भारत के बीच कौन सा देश है? - bhaarat ke beech kaun sa desh hai?

1 .भारत के बीचो बीच कौन सा राज्य हैं?

उत्तर : मध्य प्रदेश

2 .स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति किस राज्य के थे?

उत्तर : बिहार से।

3 .इंटर स्टेट कॉउन्सिल के अध्यक्ष कौन होते हैं ?

उत्तर : प्रधानमंत्री

4 . मध्य प्रदेश अतिरिक्त भारत का कौन सा राज्य सात राज्यों की सीमा को स्पर्श करती है ? उत्तर : असम

5 .उत्तर प्रदेश सरकार ने किस स्थल को पवित्र तीर्थ स्थल घोषित किया ?

उत्तर : मथुरा।

6 .प्रथम राष्ट्रमंडल खेल 1930 में कहाँ आयोजित किये गए थे?

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आपका प्रश्न है भारत के बीचो बीच कौन सा देश है इसका उत्तर है भारत के पश्चिम में पाकिस्तान उत्तर पूर्व में चीन नेपाल और भूटान पूर्व में बांग्लादेश और म्यांमार स्थित है

aapka prashna hai bharat ke beechon beech kaun sa desh hai iska uttar hai bharat ke paschim me pakistan uttar purv me china nepal aur bhutan purv me bangladesh aur myanmar sthit hai

आपका प्रश्न है भारत के बीचो बीच कौन सा देश है इसका उत्तर है भारत के पश्चिम में पाकिस्तान उ

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भारत के बीच कौन सा देश है? - bhaarat ke beech kaun sa desh hai?
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भारत के बीच कौन सा देश है? - bhaarat ke beech kaun sa desh hai?

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बिहार की राजनीति में पप्पू यादव और आनंद मोहन दो बाहुबली नेता माने जाते रहे हैं. इन दोनों के बीच की दुश्मनी भी बिहार की सियासत का हिस्सा रही है.

दुश्मनी इस हद तक कि ये दोनों नेता कभी एक-दूसरे को गले लगाएंगे, इसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो. लेकिन कुछ दिन पहले आनंद मोहन की बेटी की सगाई के मौक़े पर ठीक ऐसा ही हुआ.

इस मौक़े पर पप्पू यादव भी पहुंचे थे. वहां आनंद मोहन और पप्पू यादव बहुत गर्मजोशी से मिले और एक-दूसरे को गले भी लगाया.

यह तस्वीर बिहार की सियासत में चर्चा का विषय बन गई और सोशल मीडिया से लेकर अख़बारों तक में इसका ख़ूब ज़िक्र हुआ.

दरअसल इन दोनों नेताओं के बीच दुश्मनी की शुरुआत क़रीब तीन दशक पहले हुई थी. उस ज़माने में इनकी दुश्मनी से बिहार की राजनीति गर्म रहा करती थी.

ये दोनों ही नेता सीमांचल यानी कोसी और इसके आसपास के इलाक़े में अपने पैर जमाने की कोशिश में जुटे थे. पप्पू यादव पिछड़ों और यादवों को लेकर आगे बढ़ रहे थे तो राजपूत नेता आनंद मोहन सवर्णों को साधने में जुटे थे.

इलाक़े में इन दोनों नेताओं ने ख़ुद रॉबिनहुड वाली छवि बनाई थी. कहते हैं कि जब दोनों नेता कहीं जाते थे तो किसका काफ़िला ज़्यादा लंबा होगा, इस पर भी मुक़ाबला होता था.

इमेज स्रोत, FB/Chetan Anand

पप्पू यादव का सियासी सफ़र

1994 में आनंद मोहन बिहार पीपुल्स पार्टी के प्रमुख हुआ करते थे. उन पर भीड़ के साथ मिलकर पांच दिसंबर 1994 को गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैय्या की हत्या का आरोप लगा था.

इसी आरोप में वो फ़िलहाल कटिहार जेल में उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे हैं. आनंद मोहन ख़ुद शिवहर से सांसद रहे हैं. उनकी पत्नी लवली आनंद भी सांसद रही हैं, जबकि उनके बेटे चेतन आनंद फ़िलहाल शिवहर से आरजेडी के विधायक हैं.

बेटी की सगाई के मौक़े पर आनंद मोहन पेरोल पर जेल से बाहर आए थे. जबकि राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव सीमांचल की अलग-अलग सीटों से कई बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं.

वो 1991, 1996, 1999 पूर्णिया, फिर 2004 और 2014 में मधेपुरा से सांसद रहे हैं. पप्पू यादव स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर भी चुनाव जीत चुके हैं. वो समाजवादी पार्टी और आरजेडी में भी रहे हैं. फ़िलहाल उन्होंने जन अधिकार पार्टी बनाई है.

पप्पू यादव ने भी लंबा समय जेल में बिताया है. उन पर 1998 में माकपा विधायक अजीत सरकार की हत्या का आरोप भी था, जिसके लिए वो कई साल तक जेल में रहे.

पप्पू यादव पर इसके अलावा भी कई अपराधों का आरोप लग चुका है. पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन सुपौल से कांग्रेस की सांसद रही हैं.

फ़िलहाल वो कांग्रेस की ही राज्यसभा सांसद हैं.

इमेज स्रोत, FACEBOOK@RAJESHRANJANPAPPUYADAV

आनंद मोहन का राजनीतिक करियर

1994 में आनंद मोहन बिहार पीपुल्स पार्टी के प्रमुख हुआ करते थे. उन पर भीड़ के साथ मिलकर पांच दिसंबर 1994 को गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैय्या की हत्या का आरोप लगा था.

इसी आरोप में वो फ़िलहाल कटिहार जेल में उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे हैं. आनंद मोहन ख़ुद शिवहर से

सांसद रहे हैं. उनकी पत्नी लवली आनंद भी सांसद रही हैं, जबकि उनके बेटे चेतन आनंद फ़िलहाल शिवहर से आरजेडी के विधायक हैं. बेटी की सगाई के मौक़े पर आनंद मोहन पेरोल पर जेल से बाहर आए थे.

जबकि राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव सीमांचल की अलग-अलग सीटों से कई बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. वो 1991, 1996, 1999 पूर्णिया, फिर 2004 और 2014 में मधेपुरा से सांसद रहे हैं.

पप्पू यादव स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर भी चुनाव जीत चुके हैं. वो समाजवादी पार्टी और आरजेडी में भी रहे हैं. फ़िलहाल उन्होंने जन अधिकार पार्टी बनाई है.

पप्पू यादव ने भी लंबा समय जेल में बिताया है. उन पर 1998 में माकपा विधायक अजीत सरकार की हत्या का आरोप भी था, जिसके लिए वो कई साल तक जेल में रहे. पप्पू यादव पर इसके अलावा भी कई अपराधों का आरोप लग चुका है.

पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन सुपौल से कांग्रेस की सांसद रही हैं. फ़िलहाल वो कांग्रेस की ही राज्यसभा सांसद हैं.

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आनंद मोहन और पप्पू यादव दोनों ही साल 1990 में विधायक बने थे. आनंद मोहन सहरसा ज़िले की महिषी सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव जीते थे. जबकि पप्पू यादव को जनता दल ने टिकट नहीं दिया तो वो मधेपुरा के सिंहेश्वर से निर्दलीय ही चुनाव लड़े और जीत गए.

1990 में ही लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. उस दौर में बिहार में पिछड़ों के लिए भी राजनीति का एक नया अध्याय शुरू हुआ था. इसी साल तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल कमीशन की सिफ़ारिशों को लागू करने का एलान किया था.

राजनीति के इस नए दौर मे राजपुत नेता आनंद मोहन लालू से दूर होते चले गए जबकि पप्पू यादव लालू के क़रीब आ गए.

वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी कहते हैं, "एक ज़माने में इन दोनों नेताओं के बीच गोलियां चलती थीं. ऐसा कई बार हुआ है. आनंद मोहन राजपूत बिरादरी के साथ अगड़ों की राजनीति करते थे और पप्पू यादव पिछड़ों की राजनीति करते थे."

यहीं से आनंद मोहन और पप्पू यादव की दुश्मनी भी शुरू हुई थी. आनंद मोहन ख़ुद मीडिया से बातचीत में कह चुके हैं कि कि लोग अपने-अपने समर्थकों के लिए लड़ते हैं और उनकी लड़ाई कभी पप्पू यादव से नहीं बल्कि व्यवस्था से रही है. अगर कोई उस व्यवस्था का प्रतीक बनकर सामने आएगा तो उससे लड़ाई होगी.

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वहीं पप्पू यादव ने भी पुरानी दुश्मनी के मुद्दे पर कहा है कि उनकी आनंद मोहन से कभी लड़ाई नहीं रही. पप्पू यादव भी अपने समर्थकों को सदियों से दबाए जाने की बात करते हैं.

साल 1991 में बिहार की मधेपुरा सीट पर उपचुनाव के दौरान इन दोनों नेताओं की दुश्मनी खुलकर सामने आई थी. इस सीट पर उस समय जनता दल के बड़े नेता शरद यादव चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन आनंद मोहन उनके ख़िलाफ़ थे.

आनंद मोहन कह चुके हैं कि उनके समर्थकों के साथ ज़ुल्म होगा और उन्हें दबाया जाएगा तो वो इसके ख़िलाफ़ लड़ते रहेंगे. हाल ही में पेरोल पर बाहर रहते हुए उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था कि कलम और बंदूक़ क्रांति के दो बाज़ू हैं.

पप्पू यादव ने मीडिया से बातचीत में कई बार आरोप लगाया है. पप्पू यादव आरोप लगा चुके हैं कि उनपर चुनावों के दौरान विरोधियों ने आठ घंटे तक गोली चलाई थी, लेकिन डीएम और एसपी ने पहुंचकर उनकी जान बचाई थी.

उसके बाद नवंबर 1991 में आनंद मोहन पर एक चुनावी सभा से लौटते हुए हमला हुआ था. कहा जाता है कि इस दौरान दोनों तरफ से जमकर गोलियां चली थीं. इसमें आनंद मोहन के कुछ समर्थक घायल हुए थे. इसका आरोप पप्पू यादव पर लगा था.

क्यों गले मिले दो पुराने दुश्मन

अपने ज़माने के दोनों बाहुबली नेताओं का यह मिलन बिहार की राजनीति में किस बदलाव का इशारा करती है? हमने यही सवाल किया आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद से.

चेतन आनंद ने बीबीसी को बताया, "ये सामान्य सा एक पारिवारिक कार्यक्रम था, मेरी बहन की सगाई थी. राजनीति में मतभेद हो सकता है, लेकिन मनभेद की कोई जगह नहीं है."

हालांकि चेतन आनंद कहते हैं, "दोनों में राजनीति को लेकर कभी मतभेद रहा होगा ये और बात है. राजनीति में आपकी एक विचारधारा है दूसरे की कोई और विचारधारा है. इस वजह से तालमेल नहीं हो पाता है. उस समय परिस्थितियां ऐसी रही होंगी कि दोनों अलग-अलग थे, बाक़ी आप लोग बेहतर समझते हैं."

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आज क्यों बदल रहे हैं समीकरण

आख़िर आज परिस्थितियों में वो कौन-सा बदलावा आ गया जिसने इन दो बाहुबली नेताओं को मिला दिया?

पटना में एएन सिंहा इंस्टीट्यूट के प्रोफ़ेसर विद्यार्थी विकास कहते हैं, "पुराने समय में दोनों नेताओं के विचार नहीं मिलते होंगे इसलिए घटनाएं हुईं. लेकिन आज दोनों के सामाजिक विचार में सामंजस्य दिख रहा होगा इस वजह से वो एक बिंदु पर आ रहे होंगे.''

वो कहते हैं, ''1974-75 में भी उस समय की सरकार के ख़िलाफ़ एक आह्वान किया गया था कि जो भी कांग्रेस के ख़िलाफ़ है वो एक जगह आ जाए. आज की परिस्थिति में भी इनको लगता होगा कि सबलोग एक जगह आ जाएं. जो देश की परिस्थितियां हैं उसमें यही एक कारण दिखता है.''

वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी ने आनंद मोहन और पप्पू यादव की राजनीति को शुरू से देखा है. उनके मुताबिक़, "दुनिया गोल है. जब लालू और नीतीश एक साथ आ सकते हैं, जब बीजेपी कश्मीर में महबूबा मुफ़्ती से मिल सकती है. उद्धव ठाकरे ने कुर्सी के लिए क्या किया ये आपने देखा; तो आनंद मोहन और पप्पू यादव क्या है."

समाजवादी विचारधारा की भूमिका

बिहार में नीतीश कुमार का बीजेपी से अलग होना, पप्पू यादव और आनंद मोहन का मिलना और अब आदित्य ठाकरे का बिहार आकर तेजस्वी यादव से मिलना हाल की कुछ बड़ी राजनीतिक घटना है.

प्रोफ़ेसर विद्यार्थी विकास कहते हैं, "आपने देखा कि कुछ महीनों पहले बिहार की राजनीति ने एक और करवट ली है. जो समाजवादी विचारधारा थी उसके नीचे सब लोग इकट्ठा हो रहे हैं. हमें लग रहा है कि इस संदेश को एक बड़े रूप में देखा जा सकता है, जिसका नेतृत्व बिहार कर रहा है."

आनंद मोहन को मिली सज़ा के मुद्दे पर पप्पू यादव कह चुके हैं कि 'आनंद मोहन का इरादा हत्या का नहीं रहा होगा. इसलिए परिस्थितियों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए और अब आनंद मोहन की रिहाई होनी चाहिए.'

यानी बिहार की राजनीति में अभी बहुत कुछ देखने को मिल सकता है, जो लोगों को हैरान करने वाला भी हो सकता है.

भारत के बीच में कौन सा देश है?

भारत के पड़ोसी देश की सीमा भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है।

भारत का सबसे बीच वाला राज्य कौन सा है?

1 .भारत के बीचो बीच कौन सा राज्य हैं?.
उत्तर : मध्य प्रदेश.
2 .स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति किस राज्य के थे?.
उत्तर : बिहार से।.
3 .इंटर स्टेट कॉउन्सिल के अध्यक्ष कौन होते हैं ?.
उत्तर : प्रधानमंत्री.
4 . ... .
5 .उत्तर प्रदेश सरकार ने किस स्थल को पवित्र तीर्थ स्थल घोषित किया ?.

भारत के बीच में कौन सा गांव है?

भौगोलिक दृष्टि से कटनी जिले की ढीमरखेड़ा तहसील का करौंदी गांव का अपना महत्व है। करीब 200 की आबादी वाले गांव को भारत का भौगोलिक केंद्र बिंदु माना जाता है।

भारत के 7 नाम क्या है?

भारत को भारतवर्ष जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, आर्यावर्त, हिन्दुस्तान (हिन्दुस्थान), हिन्द आदि अन्य नामों से भी जाना जाता है।