ओरिजिनल पुखराज की क्या पहचान है - orijinal pukharaaj kee kya pahachaan hai

ज्योतिषशास्त्र में गुरू को ज्ञान, धन, मान-सम्मान, विवाह एवं संतान सुख प्रदान करने ग्रह कहा गया है। जिनकी कुण्डली गुरू की स्थिति कमज़ोर होती है उन्हें मान-सम्मान एवं धन संबंधी परेशानियों का सामना बार-बार करना पड़ता है। इनकी शिक्षा में भी बाधा आती है। ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि गुरू के कमज़ोर होने की वजह से जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए गुरू को मजबूत बनाना चाहिए। इसके लिए गुरू का रत्न पुखराज धारण करने की सलाह लगभग सभी ज्योतिषी बताते हैं। गुरू के शुभ होने पर भी गुरू का रत्न धारण करना अच्छा माना जाता है।

गुरू ग्रह के शुभ फलों में वृद्धि करने की योग्यता होने की वजह से पुखराज की कीमत सामान्य रत्नों से काफी अधिक होती है। आमतौर पर बाजार में पुखराज की शुरूआत कीमत 1 हजार प्रति कैरेट होती है। इसके ऊपर पुखराज की गुणवत्ता के अनुसार इसकी कीमत बढ़ती रहती है। बहुत से रत्न व्यापारी अधिक मुनाफे की लालच में कोई भी पीला पत्थर पुखराज बताकर ग्राहक को पकड़ा देते हैं। इसलिए पुखराज खरीदते समय ठगे जाने की संभावना अधिक रहती है।

अगर आप भी पुखराज खरीदने की सोच रहे हैं तो पुखराज पहचानने की सामान्य जानकारी अवश्य प्राप्त कर लेनी चाहिए। असली पुखराज की परख करने के लिए शीशे के एक ग्लास में गाय का दूध रखें। इसके अंदर पुखराज को डाल दें। अगर असली पुखराज होगा तो एक से डेढ़ घंटे में पुखराज की किरण ऊपर से छिटकती नजर आएगी।

जब आप पुखराज खरीद रहे हों तो उसे हाथ में लेकर हिलाएं भार महसूस होगा। असली पुखराज चिकना और साफ होता है। इसे अंगूठा और कनिष्ठा से दबाने पर छिटक कर दूर जाकर गिरता है। पीला पुखराज सरसों के फूल के समान गहरा पीला दिखता है। पुखराज का पीलारंग हरापन लिये नज़र आये तो ऐसा पुखराज बिल्कुल नहीं लेना चाहिए। पुखराज अगर दानेदार अथवा परतदार नज़र आये तो इसे भी नहीं खरीदना चाहिए। उत्तम कोटि के पुखराज को आग पर गर्म करने पर बीच में अस्त होते सूर्य की तरह लाल नज़र आता है।

Pukhraj Gemstone/Yellow Sapphire: पुखराज काफी कीमती रत्न होता है इसलिए इसे खरीदते समय ठगे जाने की संभावना भी अधिक रहती है। ऐसे में जानिए कैसे करें असली पुखराज रत्न की पहचान।

Pukhraj Stone: ज्योतिष शास्त्र अनुसार गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है। गुरु ग्रह ज्ञान, धन, मान-सम्मान प्रदान करने वाला ग्रह माना जाता है। गुरु के कमजोर होने से जीवन में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए कई ज्योतिषी ऐसे में पुखराज पहनने का सुझाव देते हैं। पुखराज काफी कीमती रत्न होता है इसलिए इसे खरीदते समय ठगे जाने की संभावना भी अधिक रहती है। ऐसे में जानिए असली पुखराज की कैसे करें पहचान और किन्हें ये करता है सूट…

पुखराज के ये हैं फायदे: मान्यता है कि पुखराज रत्न धारण करने से व्यापार में वृद्धि होती है। इसे पहनने से शिक्षा संबंधित क्षेत्रों में भी उन्नति मिलने की संभावना रहती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले वैवाहिक जातकों के लिए भी ये रत्न लाभकारी माना जाता है। ऐसी मान्यता है पुखराज व्यक्ति के धन-वैभव में वृद्धि करता है।

असली पुखराज की कैसे करें पहचान:

-असली पुखराज की पहचान करने के लिए शीशे के गिलास में गाय का दूध डालें। अगर पुखराज असली है तो 1 से डेढ़ घंटे के अंदर पुखराज की किरणें दूध के ऊपर छिटकती हुई दिखने लगेंगी।

-दूसरा तरीका ये है कि पुखराज को हथेली पर रखें और इसे हल्का से हिलाकर देखें। अगर पुखराज असली है तो आपको हाथ में कुछ भारीपन सा महसूस होगा। सिर्फ भारी ही नहीं बल्कि पुखराज बाकी रत्नों के मुकाबले गर्म भी होता है। अगर पुखराज असली है तो हथेली पर रखने के कुछ देर बाद आपको हाथ में कुछ गर्मी महसूस होगी।

-असली पुखराज की पहचान करना का एक उपाय ये है कि इसे 1 सफेद कपड़े पर सूरज की किरणों के विपरीत रखें। अगर कुछ देर बाद रुमाल के पीछे गहरे पीले रंग की रौशनी दिखाई देती है तो इसका मतलब पुखराज असली है। अगर पुखराज नकली है तो ये रौशनी काफी हल्की दिखेगी या फिर बिल्कुल भी नहीं दिखाई देगी।

-असली पुखराज बहुत चिकना, चमकदार, पानीदार, पारदर्शी और अच्छे पीले रंग का होता है। असली पुखराज इतना हार्ड और कठोर होता है कि इसपर स्क्रैच तक नहीं पड़ते। (यह भी पढ़ें- इन सात राशि वालों पर सात साल तक नहीं रहेगी शनि साढ़े साती, जानें आपकी राशि भी है इसमें शामिल?)

पुखराज धारण करने की विधि: 

-पुखराज रत्न को सोने की अंगूठी में जड़वाकर शुक्लपक्ष के गुरुवार को स्नान-ध्यान के बाद दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली में धारण किया जाता है। लेकिन अंगूठी बनवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसमें पुखराज इस प्रकार से जड़वाएँ की रत्न का निचला सिरा खुला रहे जिससे रत्न आपकी उंगली से स्पर्श भी करता रहे। कम से कम चार कैरट यानी चार रत्ती के वजन का पुखराज जरूर होना चाहिए।

-अंगूठी पहनने से पहले इसे गंगाजल से, फिर कच्चे दूध से तथा फिर से गंगाजल से धोकर बृहस्पति के मंत्र ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः का जाप करते हुए धारण करें। ध्यान रखें की अंगूठी धारण करने के बाद ब्राह्मण को कुछ न कुछ दान अवश्य करें। (यह भी पढ़ें- ज्योतिष शास्त्र: इस राशि वाले खूब कमाते हैं पैसा, पर होता है खर्चीला स्वभाव, इस क्षेत्र में पाते हैं सफलता)

 Kaise Pahchane

पुखराज को कैसे पहचाने बहुत से लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है, और वैसे यह संशय होना भी चाहिए क्योंकि जब तक आप उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले रत्न धारण नहीं करेंगे, तब तक आपके जीवन में प्रभाव कैसे होंगे यह कहना मुश्किल हैl यदि कृत्रिम रूप से निर्मित पुखराज रत्न (original pukhraj stone kaise pahchane) गलती से धारण कर लिया जाएगा तो कभी भी उसके ना अच्छे परिणाम आपको देखने मिलेंगे और ना बुरे परिणाम देखने के लिए मिलेंगे, ना आपके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और ना नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

ऐसे में बहुत से लोगों के द्वारा कभी-कभी ऐसा भी होता है, कि ज्योतिष विज्ञान जैसे विस्तृत विद्या के ऊपर ही सवाल उठाने लगते हैं, कि फलाने ज्योतिषी ने हमें पुखराज रत्न (Pukhraj stone ki pahchan kaise karen) धारण करने के लिए कहा लेकिन हमारे जीवन पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ा।

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ओरिजिनल पुखराज की क्या पहचान है - orijinal pukharaaj kee kya pahachaan hai

हमें कोई भी लाभ प्राप्त नहीं हुआ किंतु ऐसा नहीं है, कोई भी ज्योतिषी कभी भी किसी को गलत सलाह नहीं देते हैंl यह विद्या सीखने के बाद ही वह आपको किसी भी प्रकार का रत्न धारण करने या उपरत्न को धारण करने की सलाह देते हैं, ऐसे में इस विद्या पर प्रश्नचिन्ह लगाना कहीं से भी उचित नहीं हैl अतः यदि आपको किसी ने पुखराज रत्न (Pukhraj Ko Kaise Pahchane) धारण करने की सलाह दी है, तो आपको इसके विभिन्न मापदंडों को समझना होगा जांच ना होगा तभी आपको उचित लाभ प्राप्त हो सकेगा आइए इसकी विस्तृत खूबियों को जानने का प्रयास करते हैं-

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पुखराज रत्न (Pukhraj ratna ko kaise pahchane) देखने में पीला वर्ण का होता है, बिल्कुल सूर्य की किरणों के समान इसका रंग पीला होता हैl स्वर्ण के आभा के समान इसका रंग पीला होता हैl इसका रंग आपको पलाश के पुष्प के पंखुड़ियों के समान भी हो सकता है। पुखराज रत्न को गुरु ग्रह बृहस्पति का ग्रह माना जाता है, यह रत्न गुरु ग्रह को निरूपित करता है, तथा इसमें विभिन्न प्रकार की अलौकिक एवं पैर अलौकिक शक्तियां विद्यमान रहती हैl गुरु ग्रह बृहस्पति के गुप्त शक्तियों को अवशोषित करने की क्षमता यह रत्न रखता है।

गुरु ग्रह बृहस्पति जिन्हें देवताओं के द्वारा गुरु की उपाधि प्रदान की गई है lउन्हें पूरे जगत का गुरु कह कर संबोधित किया जाता हैl उन्हें पूरे तीनों लोगों का गुरु होने का अलंकरण प्राप्त है lदेवता हो या गन हो मनुष्य हो या दानव हो कोई भी प्राणी इनकी कृपा दृष्टि से वंचित नहीं रहता है इसीलिए सभी प्राणियों के लिए यह बहुत ही आदरणीय एवं सम्मानीय होते हैं।

सभी के मन में इनके प्रति आदर की भावना व्याप्त होती है, कोई भी इन्हें हीन दृष्टि से नहीं देखता हैl सभी लोगों के लिए यह बहुत पूजनीय होते हैं, तथा इनकी कृपा प्राप्त करने के लिए लोगों के द्वारा पुखराज रत्न (Pukhraj stone ko kaise pahchane) धारण किया जाता है, जिससे वह गुरु की कृपा प्राप्त कर अपने जीवन को सफल एवं सार्थक बना सकें।

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पुखराज रत्न (original pukhraj stone kaise pahchane in hindi) पीले रंग तथा सफेद रंग के होते हैं lइन दोनों प्रकार के पुखराज रत्न विश्व प्रसिद्ध है, बहुत लोकप्रिय हैं, किंतु आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि पुखराज रत्न के और भी वर्ण हो सकते हैंl जैसे -गुलाबी, नीला आदि जो विभिन्न प्रकार के ग्रहों को निरूपित करते हैं, किंतु गुरु ग्रह को पीली वस्तुएं बहुत भाती हैं, इसी वजह से पीला पुखराज या सफेद पुखराज जो केवल हल्का पीला होता हैl गुरु ग्रह से संबंधित चीजों में उपयोग में लाया जाता है।

पुखराज रत्न (original pukhraj ratna kaise pahchane) देखने में चिकना चमकदार एवं पारदर्शी कभी-कभी यह पारदर्शी भी हो सकता है lइसके संयोजक फ्लोरीन, सिलिकेट ,एलमुनियम जैसे तत्व होते हैं, जो इसे रंग प्रदान करते हैंl इसकी सर्वोत्तम उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले रत्न ब्राजील तथा म्यानमार जैसे देशों में पाया जाता हैl श्रीलंका में पाए जाने वाला सिलोनी पुखराज रत्न भी उत्कृष्ट गुणवत्ता वाला होता है, तथा इसकी भी बहुत अधिक मांग होती हैl इस के भौतिक गुण बहुत ही उम्दा गुणवत्ता वाले होते हैं।

भारत में भी पुखराज रत्न (Pukhraj kaise pahchane) के भंडारण है, किंतु उनकी गुणवत्ता उतनी उत्कृष्ट नहीं है, जितनी होनी चाहिए इसमें भौतिक गुणों की कुछ त्रुटियां मौजूद होती है, जिसकी वजह से यहां के पुखराज रत्न इतने अच्छे गुणवत्ता वाले नहीं होते हैं, तथा उनका कीमत भी बहुत कम होता है, जबकि ब्राजील म्यानमार श्रीलंका जैसे देशों से पाए जाने वाले पुखराज रत्न की कीमत अधिक होती है, इनकी गुणवत्ता इनकी कीमत को निर्धारित करती है।

पुखराज रत्न (Pukhraj ratna ki pehchan kya hai) को पहचानने के लिए निम्नलिखित मापदंड या पैमाने अपनाए जा सकते हैं, जिससे आप जान सकते हैं, कि आपके द्वारा धारण किया गया पुखराज रत्न असली है, या नकली है, या आप यदि पुखराज रत्न खरीदने जा रहे हैं, तो इन सभी मापदंडों की जांच अवश्य करें-

1. असली पुखराज रत्न (Pukhraj ratna ki pehchan kya hoti hai) का वर्ण देखने में पीला होता है, तथा जब आप इसे सूर्य की किरणों में रखेंगे तब आपको इससे पीली रोशनी प्रदीप्त होती हुई दिखाई देगी, यदि उससे इंद्रधनुष के रंग प्रतीत होते दिखाई दे रहे हैं, तो इसका तात्पर्य है, कि वह एक कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न है।

2. प्राकृतिक रूप से निर्मित पुखराज रत्न (Pukhraj ki pahchan) पर जब कच्चे हल्दी का लेप लगाया जाता है, तो उसका वर्ण पीला से लाल हो जाता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित पुखराज रत्न में यह विशेषता आपको देखने को नहीं मिलेगी।

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3. कृत्रिम रूप से निर्मित पुखराज रत्न का वजन बहुत कम होता हैl उसका आकार की तुलना में उसका वजन कम होता है, जबकि प्राकृतिक रूप से निर्मित पुखराज रत्न का वजन उसके आकार की तुलना में अधिक होता है।

4.पुखराज रत्न (original pukhraj kaise pahchane) को जब आग पर तपाया जाता है, तब इसकी चमक और अधिक बढ़ जाती है, या पहले की अपेक्षा और अधिक आकर्षक देखने में लगने लगता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित पुखराज रत्न में यह सभी चीजें आपको नहीं मिलेंगेl इसके उलट कृत्रिम रूप से निर्मित पुखराज रत्न की चमक कम हो जाएगी तथा उसका आकार भी बदलने लगेगा एवं आप किसी चीज की सहायता से उसके अंदर आकृतियां बनाने में भी सक्षम हो पाएंगेl ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि जो प्राकृतिक रूप से पत्थर निर्मित होते हैंl उनका गलनाक बहुत अधिक होता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित जो भी पत्थर उन का गलनांक कम होता है।

5. असली पुखराज रत्न (Asli Pukhraj Ratna ko kaise pahchane) को जब गोबर से या मिट्टी के लेप से रगड़ा जाता है, तो उसकी चमक और अधिक बढ़ जाती है, जबकि कृतिम रूप से निर्मित पुखराज रत्न की रंग बदरंग हो जाती है, तथा वह अपनी चमक खो देता है।

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असली पुखराज रत्न की पहचान कैसे करें?

असली पुखराज चिकना और साफ होता है। इसे अंगूठा और कनिष्ठा से दबाने पर छिटक कर दूर जाकर गिरता है। पीला पुखराज सरसों के फूल के समान गहरा पीला दिखता है। पुखराज का पीलारंग हरापन लिये नज़र आये तो ऐसा पुखराज बिल्कुल नहीं लेना चाहिए।

ओरिजिनल पुखराज की कीमत क्या है?

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पीले पुखराज की पहचान कैसे करें?

-असली पुखराज की पहचान करना का एक उपाय ये है कि इसे 1 सफेद कपड़े पर सूरज की किरणों के विपरीत रखें। अगर कुछ देर बाद रुमाल के पीछे गहरे पीले रंग की रौशनी दिखाई देती है तो इसका मतलब पुखराज असली है। अगर पुखराज नकली है तो ये रौशनी काफी हल्की दिखेगी या फिर बिल्कुल भी नहीं दिखाई देगी।

5 रत्ती पुखराज की कीमत क्या होगी?

₹1,500.00 नि: शुल्क डिलिवरी।