लेखक को भिखमंगे का वेश बनाकर यात्रा क्यों करनी पड़ी अपने शब्दों में लिखो? - lekhak ko bhikhamange ka vesh banaakar yaatra kyon karanee padee apane shabdon mein likho?

2. परित्यक्त चीनी किले से जब हम चलने लगे, तो एक आदमी राहदारी

उस वक्त की मनोवृत्ति पर ही निर्भर है, खासकर शाम के वक्त छड़ी

पीकर बहुत कम होश-हवास को दुरुस्त रखते हैं।

(क) सुमति कौन था और उसके जानने वाले हर रास्ते में क्यों मिल जाते

थे?

उत्तर― सुमति लेखक के साथ यात्री-रूप में जा रहा था, जो भिक्षु था। अत: सब

और उसके यजमान मिल जाते थे।

(ख) भद्र-देश के लेखक को क्यों नहीं पहचाना गया था?

उत्तर― लेखक जिस रास्ते में था, वहाँ केवल निम्न-श्रेणी के लोगों और भिखमंगों

को ही सम्मान मिलता था। भद्र-वेश वाले लोगों से वहाँ के लोग दूर रहते

थे। अतः लेखक को भी अनदेखा किया गया।

(ग) लेखक जहाँ ठहरा था, वहाँ के लोगो की मनोवृति के बारे में बताएँ।

उत्तर― लेखक जहाँ ठहरा था, वहाँ के लोग खा-पीकर नशे में चूर रहने वाले लोग

थे। वे शाम को छङ् पीकर मस्त हो जाते थे।

3. अब हमें सबसे विकट डाँड़ा थोङला पार करना था। डाँडे तिब्बत के

सबसे खतरे की जगहें हैं। सोलह-सत्रह हजार फीट की ऊँचाई होने के

कारण उनके दोनों तरफ मीलों तक कोई गाँव-गिराँव नहीं होते। नदियों

के मोड़ और पहाड़ों के कोनों के कारण बहुत दूर तक आदमी को

देखा नहीं जा सकता। डाकुओं के लिए यही सबसे अच्छी जगह है।

तिब्बत के गाँव में आकर खून हो जाए, तब तो खूनी को सजा भी मिल

सकती है, लेकिन इन निर्जन स्थानों में मरे हुए आदमियों के लिए कोई

परवाह नहीं करता। सरकार खुफिया-विभाग और पुलिस पर उतना

खर्च नहीं करती और वहाँ गवाह भी तो कोई नहीं मिल सकता। डकैत

पहिले आदमी को मार डालते हैं, उसके बाद देखते हैं कि कुछ पैसा

है कि नहीं। हथियार का कानून न रहने के कारण यहाँ लाठी की तरह

लोग पिस्तौल, बंदूक लिए फिरते हैं। डाकू यदि जान से न मारे तो खुद

उसे अपने प्राणों का खतरा है।

(क) डकैत लूटने से पहले आदमी को मारते क्यों है?

उत्तर― डकैत जानते हैं कि यहाँ लोग पिस्तौल या बंदूक रखते है। इसलिए उन्हें

अपनी जान का खतरा रहता है। यही कारण है कि वे पहले आदमी को

मारते हैं, फिर लूटते हैं।

(ख) तिब्बत में सबसे खतरनाक जगहें कौन-सी हैं? और क्यों?

उत्तर― तिब्बत में सबसे खतरनाक जगहें डाँड़े हैं। ये 16-17 हजार फीट ऊँचे होते

हैं। इसी कारण उनके दोनों तरफ मीलों तक कोई गाँव नहीं होते।

(ग) यह जगह किन लोगों के लिए अच्छी है? और क्यों?

उत्तर― इस तरह के जगह डाकुओं के लिए बहुत अच्छी है। वे यात्रियों का खून

करके आसानी से लूट लेते हैं। वे पकड़ में भी नहीं आते।

4. अब हम तिडी के विशाल मैदान में थे, जो पहाड़ों से घिरा टापू-सा

मालूम होता था, जिसमें दूर एक छोटी-सी पहाड़ी मैदान के भीतर

दिखाई पड़ती है। उसी पहाड़ी का नाम है तिकी-समाधि-गिरि।

आसपास के गाँव में भी सुमति के कितने ही यजमान थे, कपड़े की

पतली-पतली चिरी बत्तियों के गंडे खतम नहीं हो सकते थे, क्योंकि

बोधगया से लाए कपड़े के खतम हो जाने पर किस कपड़े से बोधगया

का गंडा बना लेते थे। वह अपने यजमानों के पास जाना चाहते थे। मैंने

सोचा, यह तो हफ्ता-भर उधर ही लगा देंगे। मैंने उनसे कहा कि जिस

गाँव में ठहरना हो, उसमें भले ही गंडे बाँट दो, मगर आसपास के गाँवों

में मत जाओ; इसके लिए मैं तुम्हें वहाँ पहुँचकर रूपये दे दूंगा। सुमति

ने स्वीकार किया।

(क) सुमति के यजमानों की क्या दशा थी?

उत्तर― सुमति के यजमानों की संख्या बहुत अधिक थी। लगभग सभी गाँवों में

उनके यजमान थे।

(ख) वे क्या काम कर रहे थे?

उत्तर― सुमति अपने यजमानों को कपड़े की पतली-पतली चिरी बत्तियों के गंडे

बाँट रहे थे। बोधगया से लाए कपड़े के खत्म होने परे वे किसी भी कपड़े

से बोध गया का गंडा बना लेते। वे अपने हर यजमान को गंडा देना चाह

रहे थे।

(ग) सुमति कौन था?

उत्तर― सुमति मंगोल जाति का एक बौद्ध भिक्षु था। वास्तविक नाम था लोब्जङ्

शेख। इसका अर्थ होता है - सुमति प्रज्ञ। अत: लेखक ने उसे 'सुमति' नाम

से पुकारा। यह लेखक को ल्हासा की यात्रा के दौरान मिल गया था।

5. तिब्बत की जमीन बहुत अधिक छोटे-बड़े जागीदारों में बँटी है। इन

जागीरों का बहुत ज्यादा हिस्सा मठों (विहारों) के हाथ में है।

अपनी-अपनी जागीर में हरेक जागीरदार कुछ खेती खुद भी कराता है,

जिसके लिए मजदूर बेगार में मिल जाते हैं। खेती का इंतजाम देखने

के लिए वहाँ कोई भिक्षु भेजा जाता है, जो जागीर के आदमियों के

लिए राजा से कम नहीं होता। शेकर की खेती के मुखिया भिक्षु (नम्से

बड़े भद्र पुरुष थे। वह बहुत प्रेम से मिले हालाँकि उस वक्त मेरा भेष

ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी ख्याल करना चाहिए था।

(क) तिब्बत में जमीन की क्या स्थिति है?

उत्तर― तिब्बत में जमीन छोटे-बड़े जागीरदारों में बँटी हुई हैं। इन जागीरों का काफी

हिस्सा मठों (विहारों) के हाथ में है अर्थात् उनका नियंत्रण है।

(ख) वहाँ खेती का काम कौन करता है?

उत्तर― तिब्बत की जागीरों की जमीन पर हरेक जागीरदार पर हरेक जागीरदार खुद

भी खेती कराता हैं इसके लिए बेगार में मजदूर मिल जाते हैं। खेती का

इंतजाम कोई न कोई भिक्षु देखता है।

(ग) लेखक किस प्रकार की वेशभूषा में था?

उत्तर― लेखक अत्यंत साधारण वेशभूषा में था। इसके बावजूद शेकर की खेती

के मुखिया ने उसका काफी सम्मान किया। वे एक भद्र पुरुष थे।

                                 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

1. थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने

के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि

दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें स्थान नहीं दिला सका। क्यों ?

उत्तर― थोड्ला से पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के

बावजूद भी लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला क्योंकि उनके

साथ मंगोल भिक्षु सुमति था, जिनकी वहाँ अच्छी जान-पहचान थी। श्रद्धा

भाव के कारण लोगों ने उनके ठहरने का उचित प्रबंध किया किन्तु पाँच

साल बाद वे भद्र यात्री के वेश में घोड़ों पर सवार होकर उसी रास्ते से

आए तो लोगों ने किसी अनिष्ट के होने की आशंका से उन्हें ठहरने के

लिए स्थान नहीं दिया।

2. उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियाँ

को किस प्रकार का भय बना रहता था?

उत्तर― उस समय तिब्बत में हथियारों का कानून न होने के कारण लोग लाठी की

जगह पिस्तौल और बंदूक लेकर घूमते थे। दुर्गम घाटियों और हथियारों के

कानून के न होने पर डकैत राह चलते लोगों को पहले मारते थे और बाद

में उसकी तलाशी लेते थे। हर समय लोगों को अपने प्राणों पर खतरा

मँडराता दिखाई देता था।

3. लेखक लडकोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया?

उत्तर― लेखक ने लङ्कोर जाने के लिए सुमति से दो घोड़े लाने के लिए कहा

क्योंकि लङ्कोर जाने के लिए करीब 17-18 हजार फीट की चढ़ाई चढ़नी

पड़ती है। चढ़ाई के बाद उतराई इतनी कठिन न थी, परंतु लेखक को लगा

कि वह जिस घोड़े पर सवार है. कदाचित् वह चढ़ाई की थकान के कारण

धीरे उतराई कर रहा है। जब लेखक जोर देने लगा तो घोड़ा और सुस्त

पड़ गया। यही कारण था कि लेखक लड्कोर के मार्ग में अपने साथियों

से पिछड़ गया।

4. लेखक ने शेकर विहार में सुमति का उनके यजमान के पास जाने से

रोका, परन्तु दूसरी बार रोकने का प्रयास नहीं किया ?

उत्तर― लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमान के पास जाने से रोका

परंतु दूसरी बार उन्होंने सुमति को इसलिए नहीं रोका क्योंकि लेखक वहाँ

एक सुंदर मंदिर में पहुँच गए जहाँ पर उन्हें 'युद्धवचन-अनुवाद' की

103 हस्तलिखित पोथियाँ रखी मिली थीं। लेखक का साहित्यकार मन

उन पोथियों को देखकर अपनी ज्ञान-पिपासा शांत करने के लिए व्यग्र हो

उठा। वह उन पोथियों का अध्ययन करने में जुट गए।

5. अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना

पड़ा?

उत्तर― अपनी तिब्बत यात्रा के दौरान लेखक को काफी कठिनाइयों का सामना

करना पड़ा, क्योंकि प्रथम उन्हें ठहरने का उचित स्थान भद्र वेश में होने

पर भी नहीं मिला क्योंकि वहाँ के लोग वेशभूषा देखकर व्यक्ति के प्रति

धारणा बनाया करते थे। फिर आगे लेखक थोडला की कथानक पहाड़ियों

में से गुजरे जहाँ हथियार कानून न होने के कारण उन्हें काफी भय लगा।

इस प्रकार लङ्कोर के मार्ग में लेखक अपने अन्य साथियों से बिछड़ गया।

शाम को फिर वह सुमति से मिला जहाँ उसे उसके क्रोध का सामना करना

पड़ा।

6. प्रस्तुत यात्रा वृत्तांत के आधार पर बताइए की उस समय का तिब्बती

समाज कैसा था?

उत्तर― तिङी एक विशाल मैदान में स्थापित था. जो पहाड़ियों से घिरा एक टापू

के समान लगता था। वहाँ की सामाजिक-सांस्कृतिक व्यवस्था लेखक को

आकर्षित करती है। वहां के लोग सुमति से भावात्मक रूप से जुड़े थे।

तिङी वासी बोधगया से लाए कपड़े खत्म होने पर उसे फेंकते नहीं बल्कि

बोधगया का गंडा (मंत्र पढ़कर गाँठ लगाया हुआ धागा या कपड़ा) बना

लेते थे। फिर इन गंडों को लोगों में बाँटने की परंपरा भी देखी जा सकती

है। सामाजिक व्यवस्था की दृष्टि से तिब्बत की जमीन जागीदारों में बँटी

है। इन जागीरों का अधिकतर हिस्सा मठों (विहारों) के हाथों में है।

अपनी-अपनी जागीर में हरेक जागीरदार कुछ खेती स्वयं भी कराता है

जिसके लिए मजदूर बेगार में मिल जाया करते हैं। खेती का इंतजाम देखने

के लिए भिक्षु भेजा जाता है, जो जागीर आदमियों के लिए राजा से कम

नहीं।

सांस्कृतिक दृष्टि से भी तिकी निवासी काफी समृद्ध हैं क्योंकि वहाँ एक

मंदिर में 'बुद्धवचन अनुवाद' की 103 हस्तलिखित पोथियाँ प्राप्त होती हैं,

जो मोटे अक्षरों में कागजों पर लिखी हुई थी। एक-एक पोथी 15-15 सेर

से कम कीन थी।

7. तिब्बत में जमीन की क्या स्थिति है?

उत्तर― तिब्बत में जमीन का अधिकतर भाग छोटे-बड़े जागीरदारों में बँटा है। इन

जागीरों का काफी हिस्सा मठों (विहारों) के हाथ में हैं अपनी-अपनी

जागीर में हरेक जागीरदार कुछ खेती खुद भी कराता है। इसके लिए मजदूर

बेगार में मिल जाते हैं। खेती का इंतजाम देखने के लिए वहाँ कोई भिक्षु

भेजा जाता है, जो जागीर के आदमियों के लिए राजा से कम नहीं होता।

8. सुमति किसका इंतजार कर रहा था ? लेखक के देर से पहुँचने पर

उसने क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?

उत्तर― सुमति लेखक का बहुत देर से इंतजार कर रहा था। लेखक काफी देर से

पहुँचा तो सुमति ने गुस्सा प्रकट किया। मंगोलों का मुंह वैसे ही लाल होता

है। सुमति गुस्से में बोला-"मैंने दो टोकरी कंडे फूंक डालें, तीन-तीन बार

चाय को गर्म किया। लेकिन वस्तुस्थिति जानते ही वह ठंडा पड़ गया।

9. यात्रा-वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्ब-चित्र

प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य/शहर से किस प्रकार भिन्न

उत्तर― तिब्बत पहाड़ी प्रदेश है। यह समुद्र-तट से सोलह-सत्रह हजार फुट की

ऊँचाई पर स्थित है। इसके रास्ते ऊँचे-नीचे और बीहड़ है। पहाड़ों के

अंतिम सिरों और नदियों के मोड़ पर खतरनाक सूने प्रदेश बसे हुए हैं यहाँ

मीलों मील तक कोई आयादी नहीं होती। दूर तक कोई आदमी नहीं दिखाई

पड़ता। एक और हिमालय की बर्फीली चोटियां दिखाई पड़ती हैं, दूसरी ओर

ऊँचे-ऊँचे नंगे पहाड़ खड़े हैं। तिङ्गी नामक स्थान तो अद्भुत है। इसमें

एक विशाल मैदान है जिसके चारों और पहाड़ ही पहाड़ हैं और बीचों बीच

भी एक पहाड़ी हैं इस पहाड़ी पर एक मंदिर है, जिसे पत्थरों के ढेर,

जानवरों के सींगों और रंग-बिरंगे कपड़े की झड़ियों से सजाया गया है।

10. भारत की तुलना में तिब्बती महिलाओं की सामाजिक स्थिति पर प्रकाश

डालें।

उत्तर― भारत की तुलना में तिब्बती महिलाओं की स्थिति अधिक सुरक्षित कही जा

सकती है। भारतीय महिलाएं पुरुषों से परदा करती हैं। वे किसी अपरिचित

को अपने घर में घुसने की अनुमति नहीं देतीं। उनके घर के अंदर तक

जाने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। करण यह है कि वे स्वयं को असुरक्षित

अनुभव करती हैं। तिब्बत की महिलाएँ न तो परदा करती हैं और न किसी

अपरिचित से भयभीत होती हैं। बल्कि वे सहज रूप से उनपर विश्वास

करके उनका स्वागत करती हैं।

11. लेखक को भिखमंगे का वेश बनाकर यात्रा क्यों करनी पड़ी?

उत्तर― तिब्बत के पहाड़ों में लूटपाट और हत्या का भय बना रहता है। अधिकतर

हत्याएँ लूटपाट के इरादे से होती थीं। लेखक ने डाकुओं से सुरक्षित होने

का यह उपाय किया। उसने भिखमंगे का वेश बनाया। जब भी कोई संदिग्ध

आदमी सामने आता, वह 'कुची-कुची' (दया-दया) 'एक पैसा' कहकर

भीख माँगने लगता। इस प्रकार उसने अपनी जान-माल की सुरक्षा के लिए

भिखमंगे का वेश अपनाया।

12. 'नम्से' कौन था? उसकी चारित्रिक विशेषता पर प्रकाश डालें।

उत्तर― 'नम्से' बौद्ध भिक्षु था। वह शेकर विहार नामक जागीर का प्रमुख भिक्षु

था। अन्य प्रबंधक भिक्षुओं के समान उसका जागीर में खूब मान-सम्मान

था। नमसे बहुत ही भद्र पुरुष था। उसमें अधिकारी या प्रबंधक होने का

मिथ्या अहंकार नहीं था। वह लेखक को बड़े प्रेम से मिला। यद्यपि लेखक

की वेशभूषा भिखमंगे जैसी थी। फिर भी नम्से ने उसके साथ प्रेमपूर्वक

बातें की।

                                        ◆◆

लेखक को भीख मांगने के वेश में यात्रा क्यों करनी पड़ी?

नेपाल-तिब्बत मार्ग प्रस्तुत पाठ राहुल सांकृत्यायन द्वारा की गई तिब्बत यात्रा का एक यात्रा वृत्तांत है। भारतीय लोगों को उस समय तिब्बत जाने की अनुमति नहीं थी, इसलिए लेखक ने भिखारियों जैसी वेशभूषा धारण कर अपनी यात्रा प्रारंभ की।

लेखक भिखमंगे के वेश में क्यों यात्रा कर रहे थे डाकुओं के डर से गरीबी के कारण घर से दूर होने के कारण इनमें से कोई नहीं?

उत्तर: लेखक ने भिखमंगे के वेश में तिब्बत यात्रा की, क्योंकि उस समय भारतीयों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी और मार्ग में डाकुओं का भी भय था।

लेखक की यात्रा का उद्देश्य क्या था?

यात्रा-साहित्य का उद्देश्य लेखक के यात्रा अनुभवों को पाठकों के साथ बाँटना और पाठकों को भी उन स्थानों की यात्रा के लिए प्रेरित करना है। इन स्थानों की प्राकृतिक विशिष्टता, सामाजिक संरचना, सामाज के विविध वर्गों के सह-संबंध, वहाँ की भाषा, संस्कृति और सोच की जानकारी भी इस साहित्य से प्राप्त होती है।

लेखक ने यह यात्रा कब की थी?

Solution. लेखक ने तिब्बत की यात्रा भिखमंगों के वेश में की क्योंकि उस समय तिब्बत की यात्रा पर प्रतिबंध था। इसके अलावा डाँडे जैसी खतरनाक जगहों पर डाकुओं से इसी वेश में जान बचायी जा सकती थी। Report Error Is there an error in this question or solution?