चूँकि ये बीज अण्डाशय (पका हुआ फल) के अन्दर नहीं बनते हैं और फल से ढके हुए नहीं हैं अत: इन पौधों के समूह को नाम दिया गया है ‘जिम्नोस्पर्म’, जिसका अर्थ है नग्नबीजी। ऐसे पौधे पहाड़ों पर खूब मिलते हैं जैसे चीड़, देवदार, आरूकेरिया, क्यूप्रेसस आदि। कुछ जिम्नोस्पर्म को इनकी सुन्दर सदाबहार चमकीली पत्तियों के लिए बगीचों और पुराने किलों व महलों में भी लगाया जाता है। Show परन्तु हमारे आसपास कई ऐसे भी पेड़ हैं जिन्हें हम नहीं जानते। आइए कोशिश करें कि इन्हें भी इनकी पत्तियों के रूप-रंग, आकार-प्रकार के सहारे पहचानें और जानें। अनजाने पेड़ों को उनकी पत्तियों के आधार पर पहचानने का तरीका बड़ा कारगर और आसान है क्योंकि पत्तियाँ लगभग हमेशा उपस्थित होती हैं। फूल और फल तो कभी किसी विशेष मौसम में ही मिलते हैं। तो पत्तियाँ ही पेड़ों की पहचान हैं। पेड़ों को पत्तियों के आधार पर जानने के लिए पत्तियों से गहरी जान-पहचान ज़रूरी है। एक पत्ती में मुख्यत: चार भाग होते हैं - डण्ठल, चौड़ा-चपटा हरा फलक, पत्ती का आधार और शीर्ष (चित्र-1)। पत्ती के डण्ठल से निकलने वाली मुख्य शिरा पत्ती के शीर्ष तक जाती है। पत्तियों के सहारे पौधों की पहचान में उनकी पत्तियों का आकार भी सहायक होता है - पीपल-जैसी दिल के आकार की या भालाकार जामुन-जैसी और लगभग अण्डाकार जैसे बरगद। इसके अलावा पत्तियों के किनारे भी पौधों को पहचानने में मददगार होते हैं। पत्तियों के किनारे पूर्ण - जैसे आम, पीपल, जामुन या दाँतेदार - जैसे गुड़हल, हरसिंगार और नीम। तने पर पत्तियों का क्रम भी एक महत्वपूर्ण लक्षण है। एकान्तर जैसे पीपल और चम्पा, आमने-सामने जैसे गम्हेर, मुण्डी या फिर चक्र में जैसे कनेर और सप्तपर्णी। पत्ती एक पहेली पत्ती या पत्रक इसके उलट कई मर्तबा ऐसा भी होता है कि सरल पत्ती इतनी छोटी-छोटी होती हैं कि लगता है हम कोई संयुक्त पत्ती देख रहे हैं जैसे आँवला जिसे अक्सर संयुक्त पत्ती के पत्रक समझ लिया जाता है। वह तो वस्तुत: पत्ती है। तो फिर कैसे पहचानें पत्ती और पत्रक के अन्तर को? पत्ती के कक्ष में हमेशा एक कक्ष कलिका पाई जाती है। कभी-कभी ऐसा हो सकता है कि कलिका के स्थान पर आपको फूल या फल लगा दिखाई दे, जैसे कि आँवला। अत: जहाँ कक्ष कलिका दिखाई देती है उसके ऊपर का भाग पत्ती है। यदि फलक पूर्ण हो तो सरल पत्ती और मध्य-शिरा तक कटा हुआ है तो संयुक्त पत्ती। वैसे यह इतना आसान भी नहीं है परन्तु अनुभव से धीरे-धीरे समझ आने लगता है। पत्ती कुंजी पत्ती कुंजी इस तरह इसका उपयोग कर आप कई अनजाने पेड़ों से दोस्ती कर लेंगे। अगर पत्ती कुंजी को फील्ड की बजाय घर या कक्षा में इस्तेमाल करना है तो अनजान पौधे की पत्ती को तोड़कर ऐसा भी किया जा सकता है। लेकिन पत्ती इकट्ठा करते समय लिख लेना है कि पेड़ है या झाड़ी और डण्ठल पर पत्तियों का क्रम कैसा है - एकान्तर (alternate) या आमने-सामने (opposite, सम्मुख)।हमने यहाँ अपने आसपास मिलने वाले पेड़ों की पत्तियों के विभिन्न लक्षणों के आधार पर एक ‘पत्ती कुंजी’ बनाने का प्रयास किया है। इस प्रयास में लाफायेट्ट फ्रेडरिक, रसल एम. एम्पी, जेम्स वॉरन ली और ऐसा क्लाइन सिम्स की अ स्टडी ऑफ प्लांट लाइफ, डब्ल्यू.सी. ब्राउन बुक कम्पनी, 1959 और प्रदीप कृषन की ट्रीज़ ऑफ देल्ही ए फील्ड गाइड, पेंग्विन इंडिया, 2006 से हमें बड़ी मदद मिली है। अपने किस्म का यह पहला प्रयास है और इसमें सुधार की बहुत गुंजाइश है। पत्तियों के साथ फूलों का रंग जोड़ने से इसे और बेहतर बनाया जा सकता है। ऐसी ही पत्ती कुंजी अलग-अलग क्षेत्र के पेड़-पौधों के लिए बनाई जा सकती है। अभी इसमें हमने मुख्यत: मध्य प्रदेश की वनस्पतियों को चुना है, पर इनमें से अधिकतर अन्य स्थानों पर भी मिलती हैं। इसमें कुछ जिम्नोस्पर्म भी हैं जो अक्सर बगीचों और घरों में मिल जाते हैं। पत्ती कुंजी यह अपने आसपास पाए जाने वाले लगभग 58 पौधों की पहचान कुंजी है। इनमें से कुछ से आप परिचित हैं, भले ही नाम न जानते हों। मंकीज़ पज़ल (आरूकेरिया) कुंजी-2 AA - एंजियोस्पर्म/फूलधारी पौधे कुंजी-3 AA - एंजियोस्पर्म/फूलधारी पौधे (इंडीयन ट्रम्पेट फ्लावर) 41. पर्णक2 तीन या पाँच 43 41. पर्णक दो 42 42. छोटे आधार से जुड़े, कटाव पूर्ण अंजन 42. बहुत बड़े, कटाव कम, खुर के समान कचनार 43. पर्णक तीन से ज़्यादा 45 43. पर्णक तीन, शीर्ष नुकीला 44 44. पर्णक बड़े, शीर्र्ष नुकीला, सतह चिकनी गधापलाश 44. पर्णक पूर्व से भी बड़े, शीर्ष गोल, नई पत्तियाँ रोमिल, पुुरानी, चर्मिल पलाश 45. पर्णक 5-7, चर्मिल, शीर्ष नुकीला सेमल 45. पर्णक 5-9 तक, चिकने, गहरे हरे व पतले कपोक
किशोर पंवार: होल्कर साइंस कॉलेज, इन्दौर में बीज तकनीकी विभाग के विभागाध्यक्ष और वनस्पतिशास्त्र के प्राध्यापक हैं। विज्ञान शिक्षण व लेखन में रुचि। हरसिंगार की पहचान कैसे करें?पारिजात का दूसरा नाम हरसिंगार है. हरसिंगार के फूल बेहद सुगन्धित, छोटे पखुड़ियों वाले और सफेद रंग के होते हैं. फूल के बीच में चमकीला नारंगी रंग इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देता है. यह फूल सिर्फ रात को ही खिलता है, इसलिए इसे नाइट ब्लूमिंग जैस्मीन ( night-blooming jasmine) भी कहते हैं.
क्या पारिजात और हरसिंगार एक ही पौधा है?इसे कहते हैं हरसिंगार या फिर पारिजात
इसका वानस्पतिक नाम 'निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस' है। वहीं, अंग्रेजी में इसे नाइट जैस्मीन कहते हैं।
हरसिंगार का पौधा कैसे दिखता है?हरसिंगार का पौधा कैसा होता है | Harsingar ka Paudha – हरसिंगार खुशबूदार फूलों वाला पौधा है जोकि बड़ा होकर करीब 20-30 फुट ऊंचा पेड़ बन सकता है। हरसिंगार के पौधे में सफेद रंग के छोटे-छोटे सुगंधित फूल खिलते हैं जिसकी डंडी नारंगी (Orange) रंग की होती है।
हरसिंगार पौधा कौन सा होता है?भारत में हरसिंगार के पौधे को पारिजात, शेफाली, प्राजक्ता, शिउली आदि नामों से जाना जाता है। घर में हरसिंगार का पौधा लगाना काफी शुभ होता है। हरसिंगार के पौधे में सफेद कलर का फूल लगता है जो सुगंधित होता है। इससे घर में हमेशा सकारात्मकता का वातावरण बना रहता है।
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