नील नदी पर असवान बांध क्यों बनाया गया है? - neel nadee par asavaan baandh kyon banaaya gaya hai?

नील नदी पर असवान बांध क्यों बनाया गया है? - neel nadee par asavaan baandh kyon banaaya gaya hai?

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अस्वान बांध
आधिकारिक नाम अस्वान हाई डैम
लंबाई 3830
ऊंचाई 980
सरोवर की जानकारी
बनाता है नासर जिल
क्षमता 111
शक्ति उत्पादन जानकारी
टर्बाइन 12
स्थापित क्षमता 2.1 GW
भूगोलीय आंकड़े

Location
नील नदी पर असवान बांध क्यों बनाया गया है? - neel nadee par asavaan baandh kyon banaaya gaya hai?
निर्देशांक23°58′14″N 32°52′40″E / 23.970589°N 32.877861°Eनिर्देशांक: 23°58′14″N 32°52′40″E / 23.970589°N 32.877861°E

अस्वान (असुआन) नील नदी पर मिस्र में एककैटेरैक्ट है। यहां दो बांध बने हैं।

  • नया अस्वान हाई डैम (अरबी: السد العالي‎, अस-साद अल-'अली) और
  • पुराना अस्वान डैम या अस्वान लो डैम

इन बांधों द्वारा नदी की बाढ़ पर नियंत्रण रखा जाता है। इसके साथ ही कृषि के लिए जल एवं बिजली उत्पादन भी होता है। पुराना अस्वान बांध काहिरा से 1,000 किलोमीटर (620 मील) पर है। नया अस्वान बांढ पुराने बांध से 4 किलोमीटर (2.5 मील) ऊपर स्थित है।

नील नदी पर असवान बांध क्यों बनाया गया है? - neel nadee par asavaan baandh kyon banaaya gaya hai?

अस्वान हाई डैम का नासा द्वारा चित्र

सन्दर्भ[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

नील नदी पर असवान बांध क्यों बनाया गया है? - neel nadee par asavaan baandh kyon banaaya gaya hai?
अंग्रेज़ी विकिस्रोत पर इस लेख से संबंधित मूल पाठ उपलब्ध है:

an account of early plans to construct the Aswan Dam

नील नदी पर असवान बांध क्यों बनाया गया है? - neel nadee par asavaan baandh kyon banaaya gaya hai?
विकिमीडिया कॉमन्स पर Aswan Dam से सम्बन्धित मीडिया है।
  • Sayed El-Sayed and Gert L. van Dijken 'The southeastern Mediterranean ecosystem revisited: Thirty years after the construction of the Aswan High Dam.'
    • Aswan High Dam
    • Old Aswan Dam
  • Info on the Aswan Dam

नील नदी पर बांध कैसे बना तीन देशों के बीच तकरार का मुद्दा

28 जून 2020

नील नदी पर असवान बांध क्यों बनाया गया है? - neel nadee par asavaan baandh kyon banaaya gaya hai?

इमेज स्रोत, REUTERS/Tiksa Negeri -/File Photo

अफ्रीकी देश इथियोपिया ने शनिवार को कहा है कि वो नील नदी पर बने विशाल बांध में पानी भरने की शुरुआत जल्द ही करने जा रहा है. साथ ही इथियोपिया ने यह भी कहा है कि वो पड़ोसी देश मिस्र और सूडान के साथ नदी के पानी को लेकर विवाद को ख़त्म करने के लिए भी प्रतिबद्ध है.

नील नदी इथियोपिया से होकर मिस्र और सूडान में आती है. एक दशक पहले इथियोपिया ने नील पर बांध बनाने की शुरुआत की थी.

द ग्रैंड इथियोपियन रेनेसां डैम या जीईआरडी अफ़्रीका का सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट है और शुरुआत से ही ये नील बेसिन क्षेत्र में तनाव का कारण भी है.

शुक्रवार को मिस्र और सूडान की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि इथियोपिया ने समझौता होने तक बांध न भरने पर सहमति जता दी है. लेकिन शनिवार को प्रधानमंत्री एबी अहमद के दफ़्तर से जारी बयान में मिस्र और सूडान के बयान की अनदेखी कर दी गई.

क्यों डर रहे हैंमिस्र और सूडान?

एक ओर इथियोपिया का कहना है कि उसके विकास के लिए ये बांध ज़रूरी है.

वहीं मिस्र और सूडान को डर है कि इससे उनके हिस्से का पानी इथियोपिया में ही रोक लिया जाएगा.

अफ़्रीकी यूनियन के मौजूदा अध्यक्ष सिरिल रामाफ़ोसा के आह्वान पर तीनों देशों के नेताओं ने शुक्रवार को फ़ोन पर वार्ता की थी.

इस वार्ता के बाद सूडान और मिस्र दोनों ने अपने बयान में कहा कि इथियोपिया बांध में पानी भरने का समझौता होने तक रोकने के लिए तैयार हो गया है.

इथियोपिया ने अपने बयान में ऐसी किसी बात का ज़िक्र नहीं किया.

प्रधानमंत्री कार्याल की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "इथियोपिया अगले दो सप्ताह में जीईआरडी में पानी भरना शुरू करेगा, इस दौरान निर्माण कार्य चलता रहेगा. इस दौरान तीनों देश लंबित मामलों पर अंतिम समझौता करेंगे."

कौन-से दूसरे विवाद हैं?

तीनों देशों के बीच बांध को लेकर वार्ता इसी महीने शुरू हुई थी. विवाद का सबसे बड़ा विषय है कि सूखे की स्थिति में बांध कैसे काम करेगा और जो लंबित विवाद हैं उन्हें कैसे निबटाया जाएगा.

समाचार एजेंसी एएफ़पी ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से कहा है कि मिस्र और सूडान की ओर से उठाए गए विरोध पर संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद सोमवार को चर्चा कर सकती है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, इथियोपिया को बांध में पानी भरने से रोकने के लिए मिस्र ने मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने की कोशिश की है और परिषद सोमवार को इसे लेकर बैठक भी कर सकती है.

इथियोपिया इस वार्ता में किसी भी बाहरी देश के दख़ल को लेकर चिंतित है.

फ़रवरी में अमरीकी राजस्व विभाग की मध्यस्था में हो रही वार्ता टूट गई थी. एबी सरकार ने अमरीका पर मिस्र का पक्ष लेने के आरोप लगाए थे.

अफ़्रीकी यूनियन आयोग के चेयरमैन मूसा फ़ाकी मोहम्मद ने तीनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच वार्ता के बाद एक बयान में कहा है कि 'तीनों नेता विवाद के निपटारे के लिए अफ्रीकी आयोग के नेतृत्व में वार्ता प्रक्रिया के लिए तैयार हो गए हैं.'

वहीं प्रधानमंत्री एबी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि "अफ़्रीका के मुद्दे का समाधान अफ़्रीका में ही होना चाहिए."

10 देशों से होकर गुज़रती है नील नदी

शनिवार को जारी अपने बयान में अफ़्रीकी यूनियन ने कहा है कि, "इथियोपिया, मिस्र और सूडान के बीच 90 फ़ीसदी विवादों का निपटारा हो चुका है."

यूनियन ने ये भी कहा है कि तीनों ही देश ऐसा कोई बयान न दें या ऐसा कोई क़दम न उठाएं जिससे वार्ता प्रक्रिया को ठेस पहुंच सकती है.

आयोग ने कहा है कि एक समिति गठित की गई है जो एक सप्ताह के भीतर सिरिल रामाफ़ोसा को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

अफ़्रीका की सबसे बड़ी नदी नील दस देशों से होकर गुज़रती है और ये इन देशों की जीवनरेखा है. पानी के अलावा ये बिजली का भी अहम स्रोत है.

नील नदी पर बन रहे इथियोपिया के जीईआरडी बांध पर क़रीब 4 अरब डॉलर ख़र्च हुए हैं और ये 6450 मेगावॉट बिजली पैदा करेगा.

नील नदी पर असवान बांध क्यों बनाया गया था?

अस्वान (असुआन) नील नदी पर मिस्र में एककैटेरैक्ट है। यहां दो बांध बने हैं। इन बांधों द्वारा नदी की बाढ़ पर नियंत्रण रखा जाता है। इसके साथ ही कृषि के लिए जल एवं बिजली उत्पादन भी होता है।

नील नदी पर कौन सा बांध बनाया गया है?

मिस्र की प्राचीन सभ्यता का विकास इसी नदी की घाटी में हुआ है। इसी नदी पर मिस्र देश का प्रसिद्ध अस्वान बाँध बनाया गया है।

नील नदी के देवता को क्या कहा जाता है?

अनुकेट | नाइल नदी के मिस्र की देवी | मिस्र की पौराणिक कथाओं

अफ्रीका का सबसे ऊंचा बांध कौन सा है?

अफ्रीका का सबसे ऊँचा बाँध नील नदी पर बना है।.
आस्वान.
अकोसोम्बो.