Show प्रश्न 2. प्रश्न 3.
प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. मातृभूमि अनुवर्ती कार्य: प्रश्न 1. जन्मभूमि से कवि का बचपन का संबंध व्यक्त करते हुए कवि कहते हैं कि इसके धूली में लोट-लोटकर बडे हुए है। इसी भूमि पर घुटनों के बल पर सरक सरक कर ही पैरों पर खड़ा रहना सीखा। यहाँ रखकर ही बचनप में उसने श्रीरामकृष्ण परमहंस की तरह सभी आनंद पाया। इसके कारण ही उसे धूली भरे हीरे कहलाये। इस जन्मभूमि के गोदी में खेलकूद करके हर्ष का अनुभव किया है। एसी मातृभूमि को देखकर हम आनंद से मग्न हो जाते हैं। कवि कहते हैं – जो सुख शाँती हमने भोगा है, वे सब तुम्हारी ही देन है। तुझसे किए गए उपकारों का बदला देना आसान नहीं है। यह देह तेरा है, तुझसे ही बनी हुई है। तेरे ही जीव-जल से सनी हुई है। अंत में मृत्यु होने पर यह निर्जीव शरीर तू ही अपनाएगा। हे मातृभूमि। अंत में हम सब तेरी ही मिट्टी में विलीन हो जाएगा। सरल शब्दों में कवि मातृभूमि केलिए अपनी जान अर्पित करने की प्रेरणा देती है। आधुनिक समाज में देशप्रेम की ज़रूरत बड़ते जा रहे हैं। आतंकवाद, सांप्रदायिकता आदि को रोकने केलिए देशप्रम की ज़रूरत हैं। मातृभूमि कविता पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिखें। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. Plus Two Hindi मातृभूमि Questions and Answersसूचनाः निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और 1 से 4 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें। नीलांबर परिधान हरित तट पर सुंदर है। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. सूचनाः निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और 1 से 4 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें। पाकर तुझसे सभी सुखों को हमने भोगा। प्रश्न 1. प्रश्न 2 प्रश्न 3. प्रश्न 4. मातृभूमि के महत्व के बारे में याद करते हुए गुप्तजी कह रहे हैं आज तक जिन सुखों को हमने प्राप्त किया है, वह मातृभूमि का देन है। कवि कह रहे हैं, मातृभूमि माँ जैसी है। ऐसी मातृभूमि का प्रत्युपकार कभी भी हमसे नहीं हो सकता। हमारा शरीर जो है, तुम्हारी मिट्टी से बनी हुई है। तेरे ही जीव-जल से सनी हुई है। तुझसे किए गए उपकारों का बदला देना आसान नहीं है। सरल शब्दों में कवि मातृभूमि के लिए अपनी जान अर्पित करने की प्रेरणा दे रही है। कविता की भाषा एवं भाव अत्यंत सरल एवं सारगर्भित है। सूचनाः निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें। नीलंबर परिधान हरित पट पर सुंदर है। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. इस कवितांश में तत्सम शब्दों को इस्तेमाल किया है। प्रकृति, देशप्रेम आदि के प्रमुखता है। आज भी प्रासंगिकता रखते हैं यह छात्रानुकूल कविता। सूचनाः निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें। पाकर मुझसे
सभी सुखों को हमने भोगा। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रस्तुत कवितांश में मातृभूमि के विशेषतायें व्यक्त करते हैं। हमारा सभी सुखों का कारण मातृभूमि है। हमारा यह शरीर भी इस पृथ्वी से मिला है। हमें जीवन दिया है और मृत्यु के बाद वापस स्वीकार करेगा। इसलिए कवि के विचार में मातृभूमि का प्रत्युपकार करना असंभव है। यह छात्रानुकूल और प्रासंगिक कविता से कवि हमारे मन में देशप्रेम, प्रकृति से अटुट संबंध आदि दिखाते हैं। खड़ीबोली के साथ-साथ तत्सम शब्द भी यहाँ प्रयुक्त हुआ है। सभी नागरिकों को जागरित करने केलिए कविता सफल है। मातृभूमि कवि का परिचय – मैथिली शरण गुप्त मैथिली शरण गुप्त राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त का जन्म उत्तर प्रदेश के चिरगांव में 1885 में हुआ। भारतीय पुराणों में उपेक्षित कथा प्रसंग एवं पात्रों को लेकर युगानुरूप काव्य उन्होंने लिखे। साकेत, यशोधरा, जयद्रध वध आदि उनकी प्रमुख रचनाएँ है। मातृभूमि गुप्तजी की प्रमुख कविता है। इसमें कवि ने मातृभूमि को हमारी जननी के स्थान देकर उसकेलिए अपने जीवन अर्पित करने का आह्वान करती है। मातृभूमि Summary in Malayalamमातृभूमि Glossary Plus Two Hindi Textbook Answers25 मातृभूमि की विशेषता का वर्णन कविता में कैसे किया गया है?Expert-Verified Answer. ➲ 'मातृभूमि' कविता में कवि ने मातृभूमि को सगुण साकार मूर्ति का रूप देते हुए वर्णन किया है। कवि के अनुसार मातृभूमि को भारत माता संबोधित करते हुए सिंहासन पर आरूढ़ एक देवी के रूप में चित्रित किया है। कवि के अनुसार मातृभूमि से केवल एक भूमि का टुकड़ा ही नहीं बल्कि साक्षात साकार देवी स्वरूपा मूर्ति है ...
मातृभूमि कविता में मातृभूमि का स्वरूप कैसे सुशोभित है?उत्तर: मातृभूमि में हरे भरे खेत और फलफूलों से भरे चन और बाग हैं और यहाँ पर खनिजों का व्यापक धन है। यहाँ पर सुख-सम्पत्ति है। इस प्रकार मातृभूमि का स्वरूप सुशोभित है।
30 मातृभूमि कविता में मातृभूमि की विशेषताओं का परिचय कैसे किया गया है?मातृभूमि की वंदना करते हुए कवि ने भारतवर्ष की वन-संपदा, खनिज-संपत्ति तथा भारत की महान विभूतियों का वर्णन किया है। विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से कवि ने मातृभूमि भारत माता की महानता का गुणगान किया है।
मातृभूमि कविता का भावार्थ क्या है?मातृभूमि गुप्त जी की एक प्रसिद्ध कविता है, जिसमें अपने जन्मभूमि का गुणगान करके उसकेलिए अपने जान भी देना का आह्वान करते हैं। मातृभूमि के हरियाली केलिए नीलाकाश एक सुंदर वस्त्र की तरह शोभित है। सूरज और चाँद इसकी मुकुट है, सागर इसकी करधनी है। यहाँ बहनेवाली नदियाँ प्रेम का प्रवाह है।
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