II किसी विलायक में अवाष्पशील विलेय घोलने से विलायक का वाष्पदाब कम क्यों हो जाता है ?`? - ii kisee vilaayak mein avaashpasheel viley gholane se vilaayak ka vaashpadaab kam kyon ho jaata hai ?`?

हेलो दोस्तो आप का प्रश्न है किसी भी लायक में आवाज चिलबिला खोलने पर विलायक का वाष्प दाब बढ़ जाता है तो चले इस प्रेस को हल करते हैं यहां पर दोस्तों में प्रश्न पत्र दे रखा है किसी भी विलायक में आवासीय ब्लैक होल ने पर लायक का वास्ता बढ़ जाता है हमें बता नहीं कथन सत्य है अथवा असत्य तो दोस्तों जब भी हम किसी भी लायक में जब भी जब भी किसी भी लायक में किसी भी लायक में भी लायक में हवा सुशील आवाज को सील हवा सुशील बिल्ली बोलते हैं बिल्ली बोलते हैं ठीक है हवा चिलबिला

बोलते हैं तब क्या होता है दोस्तों तब विलायक का तब जोवलायक है ठीक है विलायक का बास पदार्थ क्या होता है घट जाता है लायक का वाष्प दाब विलायक का वाष्प दाब घटता है ठीक है जब भी हम कोई भी हमारा जोवलायक है उसमें ऐसा दिल मिलाए जो की आवाज सील हो मतलब जो कि भाजपा वस्था में ना बदल बदले तब क्या होता है दोस्तों इस आवासीय ब्लैक के गोलते ही जो हमारा विलायक है उसका बासौदा क्या हो जाएगा घट जाएगा तो यहां पर दोस्तों हम लिख सकते हैं अतः दिया गया कथन असत्य है अतः दिया गया कथन असत्य है दिया गया कथन लिया गया कथन

असत्य है ठीक है सत्य है यही हमारे प्रश्न का उत्तर है हटा दिया गया कथन सत्य कथन है आशा करता हूं आपको समझ में आया होगा दोस्तों धन्यवाद

एक वाष्पशील विलेय को किसी विलायक में मिलाने से उसका वाष्प दाब कम क्यों हो जाता है समझाइए?

किसी द्रव या विलायक में अवाष्पशील पदार्थ मिलाने पर द्रव के अणुओं की यह निर्गामी प्रवृत्ति घट जाती है; क्योंकि विलेय पदार्थ द्रव के अणुओं पर एक प्रकार का अवरोध उत्पन्न करता है; अत: द्रव का वाष्प दाब घट जाता है; इसलिए विलयन का वाष्प दाब विलायक के वाष्प दाब से सदा कम रहता है।

वे कौन से कारक हैं जो किसी विलायक में विलेय की विलेयता बढ़ा सकते हैं?

ऐसे विलयनों में विलेय की सांद्रता उसकी विलेयता कहलाती है। पहले हम देख चुके हैं कि एक पदार्थ में दूसरे की विलेयता पदार्थों की प्रकृति पर निर्भर करती है। इसके अतिरिक्त दो अन्य कारक, ताप एवं दाब भी इस प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं

I वाष्पदाब के अवनमन से आप क्या समझते हैं वाष्पदाब के आपेक्षिक अवनमन की समीकरण दीजिए 1 1?

राउल्ट का नियम (Raoult's law) यह नियम फ्रांसीसी रसायनशास्त्री 'राउल्ट' द्वारा 1887 में दिया गया। इस नियम के अनुसार किसी तनु विलयन के वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन विलयन में उपस्थित विलेय के मोल भिन्न के बराबर होता है। यह उष्मागतिकी (ऊष्मागतिक) नियम है।

जब किसी विलेय को विलायक के साथ मिलाया जाता है तो हमें क्या प्राप्त होता है?

जो पदार्थ घुलता है उसे 'विलेय' कहते हैं, जिसमें घोला जाता है उसे 'विलायक' कहते हैं, विलेय को विलायक में घोलने से 'विलयन' प्राप्त होता है। विलेय पदार्थ ठोस, द्रव या गैस कुछ भी हो सकती है।