बच्चों को कपास की तरह कोमल और उनके पैरों को बेचैन क्यों कहा गया? - bachchon ko kapaas kee tarah komal aur unake pairon ko bechain kyon kaha gaya?

1 Crore+ students have signed up on EduRev. Have you?

(i) प्रस्तुत काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
सबसे तेज बौछारें गयी भादों गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए
घंटी बजाते हुए जोर-जोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए
पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को
चमकीले इशारों से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए।
प्रश्न - (क) शरद ऋतु कब और कैसे आती है?
(ख) ‘चमकीले इशारो’ में निहित भाव को स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए’-से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
(क)

  • वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु का आगमन
  • चारों ओर उल्लास का वातावरण। 
  • साइकिल चलाते हुए, घंटी बजा कर सूचना देकर
  • प्रकृति का और अधिक सुन्दर होकर।

(ख) 

  • स्वच्छ एवं स्पष्ट आकाश बच्चो को पतंग उड़ाने के लिए बुलाता हुआ लगता है
  • बच्चों की कल्पनाशीलता एवं स्वभाव का चित्रण

(ग)

  • आसमान इतना कोमल और साफ है जिसमें पतंग उड़ाने के लिए पर्याप्त स्थान है। 
  • बच्चे ऊंचाई तक पतंग उड़ा सकते हैं।    

(ii) प्रस्तुत काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
सबसे तेज बौछारें गयीं भादों गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए
घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए
पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को
चमकीले इशारों से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके
दुनिया की सबसे हलकी और रंगीन चीज़ उड़ सके
दुनिया का सबसे पतला कागज़ उड़ सके
बाँस की सबसे पतली कमानी उड़ सके
कि शुरू हो सके सीटियों, किलकारियों और
तितलियों की इतनी नाज़ुक दुनिया
जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास
पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास
जब वे दौड़ते हैं बेसुध
छतों को भी नरम बनाते हुए
दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
जब वे पेंग भरते हुए चले आते हैं
डाल की तरह लचीले वेग से
प्रश्न 1.कवि तथा कविता का नाम बताइए।
उत्तर:
कवि - आलोक धन्वा।
कविता - पतंग। 

प्रश्न 2. शरद के आने की तलुना किससे की गई है? क्यों ?
उत्तर: 
शरद ऋतु का आगमन ऐसा प्रतीत होता है मानो रात्रि के बाद प्रातःकाल हुआ हो। इस ऋतु का प्रकाश लालिमापूर्ण होता है जो खरगोश की आँखों की समानता करता-सा लगता है। 

प्रश्न 3. ‘सवेरा’ की उपमा का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर: ‘सवेरा’ की तुलना खरगोश की आँखों से की गयी है। इसमें उपमा अलंकार है। 

(iii) प्रस्तुत काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास
पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास
जब वे दौड़ते हैं बेसुध
छतों को भी नरम बनाते हुए
दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
छतों के खतरनाक किनारों तक
उस समय गिरने से बचाता है उन्हें
सिर्फ़ उनके ही रोमांचित शरीर का संगीत
प्रश्न 1. काव्यांश में ‘वे’ / ‘उनके’ सर्वनाम किनके लिए प्रयुक्त हुए हैं? वे क्या विशेष कर रहे हैं?
उत्तर:
काव्यांश में ‘वे’ और ‘उनके’ सर्वनाम बच्चों के लिए प्रयुक्त हुए हैं उनका विशेष कार्य है कि वे कपास जैसी कोमल भावनाएं आरै लचीला शरीर लकेर आते हैं आरै उनकी शारीरिक सक्रियता भी देखते ही बनती है। 

प्रश्न 2. आशय स्पष्ट कीजिए: 
जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास 
उत्तर: कवि का आशय हैं कि बच्चे तो जन्म से ही अपने साथ कपास जैसी कोमल भावनाएं एवं लचीला शरीर लेकर साथ आते हैं सिर्पळ उनकी भावना ही स्वच्छ एवं सफेद होती हैं, बल्कि वे शारीरिक रूप से भी सक्रिय रहते हैं।

प्रश्न 3. ‘दौड़ते है बेसुध-उनकी बेसुधी के दो उदाहरण लिखिए। 
उत्तर: बच्चे बेसुध होकर दौड़ते हैं उनके बेसुध बेचैन चंचल पैरों के थमने या रुकने की सुध ही नहीं रहती। वे हर समय भागते-दौड़ते, सक्रिय और जीवंत रहते हैं। 

प्रश्न 4. ‘छतों को नरम बनाना’ और ‘दिशाओं को मृदंग की तरह बजाना’ का भाव लिखिए। 
उत्तर:  बच्चे जब दाडैते है, तो वे कठारे पत्थरो एवं सतहो वाली छतो को भी मुलायम नरम ही समझते है उनकी उमंग इतनी उत्कृष्ट, धुनें इतनी तीव्र एवं सक्रियता इतनी बलवती होती है कि सभी दिशाएँ उनकी सक्रियता की ताल से मृदंग की तरह बजती हुई दिखाई देती हैं। अर्थात् बच्चे इतने अधिक उत्साहित होते हैं कि वे दिशाओं को अपनी बोलियों से मृदंग की भाँति झंकृत व कंपायमान कर देते हैं। 

प्रश्न 5. ‘वे अपने साथ लाते हैं कपास’ में ‘वे’ कौन हैं? साथ ही कपास लाने से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: 

  • ‘वे’ बच्चे हैं। 
  • बच्चे कपास के समतुल्य। 
  • हल्के एवं लचीले।
  • कोमल एवं नरम।
  • हृदय से स्वच्छ एवं सरल।

व्याख्यात्मक हल- ‘वे’ बच्चों के लिए प्रयुक्त सर्वनाम है। बच्चे कपास के समान कोमल एवं नरम हैं तथा हृदय से सरल एवं स्वच्छ हैं। 

प्रश्न 6 ण्दिशाओं को मृदंगों की तरह बजाने से कवि का क्या आशय है?
उत्तर:
 

  • बच्चों की पदचाप से मृदंग जैसा संगीतमय स्वर। 
  • जिसकी ध्वनि सारी दिशाओं में गूँजती हुई प्रतीत होती है।                                                

प्रश्न 7  छतों के किनारों से उन्हें कौन गिरने से बचाता है और कैसे?
उत्तर: 

  • बच्चे की मदमस्त गतिविधियाँ एवं रोमांचकारी अनुभूतियाँ।
  • बच्चों की बेखौफ एवं रोमांचक निश्चिन्तता।         

व्याख्यात्मक हल- बच्चों की मदमस्त गतिविधियाँ, रोमांचकारी अनुभूतियाँ उन्हें गिरने से बचाती हैं। वे बेखौफ एवं निश्चिन्त होकर छतों के किनारे पर पतंग लूटते हैं उनकी यह निडरता उन्हें गिरने से बचा लेती है।

(iv) पअद्ध प्रस्तुत काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं
अपने रंध्रों के सहारे
अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से
और बच जाते हैं तब तो
और भी निडर होकर सुनहरे सूरज के सामने आते हैं
पृथ्वी और भी तेज घूमती हुई आती है
उनके बेचैन पैरों के पास। 

प्रश्न (क) ‘‘पंतंगों के सहारे वे भी उड रहे हैं’’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ख) गिरकर बचने पर बच्चो में क्या प्रतिक्रिया  होती है?
(ग) पैरों को बेचैन क्यों कहा गया है?
उत्तर;
(क) पंतगें जैसे-जैसे आकाश में उड़ती हुई आगे बढ़ती हैं, बच्चे भी उनके पीछे-पीछे भागते है इसी को बच्चों का उड़ना कहा गया है।
(ख) गिरकर बच्चे और भी निडर हो जाते है और सुनहले  सूरज के सामने आते है।
(ग) बच्चों के पैर गतिशील रहते हैं इसलिए उन्हें बेचैन  कहा गया है।

बच्चों को कपास की तरह कोमल और उनके पैरों को बेचैन क्यों कहा गया है?

कवि ने रूपक के रूप में बच्चों को कपास की तरह कोमल कहा है क्योंकि बच्चों का शरीर भी कपास की तरह मुलायम और कोमल होता है। बच्चे कहीं भी टिक कर नहीं बैठते, इसलिए कवि ने उनके पैरों को बेचैन कहा है। शब्दार्थ : भादों-बरसात का एक महीना।

20 बच्चों को कपास की तरह कोमल और उनके पैरों को बैचेन क्यों कहा गया है पतंग कविता के आधार पर उत्तर दीजिए?

'जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास' इस पंक्ति में कपास का तात्पर्य कपास (रूई) से नहीं बल्कि उसकी कोमलता तथा उसके सफ़ेद रंग की पवित्रता से लिया गया है। बच्चों का स्वभाव कपास (रुई) के समान कोमल, पवित्र तथा निश्छल होता है। वे स्वभाव से कोमल होते हैं। उनके मन में किसी प्रकार का कपट नहीं होता है।

पैरों को बेचैन क्यों कहा गया है?

उत्तर: कवि ने बच्चों को कपास के समान नाजुक व कोमल होते हैं। वे निष्कपट होते हैं। उनके पैर बेचैन होते हैं तथा पतंगों के पीछे भागते हैं।

उनके बेचैन पैरों के पास कौन आता है?

पृथ्वी और भी तेज घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास