अंग्रेजों ने भारत में क्यों किया? - angrejon ne bhaarat mein kyon kiya?

इसे सुनेंरोकेंब्रिटेन की दुर्बल स्थिति सैनिक और आर्थिक दृष्टि से अमेरिका पर आश्रित हो जाने के कारण ब्रिटेन अब द्वितीय श्रेणी का राष्ट्र रह गया था। अतएव भारतीय प्रशासन को संभालने में अपनी बची-खुची शक्ति लगाने के बजाय उसने भारत को स्वतंत्र कर देना ही अच्छा समझा।

इसे सुनेंरोकेंभारत पर लाभहीन शासन ऐसी स्थिति में भारतीय उपनिवेश से ब्रिटेन को विशेष आर्थिक लाभ होने की आशा नहीं थी। अतः ब्रिटिश शासकों ने भारत को स्वतंत्र कर अपना सिर-दर्द दूर करने का निश्चय कर लिया। अंग्रेजों ने सोचा कि स्वेच्छा से भारत को स्वतंत्र कर वे भारतीयों और नई भारतीय सरकार की सहानुभूति और सद्भावना प्राप्त कर सकेंगे।

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भारत में अंग्रेज कब आए थे?

इसे सुनेंरोकेंअंग्रेजों का सबसे पहले आगमन भारत के सूरत बंदरगाह पर 24 अगस्त 1608 को हुआ। अंग्रेजों का उद्देश्य भारत में अधिक से अधिक व्यापार करके यहां से पैसा हड़पना था। 1615 ईसवी में जहांगीर के शासनकाल में “सर टॉमस रो” को अंग्रेजों ने अपना राजदूत बनाकर जहांगीर के दरबार में भेजा।

अंग्रेज भारत छोड़कर क्यों भाग गए?

इसे सुनेंरोकेंअंग्रेजी का भारत छोड़ने में सबसे बड़ा कारण था इंग्लैंड द्वारा प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेना। क्योंकि इससे उनकी अर्थव्यवस्था पर बहुत गहरा असर हुआ। महात्मा गांधी ने भी इसी को देखकर भारत छोड़ो आंदोलन सुरु किया। सबसे बड़ा कारण अंग्रेजों की नींव का हिल जाना था.

अंग्रेजो ने भारत को क्या दिया?

इसे सुनेंरोकेंधीरे-धीरे अंग्रेजों ने अपनी कूटनीति के माध्यम से अन्य यूरोपीय व्यापारिक कंपनी को भारत से बाहर खदेड़ दिया और अपने व्यापारिक संस्थाओं का विस्तार किया। अंग्रेजों द्वारा भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में कई व्यापारिक केंद्र स्थापित किए और कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास के आसपास ब्रिटिश संस्कृति को विकसित किया गया।

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अंग्रेजो ने भारत पर कितने साल तक राज किया?

इसे सुनेंरोकेंभारत को आजाद हुए 70 साल से ज्यादा हो गए हैं और यह आजादी 200 साल की गुलामी के बाद मिली थी. ब्रिटेन ने इन 200 सालों में भारत को बहुत लूटा और भारत की अरबों की संपत्ति लेकर चले गए.

अंग्रेज कहाँ से आये थे?

इसे सुनेंरोकेंअंग्रेज कहाँ के निवासी थे? – Quora. अंग्रेज कहाँ के निवासी थे? अंग्रेज़ मूलतः इंग्लैंड के ही निवासी रहे हैं, बाकी उन्होंने गुलामी दुनिया भर के कई देशों में की।

अंग्रेज भारत में कब आए और क्यों आए?

अंग्रेज भारत छोड़ कर कब गए?

इसे सुनेंरोकें77 साल पहले ‘करो या मरो’ के नारे के साथ महात्मा गांधी ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फैसला लिया। 8 अगस्त 1942 की शाम को बम्बई में कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन का प्रस्ताव पास किया गया।

भारत पर अंग्रेजों से पहले किसका शासन था?

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इसे सुनेंरोकेंउल्लेखनीय है कि संपूर्ण भारत पर कोई विदेशी पूर्णत: शासन नहीं कर पाया। हिन्दूकुश से लेकर अरुणाचल तक और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक युधिष्ठिर और उसके पूर्ववर्ती राजाओं के अलावा राजा विक्रमादित्य, चंद्रगुप्त मौर्य और मिहिरकुल ने ही संपूर्ण भारत पर शासन किया था।

अंग्रेजों ने भारत में लंबे वक्त तक शासन किया, मगर जाने-अंजाने में उन्होंने भारत के लिए कई अच्छे काम भी किए। जिन्हें आज तक याद किया जाता है। 

इतिहास में भारत सोने की चिड़िया हुआ करता था। जिस चिड़िया पर दुनिया के बड़े-बड़े सत्ताधारियों  की नजर रहती थी। राजाओं के आपसी मतभेद के चलते बाहरी ताकतों ने कई बार भारत को अपना गुलाम बनाया। मुगलों से लेकर पूर्तगालियों तक कई शक्तियों ने हमारे देश पर आक्रमण कर, उसे बुरी तरह से लूटा। अंग्रेज भी उनमें से एक थे। उन्होंने लंबे समय तक भारत को अपना गुलाम बनाया और यहां के जनता और संसाधनों का इस्तेमाल किया। यही कारण है आज भी ब्रिटिश हुकूमत को भारत के काले अध्यायों में से एक माना जाता है। हालांकि जाने-अंजाने में ब्रिटिश हमारे लिए कई अच्छे काम भी कर गए, जिन्हें आज तक लोगों के बीच याद किया है। इतना ही नहीं ब्रिटिश हुकूमत द्वारा की गई ये चीजें आज भी भारतीय इस्तेमाल करते हैं। 

आज के आर्टिकल में हम आपको ऐसी ही कुछ अच्छे कामों के बारे में बताएंगे, जो अंग्रेजों ने भारत के लिए किए हैं। तो देर किस बात की, आइए जानते हैं अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई इन चीजों के बारे में- 

भारतीय रेलवे- 

Good Things that British did for India

दुनिया भर में रेलवे नेटवर्क की शुरुआत करने वाले ब्रिटिश ही थे। जब ब्रिटिश शासन करने के लिए भारत आए, तो वो अपने साथ रेलवे नेटवर्क भी लेकर आए। हालांकि उन्होंने यह काम भारतीयों के लिए नहीं बल्कि अपने निजी स्वार्थ के लिए किया था। कच्चे माल को बंदरगाहों तक पहुंचाने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने रेलवे नेटवर्क की शुरुआत की, जिस कारण धीरे-धीरे भारत में यात्री रेलवे की शुरुआत हुई। अंग्रेजों के जाने के बाद भी, देशवासी इस रेलवे नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं।

अंग्रेजी भाषा- 

Good Things British did for India

ब्रिटिश अपने साथ अपनी भाषा भी लेकर आए, जिसे आज हम अंग्रेजी भाषा के नाम से जानते हैं। ब्रिटिश ने अपनी हुकूमत के साथ ही अंग्रेजी भाषा का विस्तार करना शुरू कर दिया। स्कूल, कॉलेज समेत सभी सरकारी संस्थानों में अंग्रेजी भाषा को अनिवार्य कर दिया गया, जिस कारण लोगों के बीच अंग्रेजी भाषा का प्रचार प्रसार हुआ। ब्रिटिश के जाने के बाद भी लोगों के बीच अंग्रेजी रह गई, आज भी अंग्रेजी को भारत की आधिकारिक भाषा माना जाता है। 

वैक्सीनेशन- 

Good Things Britishers did for India

कोरोना काल में भारत ने अपनी वैक्सीन खुद से बनाकर तैयार की, मगर वैक्सीन से पहली बार परिचय ब्रिटिश द्वारा ही कराया गया। बता दें कि 19वीं और 20वीं सदी के दौरान ब्रिटिश हुकूमत ने लोगों को स्मॉल पॉक्स के टीके लगवाए, ताकि भारत में बढ़ रही महामारी को रोका जा सके। वैक्सीन के अलावा भी ब्रिटिश ने ही पहली बार चेकअप और डिस्पेंसरी की शुरुआत की। 

पुरातत्व सर्वेक्षण- 

भारत में ब्रिटिश हुकूमत से पहले पुरातत्व सर्वेक्षण नहीं किया जाता था, इसकी शुरुआत भी ब्रिटिश द्वारा की गई। साल 1851 में ब्रिटिश ने ज्योग्राफिकल सर्वे ऑफ इंडिया डिपार्टमेंट की शुरुआत की, जिसके बाद कई लुप्त ऐतिहासिक स्थलों के बारे में लोगों को पता चल सका। सर्वे के कारण ही आगे चलकर लोगों को भारत की प्राचीन सभ्यताओं और लुप्त गौरवशाली इतिहास के बारे में पता चल पाया। तब से लेकर आज तक भारत में सर्वेक्षण का काम चल रहा है, जिस कारण लोग अब भारत के इतिहास के बारे में और भी अच्छे तरीके से जान सकते हैं।

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आर्मी- 

good things done by the British to India

भारत की आर्मी आज दुनिया की सबसे मजबूत आर्मी में से एक है। बता दें कि भारत में आर्मी की शुरुआत भी ब्रिटिश सरकार द्वारा की गई थी। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान कई भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों की तरफ से युद्ध लड़ा था, जिसे आज भी याद किया जाता है। इस आर्मी में भारतीय के साथ-साथ एंग्लो इंडियन्स भी हुआ करते थे। 

कुप्रथाओं पर कानून- 

Benefits of British Rule for India

भारत में कई ऐसी प्रथाएं मौजूद थीं, जो सालों से महिलाओं का शोषण करती थी। ब्रिटिश सरकार ने इस तरह की प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाया, जिस कारण ये कुप्रथाएं हमारे समाज से खत्म हो सकीं। अपने शासन के दौरान ब्रिटिश ने सती प्रथा, छुआछूत और बाल विवाह जैसी प्रथाओं पर कई कानून बनाए, यह कानून असल में भारतीय महिलाओं के शोषण से बचाने में कारगर साबित हुए। इन प्रथाओं को खत्म करने के लिए कई भारतीय समाज सुधारकों ने ब्रिटिश हुकूमत का साथ दिया।

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जनगणना- 

जनगणना का अर्थ होता है किसी जगह पर रहने वाले लोगों के विषय में लेखा-जोखा करना। भारत में जनगणना की शुरुआत भी ब्रिटिश हुकूमत द्वारा ही की गई। बता दें कि साल 1871 में भारत में पहली बार जनगणना कराई गई, जो कि आज भी भारत में हर 10 साल में कराई जाती है। इस गणना के हिसाब से ही भारत में हो रहे विकास का अंदाजा लगाया जा सकता है। 

तो ये हैं कुछ ऐसे काम, जिन्हें अंग्रेजों ने भारत में शुरू किया, उनके जाने के लंबे समय बाद भी यह सभी चीजें भारत की पहचान हैं। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

Image Credit- wikipedia.com and unsplash

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अंग्रेजों ने भारत पर कब्जा क्यों किया?

व्यापार के दौरान अंग्रेजो ने देखा कि भारत सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक तौर पर बिलकुल ही अस्त-व्यस्त है तथा लोगों में आपसी मतभेद है और इसी मतभेद को देखकर अंग्रेजो ने भारत पर शासन करने की दिशा में सोचना प्रारंभ किया था . सन 1750 के दशक तक ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय राजनीति में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया था।

अंग्रेज भारत से क्यों चले गए?

भारत पर लाभहीन शासन ऐसी स्थिति में भारतीय उपनिवेश से ब्रिटेन को विशेष आर्थिक लाभ होने की आशा नहीं थी। अतः ब्रिटिश शासकों ने भारत को स्वतंत्र कर अपना सिर-दर्द दूर करने का निश्चय कर लिया। अंग्रेजों ने सोचा कि स्वेच्छा से भारत को स्वतंत्र कर वे भारतीयों और नई भारतीय सरकार की सहानुभूति और सद्भावना प्राप्त कर सकेंगे।

अंग्रेजों का भारत आने का मुख्य उद्देश्य क्या है?

अंग्रेजों का सबसे पहले आगमन भारत के सूरत बंदरगाह पर 24 अगस्त 1608 को हुआ। अंग्रेजों का उद्देश्य भारत में अधिक से अधिक व्यापार करके यहां से पैसा हड़पना था। 1615 ईसवी में जहांगीर के शासनकाल में “सर टॉमस रो” को अंग्रेजों ने अपना राजदूत बनाकर जहांगीर के दरबार में भेजा।

अंग्रेजों को भारत कौन लाया?

शुरुआती सालों में दूसरे क्षेत्रों में यात्रा करने के बाद अगस्त 1608 में कैप्टन विलियम हॉकिंस ने भारत के सूरत बंदरगाह पर अपने जहाज़ 'हेक्टर' का लंगर डालकर ईस्ट इंडिया कंपनी के आने का एलान किया. हिंद महासागर में ब्रिटेन के व्यापारिक प्रतिद्वंद्वी डच और पुर्तगाली पहले से ही मौजूद थे.