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कान बड़े और छोटी क्यों होती है हाथी की आंखें, सोचिए मत, आइए जानेंहाथी के कानों का बड़ा होना और आंखों का छोटा होना विशेष कारण से होता है,हाथी के बारे में कई ऐसे पहलू हैं जिनके बारे में मान्यता से ज्यादा प्रमाण मायने रखते हैं। जानें क्या हैं वो हिसार[जागरण स्पेशल] शेर जंगल का राजा भले ही हो मगर हाथी का अपना ही एक अलग अंदाज रहता है। फिल्मों से लेकर किस्से कहानियों में हम हाथी के बारे में दंतकथाएं सुनते आ रहे हैं। हाथी को शाही सवारी के नाम से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं हमारे देश में तो बहुत सी जगहों पर हाथी की पूजा भी होती है और इसे भगवान गणेश के समतुल्य माना जाता है। मगर हाथियों के बारे में ऐसे बहुत से रोचक पहलू हैं जिनके बारे में हम मान्यताओं के आधार पर ही सुनते और समझते आ रहे हैं। जीव विज्ञानी एवं लेक्चरर बिजेंद्र वत्स के अनुसार उन रोचक पहलूओं के अलग ही प्रमाण हैं। इनमें से सबसे अहम हैं हाथी के कान का बड़ा और आंखों का छोटा होना। दादी नानी की कहानी और मान्यता के आधार पर सुनने को मिलता है कि हाथी के कान इसलिए बड़े होते हैं ताकि वो अपने विशाल शरीर को न देख सके, इसलिए हाथ्ाी की आंखे भी छोटी होती हैं। हाथी को अगर अपने विशाल शरीर और ताकत का एहसास होगा तो वो जंगल में तबाही मचा देखा। मगर ये सच नहीं हैं और हकीकत कुछ ओर ही है। हाथी के बारे में रोचक जानकारी के लिए पढ़ें ये खबर। इसलिए बड़े होते हैं हाथी के कान आंखे छोटी
होने का ये राज राह दिखाने का काम करती है सूंड 100 से 150 किलो खुराक, पचा पाता महज 35 फीसद ये भी हैं रोचक पहलू - अगर हाथी को चीटी, मच्छर या मक्खी काट भर ले, तो उसे घाव हो सकता है, क्योंकि हाथी की त्वचा बहुत संवेदनशील होती है। इसलिए वो इनसे बचने की कोशिश करता है। - हाथी अपनी त्वचा को सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से बचाने के लिये खुद पर किचड़ या मिट्टी उढ़ेलता है। - हाथी करीब चार से पांच किलोमीटर दूर से ही अपने साथी की अावाज को सुन सकता है। इसी तरह हाथी दूर दराज होने वाली बारिश का भी पता लगा लेते हैं। - हाथी के मरने पर हाथी इंसानों की तरह ही कई दिनों तक शोक मनाता है और हाथ्ाी के शव को छोड़कर जल्दी से नहीं जाता है। - हाथी के दांतों की कीमत लाखाें करोड़ों रुपये में होती हैं, यही कारण है कि हाथियों को शिकार किया जाता हैं। दांतों पर नक्काशी कर दांतों को ताजों में भी लगाया जाता रहा है। Edited By: manoj kumar
हाथी जमीन पर रहने वाला एक विशाल आकार का प्राणी है। यह जमीन पर रहने वाला सबसे विशाल स्तनपायी है[1]। यह
एलिफैन्टिडी कुल और प्रोबोसीडिया गण का प्राणी है। आज एलिफैन्टिडी कुल में केवल दो प्रजातियाँ जीवित हैं: ऍलिफ़स तथा
लॉक्सोडॉण्टा। तीसरी प्रजाति मैमथ विलुप्त हो चुकी है।[2]जीवित दो प्रजातियों की तीन जातियाँ पहचानी जाती हैं:-
लॉक्सोडॉण्टा प्रजाति की दो जातियाँ - अफ़्रीकी खुले मैदानों का हाथी (अन्य नाम: बुश या सवाना हाथी) तथा
(अफ़्रीकी जंगलों का हाथी ) - और ऍलिफ़स जाति का भारतीय या एशियाई
हाथी।[3]हालाँकि कुछ शोधकर्ता दोनों अफ़्रीकी जातियों को एक ही मानते हैं,[4]अन्य मानते हैं कि
पश्चिमी अफ़्रीका का हाथी चौथी जाति है।[5]ऍलिफ़ॅन्टिडी की बाकी सारी जातियाँ और प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं। अधिकतम तो पिछले
हिमयुग में ही विलुप्त हो गई थीं, हालाँकि मैमथ का बौना स्वरूप सन् 2000 ई.पू. तक जीवित रहा।[6] वर्गीकरण तथा क्रमिक विकास[संपादित करें]अफ़्रीकी हाथी प्रजाति में दो या तीन (विवादित) जीवित जातियाँ हैं; जबकि एशियाई हाथी प्रजाति के अंतर्गत केवल एशियाई हाथी ही जीवित जाति है, लेकिन इसे तीन या चार (विवादित) उपजातियों में विभाजित किया जा सकता है। अफ़्रीकी तथा एशियाई हाथी समान पूर्वज से क़रीब ७६ लाख वर्ष पूर्व विभाजित हो गये थे।[22] अफ़्रीकी हाथी[संपादित करें]हाथी केन्या में नदी पार करता हुआ अफ़्रीकी बुश हाथी नामीबिया के ऍतोशा राष्ट्रीय उद्यान में जंगली परिवेष में हाथी का वीडियो वे हाथी जो लॉक्सोडॉण्टा प्रजाति के अंतर्गत
आते हैं और सामूहिक रूप से अफ़्रीकी हाथी कहलाते हैं, वर्तमान में ३७ अफ़्रीकी देशों में पाया जाता है। अफ़्रीकी हाथी, एशियाई हाथी से कई प्रकार से भिन्न होते हैं, जिनमें सबसे स्पष्ट उनके बड़े कान होते हैं।[23] अफ़्रीकी हाथी एशियाई हाथी से आकार में बड़े होते हैं और उनकी अवतल पीठ होती है। अफ़्रीकी हाथी में
नर और मादा दोनों के हाथीदांत होते हैं और उनकी त्वचा में बाल भी कम होते हैं। अफ़्रीकी बुश हाथी, अफ़्रीकी जंगली हाथी, एशियाई हाथी, विलुप्त अमरीकी मॅस्टोडॉन तथा मैमथ के डी॰एन॰ए॰ विश्लेषण करने वाले वैज्ञानिकों सन् २०१० ई॰ में इस निष्कर्ष में पहुँचे कि यकीनन अफ़्रीकी बुश हाथी तथा अफ़्रीकी जंगली हाथी दो अलग जातियाँ हैं। उन्होंने लिखा :
[26] दूसरी तरफ़ पश्चिमी अफ़्रीका में हाथी की आबादी छोटी तथा बँटी हुयी है और महाद्वीप के बहुत छोटे अनुपात को दर्शाती है। [34] मध्य अफ़्रीका की आबादी के बारे में बहुत अनिश्चित्ता बनी हुयी है, जहाँ जंगलों के कारण आबादी का सर्वेक्षण करना कठिन कार्य है, परन्तु यह ज्ञात है कि वहाँ हाथीदाँत के अवैध शिकार तथा हाथी के मांस के लिए उनका धड़ल्ले से शिकार किया जा रहा है।[35] दक्षिण अफ़्रीका में हाथी की आबादी दुगुने से ज़्यादा हो गयी है और यह संख्या सन् १९९५ में हाथीदाँत के व्यापार पर पाबन्दी लगाने के बाद ८,००० से बढ़कर २०,००० से अधिक हो गई है[36] दक्षिण अफ़्रीका (अन्य जगह नहीं) में यह पाबन्दी फरवरी २००८ को हटा दी गई जो पर्यावरण गुटों में विवाद का विषय बन गई है।[कृपया उद्धरण जोड़ें] एशियाई हाथी[संपादित करें]एशियाई हाथी - पश्चिमी घाट, मारयूर, केरल में एशियाई हाथी, ऍलिफ़स मैक्सिमस, अफ़्रीकी हाथी से छोटा होता है। इसके कान छोटे होते हैं और अधिकांश रूप से केवल नर में हाथीदाँत पाये जाते हैं। दुनिया भर में एशियाई हाथी की - जिन्हें भारतीय हाथी भी कहा जाता है - आबादी ६०,००० आंकी गई है जो अफ़्रीकी
हाथी का दसवां भाग है। अधिक सटीक यह अनुमान लगाया गया है कि एशिया में जंगली हाथी क़रीब ३८,००० से ५३,००० हैं तथा पालतू हाथी १४,५०० से लेकर १५,३०० हैं और तक़रीबन १,००० हाथी दुनिया भर के चिड़ियाघरों में
हैं।[37] एशियाई हाथी की आबादी का पतन अफ़्रीकी हाथी की तुलना में धीरे हुआ है और इसके प्रमुख कारण हैं अवैध शिकार तथा मनुष्यों द्वारा उनके क्षेत्रों को हड़प
जाना।[कृपया उद्धरण जोड़ें] जयपुर, भारत में पालतू हाथी पर्यटकों को सवारी कराते हुए एशियाई हाथी की कई उपजातियाँ मौर्फ़ोमीट्रिक तथा मौलिक्यूलर डाटा
प्रणालियों द्वारा पहचानी गई हैं। ऍलिफ़स मैक्सिमस मैक्सिमस (श्री लंकाई हाथी) केवल श्री लंका के द्वीप में पाया जाता है। वह एशियाई हाथियों में सबसे बड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक इनकी जंगलों में संख्या ३,००० से ४,५०० तक आंकी गई है, हालाँकि हाल में कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ है। बड़े नर हाथी ५,४०० कि॰ के लगभग वज़नी होते हैं तथा कंधे तक ३.४ मी॰ तक ऊँचे होते हैं। नरों के माथे पर बहुत बड़े उभार होते हैं और दोनों लिंगों में अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में रंजकता (pigmentation) क्षीण होती है।
विशेषतयः इनके सूंड़, कान, मुँह तथा पेट में हल्के ग़ुलाबी रंग के चित्ते पड़े होते हैं। पिन्नावाला, श्री लंका में हाथियों का अनाथाश्रम है जो इनको विलुप्त होने से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ऍलिफ़स मैक्सिमस इन्डिकस (भारतीय हाथी) एशियाई हाथी की आबादी का बड़ा हिस्सा बनाता है। क़रीब ३६,००० की आबादी वाले
ये हाथी हल्के स्लेटी रंग के होते हैं, तथा इनके केवल कानों और सूंड में रंजकता क्षीण होती है। बड़े नर अमूमन ५,००० कि॰ वज़नी होते हैं लेकिन श्री लंकाई हाथी जितने ऊँचे होते हैं। मुख्य भू-भागीय हाथी भारत से लेकर इंडोनेशिया तक
११ एशियाई देशों में पाया जाता है। इनको जंगली इलाके परिवर्ती अंचल, जो कि जंगलों और घास के मैदानों के बीच होते हैं, पसन्द हैं क्योंकि वहाँ इनको भोजन में अधिक विविधता मिल जाती है। सन् २००३ ई॰ में बोर्नियो द्वीप में एक अन्य उपजाति पहचानी गई है। इसको बोर्नियो पिग्मी हाथी के नाम से नवाज़ा गया है और अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में यह ज़्यादा छोटा और कम आक्रामक होता है। इसके अपेक्षाकृत बड़े कान और पूँछ होते हैं और इसके हाथीदाँत भी अधिक सीधे होते हैं। शारीरिक लक्षण[संपादित करें]एशियाई हाथी हल्के स्लेटी रंग के होते हैं, तथा इनके केवल कानों और सूंड में रंजकता क्षीण होती है। बड़े नर अमूमन ५,००० कि॰ वज़नी होते हैं लेकिन श्रीलंकाई हाथी जितने ही ऊँचे होते हैं।सुमात्राई हाथी की रंजकता अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में कम क्षीण होती है तथा सिर्फ़ कानों पर ग़ुलाबी धब्बे होते हैं। सूंड[संपादित करें]हाथी अपनी सूंड या तो चेतावनी देने के लिए या फिर मित्र अथवा शत्रु सूंघने के लिए उठाता है। हाथी की सूंड के रेखाचित्र हाथी अपनी सूंड का इस्तेमाल कई कार्यों के लिए करता है। यहाँ पर हाथी अपनी आँख पोंछते हुए। सूंड हाथी की नाक और उसके ऊपरी होंठ की संधि है,[38] और लंबी हो जाने के कारण यह हाथी का सबसे महत्वपूर्ण तथा कार्यकुशल अंग बन गई है। अफ़्रीकी
हाथियों की सूंड के छोर में दो अँगुलिनुमा उभार होते हैं, जबकि एशियाई हाथियों में केवल एक ही उभार होता है। एक तरफ़ तो हाथी की सूंड इतनी संवेदनशील होती है कि घास का एक तिनका भी उठा लेती है तो दूसरी तरफ़ इतनी मज़बूत भी होती है कि पेड़ की टहनियाँ भी उखाड़ ले। हाथी दाँत[संपादित करें]हाथी के हाथीदाँत उसके दूसरी ऊपरी
छेदक दाँत होते हैं। हाथीदाँत हाथी के जीवनकाल में निरन्तर बढ़ते रहते हैं। एक वयस्क नर के हाथीदाँत लगभग एक वर्ष में १८ से॰मी॰ की दर से बढ़ते रहते हैं। हाथीदाँत पानी, लवण तथा मूल खोदने के काम आते हैं। इसके अलावा पेड़ों की छाल छीलने और अपने लिए रास्ता तैयार करने में भी
हाथीदाँत का बड़ा योगदान होता है। इसके अलावा हाथीदाँत अपनी परिधि जताने के लिए पेड़ों में निशानदेही के लिए तथा कभी कभार अस्त्र-शस्त्र के लिए भी इस्तेमाल में लाए जाते हैं। दाँत[संपादित करें]अन्य स्तनपाइयों की तुलना में हाथी के दाँतों की रचना बिल्कुल अलग होती है। पूरी उम्र भर उनके २८ दाँत होते हैं। यह हैं:–
एशियाई हाथी के चर्वणक दाँत का प्रतिरूप अन्य स्तनपाइयों के विपरीत, जिनके दूध के दाँत झड़ने के बाद स्थाई दाँत आ जाते
हैं, हाथी के दाँत निरन्तर बदली होते रहते हैं। लगभग एक वर्ष की आयु में हाथीदाँत के अग्रगामी दूध के दाँत झड़ जाते हैं और हाथीदाँत उगने लग जाते हैं। किन्तु चबाने वाले दाँत (अग्रचर्वणक तथा चर्वणक) एक हाथी की आयु में क़रीब पाँच बार[42] या बहुत विरले ही छः
बार[43]बदली होते हैं। त्वचा[संपादित करें]हाथियों को बोलचाल की भाषा में हाथी (अपने मूल वैज्ञानिक वर्गीकरण से) कहा जाता है, जिसका अर्थ मोटी चमड़ी के जानवरों से है। एक हाथी कि त्वचा २.५ सेंटीमीटर तक मोटी होती है। इसके शरीर का
अधिकांश भाग अत्यंत कठोर होता है। हालाँकि, मुंह और कान के भीतर के चारों ओर त्वचा काफ़ी पतली होती है। आम तौर पर, एक एशियाई हाथी की त्वचा में अपने अफ्रीकी रिश्तेदार से अधिक बाल होते हैं। युवा हाथी में यह फ़र्क अधिक नज़र आता है। एशियाई शावकों की त्वचा अमूमन कत्थई रंग के बालों से ढकी रहती है। उम्र के साथ बाल गाढ़े रंग के होने के साथ-साथ कम होने लगते हैं लेकिन उसके सिर और पूँछ में वह सदा रहते हैं। पैर[संपादित करें]हाथी तरबूज़ को खाने से पहले अपने पैरों से कुचलता हुआ
संग्रहालय में रखा हाथी के पैर का नाखून हाथी के पैरों कि बनावट मोटे स्तंभों या खंभों के समान होती है। हाथी को अपनी सीधी टाँगों और बड़े गद्देदार पैरों की वजह से खड़े रहने में मांसपेशियों से कम शक्ति की आवश्यकता होती है। इसी कारण, हाथी बिना थके बहुत लंबे समय तक खड़े रह सकते हैं। वास्तव में, अफ़्रीकी हाथियों को शायद ही कभी लेटे हुए देखा जाता हो, सामान्यत: वे बीमार या घायल होने पर ही लेटते है। इसके विपरीत एशियाई हाथी अक्सर लेटना पसन्द करते हैं। हाथी के पैर लगभग गोल होते हैं। अफ़्रीकी हाथियों के प्रत्येक पिछले पैर पर तीन नाखून और प्रत्येक सामने के पैर पर चार नाखून होते हैं। भारतीय हाथियों के प्रत्येक पिछले पैर पर चार नाखून और प्रत्येक सामने के पैर पर पाँच नाखून होते हैं। पैर की हड्डियों के नीचे एक कड़ा, श्लेषी पदार्थ होता है जो एक गद्दे या शॉकर के रूप में कार्य करता है। हाथी के वज़न से पैर फूल जाता है, लेकिन वज़न हट जाने से यह पहले जैसा हो जाता है। इसी कारण से गीली मिट्टी में गहरा धँस जाने के बावजूद हाथी अपनी टांगों को आसानी से बाहर खींच लेता है। कान[संपादित करें]जीवविज्ञान और व्यवहार[संपादित करें]निद्रा दिन में 2 से 4 घंटे[संपादित करें]पुनरुत्पत्ति और जीवन चक्र[संपादित करें]हाथी के बछड़े[संपादित करें]पर्यावरण का प्रभाव[संपादित करें]संकट[संपादित करें]शिकार[संपादित करें]निवास का नष्ट[संपादित करें]राष्ट्रीय उद्यान[संपादित करें]🔺अभयारण की तुलना में अधिक संरक्षित क्षेत्र है 🔺इसमें एक से अधिक परिस्थितिकी तंत्र का समावेश होता है। 🔺 पालतू पशुओं को चराने पर सम्पूर्ण प्रतिबंध होता है। 🔺अभयारण्य की तरह किसी एक विशेष प्रजाति पर केन्द्रित नही होता है। 🔺इसकी स्थापना राज्य एवं केन्द्र सरकार के संकलन से की जाती है। 🔺काजीरंगा,काबर्ट,वेलावदर,समुद्री राष्ट्रीय उद्यान, गीर,दचीगाम आदि महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय उद्यान हैं। उर्वरक[संपादित करें]सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
अन्य जानकारी[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
हाथी की सूंड क्यों होती है?हाथी की आंखों की रोशनी कम होती है मगर वो अपनी सूंड का इस्तेमाल इस समस्या को दूर करने के लिए करता है। हाथी चलते वक्त सूंड से नीचे की ओर फूंकता है और हवा जमीन से टकरा कर वापस आती है। उससे उसे आगे की राह का अंदाजा हो जाता है। हाथी एक बार में अपनी सूंड में करीब 8 से 9 लीटर तक पानी भर सकता है।
हाथी की सूंड क्या काम करती है?हाथी सूंड का इस्तेमाल पानी पीने के लिए भी करता है। हाथी पहले अपनी सूंड में एक बार में करीब १४ लीटर पानी खींच लेता है और फिर उसे अपने मुँह में उड़ेल देता है। नहाने के लिए भी हाथी इसी विधि का इस्तेमाल करता है।
हाथी के कान इतने लंबे क्यों होते हैं?हाथी अपने विशालकाय शरीर की गर्मी को कानों के जरिये बाहर निकालता है। हाथी के कानों में समाहित कोशिकाएं इस काम काे बखूबी करती है। महज गर्मी ही नहीं बल्कि हाथी के कान उसके शरीर का रक्तसंचार भी नियंत्रित रखते हैं। अफ्रीका में ज्यादा गर्मी होने के कारण वहां के हाथियों के कान बहुत बड़े होते हैं।
हाथी की आंख में कौन सा लेंस होता है?निमिन्लिखित बीजीय व्यंजकों में से कौन-सा एक बहुपद है ? एक व्यक्ति के एक कदम आगे चलने की प्रायिकता 0.4 तथा एक कदम पीछे हटने की प्रायिकता 0.6 है।
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