नैनो यूरिया का स्प्रे कैसे करें? - naino yooriya ka spre kaise karen?

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) आज गुजरात के कलोल में देश के पहले नैनो यूरिया (लिक्विड) प्लांट का उद्घाटन करेंगे। नैनो यूरिया के उपयोग से फसल की पैदावार में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए अल्ट्रामॉडर्न नैनो फर्टिलाइजर प्लांट की स्थापना की गई है। इसे करीब 175 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। इस प्लांट से रोजाना 500 मिलीलीटर की लगभग 1.5 लाख बोतलों का उत्पादन होगा। देश में खाद की जरूरतों को पूरा करने के लिए इसे बेहद अहम माना जा रहा है। नैनो यूरिया लिक्विड की आधा लीटर की बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व देता है। माना जा रहा है कि यह देश में एग्रीकल्चर सेक्टर का कायापलट कर सकता है।

हर साल खरीफ के सीजन में देश में किसानों को बड़ी मात्रा में खाद की जरूरत पड़ती है। किसानों की मांग को देखते हुए इफको (IFFCO) इस साल कलोल में नैनो यूरिया प्लांट की शुरूआत करने जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इस प्लांट के शुरू होने के साथ ही देश में बड़ी मात्रा में नैनो यूरिया की कमी दूर होगी। इसके साथ ही किसानों को खाद की किल्लत का सामना भी नहीं करना पड़ेगा। इफको ने कमर्शियल रूप से दुनिया का पहला नैनो यूरिया विकसित किया है। पिछले साल इफको ने 2.9 करोड़ बोतल नैनो यूरिया का उत्पादन किया था जो 13.05 लाख मीट्रिक टन परंपरागत यूरिया के बराबर है।

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इफको ने किया विकसित
इफको (Indian Farmers Fertiliser Cooprative) ने हाल के वर्षों में नैनो यूरिया लिक्विड की खोज की थी। देश की 94 से अधिक फसलों पर इसका परीक्षण किया गया था। 31 मई 2021 को इसकी शुरुआत हुई थी। इफको के मुताबिक लिक्विड यूरिया के इस्तेमाल से सामान्य यूरिया की खपत 50 फीसदी तक कम हो सकती है। नैनो यूरिया लिक्विड की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व देता है। IFFCO नैनो यूरिया एकमात्र नैनो फर्टिलाइजर है जिसे भारत सरकार ने मान्यता दी है और फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर में शामिल किया है। इसे इफको ने विकसित किया है और इसक पैटेंट भी इफको के ही पास है।

फसलों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए किसान यूरिया का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अब तक यूरिया सफेद दानों के रुप में उपलब्ध थी। इसका इस्तेमाल करने पर आधे से भी कम हिस्सा पौधों को मिलता था जबकि बाकी जमीन और हवा में चला जाता था। भारत नैनो लिक्विड यूरिया को लॉन्च करने वाला पहला देश है। मई 2021 में इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने इसे लॉन्च किया था। इससे पहले नैनो तरल यूरिया को 94 से ज्यादा फसलों को देश भर में 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण (एफएफटी) पर परिक्षण किया गया था। इसके बाद आम किसानों को दिया गया।

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ट्रांसपोर्टेशन में आसानी
इफको की मानें तो धान, आलू, गन्ना, गेहूं और कई तरह की सब्जियों की फसलों पर इसके बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। जानकारों का कहना है कि इसके इस्तेमाल से पर्यावरण, पानी और मिट्टी का प्रदूषण भी नहीं होगा। इसका ट्रांसपोर्टेशन और रखरखाव खर्च भी बहुत सस्ता है। पहले किसान को 10 बोरी यूरिया ले जाने के लिए ट्रैक्टर की जरूरत पड़ती थी। लेकिन नैनो लिक्विड यूरिया की 10 बोतल भी किसान एक झोले में रखकर मोटरसाइकिल पर लेकर आसानी से जा सकता है।

जानकारों के मुताबिक अभी एक पूरे रैक मालगाडी में 52,000 बोरी यूरिया आती है, लेकिन नैनो तरल यूरिया की 52,000 बोतलें तो सिर्फ एक ट्रक में ही आ जाएंगी। इसे लिए बड़े-बड़े गोदामों की जरुरत नहीं है। इससे लागत कम होगी और किसानों को सस्ती खाद मिलेगी। रबी की फसलें (गेहूं, सरसों आदि) मुश्किल से 40 से 50 फीसदी परंगरागत यूरिया का इस्तेमाल कर पाती हैं। खरीफ की फसलें (धान, मक्का) इसका 25 से 30 फीसदी इस्तेमाल कर पाती हैं। अगर 100 किलोग्राम नाइट्रोजन देते हैं तो फसलें सिर्फ 25 फीसदी ले पाती हैं। बाकी का 75 फीसदी गैस बनकर हवा में उड़ जाता है या पानी की अधिकता होने पर फसलों के जड़ों के नीचे चला जाता है।


कैसे करता है काम
नैनो यूरिया का अविष्कार इन खामियों को दूर करने के लिए किया गया है। नैनो तरल यूरिया का उपयोग फसल की पत्तियों पर छिड़काव के माध्यम से करते हैं। छिड़काव के लिए एक लीटर पानी में 2-4 मिलीलीटर नैनो यूरिया मिलाना होता है। एक फसल में दो बार नैनो यूरिया का छिड़काव किया जाता है। जानकारों का कहना है कि जब हम पत्तियों पर इसका छिड़काव करते हैं तो सारा का सारा नाइट्रोजन सीधे पत्तियों में चला जाता है। इसलिए यह परंपरागत यूरिया की तुलना में ज्यादा कारगर है।

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रबी सीजन में यूरिया खाद का संकट गहरा गया है। फसलों में नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए यूरिया का समय-समय पर छिड़काव जरुरी है। इस बीच नैनो यूरिया बेहतर विकल्प बनकर आया है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, फसल की ग्रोथ के लिए नैनों यूरिया का छिड़काव होता है, प्रति एकड़ 500 एमएल की बोतल में दो बार छिड़काव हो जाता है। मप्र में सबसे पहले विपणन संघ खंडवा ने सहकारी समितियों में इसकी उपलब्धता करा दी है। कोई भी किसान आसानी से खरीदी कर सकता है।

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ज्यादा असरदार है नैनो यूरिया?

फसल विकास की प्रमुख अवस्थाओं में नैनो यूरिया का पत्तियों पर छिड़काव करने से नाइट्रोजन की आवश्यकता प्रभावी तरीके से पूरी होती है। यह अपने नैनो कणों (यूरिया के एक दाने का पचपन हजारवां भाग) के कारण अधिक प्रभावशाली एवं उपयोगी है।

किसान इस कीमत में यहां खरीद सकेंगे?

जिला विपणन अधिकारी रोहितकुमार श्रीवास्तव ने बताया, 500 मिली लीटर नैनो यूरिया तरल की बोतल 240 रुपए में किसानों को बिक्री की जाएगी। खंडवा जिले की सभी सहकारी समितियों में यह उपलब्ध करा दी गई है। करीब 2400 पेटी नैनो यूरिया की उपलब्धता है।

नैनो यूरिया का प्रयोग कैसे करें?

खरगोन कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. जीएस कुलमी के अनुसार, गेहूं की फसल में नैनो यूरिया का 4 एमएल प्रति लीटर पानी के घोल का खड़ी फसल में छिड़काव करना चाहिए। यानी एक पंप में लगभग 30 एमएल, इस हिसाब से एक एकड़ में 10 पंप लगते है तो 300 एमएल मात्रा लगेगी। इस तरह 500 एमएल की बोतल से दो बार छिड़काव हो जाएगा।

नैनो यूरिया तरल का कण आकार क्या है?

इफको नैनो यूरिया के एक कण का आकार लगभग 30 नैनोमीटर होता है। सामान्य यूरिया की तुलना में इसका पृष्ठ क्षेत्र और आयतन अनुपात लगभग 10,000 गुना अधिक होता है। यही नहीं, नैनो यूरिया (तरल) के उपयोग से उपज, बायोमास, मृदा स्वास्थ्य और उपज की पोषण गुणवत्ता में भी सुधार होता है।

कहां बन रहा है नैनो यूरिया?

गुजरात के कलोल एवं उत्तर प्रदेश के आंवला और फूलपुर की इफको की इकाइयों में नैनो यूरिया संयंत्रों के निर्माण की प्रक्रिया पहले ही शुरु की जा चुकी है। इस प्रकार वर्ष 2023 तक ये 32 करोड़ बोतलें संभवतः 1.37 करोड़ टन यूरिया की जगह लेंगी।

इधर, खंडवा में लगने वाली है यूरिया की रैक

खंडवा में अगले एक-दो दिन में यूरिया की रैक लगने वाली है। विपणन संघ के मुताबिक, इस रैक से करीब 2700 मीट्रिक टन यूरिया खाद मिलेगी।

नैनो यूरिया स्प्रे कैसे करें?

विशेषज्ञों के अनुसार, नैनो यूरिया का 2-4 एमएल प्रति लीटर पानी (या 250 मिली / एकड़ 125 लीटर पानी में) के घोल का खड़ी फसल में छिड़काव करना चाहिए। नैनो यूरिया का उपयोग या छिड़काव सभी फसलों पर किया जा सकता है जिसमें अनाज, दालें, सब्जियां, फल, फूल, औषधीय और अन्य शामिल हैं।

यूरिया का स्प्रे कब करना चाहिए?

सरसों में बिजाई के 45 दिन बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए, जिसमें प्रति एकड़ 100 लीटर पानी में 2 किलो यूरिया और आधा किलो जिंक का घाेल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। सरसों में इस घोल का छिड़काव 2 बार करना चाहिए। पहला छिड़काव 45 दिन बाद तो दूसरा छिड़काव इसके 20 दिन बाद किया जाना चाहिए

सबसे अच्छी यूरिया कौन सी है?

Q- सबसे अच्छी यूरिया कौन सी है ANS- सबसे अच्छी यूरिया नीम लेपित यूरिया होती है.

यूरिया का उपयोग कैसे करें?

यूरिया का उपयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में होता है। इसका प्रयोग वाहनों के प्रदूषण नियंत्रक के रूप में भी किया जाता है। यूरिया-फार्मल्डिहाइड, रेंजिन, प्लास्टिक एवं हाइड्राजिन बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। इससे यूरिया-स्टीबामिन नामक काला-जार की दवा बनती है।