गणेश जी का एक दांत कैसे टूटा था - ganesh jee ka ek daant kaise toota tha

भगवान गणेश को एकदंत इसलिए कहा जाता है क्‍योंकि उनका एक दांत टूटा हुआ है। ये दांत किसने तोड़ा उससे जुड़ी अलग-अलग पौराणिक कथाएं हैं। सबसे प्रचलित कथा गणेश और परशुराम की लड़ाई से जुड़ी है। एक बार परशुराम भगवान शिव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे लेकिन द्वार पर खड़े गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। परशुराम ने गणेश जी से काफी विनती की लेकिन वो नहीं माने आखिरकार परशुराम ने गणपति को युद्ध की चुनौती दी। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए गणेश जी ने युद्ध किया लेकिन इस दौरान परशुराम के फरसे के वार से उनका एक दांत टूट गया और भगवान गणेश एकदंत कहलाए।

गणेश जी का एक दांत कैसे टूटा था - ganesh jee ka ek daant kaise toota tha

दूसरी कथा : कार्तिकेय जी ने तोड़ा दांत

कुछ लोग मानते हैं कि परशुराम ने नहीं कार्तिकेय की वजह से गणेश जी का दांत टूटा था। बचपन में गणेश जी बहुत शैतानी किया करते थे जबकि उनके बड़े भाई कार्तिकेय काफी सरल स्वभाव के थे। दोनों भाईयों के विपरीत स्‍वभाव के चलते शिव-पार्वती काफी परेशान रहते थे। क्‍योंकि गणेश जी अक्‍सर कार्तिकेय को तंग किया करते थे। पहले तो काफी दिनों तक कार्तिकेय ने उनकी शरारतों को बर्दाश्‍त किया। बात जब हद से ज्‍यादा बढ़ गई तो कार्तिकेय ने भगवान गणेश को सबक सिखाने का निश्‍चय किया। एक दिन कार्तिकेय जी काफी क्रोधित हो गए और उन्होंने गणपति की पिटाई कर दी जिससे उनका एक दांत टूट गया और तभी से भगवान गणेश एकदंत कहलाए।

किसी भी पूजा-पाठ के काम में सबसे पहले गणपति की पूजा की जाती है. भगवान गणेश को गजानन, एकाक्षर, विघ्नहर्ता, एकदंत के अलावा और भी कई नामों से बुलाया जाता है. आइए जानते हैं कि कैसे गणपति का का नाम एकदंत पड़ा और क्या है इसकी पीछे की कहानी.

विद्या, बुद्धि, विनय, विवेक में भगवान गणेश अग्रिम हैं. वे वेदज्ञ हैं. महाभारत को उन्होंने लिपिबद्ध किया है. गणेश चतुर्थी को पट्टी पूजन विशेष रूप से किया जाता है. दुनिया के सभी लेखक सृजक शिल्पी नवाचारी एकदंत से प्रेरणा पाते हैं. एकदंत स्वरूप गजानन को भगवान परशुराम के प्रहार से मिला. एक बार शिवजी के परमभक्त परशुराम भोलेनाथ से मिलने आए. उस समय कैलाशपति ध्यानमग्न थे. गणेश ने परशुराम को मिलने से रोक दिया. परशुराम ने उन्हें कहा वे मिले बिना नहीं जाएंगे.

गणेश भी विनम्रता से उन्हें टालते रहे. जब परशुरामजी का धैर्य टूट गया तो उन्होंने गजानन को युद्ध के लिए ललकारा. ऐसे में गणाध्यक्ष गणेश को उनसे युद्ध करना पड़ा. गणेश-परशुराम में भीषण युद्ध हुआ. परशुराम के हर प्रहार को गणेश निष्फल करते गए. अंततः क्रोध के वशीभूत परशुराम ने गणेश पर शिव से प्राप्त परशु से ही वार किया. गणेश ने पिता शिव से परशुराम को मिले परशु का आदर रखा.

परशु के प्रहार से उनका एक दांत टूट गया. पीड़ा से एकदंत कराह उठे. पुत्र की पीड़ा सुन माता पार्वती आईं और गणेश को इस अवस्था में देख परशुराम पर क्रोधित होकर दुर्गा के स्वरूप में आ गईं. यह देख परशुराम समझ गए उनसे भयंकर भूल हुई है. परशुराम ने माता पार्वती से क्षमा याचना कर एकदंत की विनम्रता की सराहना की. परशुराम ने गणेश को अपना समस्त तेज, बल, कौशल और ज्ञान आशीष स्वरूप प्रदान किया.

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इस प्रकार गणेश की शिक्षा विष्णु के अवतार गुरु परशुराम के आशीष से सहज ही हो गई. कालांतर में उन्होंने इसी टूटे दंत से महर्षि वेदव्यास से उच्चरित महाभारत कथा का लेखन किया. भगवान गणेश के एकदंत विग्रह का पूजन वंदन स्मरण गणेशोत्सव के दौरान चौथे दिन अर्थात् भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को करना विशेष फलदायी है.

देवताओं में प्रथम पूज्य गणेश को एकदंत रूप आदिशक्ति पार्वती, आदिश्वर भोलेनाथ और जगतपालक श्रीहरि विष्णु की सामूहिक कृपा से प्राप्त हुआ. गणेश इसी रूप में समस्त लोकों में पूजनीय, वंदनीय हैं.

भोपाल। इन दिनों देशभर में दसदिवसीय गणेशोत्सव की धूम है। घर-घर, गली-गली गणपति बप्पा विराजित हैं। श्रद्धालु गणपति के अलग-अलग रूपों की आराधना में लीन हैं। भगवान गणपति का एक नाम एकदंत भी है- यानी एक दांत वाला। क्या आप जानते हैं गणपति के एक दांत क्यों टूटा है? किसने तोड़ा उनका दांत? कैसे वह एकदंत कहलाए? गणपति के एकदंत होने को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। आइए ऐसी ही कुछ कथाओं के बारे में जानते हैं

ऋषि परशुराम से युद्ध में टूटा दांत

भविष्य पुराण के अनुसार एक बार ऋषि परशुराम भगवान भोलेनाथ से भेंट करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे। महादेव उस वक्त तपस्या में लीन थे तो भगवान गणेश ने परशुराम जी को शिव जी से मिलने के लिए रोक दिया। इससे परशुराम जी क्रोधित हो उठे। इसके बाद गणेश जी और परशुराम जी में युद्ध शुरु हो गया। इसी दौरान परशुराम जी के फरसे के प्रहार से गणेश जी का एक दांत टूट गया। गणेश जी दर्द से कहरा उठे. गणपति की पीड़ा देखकर मां पार्वती परशुराम जी पर क्रोधित हो गईं। बाद में ऋषि परशुराम ने देवी पार्वती से क्षमा याचना की और बप्पा को अपना तेज, बल और ज्ञान प्रदान किया।

क्यों टूटा दांत हाथ में रखते हैं गणेश?

गणेश जी का एक दांत टूटने को लेकर एक और पौराणिक कथा प्रचलित है। एक बार कार्तिकेय जी अपने कार्य में मग्न थे। गणपति जी उनके कार्य में बार-बार विघ्न डाल रहे थे। इससे कुपित होकर कार्तिकेय ने गणपति का एक दांत तोड़ दिया। महादेव के समझाने पर कार्तिकेय ने गणपति को दांत तो वापस कर दिया लेकिन साथ ही एक श्राप दिया कि ये टूटा दांत गणेश जी को सदैव अपने हाथ में रखना होगा। अगर गणेश जी ने इसे खुद से अलग किया तो यही टूटा दांत उन्हें भस्म कर देगा।

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टूटे दांत से लिखी महाभारत

एक धार्मिेक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश ने अपने टूटे दांत से महर्षि वेदव्यास द्वारा उच्चरित महाभारत लिखी थी।

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गणपति का DANT कैसे टूटा?

परशु से कटा गणेश का दांत लेकिन गणेश जी ने परशुराम जी को शिव जी के पास कक्ष मे जाने से रोक दिया। गणेश जी के रोकने पर परशुराम जी क्रोधित हो उठे और युद्ध करने लगे। गणेश जी से पराजित होने पर परशुराम जी ने शिव जी द्वारा दिए परशु से गणेश जी पर प्रहार कर दिया। इससे गणेश जी का बायां दांत कट गया और वह एकदंत कहलाने लगे।

गणेश जी ने अपना दांत क्यों तोड़ा था?

एक पौराणिक कथा के अनुसार गणेश जी ने गजमुखासुर राक्षस को वश में करने के लिए अपना दांत खुद ही तोड़ा. कथा के अनुसार गजमुखासुर को किसी भी शस्त्र से नहीं मरने का वरदान था. जिसका फायदा उठाकर जब वह ऋषि-मुनियों व आमजन को त्रस्त करने लगा तो गणेशजी ने उससे युद्ध किया और अस्त्र के रूप में अपना दांत तोड़कर, उसे वश में किया.

गणेश जी के कितने दांत होते हैं?

गणेश जी की प्रत‌िमा और तस्वीरों में आपने देखा होगा क‌ि उनके एक दांत हैं और दूसरे तरफ का दांत टूटा हुआ है। टूटा हुआ दांत गणेश जी के हाथों में मौजूद होता है। गणेश जी का दांत कैसे टूटा और क्यों गणेश जी अपने दांत को हाथ में पकड़े रहते हैं इसकी एक नहीं कई बड़ी रोचक कथा है।

गणेश जी का पहला नाम क्या था?

1. कहते हैं कि भगवान गणेशजी का मस्तक या सिर कटने के पूर्व उनका नाम विनायक था। परंतु जब उनका मस्तक काटा गया और फिर उसे पर हाथी का मस्तक लगाया गया तो सभी उन्हें गजानन कहने लगे। फिर जब उन्हें गणों का प्रमुख बनाया गया तो उन्हें गणपति और गणेश कहने लगे।