मोहिनी एकादशी का व्रत कैसे करें? - mohinee ekaadashee ka vrat kaise karen?

पटनाः Mohini Ekadashi Puja Vidhi: भगवान विष्णु के 24 अवतार और उनमें भी 10 मुख्य अवतारों की अवधारणा पुराणों में बताई गई है. इन अवतारों को लेकर उन्होंने धरती की रक्षा की. इनमें से ही एक है मोहिनी अवतार. कभी महादेव को भस्मासुर से बचाने के लिए तो कभी असुरों से अमृत लेकर देवताओं को पिलाने के लिए श्रीहरि ही मोहिनी अवतार लेते हैं. मोहिनी अवतार के अवतरण की तिथि वैशाख के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है, जिसे मोहिनी एकादशी के नाम से जानते हैं. 

ये है पौराणिक मान्यता
मोहिनी एकादशी को सभी एकादशी तिथियों में विशेष माना गया है. 12 मई 2022, गुरुवार को पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल की एकादशी तिथि है. इस एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी कहा जाता है. गुरुवार का दिन होने की वजह से भगवान विष्णु की पूजा का इस दिन विशेष महत्व माना गया है. पौराणिक कथा के अनुसार इसी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार धारण किया था, इसलिए इसे मोहिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.

मोक्ष दिलाती है मोहिनी एकादशी
मान्यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से इंसान को मोह के बंधनों से दूर होने और मोक्ष पाने में मदद मिलती है. इस व्रत को करने से व्‍यक्‍ति के सभी पाप व दुख दूर हो जाते हैं. यह भी मान्‍यता है कि इस दिन व्रत कथा का पाठ करने से एक हजार गायों के दान के बराबर पुण्य मिलता है. मोहिनी एकादशी के बारे में कहा जाता है कि यह वही दिन है जिस दिन समुद्र मंथन से निकले अमृत को असुरों से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अप्सरा मोहिनी का रूप धारण किया था. इसके अलावा भस्मासुर से महादेव को बचाने के लिए भी भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था. मोहिनी एकादशी के दिन की पूजन विधि क्या है, जानिए विस्तृत जानकारी. 

ऐसे करें पूजा
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें. इस दिन की पूजा में भगवान विष्णु की प्रतिमा/फोटो के समक्ष दीप जलाएं. भगवान विष्णु को अक्षत, फूल, फल, नारियल और मेवे आदि अर्पित करें. 
भगवान विष्णु की पूजा में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल करें. इसके बाद भगवान विष्णु की आरती उतारें. इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. इस दिन की पूजा में एकादशी की कथा अवश्य सुने और दूसरों को सुनाएं. ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.

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मोहिनी एकादशी का व्रत कैसे करें? - mohinee ekaadashee ka vrat kaise karen?
Mohini Ekadashi 2022

Mohini Ekadashi 2022: वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार मोहिनी एकादशी 12 मई को पड़ रही है। इसी दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखने से व्यक्ति को हर तरह के मोह बंधन से मुक्ति मिलती है और जीवन में तरक्की मिलती है। शास्त्रों के अनुसार प्राचीन समय में देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। जब इस मंथन में अमृत निकला तो इसे पाने के लिए देवता और दानवों में युद्ध होने लगा। तब भगवान विष्णु ने इसी तिथि पर मोहिनी रूप में अवतार लिया था। मोहिनी रूप में अमृत लेकर देवताओं को इसका सेवन करवाया था।

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जानिए मोहिनी एकादशी का खास महत्व

पद्म पुराण में मोहिनी एकादशी के खास महत्व के बारे में बताया गया है। युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा, ''भगवन! वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी का महत्व और फल क्या है?" तब श्री कृष्ण ने भगवान राम को याद करते हुए कहा कि यही सवाल भगवान श्रीराम ने त्रेतायुग में महर्षि वशिष्ठ से पूजा था। जब उन्होंने कहा था कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी मोहिनी एकादशी होती है। जो कि सभी पापों का नाश करने वाली मानी जाती है। इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा करने से वह मनुष्य संसार की मोह माया से मुक्त हो जाएगा।

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मोहिनी एकादशी व्रत पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान का मनन करते हुए सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके बाद सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद पूजा स्थल में जाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि-विधान से करें। इसके लिए धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से करने के साथ रात को दीपदान करें। इस दिन रात को सोए नहीं।

सारी रात जगकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसके साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे। अगले दूसरे दिन यानी की 4 मई, बुधवार के दिन सुबह पहले की तरह करें। इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेट और दक्षिणा दे। इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद खुद भोजन करें।

व्रत के दिन व्रत के सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही साथ जहां तक हो सके व्रत के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। भोजन में उसे नमक का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इससे आपको हजारों सालों की तपस्या के बराबर फल मिलेगा।

मोहिनी एकादशी व्रत कथा

सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नाम का नगर था। वहां धृतिमान नाम का राजा राज्य करता था। उसी नगर में एक बनिया रहता था, उसका नाम था धनपाल। वह भगवान विष्णु का परम भक्त था और सदा पुण्यकर्म में ही लगा रहता था। उसके पांच पुत्र थे- सुमना, द्युतिमान, मेधावी, सुकृत तथा धृष्टबुद्धि। धृष्टबुद्धि सदा पाप कर्म में लिप्त रहता था। अन्याय के मार्ग पर चलकर वह अपने पिता का धन बर्बाद किया करता था।

एक दिन उसके पिता ने तंग आकर उसे घर से निकाल दिया और वह दर-दर भटकने लगा। भटकते हुए भूख-प्यास से व्याकुल वह महर्षि कौण्डिन्य के आश्रम जा पहुंचा और हाथ जोड़ कर बोला कि मुझ पर दया करके कोई ऐसा व्रत बताइए, जिससे पुण्य प्रभाव से मेरी मुक्ति हो। तब महर्षि कौण्डिन्य ने उसे वैशाख शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी के बारे में बताया। मोहिनी एकादशी के महत्व को सुनकर धृष्टबुद्धि ने विधिपूर्वक मोहिनी एकादशी का व्रत किया।

इस व्रत को करने से वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर गरुड़ पर बैठकर श्री विष्णुधाम को चला गया। इस प्रकार यह मोहिनी एकादशी का व्रत बहुत उत्तम है।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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मोहिनी एकादशी व्रत का पालन कैसे करें?

मोहिनी एकादशी व्रत पूजा विधि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान का मनन करते हुए सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके बाद सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद पूजा स्थल में जाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि-विधान से करें। इसके लिए धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से करने के साथ रात को दीपदान करें

मोहिनी एकादशी के व्रत में क्या खाना चाहिए?

मखाना खीर रेसिपी (Makhana Kheer Recipe): मोहिनी एकादशी पर आप मखाने की खीर में ढेर सारे ड्राई फ्रूट्स डाल कर भगवान विष्णु को अर्पित कर सकते हैं.

मोहिनी एकादशी का व्रत कब रखें?

मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त 2022 वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि 11 मई, बुधवार को शाम 07 बजकर 31 मिनट पर प्रारंभ होगी, जोकि 12 मई, गुरावार को शाम 06 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, मोहिनी एकादशी व्रत 12 मई को रखा जाएगा।

मोहिनी एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए?

Mohini Ekadashi 2022 : मोहिनी एकादशी को सभी एकादशी तिथियों में विशेष माना गया है..
पति और पत्नी को आपस में वाद विवाद नहीं करना चाहिए..
मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए..
क्रोध नहीं करना चाहिए..
भाषा को दूषित नहीं करना चाहिए..
हर प्रकार के नशे से दूर रहना चाहिए..
लोभ न करें..
झूठ न बोलें..