कृष्ण पुत्र श्याम का अंत कैसे हुआ? - krshn putr shyaam ka ant kaise hua?

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महापुराण महाभारत में कई ऐसे रहस्य हैं, जिनके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है। महाभारत भगवान कृष्ण से शुरू हुआ और कृष्ण पर ही खत्म हो गया। भगवान कृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया, गोकुल में पले-बढ़े और द्वारिका में शासन किया। जो कि सात पुरियों में से एक है और चारधाम यात्रा में से एक धाम। द्वारिका में भगवान कृष्ण की आठ पत्नियां थीं, इनके नाम रुक्मणि, जामवंती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा। जिनसे उनके कई पुत्र और पुत्रियां थे। लेकिन उनके एक पुत्र का विवाह दुर्योधन की पुत्री से हुआ था, क्या आप जानते हैं इस विवाह के बारे में...

ज्योतिषियों के अनुसार रात 12 बजे उस वक्त शून्य काल था। भगवान श्रीकष्ण ने आठ महिलाओं से विधिवत विवाह किया था। इन आठ महिलाओं से उनको 80 पुत्र मिले थे। इन आठ महिलाओं को अष्टा भार्या कहा जाता था। इनके नाम हैं:- अष्ट भार्या : कृष्ण की 8 ही पत्नियां थीं यथा- रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा।

1.श्रीकृष्ण-रुक्मिणी के पुत्र:- प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारू, चरुगुप्त, भद्रचारू, चारुचंद्र, विचारू और चारू।

2.जाम्बवती-कृष्ण के पुत्र:- साम्ब, सुमित्र, पुरुजित, शतजित, सहस्त्रजित, विजय, चित्रकेतु, वसुमान, द्रविड़ और क्रतु।

3.सत्यभामा-कृष्ण के पुत्र:-
भानु, सुभानु, स्वरभानु, प्रभानु, भानुमान, चंद्रभानु, वृहद्भानु, अतिभानु, श्रीभानु और प्रतिभानु।

4.कालिंदी-कृष्ण के पुत्र:- श्रुत, कवि, वृष, वीर, सुबाहु, भद्र, शांति, दर्श, पूर्णमास और सोमक।

5.मित्रविन्दा-श्रीकृष्ण के पुत्र:- वृक, हर्ष, अनिल, गृध्र, वर्धन, अन्नाद, महांस, पावन, वह्नि और क्षुधि।

6.लक्ष्मणा-श्रीकृष्ण के पुत्र:- प्रघोष, गात्रवान, सिंह, बल, प्रबल, ऊर्ध्वग, महाशक्ति, सह, ओज और अपराजित।

7.सत्या-श्रीकृष्ण के पुत्र:- वीर, चन्द्र, अश्वसेन, चित्रगुप्त, वेगवान, वृष, आम, शंकु, वसु और कुंति।

8.भद्रा-श्रीकृष्ण के पुत्र:-संग्रामजित, वृहत्सेन, शूर, प्रहरण, अरिजित, जय, सुभद्र, वाम, आयु और सत्यक।

कृष्ण कुल का नाश : गांधारी के शाप के चलते भगवान श्री कृष्ण के कुल का नाश हो गया था। उल्लेखनीय है कि गांधारी ने यदुकुल या यदुवंश के नाश का शाप नहीं दिया था। मथुरा अंधक संघ की राजधानी थी और द्वारिका वृष्णियों की। ये दोनों ही यदुवंश की शाखाएं थीं। यदुवंश में अंधक, वृष्णि, माधव, यादव आदि वंश चला। श्रीकृष्ण ने मथुरा से जाकर द्वारिका में अपना स्थान बनाया था। श्रीकृष्ण ने द्वारिका का फिर से निर्माण कराया था, क्योंकि उनकी चीन यात्रा के दौरान शिशुपाल ने द्वारिका को नष्ट कर दिया था। श्रीकृष्ण वृष्णि वंश से थे। वृष्णि ही 'वार्ष्णेय' कहलाए, जो बाद में वैष्णव हो गए।

महाभारत युद्ध के बाद जब 36वां वर्ष प्रारंभ हुआ तो राजा युधिष्ठिर को तरह-तरह के अपशकुन दिखाई देने लगे। विश्‍वामित्र, असित, दुर्वासा, कश्‍यप, वशिष्‍ठ और नारद आदि बड़े-बड़े ऋषि द्वारका के पास पिंडारक क्षेत्र में निवास कर रहे थे। एक दिन सारण आदि किशोर जाम्‍बवती नंदन साम्‍ब को स्‍त्री वेश में सजाकर उनके पास ले गए और बोले- ऋषियों, यह कजरारे नैनों वाली बभ्रु की पत्‍नी है और गर्भवती है। यह कुछ पूछना चाहती है लेकिन सकुचाती है। इसका प्रसव समय निकट है, आप सर्वज्ञ हैं। बताइए, यह कन्‍या जनेगी या पुत्र।

ऋषियों से मजाक करने पर उन्‍हें क्रोध आ गया और वे बोले, 'श्रीकृष्‍ण का पुत्र साम्‍ब वृष्णि और अर्धकवंशी पुरुषों का नाश करने के लिए लोहे का एक विशाल मूसल उत्‍पन्‍न करेगा। केवल बलराम और श्रीकृष्‍ण पर उसका वश नहीं चलेगा। बलरामजी स्‍वयं ही अपने शरीर का परित्‍याग करके समुद्र में प्रवेश कर जाएंगे और श्रीकृष्‍ण जब भूमि पर शयन कर रहे होंगे, उस समय जरा नामक व्याध उन्‍हें अपने बाणों से बींध देगा।' मुनियों की यह बात सुनकर वे सभी किशोर बहुत डर गए। उन्‍होंने तुरंत साम्‍ब का पेट (जो गर्भवती दिखने के लिए बनाया गया था) खोलकर देखा तो उसमें एक मूसल मिला। वे सब बहुत घबरा गए और मूसल लेकर अपने आवास पर चले गए। उन्‍होंने भरी सभा में वह मूसल ले जाकर रख दिया।

उन्होंने राजा उग्रसेन सहित सभी को यह घटना बता दी। उन्‍होंने उस मूसल का चूरा-चूरा कर डाला तथा उस चूरे व लोहे के छोटे टुकड़े को समुद्र में फिंकवा दिया जिससे कि ऋषियों की भविष्यवाणी सही न हो। लेकिन उस टुकड़े को एक मछली निगल गई और चूरा लहरों के साथ समुद्र के किनारे आ गया और कुछ दिन बाद एरक (एक प्रकार की घास) के रूप में उग आया।

मछुआरों ने उस मछली को पकड़ लिया। उसके पेट में जो लोहे का टुकडा था उसे जरा नामक ब्‍याध ने अपने बाण की नोंक पर लगा लिया। मुनियों के शाप की बात श्रीकृष्‍ण को भी बताई गई थी। उन्‍होंने कहा- ऋषियों की यह बात अवश्‍य सच होगी। एकाएक उन्‍हें गांधारी के शाप की बात याद आ गई। वृष्णिवंशियों को दो शाप- एक गांधारी का और दूसरा ऋषियों का। श्रीकृष्‍ण सब कुछ जानते थे लेकिन शाप पलटने में उनकी रुचि नहीं थी।

36वां वर्ष चल रहा था। उन्‍होंने यदुंवशियों को तीर्थयात्रा पर चलने की आज्ञा दी। वे सभी प्रभास में उत्सव के लिए इकट्ठे हुए और किसी बात पर आपस में झगड़ने लगे। झगड़ा इतना बढ़ा कि वे वहां उग आई घास को उखाड़कर उसी से एक-दूसरे को मारने लगे। उसी 'एरका' घास से यदुवंशियों का नाश हो गया। हाथ में आते ही वह घास एक विशाल मूसल का रूप धारण कर लेती। श्रीकृष्‍ण के देखते-देखते साम्‍ब, चारुदेष्‍ण, प्रद्युम्‍न और अनिरुद्ध की मृत्‍यु हो गई।

मौसुल युद्ध : इस आपसी झगड़े को मौसुल युद्ध कहा जाता है। इस युद्ध के कई रहस्य हैं। झगड़े की शुरुआत कृतवर्मा के अपमान से हुई। सात्‍यकि ने मदिरा के आवेश में उनका उपहास उड़ाते हुए कहा कि अपने को क्षत्रिय मानने वाला ऐसा कौन वीर होगा, जो रात में मुर्दे की तरह सोए मनुष्‍यों की हत्‍या करेगा। तूने जो अपराध किया है, यदुवंशी उसे कभी माफ नहीं कर सकते। उसके ऐसा कहने पर प्रद्युम्‍न ने भी कृतवर्मा का अपमान करते हुएउनकी बात का समर्थन किया।

कृतवर्मा ने महाभारत का युद्ध लड़ा था और वे युद्ध में जीवित बचे 18 योद्धाओं में से एक थे। कृतवर्मा यदुवंश के अंतर्गत भोजराज हृदिक का पुत्र और वृष्णि वंश के 7 सेनानायकों में से एक था। महाभारत युद्ध में इसने एक अक्षौहिणी सेना के साथ दुर्योधन की सहायता की थी। कृतवर्मा कौरव पक्ष का अतिरथी योद्धा था।

कृतवर्मा को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने एक हाथ उठाकर सात्‍यकि का तिरस्‍कार करते हुए कहा, 'भूरिश्रवा की बांह कट गई थी और वे मरणांत उपवास का निर्णय कर युद्ध भूमि में बैठ गए थे, उस अवस्‍था में भी तुमने वीर कहलाकर भी उनकी नृशंसतापूर्वक हत्‍या क्‍यों कर दी थी। यह तो नपुंसकों जैसा कृत्य था। इस बात पर सात्‍यकि को क्रोध आ गया। उन्‍होंने तलवार से कृतवर्मा का सिर धड़ से अलग कर दिया। बात बढ़ती चली गई और सब काल-कवलित हो गए। मूसल के प्रहार से उन सबने एक-दूसरे की जान ले ली।

कृष्ण पुत्र श्याम की मृत्यु कैसे हुई?

सांब को मिले श्राप से श्रीकृष्ण के कुल का हुआ अंत एक ऋषि उसकी शरारत को समझ गए और गुस्से में सांब को श्राप दिया कि वह एक लोहे की तीर को जन्म देगा, जिसके कारण उसके कुल का सर्वनाश हो जाएगा। श्राप से मुक्ति के लिए उसने प्रभास नदी में तांबे के तीर का चूर्ण बनाकर प्रवाहित कर दिया। उस चूर्ण को एक मछली ने निगल लिया।

कृष्ण पुत्र सांबा का क्या हुआ?

भगवान कृष्ण और जामवंती के पुत्र का नाम सांब था। जो भगवान कृष्ण की तरह 16 कलाओं से संपन्न था। उनके इसी पुत्र के कारण भगवान कृष्ण के कुल का अंत हो गया था। महाभारत के अनुसार, सांब का दिन दुर्योधन और भानुमती की पुत्री लक्ष्मणा पर आ गया था और दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे।

कृष्ण ने बर्बरीक को कैसे मारा?

कृष्ण ने बर्बरीक को एक वृक्ष दिखाते हुए कहा कि वह यदि पेड़ के सारे पत्तों को एक ही तीर से भेद देंगे. तो वह मानेंगे कि वह शक्तिशाली योद्धा हैं. बर्बरीक ने श्रीकृष्ण की चुनौती स्वीकार की और पेड़ पर तीर चलाया. जब एक-एक कर सारे पत्तों को तीर भेद रहा था तभी चुपके से श्रीकृष्ण ने एक पत्ता अपने पैर के नीचे दबा लिया.

श्री कृष्ण ने अपने पुत्र को क्या श्राप दिया था?

भगवान कृष्ण से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं, जिनके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। ऐसा ही एक रहस्य है उनके पुत्र से जुड़ा, जिसके बारे में कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने गुस्से में अपने ही पुत्र सांबा को कोढ़ी होने का श्राप दे दिया था