मरुस्थल में उगने वाले पौधे कटीले क्यों होते हैं - marusthal mein ugane vaale paudhe kateele kyon hote hain

Marusthaleey Paudhon Ki Pattiyan Nukili Kyon Hoti Hai

GkExams on 10-10-2022

सही उत्तर : जल स्तर के कारण

व्याख्या :

मरुस्थलीय पौधे की विशेषताओं में पत्तियां का नुकीली और जड़ों का लम्बा है। इसकी जड़ों की यह विशेषता होती है कि वे पौधे के लिए जल संभरण का कार्य करती है यही कारण है कि मरुस्थलीय क्षेत्र में जल का स्तर अत्यधिक नीचे होने के कारण ये जल की खोज मे काफी नीचे तक पहुंच जाती है। मरुस्थलीय क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा लगभग नगण्य होने के कारण जल का स्तर बहुत नीचे रहता है जिससे वहां कम पानी सोखने वाले पौधे ही उगते हैं तथा जिनकी पत्तियां कटीली या जल अवशोषित न करने वाली होती है।

मरूद्भिद (Xerophyte) पादप के बारें में :

वे पौधे जो शुष्क स्थानों में उगते हैं, उन्हें मरूद्भिद कहा जाता है। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की ये पौधे जिन स्थानों पर उगते हैं, वहाँ पर प्राप्य जल या तो बहुत कम होता है या इस प्रकार का होता है कि पौधे उसे प्रयोग नहीं करते।

मरुस्थल में उगने वाले पौधे कटीले क्यों होते हैं - marusthal mein ugane vaale paudhe kateele kyon hote hain

मरूद्भिद पौधों के उदाहरण (Xerophytes Examples) :

  • नागफनी
  • यूफोर्बिया
  • एकासिया
  • कैजुराइना
  • ये सभी उपरोक्त उदाहरण पौधे (Xerophyte Adaptations) प्रायः आकार में छोटे एवं बहुवर्षीय होते हैं। कैक्टस की कुछ प्रजातियाँ तो 80 वर्षों तक जीवित रहती हैं। शुष्क स्थानों में पाये जाने वाले ये पौधे विपरीत परिस्थितियों से बचने के लिए अनुकूलित होते हैं।

    इसके अलावा इनकी जड़े जल की खोज में अति विकसित एवं शाखान्वित हो जाती हैं। जड़ों पर मूलरोम एवं मूलटोप पाये जाते हैं जिससे इनकी जल-अवशोषण क्षमता अधिक होती है। तने शाखान्वित तथा छोटे होते हैं जिन पर रोम व क्यूटिकिल की परत रहती है जससे जल का क्षय कम से कम होता है।

    नागफनी, कोकोलोबा व सतावर के पौधों में तने मांसल या पत्ती के सदृश्य होकर जल का संचय करते हैं। वाष्पोत्सर्जन की दर को कम करने के लिए पत्तियाँ छोटी होती हैं या शल्कों में रूपान्तर हो जाती हैं, कुछ मरूद्भिद जैसे करोल में तो पत्तियाँ पूर्णरूप से अनुपस्थित होती हैं।

    Pradeep Chawla on 17-10-2018

    Check link below -

    http://ncert.nic.in/ncerts/l/fhsc109.pdf

    सम्बन्धित प्रश्न



    Comments Aa on 07-02-2022

    Marudabhid pootho ki pattiya kati me kyu badal jati h

    Tejasvi on 01-01-2022

    Marusthali phodho ke pattiya nukili kyu hoti h

    Sunita on 29-12-2021

    मरुस्थलीय पौधे की पत्तियां नुकीली क्यों होती है

    gungun on 26-04-2020

    Marusthaliy podho ki pattiyan kantedaar kyon hoti hain

    Akhilesh kumar on 29-02-2020

    Nagfani ke paodhe me pattiyan kanto me kyo parivartit ho jati hain

    Sp on 10-01-2020

    Marusthali paudhon ke pattiyon nokili Kyon Hote Hain

    PRIYANSHU KUMAR on 10-12-2019

    Marusthal me paye jane wale paodho ki pattiya kayesi hoti h

    Maya on 06-11-2019

    Nagphani kin Priya Kato me know badal jati h

    sandeep kumar on 10-10-2019

    Marusthali paudhon ki pattiyan Prayan Khuli Kyon hoti hain

    महेंद्र नाथ श्रीवास्तव on 28-07-2019

    मरुस्थल के पौधों की पत्तियाँ नुकीली क्यों होतीहै?

    महेंद्र नाथ श्रीवास्तव on 28-07-2019

    मरुस्थल के पौधों की पत्तियाँ नुकीली क्यों होतीहै

    Beerendra kumar on 01-02-2019

    मरुस्थलीय पौधों की पत्तियां नुकीली क्यों होती है

    मरुस्थलीय पौधों की पत्तियां पराया नुकीली क्यों होत on 29-01-2019

    मरुस्थलीय पौधों की पत्तियां प्राय नुकीली क्यों होती है इन पौधों की मुख्य विशेषताएं क्या है

    Archana on 17-01-2019

    Marusthliye paudhe ki patti nukili kynu hoti

    इकबाल on 22-10-2018

    मरूस्थलीय पौधो की पतती काटो में क्यों बदल जाती हैं

    Shraddha on 15-09-2018

    Marusthal k paudho ki pattiya nukili kyu hoti h



    हेलो फ्रेंड्स प्रश्न है मरुस्थलीय पौधों की जड़ें काफी गहराई तक जाती है लैमार्क व डार्विन के अनुसार ऐसी जड़ों का विकास किस प्रकार हुआ अलग-अलग समझाइए तो पहले हम समझते हैं लैमार्क की ठीक है पहले हम लैमार्कवाद समझते हैं तो ले मार्क ने क्या किया था वंशागति के अनुसार नहीं हम दिए थे मतलब कि अगर जो लक्षण जनक में होते हैं वही क्या होते हैं वही सेलेक्शन बन जाते हैं ठीक है वही स्थाई लक्षण हो जाते हैं और भाई क्या जाते हैं वह संतानों में आ जाते हैं ठीक है तो क्या हुआ था कि जो मरुस्थली पौधे की जड़े रहती है क्या हुआ था जो मरुस्थलीय पौधे की जो जड़े रहती है तो मरुस्थली भूमि में जल कहां पाया जाता है जो मरुस्थली भूमि रहती है मरुस्थलीय

    भूमि रहती है उसमें जो जल रहता है वह क्या पाया जाता है वह अधिक नीचे तथा गहराई में पाया जाता है नीचे तथा कहां पाया जाता है गहराई में पाया जाता है तो क्या होता कि जो मरुस्थली पौधे की जो जड़े हैं जो मरुस्थलीय पौधे की जो जड़े हैं मरुस्थलीय पौधों की जो जड़े हैं वह क्या करती है जल के अधिक गहराई तथा नीचे होने के कारण वह किस तरह वरना स्टार्ट कर देती है किस तरफ बढ़ने का प्रयास कर देती है वह जड़े गहराई में बढ़ने लग जाती है क्या करती है गहराई में बढ़ने का प्रयास करने लग जाती है बढ़ने का प्रयास करती है जो मरुस्थली पौधों की जो जड़े हैं वह क्या करती है कहराई में बढ़ने का प्रयास करने

    जाती है और लगातार प्रयास करती है क्या करती है प्रयास करती है तथा लगातार नीचे बढ़ने का प्रयास करती है तो लगातार प्रयास करने के कारण जो जड़े हैं वह क्या होती है लगातार प्रयास करने के कारण जो जड़े हैं वह धीरे-धीरे क्या करने लग जाती है धीरे-धीरे नीचे की ओर लंबी होती जाती है क्या होती है धीरे-धीरे लंबी होकर नीचे पानी की ओर बढ़ती गई क्या हो गया लंबी होकर नीचे की ओर बढ़ती गई नीचे की ओर बढ़ती गई और यही जो गुण था यही क्या हो गया स्थाई हो क्या और जनक के द्वारा कितने चला जाना अकेला संतान में चला गया मतलब कि यह गुण स्थाई हो गया और मरुस्थली पौधे से जो नए पौधे बने जो नए पौधे बने

    उनमें भी तो यह गुण क्या हो गया स्थाई रूप से यही लक्षण दिखाई देने लग गए क्या हो गए स्थाई रूप से यही लक्षण दिखाई देने लग गए क्योंकि वह लक्षण किसमें थे वह लक्षण वंशा गत हो गए और वंशा गत होने के कारण वह जो लक्षण थे वह स्थाई रूप से दिखाई देने लगे यह किसका हो गया यह लैमार्क को हो गया अब हम समझते हैं डार्विन का क्या समझते हैं कि जो डार्विन थे उनके अनुसार क्या लक्षण है ठीक है तो डार्विन क्या था डार्विन ने क्या बताया था कि जो जियो यहां जो पौधे है वातावरण के साथ जो अनुकूलन हो जाएंगे तो वह क्या होंगे वह जीवित रहेंगे तो मरुस्थल में उगने वाले जो पौधे रहते हैं उन्हें क्या होता है अधिकतर की जो जड़े रहती है वह लंबाई में होती है क्या होता है अधिकतर की जो पौधे की जो जड़े रहती है विभिन्न

    लंबाई की होती है तो उन्हें भी क्या होता है उनमें भी लगातार स्पर्दा होती है एवं संघर्ष के कारण क्या होता है केवल गहराई तक जाने वाली जो जड़े होती है क्या होता है केवल जो गहराई तक जाती है जड़े गहराई तक जो जड़े जाती है उनमें क्या होता है जो जड़े गहराई तक जाती है उनका लक्षण क्या हो जाता है उनका लक्षण हो जाता है स्थाई उनका जो लक्षण है वह हो जाता है इस भाई क्योंकि वह क्या होता है वातावरण में परिवर्तन मतलब की बात और में क्या होगा जो जल रहेगा वह क्या अंदर तक पाया जाता है तो जालंधर तक नीचे तक पाए जाने के कारण में क्या आएगा स्थाई परिवर्तन आएगा और वह जो स्थाई परिवर्तन आएगा वही उनका क्या बन जाएगा लक्षण बन जाएगा अगर वह खुद को मतलब कि वह ज्यादा लंबी नहीं होगी यह तो वह बात और उनके अनुसार अनुकूलित नहीं हो पाएगी जिसके कारण क्या हो जाएगी भगवती समाप्त हो जाएंगे परंतु

    स्पर्धा और संघर्ष के कारण से जुड़े गहराई तक जा पाती है वही क्या हो जाती है जीवित रहती है तथा वहीं लक्षण में क्या हो जाता है स्थाई हो जाता है यह था डार्विन का मत तथा जो यह था यह था लैमार्क का मत धन्यवाद दोस्तों आशा करती हूं कि आपको इस प्रश्न का उत्तर समझ आया होगा

    रेगिस्तान के पौधे में कांटे क्यों होते हैं?

    रेगिस्तानी पौधे के कांटे और बाल जैसे रेशे उन्हें छाया प्रदान कर सूर्य की गर्मी से बचाते हैं। इन पौधों की चिकनी और चमकीली पत्तियां अधिक विकरित ऊर्जा को परावर्तित कर पौधों को ठंडा रखती हैं

    मरुस्थल में उगने वाले पौधों को क्या कहा जाता है?

    नागफनी, यूफोर्बिया, एकासिया, कैजुराइना आदि कैक्टस वर्गीय शुष्क स्थानों एवं रेगिस्तानों में उगने वाले पौधे मरूद्भिदों के सुन्दर उदाहरण हैं। ये पौधे प्रायः आकार में छोटे एवं बहुवर्षीय होते हैं। कैक्टस की कुछ प्रजातियाँ तो ८० वर्षों तक जीवित रहती हैं

    मरुस्थलीय पौधों में पत्तियां कांटों में क्यों रूपांतरित हो जाती है?

    मरुस्थलीय क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा लगभग नगण्य होने के कारण जल का स्तर बहुत नीचे रहता है जिससे वहां कम पानी सोखने वाले पौधे ही उगते हैं तथा जिनकी पत्तियां कटीली या जल अवशोषित न करने वाली होती है।

    मरुस्थल में कांटेदार झाड़ियां क्यों पाई जाती है?

    मरुस्थलीय पौधों के कांटेदार होने का क्या कारण है? परभक्षी यानी पशु पक्षी या किसी भी जीव से खाने को बचाने के लिए,,काटें निकाल लेते है जिससे इनको कोई जीव खा ना पाए ।। और कुछ पौधो में पतियाँ काँटो में बदल जाती हैं जो वास्पौत्सर्जन से होने वाले पानी की कमी को रोका जाये ।।