Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान में महात्मा गांधी जी के साध्य और साधन संबंधी विचारों (Objective & Sources) के बारे में । साथ ही साथ इस Post में हम जानेंगे इसका अर्थ, आधार और इसके साधनों के बारे में । तो चलिए शुरू करते हैं, आसान भाषा में । Show साध्य और साधन का अर्थ
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पहली धारणा यथार्थवादी है तथादूसरी आदर्शवादी है ।
साध्य और साधन संबंधी विचार
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गांधीजी के अनुसार सत्य का क्या अर्थ है?गांधी जी सत्य को निरपेक्ष सत्य के रूप में ग्रहण करते हैं। सत्य को ईश्वर का पर्यायवाची मानते हैं, इसी सत्य के प्रति निष्ठा है। हमारे अस्तित्व का एकमात्र औचित्य हमारी समस्त गतिविधि सत्य पर केन्द्रित होनी चाहिए। सत्य ही हमारे जीवन का प्राण तत्व होना चाहिए।
गांधी जी के अनुसार सत्य और अहिंसा क्या है?गाँधी की मानना है कि बिना अहिंसा के सत्य की खोज असंभव है, अहिंसा वस ज्योति है, जिसके द्वारा मुझे सत्य का साक्षात्कार होता है। अहिंसा यदि साधन है तो सत्य साध्य है। वे दोनों को एक ही सिक्के के दो पहलू मानते है। अहिंसा के लिये आवश्यक है कि प्रत्येक दशा मे सत्य का पालन किया जाये।
सत्य और अहिंसा क्या है?"अहिंसा के बिना सत्य की खोज असंभव है।"
जिस व्यक्ति में अहिंसा और सत्य के गुणों का समावेश हो जाता है। वह निरंतर सफलता प्राप्त करता चला जाता है। सत्य और अहिंसा का पालन करने में ही ईश्वरत्व की महिमा को समझना संभव है। इन गुणों के पालन से व्यक्ति में समरूपता, सहयोगी, मैत्री, करुणा, विनम्रता आदि के सद्गुण होते हैं।
सत्याग्रह का मतलब क्या होता है?"सत्याग्रह' का मूल अर्थ है सत्य के प्रति आग्रह (सत्य अ आग्रह) सत्य को पकड़े रहना और इसके साथ अहिंषा को मानना । अन्याय का सर्वथा विरोध(अन्याय के प्रति विरोध इसका मुख्या वजह था ) करते हुए अन्यायी के प्रति वैरभाव न रखना, सत्याग्रह का मूल लक्षण है।
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