चर्म रोग की पहचान कैसे करें - charm rog kee pahachaan kaise karen

आयुर्वेद चिकित्सा में व्यक्ति के शरीर की त्वचा से जुड़ा जो भी रोग होता है वह चर्म रोग के नाम से जाना जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बदलता मौसम और अनुचित खान-पान त्वचा बीमारियों से संक्रमित कर सकता है| यह रोग अपना असर सबसे पहले त्वचा के उपरी हिसों पर दिखाना शुरू करते हैं और धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलता चला जाता है।इसके लक्षण और कारण को पहचान लिया जाए तो बिमारी को कम समय में खत्म किया जा सकता है|

त्वचा रोग परिचय: Introduction of Skin Disorder

जब शरीर में तीनों दोष वात, पित्त और कफ़ असंतुलित हो जाएँ तो चर्म रोग होने का खतरा बना रहता है लेकिन सबसे ज्यादा पित्त के अनियंत्रित होने से ये रोग होते हैं| यही वजह है कि त्वचा विकारों को दूर करने के लिए आयुर्वेद विशेषज्ञ रक्त को साफ़ करने वाली जड़ी-बूटियों का सेवन करने की सलाह देने नज़र आते हैं| त्वचा रोग में दाद, जलन, खुजली और दर्द होना इसके अहम लक्षण माने जाते हैं| परन्तु इन रोगों के लक्षण और कारण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं|

चर्म रोग (त्वचा विकार) के मुख्य लक्षण: Skin Disorders Symptoms in Hindi

निम्नलिखित लक्षणों को जानकर आप इन रोगों का अच्छे से उपचार कर सकते हैं|

1. शरीर की बाहरी त्वचा पर गहरे लाल रंग के मोटे निशान होने लगते हैं
2. आपकी त्वचा नार्मल से गहरे काले या सफेद रंग की हो सकती है
3. कुछ भी लगने पर वह छिलने लगती है
4. लाल रंग के चकत्ते होने शुरू हो जाते हैं
5. स्किन शुष्क और खुरदरी होने लगती है
6. अगर कोई चोट लग जाए तो वह गम्भीर जख्म बनने लगता है
7. अगर नाख़ून से खुजली करो तो त्वचा उखड़ने लगती है
8 धीरे-धीरे त्वचा फटने भी लगती है

चर्म रोग (त्वचा विकार) के कारण – Skin Disorders Causes & Risk Factors in Hindi

यह रोग आपको अलग-अलग बीमारियों, अधिक दवाइयों का सेवन और हानिकारक ब्यूटी प्रोडक्ट के इस्तेमाल से हो सकता है| निम्नलिखित कारण को ध्यान में रखकर आप त्वचा विकारों से सुरक्षित रह सकते हैं|

* सूर्य के हानिकारक किरणों
ग्रीष्म ऋतु में जरूरत होने पर ही लोगों को घर से बाहर जाना चाहिए, नहीं तो सूरज अपनी हानिकारक किरणों के द्वारा त्वचा के अनेक रोगों को आमंत्रित कर सकता है| इस स्थिति में उचित यही होगा कि आप किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श कर लें|

* अनुवांशिक कारण
अगर किसी को अनुवांशिक चर्म रोग है तो वह बच्चे के जन्म लेते ही कुछ दिन बाद दिखने शुरू हो जाते हैं| उनके शरीर में लाल निशान और चक्कते कहीं भी हो अकते हैं| लेकिन एक शोध यह भी कहती है कि जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती है उसके ये रोग अपने आप खत्म होते चले जाते हैं|

* तनाव या स्ट्रेस
इस बात का तो आपको पता ही होगा कि ज्यादा चिंता और तनाव में महिलाओं के हार्मोन संतुलित नहीं रह पाते तो आगे चलकर चर्म रोगों का कारण बन सकते हैं|

* गलत साबुन इस्तेमाल
जो लोग बहुत ज्यादा हार्ड साबुन नहाने के समय उपयोग करना पसंद करते हैं, वह भी त्वचा विकारों का शिकार हो सकते हैं| बता दें कि इस असर धोबी का काम करने वाले लोगों में ज्यादा देखा जा सकता है, क्योंकि वह ज्यादा समय कठोर साबुन का ही उपयोग करते नज़र आते हैं।

* गर्भावस्था में
 आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस स्थिति में महिलाओं के हार्मोन में काफी बदलाव आता है जो अनेक त्वचा विकारों का कारण भी बन सकता है| प्रेग्नेंसी के समय आपको स्ट्रेच मार्क, खुजली, दर्द, दाद, एक्जिमा, मुंहासे और सोरायसिस जैसी गम्भीर बीमारी भी हो सकती है|

* हानिकारक कैमिकल के कारण
आज के समय के रासायनिक पदार्थों का अनुचित उपयोग भी आपको चर्म रोग से ग्रसित कर सकता है| खुद की त्वचा को साफ़ और क्लीन रखने के लिए हर कोई अलग-अलग ब्यूटी प्रोडक्ट का सिर्माल करता नज़र आता है, परन्तु आप इस बात को भूल चुके हो कि इनके अंदर के हानिकारक कैमिकल भी त्वचा विकारों का अहम कारण माने जाते हैं।

इन सभी के अलावा प्रदूषित वातावरण, हानिकारक बैक्टीरिया और मधुमेह जैसी बीमारियाँ भी चर्म रोगों का मुख्य कारण बन सकती हैं|

चर्म रोग कितने प्रकार के होते हैं? Types of Skin Disorder In hindi

आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में इन रोगों के कई प्रकार बताए गए हैं, लेकिन मुख्य रूप से चर्म रोग के निम्नलिखित प्रकार हो सकते हैं|

* अगर किसी भी व्यक्ति को सिर, हथेली, कमर, दाढ़ी या फिर शरीर के किसी अन्य अंग पर दाद की समस्या है तो इसको नज़रंदाज़ न करें।

* लीवर की सबसे अहम बीमारी सोरायसिस भी इसका मुख्य प्रकार मानी गई है, क्योंकि इस स्थिति में पूरे शरीर पर लाल चक्कते हो जाते हैं| जिनका मुख्य कारण लोगों की खराब रोग प्रतिरोधक क्षमता को माना जाता है|

* कई लोगों को मौसम के बदलाव में घमौरी हो जाती हैं जिसके बाद उनकी की पीठ लाल रंग की फुंसियां होने लगती हैं।

* इन सभी के अलावा एक्जिमा, ड्राई स्किन, खुजली, लाल चकत्ते, ऑयली स्किन, चिकन पॉक्स, त्वचा कैंसर भी चर्म रोगों के प्रकार माने जाते हैं|

चर्म रोग (त्वचा विकार) का इलाज: Treatment of Skin Disorder in Hindi

शुद्ध रूप से तैयार किए गए लाइफ अवेदा के स्किन वाइटल्स कैप्सूल जिसमें सात शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का मिश्रण किया गया है| यह आपकी त्वचा के स्वास्थ्य को फिर से जीवंत और अनेक बिमारियों से मुक्त रखने में सहायता प्रदान करते हैं। इन कैप्सूल में जिन जड़ी-बूटियों का मिश्रण किया गया है वह सभी त्वचा में सुधार लाने और विषाक्त पदार्थों और अशुद्धियों से रक्त को साफ करने के गुण रखती हैं। स्किन वाइटल्स कैप्सूल आपको त्वचा की कई समस्याओं जैसे संक्रमण, त्वचा में जलन और एलर्जी का इलाज करने में मदद करता है।

त्वचा से संबंधित जरूरी बातें:

आयुर्वेदिक सौंदर्य प्रोडक्ट को उनकी सुरक्षित और समग्र क्रिया के लिए बहुत मूल्यवान माना जाता है। आज के समय में हर्बल अर्क, फलों के अर्क और आवश्यक तेलों का प्रयोग त्वचा देखभाल में प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाने लगा है। स्किन विटल्स कैप्सूल का उपयोग आपको त्वचा की टोनिंग, त्वचा की खामियों को दूर करने और त्वचा के जलयोजन स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। जिसके बाद आपको एक चमकदार और स्वस्थ त्वचा प्राप्त होती है, ये कैप्सूल लोगों की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को भी कम कर देते हैं, जिसका मतलब है कि आप बड़ी उम्र में भी एक जवान जैसे नज़र आ सकते हैं।

स्किन वाइटल्स कैप्सूल के मुख्य लाभ: Skin Vitals

चर्म रोग की पहचान कैसे करें - charm rog kee pahachaan kaise karen

1. मुंहासे, फुंसी, झुर्रियां जैसे त्वचा विकारों का इलाज कम समय में करते हैं।

2. त्वचा के आकर्षण और चमक को बढ़ावा देता है।

3. त्वचा की बनावट और कमियों में सुधार करता है।

4. त्वचा संक्रमण और एलर्जी को दूर करने में मददगार साबित होते हैं।

5. विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट पदार्थों को मूत्राशय के रास्ते बाहर निकालकर रक्त को शुद्ध रखने का काम करते हैं।

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चर्म रोग के लक्षण क्या होते हैं?

इसमें शरीर पर छाले पड़ जाते हैं और दर्द होता हैं। आयु के अनुसार ही पीड़ा का अनुभव होता है, अर्थात् बच्चों को पीड़ा कम होती है और बड़ों को अधिक।

चर्म रोग कितने प्रकार के होते हैं फोटो?

त्वचाशोथ.
खाज (स्कैबी).
सफेद दाग.
कुष्ट रोग.
मुंहासे.

चर्म रोग को जड़ से खत्म कैसे करें?

चर्म रोग के घरेलू उपाय -खुजली और रैशेज में ठंडक पाने के लिए दिन में 3 से 4 बार त्वचा पर कोल्ड क्रीम लगाएं। -त्वचा के इंफेक्शन को दूर करने के लिए आप हल्दी में सरसों तेल मिलाकर तैयार किया गया लेप लगाएं। -रूखेपन संबंधी समस्या को दूर करने के लिए आप त्वचा पर एलोवेरा जेल का उपयोग कर सकते हैं।

चर्म रोग में क्या नहीं खाएं?

​मसालेदार और जंक फूड से करें परहेज डॉक्टर वैशाली बताती हैं कि अगर कोई व्यक्ति चर्म रोग से ग्रसित है तो उसे मसालेदार और जंक फूड खाने से बचना चाहिए। ... .
​चर्म रोगियों के लिए फायदेमंद नहीं है डेयरी प्रोडक्ट्स ... .
​खट्टा खाना बढ़ा सकता है दिक्कत ... .
​तिल के सेवन से बचें ... .
​गुड़ का सेवन भी है खराब.

चर्म रोग कौन से विटामिन की कमी से होता है?

बहुत कम लोग जानते हैं कि विटामिन डी की कमी का असर स्किन पर भी होता है. स्किन ड्राई, रेड हो जाती है. खुजली ज्‍यादा होती है. कई लोगों को मुहांसे होने लगते हैं.

चर्म रोग में कौन सा साबुन लगाना चाहिए?

Dermadew साबुन में विशिष्ट emollients, मॉइस्चराइजर्स और त्वचा के पोषण के साथ मजबूती वाले वनस्पति तेल शामिल हैं. इस साबुन का उपयोग मुँहासे, मुँहासे वुल्गारिस, सूखी त्वचा, त्वचा रोग, झुर्री, त्वचा सुखदायक, फंगल संक्रमण, मेलास्मा, असमान टोन और बनावट, सनबर्न और अन्य स्थितियों के कारण त्वचा की क्षति के लिए किया जाता है.