मारती है तो उसका स्टिंगर ( डंक मारने वाला भाग ) टूट जाता है।
क्या होता है जब एक रानी मधुमक्खी मरता?ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रानी मधुमक्खी से संबंध बनाते समय नर मधुमक्खी का लिंग मादा के अंदर ही फट जाता है जिसकी वजह से उसकी मौत हो जाती है। वहीं दूसरी ओर नर मधुमक्खी की मौत के बाद मादा के पास इतना स्पर्म इकट्ठा हो जाता है कि वह एक बार में 1500 अंडे दे सकती है। जिससे इनकी प्रजाति आगे बढ़ती रहती है।
मधुमक्खी के काटने के बाद क्या होता है?मधुमक्खियों के डंक में जहर होता है जिससे शरीर में संक्रमण हो जाता है. हालांकि हर किसी में इसके अलग-अलग लक्षण नजर आते हैं. कुछ लोगों को तेज दर्द होता है तो कुछ में केवल प्रभावित जगह पर सूजन आ जाती है. कुछ में वो जगह लाल पड़ जाती है.
मधुमक्खी के काटने से कौन सी बीमार होती है?आयुर्वेद के अनुसार मधुमक्खी के काटने के बाद वात दोष दूषित हो जाता है।
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