आग की खोज कैसे हुई इससे आदिमानव को क्या लाभ हुए - aag kee khoj kaise huee isase aadimaanav ko kya laabh hue

आग की खोज कैसे हुई इससे आदिमानव को क्या लाभ हुए - aag kee khoj kaise huee isase aadimaanav ko kya laabh hue

  • BY:RF Temre
  • 18317
  • 1
  • Copy
  • Share

आधुनिक खोजों से ज्ञात हुआ है कि लाखों वर्ष पूर्व इस पृथ्वी पर मानव का जन्म हुआ था। पहले मनुष्य चार पैरों पर चलता था और जंगलों में रहता था। वह पेड़ों की जड़े ,पत्तियाँ, फल-फूल इत्यादि खाता था। कुछ छोटे जानवरों को मारकर उनका कच्चा मांस खाता था। वस्त्र नहीं पहनता था व घूमता रहता था।
यह वानर जैसा मानव खाने की तलाश इधर-उधर दिन भर भटकता था, लेकिन रात होने पर जानवरों से सुरक्षा व ठंड व बरसात से बचने के लिए गुफा जैसे स्थान मिलने पर उसमें रहने लगा। लेकिन वह अधिकांशतः पेड़ों पर चढ़कर ही रहता था और इस तरह रात में जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा करता था। संभवतः जब उसने ऊँचाई पर लगे पेड़ों के फलों को देखा होगा तब उनको तोड़ने के लिए वह धीरे-धीरे अपने शरीर को संतुलित करते हुए चार बजाए दो पैरों का उपयोग करने लगा होगा। इस प्रकार उसके दो हाथ स्वतंत्र हो गए होंगे जिनका उपयोग वह धीरे-धीरे किसी चीज को खोजने, पकड़ने व उठाने में करने लगा होगा और इस तरह वह दो पैरों का उपयोग चलने एवं दो हाथों का उपयोग काम करन के लिए करने लगा होगा।

आग की खोज कैसे हुई इससे आदिमानव को क्या लाभ हुए - aag kee khoj kaise huee isase aadimaanav ko kya laabh hue

इस तरह मनुष्य में धीरे-धीरे शारीरिक परिवर्तन होते गए। जैसे जब वह पैरों पर खड़ा होने लगा तो अधिक दूर तक देखने लगा होगा वह आसपास की चीजों को देखने के लिए पूरे शरीर को घुमाने के बजाय सिर्फ गर्दन का उपयोग करने लगा। हाथों का उपयोग पेड़ों की टहनियाँ पकड़़कर फल तोड़ने, खाना लाने, खाना खाने के लिए करने लगा। इसी समय वह पीठ के बल सोने लगा होगा। इस प्रकार शारीरिक परिवर्तनों के साथ-साथ मानव के सोचने की शक्ति का भी तेजी से विकास होने लगा। उसके स्पष्ट रूप से रोने व हँसने की आवाज में भी अधिक स्पष्टता आती गई होगी।

निरंतर आते परिवर्तनों के द्वारा अब मनुष्य अपनी मूलभूत आवश्यकताओं जैसे- भोजन, आवास व सुरक्षा के बारे में भी सोचने लगा होगा। भोजन की तलाश में घूमते रहने के साथ-साथ वह भोजन इकट्ठा भी करने लगा और जंगल में जानवरों से बचाव करने के लिए लकड़ी, जानवरों की हड्डियों, सींगों, धारदार नुकीले पत्थरों का उपयोग करने लगा।
उपरोक्त तरह के मानव अर्थात आज से लाखों वर्ष पुराने मानव को आदिमानव कहा जाता है।

आग की खोज कैसे हुई इससे आदिमानव को क्या लाभ हुए - aag kee khoj kaise huee isase aadimaanav ko kya laabh hue

ऊपर दिए चित्र को ध्यान से देखों और नीचे बनी तालिका को भरो-
1. आदिमानव भोजन कैसे प्राप्त करता था?
उत्तर– आदिमानव पेड़ों की जड़ें, पत्तियाँ, फल-फूल आदि के साथ-साथ छोटे जानवरों को मारकर उनके कच्चे मांस से भोजन प्राप्त करता था।
2. आदिमानव क्या पहनता था?
उत्तर– आदिमानव पेड़ों के पत्ते छाल इत्यादि कमर के नीचे पहनता था।
3. शिकार कैसे करता था?
उत्तर– आदिमानव नुकीले पत्थरों, लकड़ी तथा जानवर की हड्डियों आदि से शिकार करता था।

आदिमानव पत्थरों का उपयोग जानवरों के शिकार करने, मांस काटने, लकड़ी काटने, कंदमूल खोदने, आदि के लिए करता था। पत्थर को पाषाण भी कहते हैं, इसीलिए वह पाषाण युग कहा गया है।

अध्याय- 1👇 बारे में भी जानें।
1. इतिहास जानने के स्रोत कक्षा 6 इतिहास

आइए पाषाण युग के बारे में जाने -

पाषाण काल - पाषाण काल लाखों वर्षों तक चला पत्थरों के औजारों के स्वरूपों के आधार पर इस युग को हम तीन भागों में बाँट सकते हैं-

1. पुरा पाषाण काल में औजार, तो पत्थरों को तोड़कर बनाए जाते थे। ये आकार में विशाल होते थे। धीरे-धीरे मानव ने इस कला में दक्षता प्राप्त कर ली। सैकड़ों वर्षों के अनुभव व भौगोलिक परिवर्तन के कारण औजारों में बदलाव आया।

2. मध्य पाषाण काल- मध्य पाषाण काल में औजार आज के पत्थरों से अधिक छोटे व पैने बनाये जाने लगे। इनमें कठोर एवं मजबूत पत्थर का प्रयोग किया जाने लगा। इन पत्थरों की खास बात यह थी कि इनके फलक (चिप्पड़) आसानी से निकाले जा सकते थे और इन्हें मनचाहा आकार दिया जा सकता था। प्रारंभ में हाथ से आसानी से पकड़े जाने वाले पत्थरों के औजार बनाए जाते थे। धीरे-धीरे हथियारों के हत्थे लगाकर प्रयोग करने की कला मानव ने सीखी। इन औजारों को लकड़ी के हत्थे में बाँधकर इनकी की शक्ति को बढ़ाया गया।

आग की खोज कैसे हुई इससे आदिमानव को क्या लाभ हुए - aag kee khoj kaise huee isase aadimaanav ko kya laabh hue

3. नव पाषाण अथवा उत्तर पाषाण काल- इस काल में छोटे पैनै तथा अधिक संहारक का हथियार कड़े पत्थरों से बनाए जाने लगे। इन्हें बाण के अग्रभाग में तथा कुल्हाड़ी के पैने भाग के स्थान में लगाया जाता था। इस काल में पत्थर की चिकनी कुल्हाड़ियाँ, हाथ के बनाए बर्तन, झोपड़ियों के निर्माण स्थल तथा लघु पाषाण उपकरण प्राप्त होते हैं। इनका काल लगभग 2500 ई.पू. माना जाता है। इस काल से सिंधु सभ्यता के विकास का आरंभ होता है।

आग की खोज - पहले मनुष्य आग के बारे में नहीं जानता था। जब उसने पहली बार जंगल में सूखी लकड़ियों को आपस में तेज रगड़ खाकर आग लगते हुए एवं पत्थरों के औजारों के निर्माण के दौरान दो पत्थरों के आपस में टकराने वह चिंगारियों को निकलते हुए देखा होगा तब पहली बार मानव ने दो पत्थरों के आपस में टकरा कर आग उत्पन्न की होगी। यह मनुष्य की पहली सबसे बड़ी उपलब्धि थी। आग जलने जलने से आदिमानव को बहुत लाभ हुआ जैसे-
1. अब वे मांस को भूनकर खाने लगे।
2. रात के समय आग जलाकर प्रकाश प्राप्त करने लगे।
3. ठंड के समय आग जलाकर गर्मी प्राप्त करने लगे।
4. जंगली जानवर आग से डरते हैं अतः वे आग जलाकर जानवरों से अपनी सुरक्षा करने लगे।

आग की खोज कैसे हुई इससे आदिमानव को क्या लाभ हुए - aag kee khoj kaise huee isase aadimaanav ko kya laabh hue

आग की खोज कैसे हुई इससे आदिमानव को क्या लाभ हुए - aag kee khoj kaise huee isase aadimaanav ko kya laabh hue

आदि मानव भोजन की तलाश में घूमता रहता था। थक जाने पर पेडों तथा पहाड़ों की गुफाओं में निवास करता था। पहाड़ों की चट्टान को शैल भी कहते हैं। शैल में निर्मित इन आश्रय स्थलों के कारण इन्हें शैलाश्रय भी कहते हैं। ये शैलाश्रय कहीं-कहीं इतने बड़े हैं कि इनमें 500 व्यक्ति तक बैठे आश्रय प्राप्त कर सकते हैं। इन्हीं गुफाओं में बैठकर आदिमानव ने अपने दैनिक जीवन की क्रियाओं को चित्रित किया है। क्योंकि यह चित्र गुफाओं की चट्टानों पर बने हैं अतः इन्हें शैलचित्र कहते हैं। भारत में सैकड़ों स्थानों पर ऐसे चित्रित शैलाश्रय मिलते हैं। मध्यप्रदेश में भोपाल, विदिशा, रायसेन, सीहोर, होशंगाबाद, जबलपुर, सागर, गुना आदि जिलों में कई चित्रित शैलाश्रय से मिलते हैं। आदि मानव के पास हमारे जैसे वस्त्र नहीं थे। वे ठंड-बरसात आदि से बचने के लिए वृक्षों की छाल, पत्तों तथा जानवरों की खाल से अपना शरीर ढँकते थे। इनके के साथ-साथ लकड़ी, सीप, पत्थर, सींग, हाथी दाँत, और हड्डी से बने आभूषण का भी प्रयोग करते थे। ये पक्षियों के पंखों से भी आभूषण बनाते थे।

हमारे प्रदेश में आज भी कई जनजातियाँ ऐसे ही श्रृंगार करती हैं और पंख, सीप, हड्डी, लकड़ी, रंगीन पत्थर, जानवरों के सींग तथा दांतों से अपने आभूषण बनाते हैं।

पशुपालन एवं कृषि-

नव पाषाण काल तक आदि मानव ने पशुपालन और खेती करने के प्रारंभिक तरीकों की खोज कर ली थी। अब वह जान गया था कि शिकार के साथ-साथ पशुपालन उसके लिए महत्वपूर्ण है। पशुओं से वह कई तरह के काम कर लेता था- शिकार करने में कुत्ता, खेती करने में बैल, दूध प्राप्त करने में गाय, भैंस, बकरी मांस प्राप्त करने में, भेड़, भैंसा सवारी हेतु बैल, भैंस, घोड़ा आदि। पुरातत्वविदों के अनुसार भारत में कृषि की शुरुआत आज से लगभग 10,000 साल पहले हो चुकी थी। इस प्रकार आदिमानव का भोजन की तलाश में घूमना - फिरना कम हो गया। अब वह जान गया था कि मानव और पशु-पक्षियों द्वारा खा कर फेंके हुए फलों के बीजों से नए पौधे उग आते है। खेती करने की कला एक महत्वपूर्ण खोज थी जिसके कारण मानव को भोजन की तलाश में भटकने की जरूरत नहीं रही और अब उसने एक जगह बसना सीख लिया। लेकिन मानव को जब खाद्य सामग्री की कमी पड़ने लगी तब उसने जमीन (खेत) की खुदाई पत्थर, लकड़ी, हड्डियों से बने यंत्रों से करके जमीन में बीज बोना शुरू किया। धीरे-धीरे मिट्टी की निंदाई गुड़ाई व पौधों के लिए पोषक तत्वों का महत्व जाना। वह पानी के स्रोत के निकट वाली जमीन में सामान्यतः खेती करने लगा। समयानुसार धीरे-धीरे कृषि का विकास हुआ। वर्तमान में अपनी आवश्यकता के साथ-साथ मनुष्य विकसित कृषि यंत्रों का विकास किया, जिससे कम समय में अधिक फसलें ली जा रही हैं। इस प्रकार आदि काल से लेकर आज तक मानाव कि कृषि पर निर्भरता लगातार बढ़ती गई और कृषि के विकास के साथ-साथ सभ्यता का विकास हुआ।

पहिए की खोज-

आदिमानव की प्रगति में पहिए की खोज का महत्वपूर्ण स्थान है और यह खोज उसके जीवनयापन के लिए वरदान साबित हुई। इस खोज से मानव ने बड़ी तेजी से प्रगति की। इस खोज से मानव को कई लाभ हुई है। जैसे-
1. भारी चीज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में,
2. गहराई से पानी खींचने में,
3. चाक से मिट्टी के बर्तनों के निर्माण में,
4. पशुओं द्वारा की जाने वाली पशु गाड़ी निर्माण में, इस खोज के बाद मनुष्य की लगातार प्रगति होती गई।

आग की खोज कैसे हुई इससे आदिमानव को क्या लाभ हुए - aag kee khoj kaise huee isase aadimaanav ko kya laabh hue

अभ्यास प्रश्न

प्रश्न-1 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए-
(अ) आदि मानव अपने औजार किससे बनाता था?
उत्तर- आदि मानव पत्थरों, लकड़ी तथा जानवरों की हड्डियों और सींगों से हथियार बनाता था। पत्थरों के हथियार अधिकतम चकमक पत्थरों से बनाए जाते थे। इन हथियारों में पत्थरों से बने हथौड़े, कुल्हाड़ियाँ तथा बसूले प्रमुख थे। आरम्भ में हथियार को बिना मूठ तथा हत्थे के ही काम में लाया जाता था। बाद में लकड़ी और हत्थों में बाँधकर इन का प्रयोग किया जाने लगा। आगे चलकर जब मनुष्य में धातु की खोज कर ली तो वह धातु के हथियार बनाना भी सीख गया।

(ब) आदिमानव पत्थर के औजार किस-किस काम में लाते थे?
उत्तर- आदिमानव पत्थरों के औजारों का उपयोग जानवरों का शिकार करने, मांस काटने, लकड़ी काटने, कंदमूल खोजने, आदि के लिए करता था।

(स) मध्यप्रदेश के किन-किन जिलों में शैलचित्र मिलते हैं?
उत्तर- मध्य प्रदेश के भोपाल विदिशा रायसेन सीहोर होशंगाबाद जबलपुर मंदसौर katni सागर गुना आदि जिलों में शैलचित्र मिलते हैं।

(द)आदिमानव जानवरों से अपनी रक्षा किस तरह करता था?
उत्तर- सर्वप्रथम आदिमानव जानवरों से अपनी रक्षा करने के लिए पेड़ों पर रहता था। जब आदिमानव ने आग जलाना सीख लिया तब आग जलाकर जानवरों से रक्षा करने लगा। क्योंकि उसने जान लिया था कि जानवर आग से डरते हैं।

(य) आग की खोज कैसे हुई? इससे आदि मानव को क्या-क्या लाभ हुए?
उत्तर- ऐसा अनुमान है दो चकमक पत्थरों के आपस में टकराने से आग चिंगारियाँ निकलीं होंगी जिससे पास ही पड़ी हुई पत्तियाँ जलने लगीं होंगी। इससे आदिमानव आग जलाना सीख गया। इस प्रकार आग की खोज संयोग से हुई। आदिमानव ने जब चकमक पत्थर की सहायता से आग जलाना सीख लिया तो वह रात के समय गुफा में आग जलाकर जंगली जानवरों से अपनी रक्षा करने लगा। उसने उजाला करना सीख लिया। आग में वह मांस से भूनकर खाने लगा। इस प्रकार से उसे अनेक लाभ हुए।

प्रश्न-2 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिए–
(अ) मानव का क्रमिक विकास बताइए।
उत्तर- लाखों साल पहले इस पृथ्वी पर मानव का जन्म हुआ था। पहले मानव दोनों हाथों और दोनों पैरों पर चलता था और जंगलों में रहता था। वह पेड़ों की जड़ और फूल पत्तियाँ खाता था। कुछ छोटे जानवरों को मारकर भी वह खाता था। धीरे-धीरे वह वानर जैसा मानव विकास करता गया। वह अपने शरीर को संतुलित कर दो पैरों पर चलने लगा। अपने दोनों हाथों से खोदने, पकड़ने और उठाने का काम सीख लिया। शारीरिक परिवर्तनों के साथ उसके सोचने- समझने की शक्ति भी विकसित होने लगी। वह अपनी मूलभूत जरूरतों जैसे भोजन, आवास और सुरक्षा के बारे में सोचने लगा। वह भोजन इकट्ठा करने लगा और उसने पत्थर के औजार भी बना लिए। इस प्रकार मानव का विकास होते गया। यहाँ तक का उसके विकास का युग पुरा पाषाण युग कहलाता है।
आगे चलकर उसने आग जलाना सीख लिया। वह माँस को भूनकर खाने लगा और आग से ही प्रकाश प्राप्त करने लगा। आदिमानव के विकास का यह युग मध्य पाषाण युग कहलाता है।
धीरे-धीरे आदिमानव ने पशुपालन और कृषि करना सीख लिया, इससे उसका भोजन के लिए भटकना बंद हो गया। उसने पहिए की खोज की और निरंतर प्रगति करता गया। यही मानव का क्रमिक विकास है।

(ब) मानव खेती करना और पशुपालन करना कैसे सीखा? विस्तार से लिखिए।
उत्तर- नव पाषाण युग से पहले आदिमानव भोजन की तलाश में यहाँ-वहाँ घूमता रहता था। नव पाषाण काल में उसने पशुपालन और खेती करने के प्रारंभिक तरीकों की खोज कर ली थी। इस कारण आदिमानव का भोजन की तलाश में यहाँ-वहाँ घूमना कम हो गया था। आदिमानव को यह समझ में आ गया था कि माना और पशु-पक्षियों द्वारा फेंके हुए फलों के बीजों से नए पौधे उग आते हैं, यही खेती करने की कला उसकी एक महत्वपूर्ण खोज थी। वह यह भी जान गया था कि शिकार के साथ-साथ पशुपालन उसके लिए महत्वपूर्ण है। वह अनेक पशुओं को पालने लगा था और उनसे काम भी लेने लगा था। शिकार करने में कुत्ते, खेती करने में बैल, दूध प्राप्त करने के लिए गाय, भैंस, बकरी, मांस प्राप्त करने के लिए भेड़-बकरी, सवारी के लिए बैल, भैंसा, ऊँट, घोड़े का वह उपयोग करना सीख गया था।

प्रश्न-3 टिप्पणी लिखिए-

(अ) आग की खोज–
उत्तर- आग के बारे में मनुष्य को पहले कोई जानकारी नहीं थी। यद्यपि यह कहना कठिन है कि आग की खोज किस प्रकार हुई किंतु यह अनुमान लगाया जाता है कि जब उसने पहली बार जंगल में सूखी लकड़ियों को आपस में तेज रगड़ खाकर आग लगते हुए एवं पत्थरों के औजारों के निर्माण के दौरान दो पत्थरों के आपस में टकराने से चिंगारियों को निकलते देखा होगा तो उसे आग का ज्ञान हुआ होगा। तब पहली बार मानव ने पत्थरों को आपस में टकराकर आग उत्पन्न की होगी। आग की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

(ब) पहिए की खोज एवं उपयोग–
उत्तर- मानव की उन्नति में पहिए की खोज का महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसा अनुमान है कि पेड़ के तने को लुढ़कते हुए देखकर आदिमानव के मन में पहिए के निर्माण का विचार आया होगा। यह खोज उसके जीवन-यापन के लिए वरदान साबित हुई। पहिए का उपयोग उसने निम्नलिखित कार्यों के लिए किया-
1. चाक से मिट्टी के बर्तन बनाने में।
2. भारी चीज को एक जगह से दूसरी जगह लाने ले जाने में।
3. गहराई से पानी खींचने में।
4. पशुओं द्वारा खींची जाने वाली गाड़ी के निर्माण में।

इन 👇एतिहासिक महत्वपूर्ण प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. विश्व की प्रथम चार सभ्यताएँ- मेसोपोटामिया, मिस्र, सिंधु, और चीनी सभ्यता
2. भारत का इतिहास- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के पुरातात्विक स्रोत।
3. भारत का इतिहास- प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के साहित्यिक स्त्रोत- वेद
4. भारत का इतिहास- सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थल
5. सिन्धु सभ्यता में जीवन

आशा है, इस अध्याय की जानकारी महत्वपूर्ण एवं उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
RF Temre
infosrf.com

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

Watch related information below
(संबंधित जानकारी नीचे देखें।)

आग की खोज से मानव को क्या लाभ हुआ?

आग की खोज होने पर मानव को निम्नलिखित लाभ हुए : आग से परिचित होने पर वह माँस को भूनकर खाने लगा। रात के समय आग जलाकर प्रकाश उत्पन्न करने लगा। शीत ऋतु के समय ठंड आदि से बचाव के लिए आग उसका सहारा बनी। आग देखकर जंगली जानवर डरते हैं, इसीलिए आग जलाकर वह जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा करने लगा।

आदि मानव ने आग की खोज कैसे की?

आदिमानव आग की खोज करने से पहले मांस को कच्चा ही खाते थे ! लेकिन आदि मानव के जीवन में कुछ घटना ऐसी हुई जिसे पत्थरों का आपस में टकराना ,जिससे चिंगारी का निकलना और इसी प्रकार आदिमानव ने आग को खोज निकाला ! सर्वप्रथम आग की खोज आदिमानव द्वारा पत्थरों को आपस में रगड़ कर हुई थी !

आग की खोज का महत्व क्या है?

अग्नि की बड़ी उपयोगिता है जाड़े में हाथ-पैर सेंकने से लेकर परमाणु बम द्वारा नगर का नगर भस्म कर देना, सब अग्नि का ही काम है। इसी से हमारा भोजन पकता है, इसी के द्वारा खनिज पदार्थों से धातुएँ निकाली जाती हैं और इसी से शक्ति उत्पादक इंजन चलते हैं।

आग का आविष्कार कैसे हुआ बताइए?

आग का आविष्कार कब हुआ? - Quora. पुरा पाषाण काल में पत्थरों को रगड़ने से आग की उत्पत्ति हुयी। ये काल आधुनिक काल से 25-20 लाख साल पूर्व से लेकर 12,000 साल पूर्व तक माना जाता है।