अधिगम के लिए आकलन क्यों आवश्यक है? - adhigam ke lie aakalan kyon aavashyak hai?

आज हमलोग इस लेख में पढ़ेंगे कि आकलन किसे कहते हैं? आकलन का अर्थ परिभाषा एवं महत्व क्या है? साथ ही साथ हमलोग यह भी पढ़ेंगे कि आकलन क्यों जरुरी होता है?

अधिगम के लिए आकलन क्यों आवश्यक है? - adhigam ke lie aakalan kyon aavashyak hai?
(Assessment) आकलन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा हमें यह ज्ञात होता है कि कोई बच्चा अधिगम को किस स्तर तक सीखा है या किस स्तर तक अधिगम को ग्रहण करने में समर्थ रहा है।

देखा जाय तो मूल्यांकन और आकलन दोनों लगभग एक सामान ही प्रक्रिया है। आकलन कम पैमाने पर की जाती है वहीं मूल्यांकन वृहत पैमाने पर की जाती है।

आकलन के द्वारा अधिगम की उपलब्धियों का पता लगाया जाता है।

आकलन बालक के अधिगम का मूल्यांकन करती है अधिगम में हुई कठिनाई को आकलन के द्वारा पता लगाया जा सकता है। आकलन की प्रक्रिया शिक्षक के लिए भी लागू होती है। इस प्रक्रिया के द्वारा यह पता चलता है कि एक शिक्षक बच्चे को किस स्तर तक अधिगम कराने में सफल रहा है। बच्चे को किस स्तर तक ज्ञान देने में सफल हुए हैं यह बात की जानकारी मूल्यांकन देती है।

इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि आकलन शिक्षक तथा बालक दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।

आकलन (Assessment) क्यों जरूरी होता है?

यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा बालकों के प्रगति स्तर का पता लगाया जाता है। मूल्यांकन अधिगम को सरल एवं सुगम बनाने की कार्य करता है। आकलन से यह पता लग जाता है कि बालक कहां पर समझता है। तथा कोई कोई ऐसा भी तथ्य होता है जो बालक समझने में असमर्थ होता है यह बात आकलन(Assessment) के द्वारा ही पता चल पाता है।

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जिस टॉपिक को समझने में बालक को कठिनाई होती है यह बात आकलन से पता लग जाता है तथा इसके फलस्वरूप शिक्षक उस टॉपिक को अन्य तरीकों से विद्यार्थियों को समझाने का कोशिश करते हैं इससे यह पता चलता है कि शिक्षक को शिक्षण विधि के लिए आकलन का होना जरूरी है।

आकलन के प्रकार Types of Assessment

मनोवैज्ञानिकों ने आकलन को दो भागों में विभाजित किया है जो निम्नलिखित है-

रचनात्मक आकलन (Formative Assessment)

बालकों के विकास में लगातार प्रतिपुष्टि के लिए निर्माणात्मक मूल्यांकन का उपयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत शिक्षक पढ़ाने के दौरान यह जांच करते हैं कि बालक ने अभिवृत्ति, अभिभूतियों तथा ज्ञान को कितना प्राप्त किया है।

यानि कि हम कह सकते हैं की पढाई के दौरान किया गया आकलन रचनात्मक आकलन कहलाता है।

योगात्मक आकलन (Summative Assessment)

यह मूल्यांकन सत्र (साल) की समाप्ति के बाद होता है। इस आकलन के अंतर्गत शिक्षक या जांच करते हैं कि बच्चे ने ज्ञान को किस सीमा तक प्राप्त किया है।

सीखने का आकलन (Assessment of Learning)योगात्मक आकलन(Summative Assessment)सीखने के लिए आकलन (Assessment for Learning)रचनात्मक आकलन (Formative Assessment)सीखने के रूप में आकलन (Assessment as Learning)स्व – आकलन (Self Assessment)

आकलन के उद्देश्य क्या है?

  • (Assessment) आकलन के द्वारा बालकों की प्रगति स्तर का पता लगाया जाता है।

  • छात्रों के विकास को निरंतर गति देना मूल्यांकन का उद्देश्य है।
  • बालकों के योग्यता, कुशलता, क्षमता तथा गुण इत्यादि का पता आकलन के द्वारा लगाया जाता है।
  • शिक्षकों की कुशलता एवं सफलता का पता भी आकलन के द्वारा लगाया जाता है।
  • आकलन के द्वारा अध्ययन एवं अध्यापन दोनों को प्रभावशाली बनाया जाता है।
  • उपरोक्त सारी बातें आकलन का उद्देश्य है।

आज के लेख में हम लोगों ने जाना कि आकलन किसे कहते हैं? आकलन का अर्थ परिभाषा एवं महत्व क्या है? साथ ही साथ हमलोग यह भी पढ़ा कि आकलन क्यों जरुरी होता है?

इसे सुनेंरोकेंयह निर्णय कर पाने में सक्षम हो पाएँगे। आकलन की प्रक्रिया में प्रत्येक बच्चे के सीखने के तरीके, उसकी गति और उत्तर देने की शैली को भी समान महत्त्व देना आवश्यक है। बच्चों की विविध विषयों एवं अन्य क्षेत्रों में सीखने, संबंधी प्रगति जानने के लिए एक ही तरीका काफी नहीं होता अपितु विविध तरीकों को इस्तेमाल करना आवश्यक है।

अधिगम के आकलन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअध‍िगम का आंकलन में सीखने की प्रक‍िया को बच्‍चा क‍ितना सीखा है । इस से हम बच्‍चे के सीखेे हुऐ ज्ञान को, बच्‍चे केे अन्‍दर सजृन क‍िया गया ज्ञान को मापतेे है इसे ही अध‍िगम का आंकलन कहते है । यन‍ि छात्र एक समय सीमा में क‍ितनी जानकारी प्राप्‍त करता है इसको जानना अध‍िगम का आंकलन है ।

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मूल्यांकन की आवश्यकता क्यों है?

इसे सुनेंरोकेंछात्रों के लिए मूल्यांकन की आवश्यकता :- छात्रों को अपनी अच्छाई व कमियों के बारे में पता हो जाता है। छात्रों को यह जानने में मदद मिलती है कि उसके ज्ञान में कितनी प्रगति हो रही है। मूल्यांकन की सहायता से छात्रों के अंदर समय से काम करने के गुण का विकास होता है। मूल्यांक से छात्रों को अपनी प्रगति की जानकारी हो जाती है।

आकलन में रिपोर्टिंग का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंयह एक तरह का उपलब्धि परीक्षण है। प्रक्रिया कभी-कभी मानक, कभी-कभी मानदंड-आधारित होती है। विधियां मूल रूप से मौखिक रिपोर्ट, परियोजना, अवधि पेपर, शिक्षक-निर्मित उपलब्धि परीक्षण आदि हैं। इसका उपयोग ग्रेड और अंतिम निर्णय देने के लिए किया जाता है।

शिक्षण में मूल्यांकन की क्या आवश्यकता है?

इसे सुनेंरोकेंअध्यापन-अधिगम प्रक्रिया में मूल्यांकन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नए उद्देशियो को तय करने , अधिगम अनुभव प्रस्तुत करने और विद्यार्थी की संप्राप्ति की जाँच में मूल्यांकन- अधिगम काफी योगदान देता होता है। इसके अतिरिक्त शिक्षण और पाठ्य विवरण सुधरने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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सतत एवं व्यापक मूल्यांकन की आवश्यकता क्यों है?

इसे सुनेंरोकेंKey Pointsसतत और व्यापक मूल्यांकन आवश्यक है क्योंकि : यह ड्रॉपआउट दर को कम करता है क्योंकि शिक्षार्थियों में उनकी परीक्षा और स्कूल के प्रदर्शन से संबंधित भय और चिंता कम होगी। CCE में परीक्षा और परीक्षण आयोजित करने के बजाय सीखने पर अधिक ध्यान दिया जाता है। यह शिक्षार्थियों के समग्र विकास में योगदान देता है।

सतत आकलन में क्या मदद करता है?

इसे सुनेंरोकेंसतत आकलन का उपयोग बच्चों की प्रगति के बारे में किसी निर्णय तक पहुँचने के लिए नहीं करनी चाहिए। सतत आकलन का उद्देश्य बच्चों की प्रगति का आकलन उसके अपने पिछले प्रदर्शन के परिप्रेक्ष्य में करना है और उसके सशक्त पक्ष को उजागर करना है तथा कमियों की पहचान करना है।

विद्यालय आधारित आकलन की मुख्य विशेषता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंविद्यालय आधारित आकलन एक सतत रूप से चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें शिक्षार्थियों के अधिगम त्रुटियों की पहचान कर उसमें सुधार करने का प्रयास किया जाता है। अतः विद्यालय आधारित आकलन (SBA) में शिक्षक अपने शिक्षार्थियों का स्वयं आकलन करता है, इसलिए वह अपने अधिकार क्षेत्र पर प्रभुत्व की भावना भी रखता है।

अधिगम के लिए आकलन का क्या अर्थ है?

अधिगम के लिए आकलन, इसे शिक्षार्थी के ज्ञान, समझ, कौशल और मूल्यों को विकसित करने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने में मदद करता है जिसे वे अपने व्यवहार में प्रतिबिंबित करने में सक्षम होते हैं। यह छात्रों की क्षमताओं, आवश्यकताओं को ध्यान में रखता है।

आकलन की आवश्यकता क्यों है?

आकलन के द्वारा बालकों की प्रगति स्तर का पता लगाया जाता है। छात्रों के विकास को निरंतर गति देना मूल्यांकन का उद्देश्य है। बालकों के योग्यता, कुशलता, क्षमता तथा गुण इत्यादि का पता आकलन के द्वारा लगाया जाता है। शिक्षकों की कुशलता एवं सफलता का पता भी आकलन के द्वारा लगाया जाता है।

सीखने में आकलन की क्या भूमिका है?

योगात्मक आकलन को 'सीखने के आकलन' के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रकार के आकलन का प्रयोजन शिक्षक को छात्रों की उपलब्धि और कार्य प्रदर्शन की पहचान करने में सक्षम करना है, जिसमें सीखने की अवधि एक सत्र या वर्ष हो सकती है।

अधिगम के आकलन एवं अधिगम के लिए आकलन से आप क्या समझते हैं?

यह शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के दौरान और बाद में होता है क्योंकि इसका प्राथमिक ध्यान सभी छात्रों के लिए अधिगम के निरंतर सुधार पर होता है। इसे अधिगम के लिए आकलन के रूप में भी जाना जाता है, जिसका उपयोग छात्र अधिगम की प्रगति और उपलब्धि का आकलन करने के लिए किया जाता है।