मुसलमानों की शादी में क्या क्या होता है? - musalamaanon kee shaadee mein kya kya hota hai?

मुस्लिम मैरिज एक्ट क्या कहता है? इस्लामिक निकाह के क्या कानून है? मुस्लिम शादी-विवाह के क्या रिवाज़ हैं? निकाह कितने प्रकार के हैं? इस्लाम में किस किस से शादी जायज़ है? इन सभी सवालों का जवाब आपको बहुत ही विस्तृत ढंग से मिलेगा.

मुसलमानों की शादी में क्या क्या होता है? - musalamaanon kee shaadee mein kya kya hota hai?

आपसे इलतेज़ा करूंगा कि, पहले आप स्क्रोल कर के आखिर तक चेक कर लीजिए. जो आपके जरूरत का हो आप उसी को पढ़ें. 

मुस्लिम शादी-विवाह या निकाह (उर्दू) क्या है? 

मुस्लिम शादी-विवाह के तौर-तरीके एवं उसके कायदे व कानून को पूरी दुनिया समझना चाहते हैं क्योंकि दुनिया में मुसलमानों की आबादी 1.8 अरब से ज्यादा है। भारत में मुसलमानों की संख्या लगभग 18 करोड़ है जिसके शादी में अन्य धर्मों के भी लोग शामिल होते हैं। 

अपनी शादी की तैयारियों पर मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हों, या आने वाले कार्यक्रमों के बारे में सूचित रहना चाहते हों, कुल्हैया न्यूज़ ब्लॉग में वह सब कुछ है जो आपको चाहिए!

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आप भी इस लेख को इसलिए पढ़ रहे हैं कि मुस्लिम शादियों के रिवाज़ व कानून को अच्छे से समझ लें, कृपया लेख को अंत तक पढ़ें। 

मुस्लिम वेडिंग परंपराएं व रिवाज हर देश की संस्कृति में थोड़ा भिन्न होता है लेकिन निकाह का समारोह हर देश में एक जैसा ही होता है। 

Muslim shaadi and Muslim Vivah

मुस्लिम शादी एवं मुस्लिम विवाह को कितने नामों से जाना जाता है ? शादी को उर्दू में निकाह कहते हैं, इसीलिए मुस्लिम भाई की शादियों को मुस्लिम निकाह भी कहते हैं। जबकि अंग्रेजी भाषा में ज्यादातर लोग Muslim shaadi या Muslim Vivah  से संबोधित करते हैं। 

इस्लाम में शादी का सही अर्थ क्या है? 

पवित्र कुरान के अनुसार, मुसलमानों के लिए शादी करना प्राथमिक अनिवार्य कर्तव्यों में से एक है तथा शादी इस्लामी संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। मुसलमान शादियों के द्वारा ही अपना परिवार व पीढ़ियों को आगे बढ़ा सकता है, इसी जायज़ तरीके को अपनाने के लिए कहा गया है। 

शादी करना इस्लाम में एक इबादत है. जो अल्लाह का एक हुक्म भी है। इसी लिए हर सक्षम मुसलमान को शादी करना अनिवार्य करार दिया गया है। 

मुस्लिम निकाह का समारोह कैसा होना चाहिए

इस्लामी कानून के अनुसार, विवाह के लिए दूल्हा-दुल्हन के अलावा काज़ी तथा गवाह (दो पुरुष या चार स्त्री गवाह) होना आवश्यक हैै। 

निकाह की शुरुआत मेहर की रकम को तय करने से शुरू होती है, लड़की के पिता या गार्जियन एक वली चुनते हैं जो मेहर की रकम लड़के वाले से बात कर तय करते हैं। 

मेहर क्या है? मेहर वो धन होता है जो होने वाला शौहर, होने वाली पत्नी को तोहफे या उपहार के तौर पर देते हैंं। मेहर का राशि पर सहमति होने के बाद काज़ी साहेब अपना काम शुरू करते हैं। 

आपको बता दूं कि लड़का तथा लड़की को अलग या पर्दों के बीच बैठाया जाता है। काज़ी साहेब शुरुआत तिलावते कुरान से करते हैं।

काज़ी साहेब पहले निकाह लड़की को पढ़ाते हैं, जब लड़की कबूल है, तीन बार बोलती है तथा उसे गवाह आसानी से सुन लेता है। तभी लड़के को निकाह पढ़ाया जाता हैै। उसे भी बोलना होता है कि कबूल है। इस तरह से इस्लामिक शादी मुकम्मल हो जाती है। 

निकाह से पहले क्या होता है? 

भारतीय मुसलमानों में ज्यादातर अरेंज मैरेज देखा जाता है जो कि गार्जियन अपने बच्चों की सहमति से तय करते हैं। शुरुआत लड़के तथा लड़की देखने से शुरू होती है। भारतीय मुसलमानों में ज्यादातर जगह लड़के वाले ही शादी का प्रस्ताव लड़की वाले के यहां भेजते हैं। 

प्रस्ताव मंजूर होने के बाद, मंगनी का समारोह होता है जिसमें अंगूठियों का एक्सचेंज होता है। उसके बाद शादी का तिथि तय होता है। 

लड़के वाले बारात लेकर लड़की वाले के घर जाते हैं जहां पर निकाह का समारोह होता है। 

मुसलमानों में निकाह के बाद का रस्म

वलीमा क्या है?निकाह का समारोह खत्म होने के बाद, दूल्हे के घर वाले एक दिन या 4 दिन के बाद दुल्हन के परिवार वालों को एक रिसेप्शन पार्टी देते हैं जिसे वलीमा कहा जाता है। वलीमा का अर्थ असली अर्थ होता है बेटी के पिता को सम्मान देना होता है। 

मुस्लिम विवाह के प्रकार जानिए, तभी आपका कंसेप्ट क्लियर होगा

अक्सर लोग पूछते हैं कि मुस्लिम विवाह के कितने प्रकार होते हैं ? भारतीय मुसलमानों में ज्यादातर नियमित शादियाँ होती है तथा दूसरे प्रकार के विवाह को Muta Shaadi कहते हैं जो एक तरह से अनियमित शादी होती है।

इसके अलावा, विवाह के पहलू में शामिल है मान्य (Valid), अनियमित (Irregular) तथा शून्य (Void) विवाह। 

इन इस्लामिक आर्टिकल को आर्टिकल को जरूर पढ़ें

  • सफर की दुआ हिंदी में पढ़िए
  • 51 मसनून दुआएं हिंदी में जानिए
  • दुआ ए कुनूत हिंदी इंग्लिश एवं अरबी में पढ़िए 
  • दुआ मांगने का सही तरीका क्या है? 

मुस्लिम विवाह के कायदा व कानून क्या कहता है? 

मुस्लिम विवाह कायदा तथा मुस्लिम विवाह कानून समझना आवश्यक है वरना लोग कई मतलब निकाल बैठे हैं। मुसलमान बहन से शादी क्यों करते है ? कुछ लोग यह प्रश्न पूछ बैठते हैं, आपको बता दूं कि मुसलमानों के लिए अपनी बहन से शादी करना जायज नहीं है। अगर किसी भी लड़का तथा लड़की का बायोलॉजिकल फादर एक है तो उसके बीच में शादी नहीं हो सकती है।

मुस्लिम में बहन से शादी तभी हो सकती है जब लड़का तथा लड़की के पिता अलग हो। नीचे कुछ प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं उसे आप ध्यान से पढ़िए। 

इस्लाम में शादी किससे हराम माना गया है?

  • माँ (तथा सतेली)
  • बेटी
  • बहन
  • फ़ूफ़ीया (पिता की बहन)
  • खालाएं ( मां की बहन
  • भाई की लड़की
  • बहन की लड़की
  • जिसने अपना दूध पिलाया हो ( दूध पिलाने वाली माँ)
  • दूध शरीक बहन बहने
  • सास
  • तुम्हारी परवरिश की हुई लड़कियाँ , जिस को आप ने गोद लिया हों। 

किया दूसरे जात-बिरादरी में शादी जायज़ है?

आप किसी भी जात एवं बिरादरी की लड़की से शादी कर सकते हो अगर वह मुसलमान है। 

क्या मुस्लिम पुरुष व महिला दूसरे धर्म में शादी कर सकता है?

मुसलमान पुरुष – मुस्लिम, यहूदी तथा ईसाई महिला से विवाह कर सकता है लेकिन अन्य धर्मों की महिलाओं से तभी शादी कर सकता है जब वह महिला इस्लाम कबूल कर लें। 

मुस्लिम महिला –मुस्लिम महिला सिर्फ मुस्लिम पुरुष से शादी कर सकती है, अगर वह किसी अन्य धर्म के मर्द से शादी करना चाहती है तो उसका शादी इस्लाम के अनुसार सही नहीं होगा।

हां अगर वह पुरुष इस्लाम कबूल कर लेता है तभी उससे शादी करना मुस्लिम महिला के लिए जायज़ होगा। 

मुसलमान पुरुष कितने शादी कर सकता है?

एक समय पर, एक मुसलमान मर्द 4 शादियाँ कर सकता है लेकिन इन चारों बीवियों का बराबर ख्याल रखने शर्त पर ही शादी हो सकती है। 

मुस्लिम महिला कितनी शादी कर सकती हैं ?

एक समय पर एक ही शादी कर सकती हैं। जब तक कि पहले पति उसे तलाक ना दें  या तो वह पत्नी खोला ना करवा लें तब तक वह दूसरी शादी नहीं कर सकती है।

जब पत्नी अपने पति को तलाक देती है तो उसे इस्लाम में खोला कहा जाता है। खोला लेने वाली पत्नी को मेहर की रकम नहीं मिलती है, पति के तलाक देने पर पत्नी को मेहर की रकम मिल जाती है। 

क्या तलाक देने के बाद, फिर से उसी महिला से शादी कर सकता है?

इस्लाम में तीन तलाक शब्द का प्रयोग नहीं करने के लिए कहा गया है क्योंकि तीनों तलाक के समय में अंतर होता है। जो पहले तथा दूसरे तथा तीसरे तलाक के बीच में एक निश्चित अवधि होती है, अगर इस अवधि का पालन किया जाए तभी तलाक हो सकता है। 

लेकिन भारतीय मीडिया तीन तलाक शब्द को इतना हाइलाइट कर दिया है कि मानो कि कोई मुसलमान एक सेकेंड के अंदर में तीन तलाक बोल देता है तो उसकी बीवी उससे अलग हो जाती है। ऐसा इस्लाम में कोई भी कानून नहीं है। 

अवधि का पालन करते हुए कोई मुसलमान मर्द या तथात तीन तलाक के सारे शर्तों को पूरा करने के बाद ही उसका तलाक जायज़ होता है। 

जायज़ तलाक के बाद, कोई मुसलमान मर्द अपने पूर्व पत्नी से शादी कर सकता है। लेकिन इसमें इस्लाम ने बहुत बड़ा सजा मुकर्रर किया है। 

तलाक़शुदा पत्नी को हलाला करना आवश्यक करार दिया गया है। पूर्व पत्नी को पहले किसी अन्य पुरुष से शादी करना होगा तथा उसके साथ रहना भी होगा। जब कुछ दिनों के बाद दोनों में तलाक हो जाता है तभी वह अपने पहले वाले पूर्व पति से शादी कर सकती हैं। 

इस्लाम के अनुसार शादी की उम्र क्या है? 

इस्लाम के अनुसार, लड़का एवं लड़की की उम्र के लिए कोई निश्चित अवधि नहीं बताया गया है। हरियाणा एवं पंजाब हाई कोर्ट की एक जजमेंट में लड़के की उम्र को 15 वर्ष और लड़की की उम्र को 15 वर्ष बताया गया था. 

शादी करने के लिए लड़की कैसी होनी चाहिए ?

शादी के लिए लड़की का खूबसूरत होना या अमीर खानदान से होना यह जरूरी शर्त नहीं है जबकि उस लड़की का दीनदार होना शर्त है। 

शादी करने के लिए लड़का कैसा हो?

शादी करने के लिए लड़के का अमीर होना या उसे ऊंचे खानदान से हो यह शर्त नहीं है अगर हो तो बुरा भी नहीं है शर्त यह है कि लड़का दीनदार होना चाहिए। 

निकाह के लिये मेहर कितना होना चाहिए?

मेहर इतना हो कि जो लड़का आसानी से अदा कर दे लेकिन रिवाज के हिसाब से आजकल मैहर ज्यादा होता है। 

शादी में कितना खर्च होना चाहिए?

इस्लाम के अनुसार शादी में कम से कम खर्च करने को कहा गया है। 

क्या दहेज लेना इस्लाम के अनुसार सही है?

इस्लाम के अनुसार दहेज लेना तथा देना दोनों को गुनाह माना गया है लेकिन कोई बेटी अपने पिता के संपत्ति में हिस्सा लेना बिल्कुल जायज़ माना गया है। 

क्या कोई मुसलमान पुरुष पांचवीं शादी भी कर सकता है?

कोई भी मुसलमान पुरुष 4 शादी से ज्यादा नहीं कर सकता है, अगर उनके पतियों का इंतकाल हो जाए तो तभी वह पांचवा शादी कर सकता है। 

मुस्लिम विवाह अधिनियम क्या होता है? 

भारतीय कानून के (स्पेशल मैरिज एक्ट 1954) के तहत एक मुसलमान महिला या पुरुष तथा गैर मुस्लिम पुरुष या महिला से  विवाह कर सकता है जो कानूनी तौर पर मान्य है। 

चाइल्ड मैरिज रेस्ट्रेन एक्ट 1929 के अनुसार, मर्दो की शादी का उम्र 21 साल है जबकि महिला की शादी का उमर 18 साल है। 

मौजूदा समय में, मुस्लिम विवाह अधिनियम पर चर्चा चल रहा है हो सकता है कि आने वाले समय में तीन तलाक का कानून भारत में खत्म हो जाए। 

मुस्लिम विवाह अधिनियम 1939 में बदलाव की बात चल रही है। थोड़ा इंतजार कीजिए आपको तथा डिटेल मिलेगा। मुस्लिम से संबंधित अन्य लेख के लिंक्स नीचे दिया गया है, कृपया उसे भी एक बार जरूर पढ़े।

अगर आपके पास वक्त हो तो जरूर पढ़िए

  • हमबिस्तरी (इरादा और मनी निकलने) की दुआ
  • इफ्तार व शेहरी की दुआ तीनों भाषा में
  • शबे बरात कब है? 
  • आयतल कुर्सी अरबी हिंदी एवं अंग्रेजी में पढ़िए 
  • इस्लामिक कैलेंडर (हर महीने चांद का अपडेट).
Conclusion Points 

मुस्लिम निकाह से संबंधित हाल के वर्षों में कुछ कोर्ट के अहम फैसले आए हैं.

शौहर की दूसरी शादी पर असहमति नहीं जता सकताी हैं मुस्लिम पत्नी – मुस्लिम पर्सनल ला. 

इलाहाबाद HC ने खारिज की मुस्लिम पति की याचिका, कहा- लड़की का अपने परिवार के साथ रहना अवैध नहीं. 

मुस्लिम व्यक्ति यदि दूसरी शादी करता है तो उसे तलाक लेने की अनिवार्यता नहीं है. जबकि महिला दूसरी शादी करती है तो उसे तलाक लेना जरूरी है – पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट. 

मुस्लिम पर्सनल ला के तहत 15 साल की मुस्लिम लड़का और लड़की दोनों विवाह करने के योग्य है. पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने भी हरी झंडी दिया. 

निकाह के बाद क्या होता है?

निकाह के बाद होती है दुल्हन रुखसत आपस में खुशियां बांटी जाती हैं और उसके बाद दुल्हन को रुखसत यानि विदा कर दिया जाता है। (शादी से पहले दुल्‍हन ऐसे करे त्वचा की देखभाल) विदाई में दुल्हन अपने सभी परिवार वालों से मिलती है और फिर दूल्हे के साथ चली जाती है।

मुसलमानों की शादी कैसे होती है दिखाओ?

ख़बरें.
कर्नाटक में दक्षिणपंथी संगठनों ने मुस्लिम लड़के और हिन्दू लड़की को शादी से रोका, केस दर्ज.
कैमरे में कैद : मुस्लिम लड़की से शादी करने पर हिन्दू युवक की सड़क पर पीट-पीटकर हत्या.
'लव जिहाद' का जवाब 'लव केसरी' से, कर्नाटक में हिन्दू संगठन ने अपनाया नया हथकंडा.

मुस्लिम विवाह के आवश्यक अंग कौन है?

मुस्लिम विवाह के आवश्यक तत्व | Essential Elements of Muslim Marriage. (1) पक्षकारों का सक्षम होना – विवाह में के पक्षकारों का सक्षम होना आवश्यक है। सक्षमता से तात्पर्य दोनों पक्षकारों का-(i) मुसलमान होना, (ii) वयस्क होना, एवं (iii) स्वस्थचित्त होना। वयस्क के लिए दोनों पक्षकारों का 15 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेना है।

इस्लाम धर्म में हलाला क्या होता है?

निकाह हलाला एक प्रक्रिया है जिसके हिसाब से अगर आपने अपनी पत्नी को तीन बार तीन तलाक दे दिया तो आप उससे तब तक दोबारा विवाह नहीं कर सकते जब तक वो एक बार फिर किसी और से शादी न कर ले। साथ ही वह अपने दूसरे पति के साथ शारीरिक संबंध भी बनाए।