सच्ची खुशी का हकदार कौन हैं? - sachchee khushee ka hakadaar kaun hain?

 सच्ची खुशी एक ऐसा अनुभव है जिसे हम पैसा देकर बाजार से नहीं खरीद सकते,अथवा बगीचे के किसी फूल की तरह उसे पेड़ों पर नहीं पा सकते।यह वातावरण में नहीं उड़ती,न ही नव वृक्षों की झूमते हुये पतों पर लगती है, न ही इसे देश विदेश में कहीं भी और कुछ भी मूल्य देकर पाया जा सकता है।

खुशी का संबंध हमारे उस कार्य से है जो हमें खुशियां देता हो,जिसमें हमारा शरीर और हमारे शरीर में भी विशेष कर हमारा मस्तिष्क जो एक थर्मामीटर की तरह हमें सूचित करता है कि हम कितने और किस अनुपात में खुश हैं।

Table of Contents

सच्ची खुशी का हकदार कौन हैं? - sachchee khushee ka hakadaar kaun hain?

यह खुशी मनुष्य की शारीरिक और मानसिक क्रियाओं का एक मिश्रण है,या यूँ समझे जिस प्रकार पत्थर और लोहे के पारस्परिक संघर्ष से अग्नि उत्पन्न होती है,उसी तरह हमारे समाज और परिवार के सांसारिक मिश्रण से उत्पन्न हुआ यह एक तरह का अनुभव है।

क्या ऐसा कारण है कि हम खुश नहीं रह पाते,हमारा शरीर थका सा रहता है।हम अरुचि से संबंधित होते हैं,जिससे आलस्य में पड़े रहते हैं,जिसके प्रभाव से हम अपने आप को उदास महसूस करते हैं।

सच मानिए तो कोई काम न करने से एक प्रकार की थकान सी उत्पन्न होती है जो हमारी सृजनात्मक शक्तियों को पंगु बना कर एक प्रकार की उदासी से मन और शरीर को भर देती है। जब हम अपने कर्म से दूर होते हैं,तभी हमारा शरीर आलस्य के सागर में घिर जाता है।

सच्ची खुशी का हकदार कौन हैं? - sachchee khushee ka hakadaar kaun hain?

शरीर के कार्य न करने से शरीर को पूरी तरह से कसरत नहीं मिलती,जिससे उसे रात्रि में पूरी तरह गहरी निद्रा भी नहीं आती और फलस्वरूप,अनिद्रा,सिर दर्द, कार्य में अरुचि और अंधकार जैसी उदासी उत्पन्न होती है। हमारा मन कहीं नहीं लगता,जब करने के लिए कोई काम नहीं होता जब हम निठल्ले और बेकार बैठे रहते हैं।

आनंद एक प्रकार की आभा और सुंदरता है, जो निरंतर कार्य करने वाले की मुस्कान से प्रकट होती है।ऐसे लोग अपने काम में, आनंदित होते हैं,और उस आनंद को ही वे व्यापार बना लेते हैं।ऐसे में उनको जो कार्य मिलता है उसी को वे आनंद पूर्वक जी जान लगाकर करते हैं।

सच्ची खुशी का हकदार कौन हैं? - sachchee khushee ka hakadaar kaun hain?

अगर हम अपने रुचि पूर्ण कार्य में आनंद ढूंढ सकते हैं तो यह हमारे लिए सौभाग्य की बात होती है।जब व्यक्ति को अपनी रूचि का काम प्राप्त हो जाता है तो वह वास्तव में धन्य हो जाता है। जिस तरह प्रकृति का हर जीव अपने निर्दिष्ट कार्य को करता है,और उसमें आनंद प्राप्त करता है।यहां के जीव जंतु सूर्य चंद्रमा पवन सब अपने निज कार्य को करके ही प्रसन्नता को प्राप्त करते हैं। इन की समस्त शक्तियां अपने कार्य में संलग्न रहती है जो उनको आनंद प्राप्त कराती है। निरंतर कार्यशील लोगों के समस्त दुख अपने कार्य करने मात्र से समाप्त हो जाते हैं।

आलस्य और निराशा हम पर तभी आक्रमण करते हैं,जब हम मन से खाली,आलसी और निश्चेष्ट होते हैं। खाली स्थान पर तो प्रकृति कुछ ना कुछ भरती ही है इसलिए अपने मन और शरीर को कार्यशील और किसी न किसी चीज में लगाकर रखें,और तब तक काम करते रहे जब तक हमारी नेत्र थकान, और नींद हम पर हावी ना हो जाए,यह थकान ही वास्तव में सच्ची खुशी का एक स्वरूप है।

सच्ची खुशी का हकदार कौन हैं? - sachchee khushee ka hakadaar kaun hain?

जीवन में अनेक प्रकार की खुशियों के स्रोत हैं, धनवान, पद प्रतिष्ठा, स्त्री,पुत्र, स्वास्थ्य, सहयोग,विद्या, बुद्धि ,मनोरंजन ,वैभव संपन्नता, साधन, स्थान आदि सांसारिक लाभों को प्राप्त करने में हमारा सारा मानव जीवन निकल जाता है,और जितनी मात्रा में हमको लाभ मिलना चाहिए,उससे बहुत कम मात्रा में लाभ और संतोष मिल पाता है।यह संतोष, तृप्ति और प्रसन्नता भी क्षणिक होती है,क्योंकि यह वस्तुएं भी परिवर्तनशील और नाशवान होती है।

जीवन का पूर्ण लाभ लेने के लिए अध्यात्म का महत्व

अध्यात्म जीवन का वह तत्वज्ञान या यूँ कहें वह सर्वोच्च ज्ञान है जिस पर हमारी सब तरह की भीतरी और बाहरी उन्नति समृद्धि सफलता सुख शांति और खुशियां निर्भर रहती है। अध्यात्म वह मनोविज्ञान या महाविज्ञान है जिसकी जानकारी के बिना जीवन के समस्त सांसारिक पदार्थ निरर्थक हो जाते हैं,और यदि इस अध्यात्म ज्ञान के साथ सांसारिक पदार्थ प्राप्त होते हैं तो हम सच्ची खुशियां, वैभव और आनंद को प्राप्त कर पाते है।इस अध्यात्म से हमारा जीवन खुशियों और आनंद से भर जाता है।

सच्ची खुशी का हकदार कौन हैं? - sachchee khushee ka hakadaar kaun hain?

अध्यात्म से जुड़ने पर हम जीवन जीने की कला जानते और सीखते हैं जिससे हम इस संसार का सदुपयोग को जान पाते हैं। जब हम सब व्यक्ति सांसारिक लाभ को छोड़कर अपनी आत्मा के दिव्य गुणों की अभिवृद्धि में लगते है और तब हमें आंतरिक संतोष,आत्मीयता आनंद और सच्ची खुशी प्राप्त होती है। उससे देवी संपदा उत्तररोत्तर विकसित होती हैं,जो आत्म निर्माण करती हैं जो सबसे बड़ा पुण्य और परमार्थ कराती है। इस आध्यात्मिकता को ग्रहण करना दीनता हीनता और दासता को त्याग कर निर्भयता सत्यता पवित्रता प्रसन्नता की प्रवृत्तियों की ओर बढ़ाता है जो हमें खुशियां देती है।

चूंकि आध्यात्मिक सुखी मानसिक होती है यह संकट विपत्ति कष्ट और कठोर से कठोर परिस्थिति में भी व्यक्ति का संतुलन नष्ट होने नहीं देती। यह व्यक्ति को नाशवान वस्तुओं से संपर्क बढ़ाने से रोकती है। यह व्यक्ति को संसार के सुख-दुख को समझने में सहायता करती है।उसे इस बात का अहसास कराती है कि वह आत्मा है और बस जब वह इस सत्य को समझ अपने कर्तव्य परायणता को समझने की दिशा में चलता है,तब वह खुशियां ही खुशियां महसूस करता है।

अध्यात्म हमें असत्य से सत्य के मार्ग की ओर ले जाता है,वासना विहीन जीवन व्यतीत करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

वैराग्य की स्तिथि की समझ

सच्ची खुशी का हकदार कौन हैं? - sachchee khushee ka hakadaar kaun hain?

जब हम अध्यात्म के इस मार्ग पर चलते हैं तब हम एक वैराग्य की स्थिति में पहुंचते हैं जहां हमें इस बात का महत्व मालूम पड़ता है कि सांसारिक वस्तुओं में किसी तरह की कोई प्रसन्नता या आनंद नहीं होता सिर्फ आकर्षण मात्र होता है वह भी क्षणिक होता है और तब हम बहुत सी चीजों को छोडते चले जाते हैं जिसके प्रभाव से हमारा जीवन लगातार प्रसन्नता से भरता चला जाता है।

आत्मा और शरीर की समझ

सच्ची खुशी का हकदार कौन हैं? - sachchee khushee ka hakadaar kaun hain?

इस आध्यात्मिक मार्ग पर चलने से हमें महसूस होता है,पता चलता है कि हम शरीर नहीं बल्कि एक आत्मा है जो इस शरीर में निवास कर रही है,फिर हम धीरे-धीरे इस सुख-दुख,मान-अपमान, लाभ- हानि की स्थिति से खुद को परे महसूस कर खुश रहने लगते हैं

मन

इस आध्यात्मिक मार्ग पर चलने से हमारा मन उन चीजों को अब महत्व देने लगता है जो असल में हमें सच्ची खुशी देती है और हम सदा सर्वदा खुश रहने लगते है।

सच्ची खुशी मिलती है किसी की सहायता या मदद करने से

सच्ची खुशी का हकदार कौन हैं? - sachchee khushee ka hakadaar kaun hain?

जो है उसे स्वीकार कर

अब हर स्थिति को वह प्रकृति का वरदान मानने लगता है,और हर हाल, हर सुख दुख में खुश रहता है। उसे सच्ची खुशी प्राप्त हो जाती है।

जय श्री कृष्ण

धन्यवाद

Nirmal tantia

खुशी के हकदार कौन होते हैं?

Answer: सच्ची खुशी का हकदार सुख सहने वाला है. Explanation: जब आप आत्म-संतुष्टि और आत्म-शुद्धि के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, तो आपको केवल अपने आप को जवाब देना होता है।

सच्ची खुशी कब मिलती है?

सच्ची खुशी मन से खुश होना या चेहरे पर मुस्कान लाना नही होती बल्कि सच्ची खुशी तो आत्मा के खुश होने पर आती है आत्मा तब ही खुश हो सकती है जब उसका मिलन परमात्मा से हो। परमात्मा की प्राप्ति करने के राह पर चलना और परमात्मा को पा लेना ही सच्ची खुशी हैं।

गूगल खुशी क्या है?

अर्थात जीवन में अपनी मनपसंद चीजों के मिल जाने से जो Positive Feeling होती है, उसे ही खुशी कहते हैं। दूसरी तरफ Satisfaction भी Happiness लेकर आता है। यदि आप अपने जीवन से संतुष्ट (Satisfied with life) हैं, यदि आपके पास जो भी है उसको लेकर यदि आपके अंदर Positive Emotion आते हैं, उसे भी ख़ुशी (Happiness) कहते हैं।