माँ के दूध को सर्वोत्तम आहार क्यों कहा जाता है? - maan ke doodh ko sarvottam aahaar kyon kaha jaata hai?

माँ का दूध बच्चे की भूख मिटाता है, उसके शरीर की पानी की आवश्यकता को पूरी करता है, हर प्रकार के बीमारी से बचाता है, और वो सारे पोषक तत्त्व प्रदान करता है जो बच्चे को कुपोषण से बचाने के लिए और अच्छे शारारिक विकास के लिए जरुरी है। माँ का दूध बच्चे के मस्तिष्क के सही विकास के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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माँ के दूध को सर्वोत्तम आहार क्यों कहा जाता है? - maan ke doodh ko sarvottam aahaar kyon kaha jaata hai?

माँ के दूध की तुलना सिर्फ अमृत से की जा सकती है।  

माँ का दूध बच्चे के लिए सिर्फ आहार ही नहीं, बल्कि जीवन रक्षक वरदान है। 

सरकारी आँकडोँ के अनुसार माँ के दूध के फायदे के जानकारी के आभाव में बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। उनके अनुसार 6 माह तक बच्चे को केवल माँ का दूध ही देना चाहिए। 

माँ के दूध में पर्याप्त मात्रा में पानी होता है इसीलिए बच्चे को अलग से पानी देने की आवश्यकता नहीं है। माँ के दूध में वो सभी पोषक तत्त्व होते हैं जो बच्चों कुपोषण से बचाने में सहायक हैं। 

माँ का दूध बच्चों के लिए अमृत सामान होता है। यह शिशु को उसी तापमान में मिलता है, जो की शिशु के शरीर का होता है। इससे शिशु को ना तो सर्दी और ना ही गर्मी होती है।

औरत (मां) का दूध (Maa ka dudh / Mothers milk) के फायदे बच्चों को इतने हैं की हर माँ को (कामकाजी महिलाओं को भी) समय निकाल कर अपने बच्चों को स्तनपान जरूर करना चाहिए। 

इस लेख में आप पढ़ेंगे:

माँ का दूध बच्चे को बीमारियोँ से बचता है - Breastfeeding protects your baby from several diseases

बच्चों का शरीर पूरी तरह से संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार नहीं है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होंगे उनमें यह छमता विकसी होगी। इस दौरान बच्चों को माँ का दूध संक्रमण से बचता है। माँ के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्व होता है जो बच्चे के आँतों में संक्रमण (रोगाणुओं) को पनपने नहीं देता है। 

माँ के दूध को सर्वोत्तम आहार क्यों कहा जाता है? - maan ke doodh ko sarvottam aahaar kyon kaha jaata hai?

  • नवजात बच्चे में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति नहीं होती है। बच्चे को रोग से लड़ने की शक्ति माँ के दूध से मिलती है। माँ के दूध में उपस्थित लेक्टोफोर्मिन, बच्चे की आंत में लौह तत्त्व को बांध देता है। लौह तत्त्व के आभाव में रोगाणु आंत में पनप नहीं पाते हैं।  
  • माँ के दूध से बच्चे के आंत में एक विशेष किस्म के जीवाणु आते हैं। ये जीवाणु में रोगाणु से लड़ने की प्रतिरोधक छमता होती है। ये जीवाणु माँ के आंत से एक विशेष नलिका थोरासिक डक्ट के जरिये सीधे माँ के स्तन तक पहुँचते हैं यहां से ये जीवाणु बच्चे के पेट मैं पहुँचते हैं वर बच्चे की रक्षा करते हैं रोगाणु से लड़ के। इसी लिए माँ का दूध पि के बच्चे सदैव स्वस्थ्य रहता है। 
  • जिन बच्चों को बचपन में माँ का दूध पर्याप्त मात्रा मैं नहीं मिला उन बच्चों में आगे चल कर मधुमेह की बीमारी होने की सम्भावना होती है। 
  • समय से पूर्व जन्मे (प्रीमेच्योर) बच्चे में आंत का घातक रोग, नेक्रोटाइजिंग एंटोरोकोलाइटिस होने की सम्भावना रहती है। 
  • बच्चों को अगर गाय का दूध पीतल के बर्तन में उबाल कर दिया गया तो बच्चे को लीवर (यकृत) का रोग इंडियन चाइल्डहुड सिरोसिस होने का खतरा रहता है। इसीलिए छह-से-आठ महीने तक बच्चे को सिर्फ माँ का दूध या डॉक्टर की राय पे formula milk दिया जा सकता है। माँ का दूध पइका बच्चा सदैव स्वस्थ्य रहता है। 
  • माँ का दूध बच्चे के लिए जीवन रक्षक है। 

मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं माँ का दूध - Breastfeeding improves child's intelligence

माँ के दूध को सर्वोत्तम आहार क्यों कहा जाता है? - maan ke doodh ko sarvottam aahaar kyon kaha jaata hai?

माँ के दूध में पाए जाने वाला एक तत्त्व जिसे फैटीएसिड कहते हैं, बच्चों के मस्तिष्क की कोशिकाओं का विकास करता है। जिन बच्चों को बचपन में माँ का दूध नहीं मिला उन बच्चों में बुद्धि का विकास माँ-का-दूध-पिने-वाले बच्चों से अपेक्षाकृत कम पाया गया। 

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माँ के दूध में antioxidant होता है - Mother's milk contains antioxidant

माँ के दूध को सर्वोत्तम आहार क्यों कहा जाता है? - maan ke doodh ko sarvottam aahaar kyon kaha jaata hai?

माँ के दूध में बच्चे की जरुरत के सभी पोषक तत्व, एंटी बाडीज, हार्मोन, प्रतिरोधक कारक और एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं जो बच्चे के बेहतर विकास और स्वस्थ्य के लिए जरुरी है। 

माँ का दूध है बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार - Best food for baby

माँ के दूध को सर्वोत्तम आहार क्यों कहा जाता है? - maan ke doodh ko sarvottam aahaar kyon kaha jaata hai?

  • जन्म के छह माह (6 month) तक बच्चे को सिर्फ माँ का दूध देना चाहिए। बच्चे को पानी या कोई और तरल पदार्थ या कोई ठोस नहीं देना चाहिए। 
  • माँ के दूध में पर्याप्त मात्रा मैं पानी होता है जो की बच्चे के पानी की सभी आवश्यकता पूरी करने के लिए पर्याप्त है। चाहे मौसम गर्म हो या सर्द, बच्चे की प्यास बुझाने के लिए माँ का दूध पर्याप्त है। 6 month se पहले पानी देना बच्चे के लिए हानिकारक है। 
  • बच्चे को पानी पिलाने से बच्चे का दूध पीना कम हो जाता है। पानी सा बच्चे को संक्रमण लगने का खतरा भी रहता है। 
  • बच्चे को जन्म के आधे घंटे के अंदर स्तनपान करना चाहिए। 
  • ऑपेरशन के जरिये अगर बच्चे का जन्म हुआ है तो 4- 6 घण्टे के अंदर जैसे ही माँ को होश आ जाये, बच्चे को दूध पिलाना चाहिए। 

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मां का पहला पीला दूध (कोलोस्ट्रम)

माँ के गर्भ में बच्चा संक्रमण से सुरक्षित रहता है। क्योँकि माँ  के शरीर का  immunity power सक्षम होता है रोगाणुओं से लड़ने में। मगर जब बच्चे का जन्म हो जाता है तब बच्चे को खुद ही अपने शरीर की रक्षा करनी होती है। जन्म के ठीक बाद मां का पहला पीला दूध बच्चे के लिए अमृत जैसा है। यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता ही है साथ ही यह बच्चों को एलर्जी, दस्त और निमोनिया जैसी तमाम बीमारियोँ से भी बचाता है। माँ का दूध सरलता से पच जाता है और बच्चे को 6 महीने तक माँ का दूध अवश्य देना चाहिए। UNICEF के अनुसार अगर बच्चे के जन्म के एक घंटे के अंदर उसे माँ का दूध पिलाया जाये तो दुनिया भर में होने वाले शिशु मृत्यु दर को बहुत हद तक घटाया जा सकता है (हर पांच में से एक मृत्यु को रोका जा सकता है)। 

माँ के दूध को सर्वोत्तम आहार क्यों कहा जाता है? - maan ke doodh ko sarvottam aahaar kyon kaha jaata hai?

नवजात बच्चे का पेट एक Cherry जितना छोटा होता है। शोधकर्ताओं ने पाया है की नवजात बच्चे का पेट फैलता नहीं है और इसीलिए ज्यादा दूध पिने पे उलट देता है। मां का पहला पीला दूध (कोलोस्ट्रम) colostrum में पोषक तत्त्व घनिष्ट मात्रा मैं होता है और ये बिलकुल उपयुक्त मात्रा है बच्चे के छोटे पेट के लिए। 

  • माँ के प्रथम दूध (कोलोस्ट्रम) पहला गहड़ा पीला दूध में विटामिन, एन्टीबबॉडी, अन्यह पोषक तत्वा अधिक मात्रा में होते हैं। जो नवजात बच्चे के लिए बेहद जरुरी है। 
  • मां का पहला पीला दूध बच्चे को संक्रमण से बचाता है। और रतौंधी जैसे रोगों से बचाता है।
  • माँ बच्चे को स्तनपान किसी भी स्थिति में करा सकती है जैसे की लेटे-लेटे या बैठ के। 
  • कम वजन और समय से पूर्व उत्पन्न बच्चे को भी स्तनपान करना चाहिए। 
  • अगर नवजात बच्चा स्तनपान नहीं कर पा रहा है तो स्तन से चम्मच में दूध निकाल कर बच्चे को चम्मच से दूध पिलायें।   
  • बोतल से दूध पीने वाले बच्चों में दस्त रोग की समस्या आम बात है इसीलिए बच्चों को बोतल से दूध नहीं पिलाना चाहिए। 

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6 महीने से ज्यादा उम्र के बच्चे

माँ के दूध को सर्वोत्तम आहार क्यों कहा जाता है? - maan ke doodh ko sarvottam aahaar kyon kaha jaata hai?

  • जब बच्चा 6 माह से ऊपर का हो जाये तब उसे माँ के दूध के साथ-साथ अन्य आहार भी देना चाहिए। 6 महीने के बच्चे की आहार सरणी के अनुसार आप बच्चे को आहार दे सकती हैं। 
  • 6 माह से ऊपर के बच्चे को आप घर में बनने वाले आम आहार जैसे की दाल, दाल का पानी, उबला केला, आलू इत्यादि दे सकते हैं। ऊपरी आहार के साथ-साथ बच्चे को कम-से-कम एक साल तक स्तनपान कराते रहें। 
  • अगर बच्चा बीमार हो तो भी बच्चे को स्तनपान करना जारी रखें। माँ का दूध बच्चे के स्वस्थ्य  में जल्दी सुधार लेन मैं सहायता करता है। 

माँ के दूध में होर्मोनेस और एंटीबाडीज होता है 

माँ के दूध को सर्वोत्तम आहार क्यों कहा जाता है? - maan ke doodh ko sarvottam aahaar kyon kaha jaata hai?

माँ के दूध से बच्चे को माँ के शरीर की होर्मोनेस और एंटीबाडीज भी मिलती है। ये होर्मोनेस और एंटीबाडीज बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी है। माँ के दूध में मौजूद antibodies बच्चे के शरीर को सक्षम बनता है की वो viruses और bacteria के साथ मुकाबला कर सके और स्वस्थ रह सके।

माँ के दूध से सम्बंधित शोध - research associated with mother's milk

माँ के दूध को सर्वोत्तम आहार क्यों कहा जाता है? - maan ke doodh ko sarvottam aahaar kyon kaha jaata hai?

"Immunology" journal में प्रकाशित एक शोध के अनुसार माँ का दूध इतना शक्तिशाली होता है की वो निर्धारित करता है की बच्चे की प्रतिरोधक छमता कितनी मजबूत रहेगी। माँ का दूध बच्चे को इतनी प्रतिरोधक छमता देता है जितना की बच्चे को टोककरण से मिलता है। इसका सीधा सा मतलब यह है की माँ का दूध बच्चे को बड़े-बड़े बीमारी से लड़ने की ताकत देता है। 

माँ के दूध से बच्चे को प्रतिरोधक छमता मिलती है - Child acquires immunity through breastfeeding

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"Immunology" journal में यह भी स्पष्ट किया गया की बहुत से ऐसे टिके हैं जो बच्चों को नहीं दिए जा सकते क्योँकि उनको बच्चों को लगाना सुरक्षित नहीं है। मगर California University के professor -  MA Walker  के अनुसार, अगर वही टिका (vaccine) जब माँ गर्भवती हो तो अगर लगा दिया जाये तो बच्चे के जन्म के बाद स्तनपान कराते वक्त माँ के दूध के द्वारा बच्चे को सारी immunity और दवा की प्रतिरोधक छमता मिल जाएगी। इस प्रकार से बच्चे को दिए गए प्रतिरोधक छमता को passive immunity कहा जाता है। 

माँ का दूध बच्चे के शरीर को immunity develop करना सिखाता है - Trains to develop immunity

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माँ का दूध के साथ मिलने वाली प्रतिरोधक छमता (passive immunity) बच्चे के शरीर की निजी immunity को develop करने में सहायता करता है। पैसिव इम्युनिटी बच्चे के शरीर को प्रतिरोधक छमता बनाना सिखाता है। इसे "मैटरनल एजुकेशनल इम्‍युनिटी" कहा जाता है। यह सबसे बड़ा कारण है की माँ का दूध गाए के दूध से क्योँ बेहतर है। यौन कहें की माँ का दूध का किसी और दूध से कोई तुलना ही नहीं है। माँ के दूध से बच्चे के आंत मजबूत होती है और बच्चे में संक्रमण से लड़ने की छमता उत्पन होती है। संक्रमण से लड़ने की यह छमता बच्चे में पूरी उम्र बनी रहती है। शोध में यह भी पाया गया की अगर माँ को कोई टोका (vaccination) दिया जाता है तो उसका असर संतान पे भी होता है। इसका मतलब अगर बच्चे को अप्रत्‍यक्ष रूप से कोई टिका लगाना हो तो उसकी माँ को pregnancy से पहले ही वो टिका लगा दिया जाये। बाद में बच्चे के जन्म के बाद स्तनपान के जरिये माँ से बच्चे में पहुँच जायेगा और इस तरह माँ और बच्चे दो बीमारियोँ से सुरक्षित हो जायेंगे। 

कुपोषण और चौकाने वाले आकंड़े - malnutrition and startling figures

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पुरे विश्व में भारत एक अकेला ऐसा देश है जहाँ हर साल नवजात शिशुओं में जन्म दर और मृत्यु दर का अनुपात सबसे ज्यादा है। राष्ट्रीय स्वस्थ्य कल्याण सर्वेक्षण के अनुसार यहां हर साल 46 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार होता हैं। यह 46 प्रतिशत का आंकड़ा उत्तर प्रदेश का है। लेकिन भारत का मध्य प्रदेश कुपोषण के मामले में सबसे आग है। हर साल 0 से 5 वर्ष तक की आयु वर्ग के बच्चों में होने वाली मृत्यु का 60 प्रतिशत कारण बच्चों में कुपोषण है। कुपोषण की समस्या सबसे ज्यादा ग्रामीण छेत्रों में पिछड़ी जाति के लोगों, विशेष कर अशिक्षित वर्ग के लोगों में ज्यादा पाया जाता है। 

पोषण का मुख्या कारण: 

  • बच्चों को पर्याप्त मात्रा मैं दूध का ना मिलना 
  • बच्चों को 6 महीने से पहले पानी पीने को देना
  • गर्भवती महिलाओं का कुपोषित होना 
  • शिशु को जन्म के एक घंटे के अंदर दूध ना पिलाना
  • सरकारी आकड़ों की माने तो देश में सिर्फ 23 प्रतिशत महिलाएं ही जन्म के एक घंटे के अंदर बच्चे को दूध पिलाती हैं। उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा केवल 7.2 प्रतिशत है। 

माँ के दूध के फायदे - Benefits of breastfeeding

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  • माँ का दूध बच्चों में आसानी से पच जाता है तथा बच्चों में पेट सम्बन्धी विकारों से बचाता है।
  • माँ के दूध के सेवन से बच्चे के दिमाग का विकास सही तरीके से होता है। इससे बच्चे की बौद्धिक छमता उन बच्चों से बेहतर होती है जिन्हे बचपन में माँ का दूध नहीं मिला। 
  • शिशुओं में डायरिया से लड़ने की छमता भी कम होती है। माँ का दूध बच्चे को डायरिया की बीमारी से लड़ने की छमता प्रदान करता है। 
  • पहले महीने से लेकर 12 महीने तक बच्चे में SIDS (अचानक शिशु मृत्यु संलक्षण) का खतरा रहता है। माँ का दूध बच्चे में इस बीमारी की सम्भावना को कम करता है। 
  • माँ का दूध, टीकाकरण से होने वाले तकलीफ को कम करता है। 
  • माँ का दूध बच्चों में रोगाणुओं से लड़ने के लिए प्रतिरोधक छमता बढ़ाता है। 
  • स्तनपान बच्चों में कान और दमा सम्बन्धी विकारों को दूर रखता है।
  • जिन बच्चों को जन्म से लेकर एक साल तक माँ का दूध मिला है उनमें आगे चलकर श्वसन तंत्र के रोग, रक्त कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप की समस्या कम पायी गयी है। 
  • माँ का दूध बच्चों की बौद्धिक छमता भी बढ़ाता है। 
  • स्तनपान कराने से माँ और बच्चे के बीच भावनात्मक रिश्ता प्रगाढ़ होता है।
  • जो माताएं स्तनपान कराती हैं उनमें गर्भाशय और स्तन के कैंसर का ख़तरा काफी कम रहता है। 
  • एक अमरीकी शोध में यह बात सामने आयी है की जिन बच्चों को लम्बे समय तक स्तनपान कराया गया वे बाद में चलकर मोटापे की समस्या से देर तक बच्चे। 
  • माँ के दूध में मिलने वाला तत्त्व बच्चे के मेटाबोलिज्म को बेहतर बनाता है। 
  • माँ के दूध में मिलने वाला  D.H.A. और A.A. fatty acid, मस्तिष्क की कोशिकाओं के विकास में एहम भूमिका निभाता है। 
  • स्तनपान से बच्चे की IQ (Intelligence Quotient) भी बढ़ती है। 

माँ का दूध कैंसर और अल्जाइमर से बचाता है 

माँ के दूध को सर्वोत्तम आहार क्यों कहा जाता है? - maan ke doodh ko sarvottam aahaar kyon kaha jaata hai?

कई शोध में यह बात सामने आयी है की माँ के दूध में (stem cells) स्टेम कोशिकाएं होती हैं जो बच्चे को अल्जाइमर और कैंसर जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधक छमता प्रदान करता है। अध्यन में पाया गया की स्टेम कोशिकाओं में जो गुण होते हैं वे भ्रूण कोशिकाओं से बहुत मिलते जुलते हैं। स्टेम कोशिकाएं में एक अजूबी छमता होती है जिस कारण वो किसी भी कोशिका के रूप में परिवर्तित हो सकती है। इसी वजह से स्टेम कोशिकाएं को ‘मास्टर कोशिकाए’ भी कहा जाता है। 

माँ का दूध Vs Formula Milk  

कभी किन्ही स्थितियों में बच्चों को Formula Milk दिया जा सकता है जब माँ का दूध शिशु के लिए पर्याप्त ना  हो रहा हो। इसका मतलब Formula Milk मज़बूरी में देना चाहिए, वो भी डॉक्टर के recommendation पे।

माँ के दूध को सर्वोत्तम आहार क्यों कहा जाता है? - maan ke doodh ko sarvottam aahaar kyon kaha jaata hai?

कित्रिम दूध / Formula Milk में माँ के दूध की गुणवत्ता का अनुकरण करने की कोशिश की जाती है। मगर माँ के दूध का कोई तुलना नहीं है। सही मायने में माँ के दूध का नक़ल कभी नहीं किया जा सकता है। कित्रिम दूध हमेशा कित्रिम दूध ही रहेगा। ऐसा इसलिए क्योँकि माँ का दूध सिर्फ आहार ही नहीं है। यह बहुत सारे कार्य करता है। जैसे की बच्चे की संक्रमण से रक्षा, और बौद्धिक और शारीरिक विकास में योगदान। यह बच्चे में प्रतिरोधक छमता भी विकसित करता है। कित्रिम दूध कभी भी इतना सब कुछ नहीं कर पायेगा। 

कित्रिम दूध को तैयार करने के लिए उसमे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा और विटामिन इत्यादि एक निश्चित मात्रा में दाल दिए जाते हैं ताकि कित्रिम दूध में तत्वों की मात्रा ठीक वैसे ही हो जैसे की माँ के दूध में होती है। परन्तु माँ के दूध में इन सब के आलावा भी बहुत कुछ होता है जो कित्रिम तौर पे तैयार नहीं किया जा सकता है। 

माँ के दूध में तत्वों की मात्रा का अनुपात बच्चे की उम्र के बदलाव के साथ घटता बढ़ता रहता है। माँ का दूध कभी गहड़ा - तो कभी हल्का - तो कभी ज्यादा - तो कभी कम होता है। ऐसा बच्चे के बदलते शारीरिक आवश्यकता के अनुसार माँ का दूध खुद को नियंत्रित कर लेता है। कित्रिम दूध ऐसा कभी नहीं कर पायेगा। 

माँ के दूध की भौतिक गुणवत्ता का नक़ल तो किया जा सकता है मगर माँ के दूध में अनेक जैविक गुण होते हैं जिसकी नक़ल कित्रिम दूध कभी नहीं कर पायेगा। माँ के दूध के जैविक गुणों के कारण माँ से बच्चे को रोग से बचने के लिए प्रतिरक्षा मिलती है। माँ जब बच्चे को दूध पिलाती है तो माँ और बच्चे के बीच लगाव उत्पन होता है। यह भी जैविक गुणों का ही एक उदहारण है। 

समय से पूर्व जन्मे बच्चे (pre-mature) बच्चे और माँ का दूध

माँ के दूध को सर्वोत्तम आहार क्यों कहा जाता है? - maan ke doodh ko sarvottam aahaar kyon kaha jaata hai?

समय से पूर्व जन्मे बच्चे (pre-mature) बच्चे के लिए वरदान से कम नहीं है माँ का दूध। हाल में हुए एक शोध में यह बात सामने आया है की शुरुआती 1 महीने के दौरान माँ का दूध बच्चे को पिलाने से उसके मस्तिष्क के विकास को गति मिलती है। अमेरिका के सेंट लुईस शिशु अस्पताल में हुए अध्यन में पाया गया की जिन बच्चों को दैनिक खुराक में कम-से-कम 50 प्रतिशत माँ का दूध दिया गया उन बच्चों के मस्तिष्क के उत्तकों और इसके (मस्तिष्क के) बाहरी आवरण क्षेत्र का विकास, उन नवजात बच्चों से बेहतर रहा जिन्हे दैनिक खुराक में माँ का दूध 50 प्रतिशत से कम मिला। 

जिन बच्चों का जन्म समय से पूर्व होता है उनका दिमाग पूरी तरह विकसित नहीं होता है। अनुसंधानकर्ताओं ने एमआरआई स्कैन (MRI Scan) मैं अधिक स्तनपान करने वाले बच्चों के मस्तिष्क का आकर बड़ा पाया। शोध कर्ताओं के अनुसार माँ का दूध समय से पूर्व जन्मे बच्चे के लिए सबसे अच्छा आहार है। 

नवजात शिशु के लिए मां के दूध को सर्वोत्तम आहार क्यों माना जाता है?

माँ के दूध में आवश्यक पोषक तत्व, खनिज, विटामिन, प्रोटीन, वसा, एंटीबाडीज और ऐसे प्रतिरोधक कारक मौजूद होते हैं, जो नवजात शिशु के सम्पूर्ण विकास और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। शिशु के जन्म के छह माह बाद तक माँ का दूध ही बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार की सभी जरूरतें पूरी करता है।

दूध को संपूर्ण आहार क्यों कहा जाता है?

दूध एक सम्पूर्ण आहार है क्योंकि उससे शरीर को विभिन्न पोषक तत्व प्राप्त होते है। यथा वसा, ऊर्जा, अमीनों अम्ल, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण तथा विटामिन्स उपस्थित होते है। दूध में उपस्थित अमीनो अम्ल पूरी तरीके से पच जाते है। एक लीटर दूध 800 कैलोरी ऊर्जा प्रदान करता है।

मां के दूध से शिशु को सबसे महत्वपूर्ण पदार्थ क्या मिलता है?

माँँ के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्व होता है, जो बच्चे की आंत में लौह तत्त्व को बांध लेता है और लौह तत्त्व के अभाव में शिशु की आंत में रोगाणु पनप नहीं पाते। माँँ के दूध से आए साधारण जीवाणु बच्चे की आँत में पनपते हैं और रोगाणुओं से प्रतिस्पर्धा कर उन्हें पनपने नहीं देते। माँँ के दूध में रोगाणु नाशक तत्त्व होते हैं।

मां का दूध क्यों जरूरी है?

जब भी कोई गर्भवती महिला बच्चे को जन्म देती है तो नवजात शिशु को मां का ही दूध पिलाना चाहिए। यह बच्चे के भीतर रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है। शिशु को कई बीमारियों से भी बचाता है। यही नहीं मां का दूध नवजात शिशुओं की मृत्युदर को कम करने में भी कारगर है।