रेडिएशन के बाद क्या होता है? - redieshan ke baad kya hota hai?

कैंसर के उपचार के क्षेत्र में नये विकास और सुधार निरंतर हो रहे हैं। अब अधिक लोग कैंसर का सफलतापूर्वक उपचार करवा कर सुखद जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं। कैंसर के उपचारों की सूची में कीमोथैरेपी, रेडिएशन थैरेपी और सर्जरी शामिल हैं। इनके बारे में बता रही हैं मृदुला भारद्वाज

कैंसर की कोशिकाएं, सामान्य कोशिकाओं की तुलना में अधिक तेजी से विकसित एवं द्विखंडित होती हैं, इसलिए अधिकतर एंटी कैंसर दवाओं को इन तेजी से बढ़ती कोशिकाओं को नष्ट करने के लिये तैयार किया जाता है, लेकिन कुछ स्वस्थ कोशिकाएं भी तेजी से बहुगुणित होती हैं और कीमोथैरेपी एवं अन्य रेडिएशन थैरेपी के इन कोशिकाओं को प्रभावित करने की आशंका भी रहती है। सामान्य कोशिकाओं को पहुंचे इस नुकसान के कारण दुष्परिणाम उत्पन्न होते हैं। उपचार के बाद दुष्परिणाम होना आम बात है, लेकिन ये प्रत्येक कैंसर पीडित को प्रभावित नहीं करते। यह उपचार के प्रभाव एवं मरीज के प्रतिसाद पर निर्भर करता है।

कीमोथैरेपी द्वारा मतली और उलटी: हालांकि, कीमोथैरेपी से पहले मतली एवं उलटी से बचाव के लिये मरीजों को दवाएं दी जाती हैं, लेकिन कुछ मरीज मतली महसूस कर सकते हैं। इस स्थिति में व्यावहारिक उपचारों से मतली एवं उलटी को नियंत्रित करने में मदद की जा सकती है। ध्यान दूसरी ओर खींचना, आराम और सकारात्मक छवि बना कर मतली एवं उलटी के डर के प्रति अपेक्षाओं को परिवर्तित करने में मदद की जा सकती है। अधिक तेल वाले, भूने हुए, नमकीन या मसालेदार भोजन को नजरअंदाज कर और संतुलित एवं हल्का आहार लेकर भी इन दुष्परिणाम से उभरने में मदद मिल सकती है।

थकान: कैंसर से संबंधित थकान का संबंध कैंसर उपचार के बाद प्राप्त होने वाली थकावट से होता है। सामान्य आराम और इसे सहजता से लेने से थकावट को दूर किया जा सकता है। थकान को दूर करने के लिये कैंसर पीडिम्तों को योग एवं ध्यान के साथ नियमित व्यायाम तथा सेहतमंद आहार को अपनाना चाहिए। इसके साथ ही म्यूजिक थैरेपी के माध्यम से उन्हें अपनी ऊर्जा बचा कर रखनी चाहिए।

कम सुनाई पड़ना: श्रवण क्षमता का कम होना कैंसर थैरेपी का सर्वाधिक प्रचलित दुष्परिणाम है। यह रेडिएशन थैरेपी और प्लेटिनम आधारित दवाओं जैसे काबरेप्लैटिन एवं सिस्प्लैटिन के कारण होता है। इन मामलों में कोकलियर इम्प्लांट्स इसके उपचार का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।

बालों का झड़ना: रेडिएशन थैरेपी और कीमोथैरेपी के कारण बाल झड़ने लगते हैं। यह बालों के विकास में मदद करने वाली कोशिकाओं के नष्ट होने के कारण होता है। इसका असर पूरे शरीर पर देखा जा सकता है। हालांकि कीमोथैरेपी के खत्म होते ही बालों का बढ़ना शुरू हो जाता है, इसलिये जब बाल बढ़ने शुरू होते हैं तो उनकी उचित देखभाल की जानी चाहिए।

डायरिया: श्रोणि (पेल्विस) के लिए कीमोथैरेपी और रेडिएशन थैरेपी के कारण डायरिया हो सकता है। शुरुआत में उपचार कर निर्जलीकरण या अन्य समस्याओं से बचाव संभव है। हालांकि, कैफीन, शराब, डेयरी, वसा, फाइबर और मसालेदार भोजन से परहेज कर इसे प्रबंधित करना अच्छा होता है। मरीजों को कब्ज से बचाव के लिए लैक्जेटिव्स और स्टूल सॉफ्टनर्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। छोटी-छोटी मात्रा में एवं थोडे़-थोड़े समय पर आहार लेना जरूरी है।

वजन घटना और बढ़ना: कैंसर उपचारों के बाद मरीजों में वजन घटने या बढ़ने की समस्या हो सकती है, लेकिन इसकी बहुत अधिक चिंता नहीं करनी चाहिए। हालांकि, कैंसर के मरीजों में वजन घटना बेहद आम बात है, लेकिन ब्रेस्ट कैंसर से पीडित महिलाओं के लिए मोटापा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। स्ट्रॉइड मेडिकेशन्स और हॉर्मोन थैरेपी के कारण महिलाओं में वजन बढम्ने की समस्या उत्पन्न होती है। मरीजों को ढ़ेर सारे फलों, सब्जियों और साबूत अनाजों का सेवन करना चाहिए। वसायुक्त एवं शक्करयुक्त आहारों से बचना चाहिए। इसके साथ ही वजन घटने को नियंत्रित करने के लिए प्रतिदिन 450 कैलोरी तक आहार लेना जरूरी है। हल्का भोजन करें और कैंसर उपचार कराने से पहले प्रोटीन से भरपूर भोजन करने से परहेज करें, ताकि प्रतिकूलता से बचाव में मदद मिल सके। कैंसर उपचार के बाद मरीजों को पर्याप्त पानी पीना चाहिए और कॉर्डियोवैस्कुलर शारीरिक गतिविधियों, ध्यान, योग को अपनाना चाहिए।

युवा भी आ रहे हैं कैंसर की चपेट में
पहले उम्रदराज लोगों में कैंसर होने की आशंका अधिक होती थी, लेकिन यह चिंताजनक बात है कि युवाओं में यह बीमारी तेजी से फैल रही है। 30 से 40 वर्ष के युवाओं में कैंसर सालाना 10 से 11 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है। दिल्ली जैसे शहर में महिलाएं इस बीमारी की चपेट में ज्यादा आ रही हैं, क्योंकि उनमें मोटापा, उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि की समस्या ज्यादा होती है। पेस्टिसाइड, कैमिकल, फास्टफूड, ट्रांसफैट व स्मोंकिंग के कारण कैंसर के मामले तो बढ़ ही रहे थे, अब देर से शादी और बच्चे को स्तनपान न कराने के कारण भी महिलाओं में ब्रेस्ट व ओवरी कैंसर की समस्या आम होती जा रही है।
डॉ. तरंग कृष्णा,
कैंसर विशेषज्ञ, कैंसर हीलर सेंटर
(एक्शन कैंसर अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉं. जे बी शर्मा से बातचीत पर आधारित)

रेडिएशन का असर कितने दिन तक रहता है?

रेडिएशन थेरेपी की प्रतिक्रिया अक्सर उपचार के दूसरे या तीसरे सप्ताह के दौरान शुरू होती है। या, वे अंतिम उपचार के बाद कई हफ्तों तक रह सकते हैं।

रेडियोथेरेपी खत्म करने के बाद क्या होता है?

अधिकांश साइड इफेक्ट केवल कुछ दिनों या हफ्तों तक रहते हैं लेकिन रेडियोथेरेपी के कुछ प्रभाव, जैसे कि थकान, आपके उपचार के अंत के बाद कुछ महीनों तक जारी रह सकते हैं । हालांकि, यदि आपके पास पर्याप्त आराम है और अच्छी तरह से खाते हैं, तो किसी भी प्रभाव में धीरे-धीरे सुधार होना चाहिए।

रेडियोथेरेपी से ठीक होने में कितना समय लगता है?

रेडियोथेरेपी के दुष्प्रभाव आमतौर पर उपचार समाप्त होने के दो सप्ताह बाद तक चरम पर होते हैं। रेडियोथेरेपी के प्रभाव विकसित होते रहते हैं, और आपको सामान्य महसूस करने में कुछ हफ़्ते से लेकर कई महीनों तक का समय लग सकता है, यह शरीर के उस क्षेत्र पर निर्भर करता है जिसका उपचार किया गया है।

रेडिएशन से कौन सी बीमारी होती है?

स्टडी कहती है कि मोबाइल रेडिएशन से लंबे समय के बाद प्रजनन क्षमता में कमी, कैंसर, ब्रेन ट्यूमर और मिस-कैरेज की आशंका भी हो सकती है। दरअसल, हमारे शरीर में 70 फीसदी पानी है। दिमाग में भी 90 फीसदी तक पानी होता है। यह पानी धीरे-धीरे बॉडी रेडिएशन को अब्जॉर्ब करता है और आगे जाकर सेहत के लिए काफी नुकसानदेह होता है।