चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। Show नमस्कार दोस्तों जमीन की बुवाई बिताई करें बीजारोपण कर जो अनाज दलहन तिलहन आदि खाद्य पदार्थों को उगाया जाता है उन्हें तैयार किया जाता है जिससे यह मानव जीवन चल रहा है उस कार्य को हम कृषि कार्य क्षेत्र का काम करते हैं namaskar doston jameen ki buvaai bitai kare bijaropan kar jo anaaj dalhan tilhan aadi khadya padarthon ko ugaya jata hai unhe taiyar kiya jata hai jisse yah manav jeevan chal raha hai us karya ko hum krishi karya kshetra ka kaam karte hain नमस्कार दोस्तों जमीन की बुवाई बिताई करें बीजारोपण कर जो अनाज दलहन तिलहन आदि खाद्य पदार्थो 130 2543Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. 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Download the Vokal App! 👉🏻 शास्त्र और पुराण में भारत में प्राचीनकाल से ही मुर्हूत देखकर खेती करने का प्रचलन रहा है। किसान ग्रह-नक्षत्रों व चांद को देखकर फसल का चुनाव, फसल की बुवाई, कटाई आदि खेती के कार्य करते थे। मगर धीरे- धीरे इसका चलन खत्म हो गया। एक विद्वान दार्शनिक डॉ रुडोल्फ स्टेनर ने बायोनायनिमिक खेती का विचार दिया जिसे कई देशों ने व्यवसायिक रूप से अपनाया। 👉🏻 बायोडायनिमिक खेती को जैव खेती कहा जाता है, जिसमें नक्षत्रों की गति के आधार पर कृषि क्रियाओं का क्रम से वैज्ञानिक विधि से अपनाया जाता है। इस खेती में आकाशीय या नक्षत्रिय ऊर्जा का प्रभाव पेड़- पौधों के भाग जैसे पत्ती, फल, बीज व जड़ों पर पड़ता है और पैदावार में गुणवत्ता वाली उपज प्राप्त की जाती है। हर साल इन नक्षत्रों की गति के आधार पर कृषि पंचाग तैयार किया जाता है और इसके अनुसार खेती करने से लाभ होता है। 👉🏻 यह वैज्ञानिक तथ्य है कि पृथ्वी पर मौजूद पानी को चंद्रमा अपनी ओर खींचता है। पेड़- पौधों की कोशिकाओं में जल की मात्रा रहती ही है, इसलिए चन्द्रमा की गति का प्रभाव पौधों पर पड़ना स्वाभाविक है। कृषि पंचांग खासकर चांद की गति पर निर्भर करता है। चंद्रमा की विभिन्न अवस्थाएं प्रथम पक्ष (शुक्ल पक्ष) 👉🏻 चंद्रमा की गति अंधकार से प्रकाश की ओर गति होती है शुरू में सूर्य और पृथ्वी के बीच एवं स्थित चंद्रमा पृथ्वी के फलक की ओर होता है। लगभग 7 दिनों में चांद मध्य बिंदु तक पहुंचकर आधा भाग प्रकाशित होता है तथा अगले 7 दिनों में चंद्र बाहरी बिंदु तक पहुंचकर पुरी तरह प्रकाशित होता है जिसे पूर्णिमा कहते हैं। द्वितीय पक्ष (शुक्ल पक्ष) 👉🏻 इसमें चंद्रमा अपनी पहली की स्थिति में पहुंचने के लिए गतिमान होता है तथा अगले 7 दिनों में चंद्रमा का आधा भाग सूर्य किस तरफ होता है एवं आधा भाग अंधकार में होता है. अंतिम 7 दिनों में चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच पहुंच जाता है जिससे पृथ्वी पर अंधकार हो जाता है इसे अमावस्या कहते हैं. 👉🏻 इन अवस्थाओं के पीछे व्यापक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। भारत में विभिन्न कार्यों को करने के लिए पंचांग का उपयोग किया जाता है।भारतीय पंचांग तिथिवार श्रेष्ठ, शुभ, प्रिय, अशुभ आदि संभावित परिणामों पर नजर डालता है। उसी अनुसार भारत में कृषि के विभिन्न कार्यों को संपन्न करने के लिए नक्षत्र एवं वायुमंडलीय प्रभावों के शुभ तथा अशुभ तिथिवार, घड़ी एवं अनुभव से प्राप्त प्रथाओं का उपयोग किया जाता है। इस कैलेंडर या पंचांग का उपयोग प्रकृति को लेकर सुक्ष्म से भी सूक्ष्म प्रभावों का कृषि में लाभ लिया जा सकता है। आधुनिक समय में कृषि वैज्ञानिकों ने भी कृषि पंचांग का महत्व बताया है। कृषि कार्य में महत्व पंचांग का महत्व 👉🏻 पूर्णिमा के समय चंद्र का सर्वाधिक खीचाव जल तत्व पर होता है। पृथ्वी और पौधों के अंदर का जल चंद्रमा की इस अवस्था में ऊपर की ओर गतिमान होता है और उच्चतम स्तर पर होता है। चंद्रमा के इस प्रभाव से वातावरण में नमी होती है अतः यदि पूर्णिमा के 48 घंटे पहले बीजों की बुवाई की जाए तो अंकुरण में वृद्धि होती है तथा पौधे निरोगी रहते हैं। पूर्णिमा के समय अधिक नमी होने के कारण फफूंद तथा अन्य सूक्ष्म जीवाणुओं का प्रकोप अधिक होता है अतः फसल की कटाई इस समय नहीं करनी चाहिए। अमावस के समय नमी कम होती है इसलिए ऐसे समय कटाई की जाए तो फसल उत्पादन में होने वाली हानि कम होती है. बीज व दाने स्वस्थ व स्वादिष्ट होते हैं। चंद्र उत्तरायण एवं दक्षिणायन पक्ष 👉🏻 चंद्रमा 27.3 दिन में एक बार उत्तरायण एवं दक्षिणायन की गति पूर्ण करता है। यह अवस्था चंद्रमा के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष से भिन्न होती है। चंद्र उत्तरायण पक्ष का कृषि कार्य में महत्व 👉🏻 उत्तरायण की अवस्था में पृथ्वी की ऊपरी सतह पर क्रियाशीलता में बढ़ोतरी होती है।जल तत्व पौधों में ऊपर की और गति करता है जिससे फसल की पत्तियां, तना, फल एवं फूलों में वृद्धि होती है। 👉🏻 इस अवस्था में पत्तीदार फसलों की कटाई, फलों की तुड़ाई, कलम लगाना तथा चारे की कटाई करना उत्तम रहता है। 👉🏻 बीजों की बुवाई इस अवस्था में करने से अंकुरण अच्छा होता है तथा रोग की संभावना कम रहती है। चंद्र दक्षिणायन पक्ष का कृषि कार्य में महत्व 👉🏻 चंद्र दक्षिणायन की अवस्था में आकाशिय शक्तियों का प्रभाव मृदा के नीचे होता है, जिससे भूमि क्रियाशीलता में वृद्धि होती है। अतः इस अवस्था में कंद फसलों जैसे अश्वगंधा, सफेद मूसली आदि की गुणवत्ता एवं उत्पादन में वृद्धि होती है। 👉🏻 सींग की खाद बनाना, निकालना, खेत में डालना, कंपोस्ट बनाना, खेत में मिलाना, जुताई करना, निराई गुड़ाई करना आदि कार्यों के लिए यह समय श्रेष्ठ होता है। हरी खाद बनाना, पलटना व सिंचाई के लिए भी यह उपयुक्त समय है। पृथ्वी से चंद्रमा की अति निकटता या अति दूरी 👉🏻 चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के चारों ओर अंडाकार कक्ष में घूमता है, अतः चन्द्रमा लगभग 7 दिन के अंतराल से पृथ्वी के अती पास या अति दूर होता है। इन दोनों ही अवस्थाओं में बीजों से कमजोर पौधे बनते हैं। इसलिए दोनों ही स्थितियों में कोई भी कृषि कार्य के लिए नहीं करना चाहिए। 👉🏻 खेती तथा खेती सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए कृषि ज्ञान को फॉलो करें। फॉलो करने के लिए अभी ulink://android.agrostar.in/publicProfile?userId=558020 क्लिक करें। स्रोत:- Agrostar, 👉🏻 प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। यदि दी गई जानकारी आपको उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद! भारतीय कृषि से आप क्या समझते हैं?कृषि, भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। भारत में कृषि सिंधु घाटी सभ्यता के दौर से की जाती रही है। १९६० के बाद कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति के साथ नया दौर आया। सन् २००७ में भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि एवं सम्बन्धित कार्यों (जैसे वानिकी) का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में हिस्सा 16.6% था।
भारत में कृषि कितने प्रकार के होते हैं?भारत में होने वाली विभिन्न प्रकार की कृषि. निर्वाह खेती (Subsistence Farming) ... . बागवानी कृषि (Horticulture Agriculture) ... . गहन कृषि (Intensive Farming) ... . स्थानांतरित कृषि (Shifting Agriculture) ... . व्यापक कृषि (Extensive Agriculture) ... . वाणिज्यिक कृषि (Commercial Agriculture) ... . सूखी भूमि खेती (Dryland Farming). भारत में कृषि का महत्व क्या है?ये भारत से कुल निर्यात का लगभग 50 प्रतिशत योगदान करते हैं। कृषि उत्पादों के अलावा, कृषि आधारित उद्योगों जैसे जूट और सूती वस्त्रों के उत्पाद भी देश के कुल निर्यात में 20 प्रतिशत का योगदान देते हैं। इसलिए, कृषि क्षेत्र देश की अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वाणिज्य गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है।
कृषि को कितने भागों में बांटा गया है?कृषि को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जाता है -
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