Show पारिवारिक बंटवारे के बाद ही अब होगी जमाबंदी, बेटियों की नहीं हो पाएगी हकमारी
पटना. 2 अक्टूबर से भूमि निबंधन की प्रक्रिया बदल जाएगी। लोग तभी जमीन बेच पाएंगे, जब उनके नाम जमाबंदी (दाखिल-खारिज) होगी। पुश्तैनी जमीन बेचने से पहले पारिवारिक बंटवारा करना होगा, जमीन की दाखिल-खारिज करानी पड़ेगी। जमीन निबंधन के दस्तावेज में अपनी संपत्ति का पूरा ब्योरा देना होगा। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में बेटियों
की हकमारी नहीं हो पाएगी। भाई अगर जमीन बेचना चाहते हैं तो बहनों का हिस्सा सुरक्षित रहेगा या उसकी रजामंदी जरूरी होगी। जो आपको जानना जरूरी है
-प्रभाकर टेकरीवाल, वरीय अधिवक्ता (हाईकोर्ट) विवादित जमीन का बंटवारा कैसे होता है?बंटवारे का ऐसा सिविल सूट एसडीएम की कोर्ट में दर्ज होता है जिसे हिंदी में उपखंड अधिकारी कहा जाता है। यह आमतौर पर उस गांव की लगने वाली तहसील में बैठते हैं जहां वह जमीन स्थित होती है। यहां पर एक सिविल सूट दाखिल करना होता है जिसमें जो पक्षकार बंटवारा चाहता है वह उस जमीन में अपना हित साबित करता है।
बटवारा कितने प्रकार के होते हैं?दादा परदादा का जमीन अपने नाम कैसे करें. आपसी सहमती बटवारा. पंचायत सहमती बटवारा. रजिस्ट्री बटवारा. जमीन का बंटवारा कौन करता है?अगर परिवार के सदस्य आपसी सहमति से जमीन का बंटवारा चाहते हैं, तो जिला प्रशासन भी उनकी मदद करते हुए बंटवारा कराएगा। इसके तहत एक खातेदार की जगह जमीन का बंटवारा कर अलग-अलग सह-खातेदारों के नाम पर ऋण पुस्तिका (बंदी) बनाई जाएगी। इसके लिए मात्र 11 रु. का शुल्क सरकार की ओर से तय किया गया है।
संपत्ति का बंटवारा कैसे होता है?वसीयत के तहत पिता या परिवार का मुखिया कानूनी तौर पर अपनी संपत्ति को अपने बच्चों या अन्य किसी भी प्रिय को सौंपता है. जिसमें उन लोगों के नाम दर्ज होते हैं जिन्हे संपत्ति का हस्तांतरण किया जाएगा. इसके लिए परिवार के मुखिया या पिता के द्वारा पेशेवर की मदद ली जाती है. जो कि संपत्ति के बंटवारे में भूमिका निभाता है.
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