प्राचीन काल में शांति के समय योद्धाओं के बीच प्रतिस्पर्धा के साथ खेलों का विकास हुआ. दौड़, मुक्केबाजी, कुश्ती और रथों की दौड़ सैनिक प्रशिक्षण का हिस्सा हुआ करते थे.इनमें से सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले योद्धा प्रतिस्पर्धी खेलों में अपना दमखम दिखाते थे. Show समाचार एजेंसी ‘आरआईए नोवोस्ती’ के अनुसार प्राचीन ओलंपिक खेलों का आयोजन 1200 साल पूर्व योद्धा-खिलाड़ियों के बीच हुआ था. हालांकि ओलंपिक का पहला आधिकारिक आयोजन 776 ईसा पूर्व में हुआ था, जबकि आखिरी बार इसका आयोजन 394 ईस्वी में हुआ. इसके बाद रोम के सम्राट थियोडोसिस ने इसे मूर्तिपूजा वाला उत्सव करार देकर इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसके बाद लगभग डेढ़ सौ सालों तक इन खेलों को भुला दिया गया. हालांकि मध्यकाल में अभिजात्य वर्गों के बीच अलग-अलग तरह की प्रतिस्पर्धाएं होती रहीं. लेकिन इन्हें खेल आयोजन का दर्जा नहीं मिल सका. कुल मिलाकर रोम और ग्रीस जैसी प्रभुत्वादी सभ्यताओं के अभाव में इस काल में लोगों के पास खेलों के लिए समय नहीं था. 19वीं शताब्दी में यूरोप में सर्वमान्य सभ्यता के विकास के साथ पुरातन काल की इस परंपरा को फिर से जिंदा किया गया. इसका श्रेय फ्रांस के अभिजात पुरूष बैरों पियरे डी कुवर्तेन को जाता है. कुवर्तेन ने दो लक्ष्य रखे, एक तो खेलों को अपने देश में लोकप्रिय बनाना और दूसरा, सभी देशों को एक शांतिपूर्ण प्रतिस्पर्धा के लिए एकत्रित करना. कुवर्तेन मानते थे कि खेल युद्धों को टालने के सबसे अच्छे माध्यम हो सकते हैं. कुवर्तेन की इस परिकल्पना के आधार पर वर्ष 1896 में पहली बार आधुनिक ओलंपिक खेलों का आयोजन ग्रीस की राजधानी एथेंस में हुआ. शुरुआती दशक में ओलंपिक आंदोलन अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करता रहा क्योंकि कुवर्तेन की इस परिकल्पना को किसी भी बड़ी शक्ति का साथ नहीं मिल सका था. वर्ष 1900 तथा 1904 में पेरिस तथा सेंट लुई में हुए ओलंपिक के दो संस्करण लोकप्रिय नहीं हो सके क्योंकि इस दौरान भव्य आयोजनों की कमी रही. लंदन में अपने चौथे संस्करण के साथ ओलंपिक आंदोलन शक्ति संपन्न हुआ. इसमें 2000 एथलीटों ने शिरकत किया. यह संख्या पिछले तीन आयोजनों के योग से अधिक थी. वर्ष 1930 के बर्लिन संस्करण के साथ तो मानों ओलंपिक आंदोलन में नई जीवन शक्ति आ गई. सामाजिक और राजनैतिक स्तर पर जारी प्रतिस्पर्धा के कारण नाजियों ने इसे अपनी श्रेष्ठता साबित करने का माध्यम बना दिया. 1950 के दशक में सोवियत-अमेरिका प्रतिस्पर्धा के खेल के मैदान में आने के साथ ही ओलंपिक की ख्याति चरम पर पहुंच गई. इसके बाद तो खेल कभी भी राजनीति से अलग नहीं हुआ. खेल केवल राजनीति का विषय नहीं रहे. ये राजनीति का अहम हिस्सा बन गए. चूंकि सोवियत संघ और अमेरिका जैसी महाशक्तियां कभी नहीं खुले तौर पर एक दूसरे के साथ युद्ध के मैदान में भिड़ नहीं सकीं. लिहाजा उन्होंने ओलंपिक को अपनी श्रेष्ठता साबित करने का माध्यम बना लिया. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी ने एक बार कहा था कि अंतरिक्ष यान और ओलंपिक स्वर्ण पदक ही किसी देश की प्रतिष्ठा का प्रतीक होते हैं. शीत युद्ध के काल में अंतरिक्ष यान और स्वर्ण पदक महाशक्तियों का सबसे बड़ा उद्देश्य बनकर उभरे. बड़े खेल आयोजन इस शांति युद्ध का अंग बन गए और खेल के मैदान युद्धस्थलों में परिवर्तित हो गए. सोवियत संघ ने वर्ष 1968 के मैक्सिको ओलंपिक में पदकों के होड़ में अमेरिका के हाथों मिली हार का बदला 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में चुकाया. सोवियत संघ की 50वीं वर्षगांठ पर वहां के लोग किसी भी कीमत पर अमेरिका से हारना नहीं चाहते थे. इसी का नतीजा था कि सोवियत एथलीटों ने 50 स्वर्ण पदकों के साथ कुल 99 पदक जीते. यह संख्या अमेरिका द्वारा जीते गए पदकों से एक तिहाई ज्यादा थी. साल 1980 में अमेरिका और उसके पश्चिम के मित्र राष्ट्रों ने 1980 के मॉस्को ओलंपिक में शिरकत करने से इनकार कर दिया. इसके बाद हिसाब चुकाने के लिए सोवियत संघ ने 1984 के लॉस एंजलिस ओलंपिक का बहिष्कार कर दिया. साल 1988 के सियोल ओलंपिक में सोवियत संघ ने एक बार फिर अपनी श्रेष्ठता साबित की. उसने 132 पदक जीते. इसमें 55 स्वर्ण थे. अमेरिका को 34 स्वर्ण सहित 94 पदक मिले थे. अमेरिका पूर्वी जर्मनी के बाद तीसरे स्थान पर रहा. वर्ष 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में भी सोवियत संघ ने अपना वर्चस्व कायम रखा. हालांकि उस वक्त तक सोवियत संघ का विघटन हो चुका था. एक संयुक्त टीम ने ओलंपिक में हिस्सा लिया था. इसके बावजूद उसने 112 पदक जीते. इसमें 45 स्वर्ण थे. अमेरिका को 37 स्वर्ण के साथ 108 पदक मिले थे. साल 1996 के अटलांटा और 2000 के सिडनी ओलंपिक में रूस (सोवियत संघ के विभाजन के बाद का नाम) गैर अधिकारिक अंक तालिका में दूसरे स्थान पर रहा. 2004 के एथेंस ओलंपिक में उसे तीसरा स्थान मिला. बीजिंग ओलंपिक 2008 को अब तक का सबसे अच्छा आयोजन माना जा गया है. पंद्रह दिन तक चले ओलंपिक खेलों के दौरान चीन ने ना सिर्फ़ अपनी शानदार मेज़बानी से लोगों का दिल जीता बल्कि सबसे ज़्यादा स्वर्ण पदक जीत कर भी इतिहास रचा. पहली बार पदक तालिका में चीन सबसे ऊपर रहा. जबकि अमरीका को दूसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा. भारत ने भी ओलंपिक के इतिहास में व्यक्तिगत स्पर्धाओं में पहली बार कोई स्वर्ण पदक जीता और उसे पहली बार एक साथ तीन पदक भी मिले. प्रथम आधुनिक ओलंपिक खेलों का आयोजन एथेंस (ग्रीस) में 1896 में हुआ था. इन खेलों में 14 देशों के 241 एथलीटों ने भाग लिया था. इन खेलों में अमेरिका ने 10 स्वर्ण पदकों सहित कुल 20 पदक जीतकर पहला स्थान प्राप्त किया था; जबकि ग्रीस 10 स्वर्ण पदकों के साथ दूसरे, जर्मनी 6 स्वर्ण पदकों के साथ तीसरे और फ़्रांस 5 स्वर्ण पदकों के साथ चौथे स्थान पर रहा था.
First Olympic Stadium ओलंपिक खेलों को दुनिया का सबसे बड़ा खेल आयोजन माना जाता है. इन खेलों में भाग लेने वाले सभी खिलाड़ी कई प्रतियोगियों को हराकर आते हैं. इसलिए यहाँ पर मुकाबला चैंपियंस के बीच होता है. ओलंपिक खेलों की मेजबानी अपने आप में मेजबान राष्ट्र के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है.भारत को अभी तक एक भी ओलम्पिक खेलों की मेजबानी करने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है. 1. कहां आयोजित हुए: एथेंस में (6 अप्रैल से 15 अप्रैल तक) 2. खेलों का उद्घाटन किसने किया था: किंग जॉर्ज प्रथम 3. कितने देशों ने भाग लिया: 14 4. पहला चैंपियन कौन बना: अमेरिकी खिलाडी जेम्स कोलोनी ने ट्रिपल जम्प जीतकर आधुनिक युग के पहले ओलंपिक चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया | 5. सबसे सफल खिलाडी कौन था: जर्मनी के जिमनास्ट कार्ल शुहमान थे जिन्होंने चार स्पर्धाएं जीतीं थीं | 6. किस देश ने सबसे ज्यादा स्वर्ण पदक जीते: अमेरिका 14 (स्वर्ण पदक) 7. कितने खिलाडियों ने भाग लिया था: 241 8. कितनी खेल प्रतियोगिताएं खेली गयी थीं: 43 9. किस प्रकार के पदक दिए गए थे: प्रथम स्थान के विजेताओं को एक रजत पदक, एक जैतून शाखा और एक प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जाता था। दूसरे स्थान पर आने वाले को एक तांबे का पदक, कल्पवृक्ष की शाखा और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता था | 10. सबसे यादगार पल: ग्रीस के एथलीट स्पाईरीदोन लुईस 40 किमी. के विजेता बने I दौड़ के आखिरी लैप में उनको देखकर ग्रीस के राजा जॉर्ज प्रथम भी साथ दौड़ने लगे थे | (प्रथम ओलिंपिक के दौरान दिया गया स्वर्ण पदक) इस प्रकार ऊपर लिखे गए आंकड़ों से स्पष्ट है कि पहले ओलम्पिक खेलों में भारत का नमो निशान नही था. भारत के ओलंपिक खेलों के खेलना 1900 में शुरू किया था. रिओ ओलम्पिक खेल 2016: 10 तथ्य एक नज़र में क्रिकेट विश्व कप में सर्वाधिक रन, सर्वाधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी कौन से हैं? खेलें हर किस्म के रोमांच से भरपूर गेम्स सिर्फ़ जागरण प्ले पर प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेल कहाँ आयोजित हुआ था?आधुनिक ओलंपिक खेलों का पहला संस्करण ग्रीस में आयोजित हुआ। खेलों में 14 देशों के एथलीटों ने भाग लिया, जिसमें ग्रीस, जर्मनी, फ्रांस और ग्रेट ब्रिटेन से सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल आया।
आधुनिक ओलंपिक की शुरुआत किसने और कब की थी?कुवर्तेन मानते थे कि खेल युद्धों को टालने के सबसे अच्छे माध्यम हो सकते हैं. कुवर्तेन की इस परिकल्पना के आधार पर वर्ष 1896 में पहली बार आधुनिक ओलंपिक खेलों का आयोजन ग्रीस की राजधानी एथेंस में हुआ.
आधुनिक ओलम्पिक खेलों के जन्मदाता कौन थे?उनकी मृत्यु की 80वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए, हम आधुनिक ओलंपिक खेलों के संस्थापक Pierre de Coubertin की विरासत पर एक नज़र डालते... हैं।
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