पाथेर पांचाली फिल्म की शूटिंग का काम 3 साल तक क्यों चला? - paather paanchaalee philm kee shooting ka kaam 3 saal tak kyon chala?

फिल्म में श्रीनिवास की क्या भूमिका थी और उनसे जुड़े बाकी दृश्यों को उनके गुजर जाने के बाद किस प्रकार फिल्माया गया?

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पथेर पांचाली 'फिल्म में श्रीनिवास घूमते हुए मिठाई बेचने वाले की भूमिका में थे । उनसे मिठाई खरीदने के लिए अपू और दुर्गा के पास पैसे न थे 1 वे मिठाई वाले के पीछे-पीछे मुखर्जी के घर तक जाते हैं । मुखर्जी अमीर आदमी हैं, अत : वे मिठाई जरूर खरीदेंगे । अपू और दुर्गा को उनको मिठाई खरीदते देखकर ही खुशी मिल जाती है ।

फिल्म की शूटिंग कुछ महीनों के लिए रुक गई थी । इसी बीच श्रीनिवास की भूमिका करने वाले सज्जन की मृत्यु हो गई । बाद में उनसे मिलता-जुलता दूसरा आदमी ढूँढ़ा गया । चेहरा तो नहीं मिलता था, पर शरीर से वह उनके जैसा ही लगता था । नया आदमी कैमरे की ओर पीठ करके मुखर्जी के घर के गेट के अंदर आता है, अत : पहचाना नहीं जाता । लोगों को इस अंतर का पता ही नहीं चला ।

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अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उनमें से 'कंन्टिन्यूइटी नदारद हो जाती है-इस कथन के पीछे क्या भाव है?


इस कथन के पीछे यह भाव है कि फिल्म में ककंन्टिन्यूइटीका बहुत महत्व है। एक सीन के दो हिस्से अलग-अलग दिनों में शूट होने पर इसका ध्यान रखना बहुत आवश्यक हो जाता, अन्यथा 'पैच वर्क 'जैसा प्रतीत होता है । दर्शकों को सीन में तारतम्यता चाहिए । उन्हें वास्तविक स्थिति का पता नहीं होता ।

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पथेर पांचाली फिल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला?


पथेर पांचाली 'फिल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक इसलिए चला क्योंकि फिल्म बनाते समय कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ा । उस समय लेखक एक विज्ञापन कंपनी में नौकरी करता था । जब उसे नौकरी के काम से फुर्सत मिलती थी, तभी वह शूटिंग कर पाता था । लगातार शूटिंग कर पाना संभव न था ।

दूसरा कारण था धन का अभाव । लेखक के पास पैसे सीमित थे । जब वे पैसे खत्म हो जाते तब शुटिंग रुक जाती थी । फिर से पैसों का इंतजाम होने पर ही फिल्म की शूटिंग आगे बढ़ पाती थी । इस प्रकार ढाई साल का समय निकल गया ।

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किन दो दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शुटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है?


पहला दृश्य-रेलगाड़ी के दृश्य में दर्शक उसमें अपनाई गई तरकीब को नहीं पहचान पाते । रेलगाड़ी के शॉट के लिए तीन रेलगाड़ियों का प्रयोग किया गया था । अनिल बाबू इंजन ड्राइवर के केबिन में चढ़कर शूटिंग स्थल तक पहुँचने पर बायलर में कोयला डलवाते थे ताकि काला धुआँ निकले । सफेद काशफूलों की पृष्ठभूमि पर काला धुआँ दर्शाना था । दर्शक यह नहीं पहचान पाता कि इस सीन के लिए तीन रेलगाड़ियों का प्रयोग किया गया है ।
दूसरा दृश्य-' आभूलो' कुत्ते का दृश्य । इस दृश्य में पहले कुत्ते (भूलो) के बीच में मर जाने पर दूसरे कुत्ते से काम लिया गया । एक ही सीन में दो अलग- अलग कुत्तों से काम लेने को दर्शक नहीं पहचान पाते । लेखक की तकरीब काम आ गई ।

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बारिश का दृश्य चित्रित करने में क्या मुश्किल आई और उसका समाधान किस प्रकार हुआ?


बारिश का दृश्य चित्रित करने में यह मुश्किल आई कि बरसात के दिनों में लेखक के पास पैसे नहीं थे, इस कारण शुटिंग बंद रखनी पड़ी । बाद में जब लेखक के पास पैसे आए तब तक अक्टूबर का महीना शुरू हो चुका था । शरद् ऋतु में बारिश होना चाँस पर निर्भर करता है । लेखक हर रोज देहात में जाकर बारिश होने की प्रतीक्षा करने लगा ।

आखिर एक दिन समस्या का समाधान हो ही गया । शरद् ऋतु में भी आसमान में बादल छा गए और धुआँधार बारिश शुरू हो गई । लेखक ने इस बारिश का पूरा फायदा उठाया और दुर्गा और अपू का बारिश में भीगने वाला दृश्य शूट कर लिया । फिल्म का यह दृश्य बहुत अच्छा चित्रित हुआ ।

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Question

पथेर पांचाली फिल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला?

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Solution

पथेर पांचाली फिल्म की शूटिंग के लिए लेखक को बहुत प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ा। उदाहरण के लिए- (क) नौकरी करने के कारण उन्हें शूटिंग के लिए प्रयाप्त समय नहीं मिल पाता था। (ख) लेखक के पास पैसे नहीं थे। अतः जब उनके पास पैसे होते, तब तक वह फिल्म की शूटिंग करते और पैसे समाप्त होने पर शूंटिग रूक जाती। इस तरह करते-करते उनका काम ढाई साल तक खींच गया।

प्रश्न 3-1. पथेर पांचाली फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला?

उत्तर 3-1. पथेर पांचाली फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक चला क्योंकि लेखक विज्ञापन कंपनी में नौकरी करते थे, जब फ़ुर्सत मिलती थी तब शूटिंग करते थे| पैसों का भी अभाव था जिसके कारण शूटिंग बार-बार रोकनी पड़ती| शूटिंग के बीच में कभी स्थानों और पात्रों को लेकर भी समस्याएँ आती रहतीं थीं|

प्रश्न 3-2. अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उसमें से ‘कंटिन्युइटी‘ नदारद हो जाती – इस कथन के पीछे क्या भाव है?

उत्तर 3-2. किसी भी चीज़ में निरंतरता होनी चाहिए ताकि वह स्वाभाविक लगे| पथेर पांचाली फ़िल्म में लेखक ने पहले दिन रेल लाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान की शूटिंग की| चूँकि सीन बहुत बड़ा था और एक दिन में पूरा करना संभव नहीं था इसलिए सभी लोग आधा भाग चित्रित कर वापस घर चले गए| सात दिन बाद सार टीम और लखक जब वहाँ पहुँचे तब उनलोगों ने काशफूलों को वहाँ नहीं पाया| उन सात दिनों में जानवरों ने सारे काशफूलों को खा लिया था| अगर लेखक उसी दृश्य में शूटिंग कर लेते तो वह पहले के भाग से मेल नहीं खाता और उसकी निरंतरता भंग हो जाती जिससे फ़िल्म में वास्तविकता का अभाव हो जाता|

प्रश्न 3-3. किन दो दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शूटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है?

उत्तर 3-3. श्रीनिवास और भूलो नामक कुत्ता के पात्र वाले दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शूटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है|
भूलो नामक कुत्ता वाला दृश्य - एक दृश्य में अपू खाते-खाते ही कमान से तीर छोड़ता है। उसके बाद खाना छोड़कर तीर वापस लाने के लिए जाता है। सर्वजया बाएँ हाथ में वह थाली और दाहिने हाथ में निवाला लेकर बच्चे के पीछे दौड़ती है, लेकिन बच्चे के भाव देखकर जान जाती है कि वह अब कुछ नहीं खाएगा। भूलो कुत्ता भी खड़ा हो जाता है। उसका ध्यान सर्वजया के हाथ में जो भात की थाली है, उसकी ओर है। इसके बाद वाले शॉट में ऐसा दिखाना था कि सर्वजया थाली में बचा भात एक गमले में डाल देती है, और भूलो वह भात खाता है। लेकिन यह शॉट लेखक उस दिन नहीं ले पाते हैं, क्योंकि सूरज की रोशनी और पैसे दोनों खत्म हो गए थे। छह महीने बाद, फिर से पैसे इकट्ठा होने पर गाँव में उस सीन का बाकी अंश चित्रित करने के लिए लेखक गए परन्तु तब भूलो मर चूका था। फिर भूलो जैसे दिखनेवाले एक कुत्ते के साथ शूटिंग पूरी की गई।
श्रीनिवास वाला दृश्य - श्रीनिवास नामक घूमते मिठाईवाले से मिठाई खरीदने के लिए अपू और दुर्गा के पास पैसे नहीं हैं। वे तो मिठाई खरीद नहीं सकते, इसलिए अपू और दुर्गा उस मिठाईवाले के पीछे-पीछे मुखर्जी के घर के पास जाते हैं। मुखर्जी अमीर आदमी हैं। उनका मिठाई खरीदना देखने में ही अपू और दुर्गा की खुशी है। इस दृश्य का कुछ अंश चित्रित होने के बाद शूटिंग कुछ महीनों के लिए स्थगित हो गई। पैसे हाथ आने पर फिर जब उस गाँव में शूटिंग करने के लिए लेखक गए, तब खबर मिली कि श्रीनिवास मिठाईवाले की भूमिका जो सज्जन कर रहे थे, उनका देहांत हो गया है। पहले वाले श्रीनिवास का मिलता-जुलता दूसरा आदमी ढूँढ़कर दृश्य का बाकी अंश चित्रित किया।

पांचाली फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला?

(ख) लेखक के पास पैसे नहीं थे। अतः जब उनके पास पैसे होते, तब तक वह फिल्म की शूटिंग करते और पैसे समाप्त होने पर शूंटिग रूक जाती। इस तरह करते-करते उनका काम ढाई साल तक खींच गया।

पाथेर पांचाली फिल्म के निर्माण में सबसे बड़ी समस्या क्या थी?

प्रॉडक्शन का काम पैसो की कमी की वजह से कई बार रुका और फिल्म को पूरा होने मे लगभग तीन साल लगे। फिल्म सिर्फ कुछ ही जगहो पर फिल्मायी गयी। कम बजट होने के कारण ज्यादातर नए कलाकार और अनुभवहीन कर्मचारी थे। फिल्म का साउंडट्रैक मशहूर सितार प्लेयर रवि शंकर ने किया था।

फिल्म का शूटिंग के लिए कौन सा गांव चुना और क्यों?

Answer: फिल्म में अधिक समय लगने लगा तो लेखक को यह डर लगने लगा कि अगर अपू और दुर्गा नामक बच्चे बड़े हो गए तो दिक्कत हो जाएगी। सौभाग्य से वे नहीं बढ़े। फिल्म की शूटिंग के लिए वे पालसिट नामक गाँव गए।

पथेर पांचाली फिल्म में श्रीनिवास की क्या भूमिका थी?

पथेर पांचाली 'फिल्म में श्रीनिवास घूमते हुए मिठाई बेचने वाले की भूमिका में थे । उनसे मिठाई खरीदने के लिए अपू और दुर्गा के पास पैसे न थे 1 वे मिठाई वाले के पीछे-पीछे मुखर्जी के घर तक जाते हैं । मुखर्जी अमीर आदमी हैं, अत : वे मिठाई जरूर खरीदेंगे । अपू और दुर्गा को उनको मिठाई खरीदते देखकर ही खुशी मिल जाती है ।