सुनी-पढ़ी अंधविश्वास की किसी घटना में निहित आधारहीनता और अवैज्ञानिकता का विश्लेषण करके लिखिए। - sunee-padhee andhavishvaas kee kisee ghatana mein nihit aadhaaraheenata aur avaigyaanikata ka vishleshan karake likhie.

सुनी-पढ़ी अंधविश्वास की किसी घटना में निहित आधारहीनता और अवैज्ञानिकता का विश्लेषण करके लिखिए।

मेरी दादी बड़ी अंधविश्वासी हैं। उनका मानना था कि कोई घर से बाहर जा रहा हो और किसी को छींक आ जाए तो जाने वाले का काम पूरा नहीं होगा किसी के बाहर जाते समय कोई छींक दे तो दादी बाहर जाने वाले को रोक देती थीं घर के सभी लोग उनकी इस आदत से परेशान थे। एक बार मेरे भाई को इंटरव्यू के लिए बाहर जाना था। यह इंटरव्यू हमारे जिले के सर्वश्रेष्ट स्कूल में वाइस प्रिंसिपल के पद के लिए था। भाई काफी दिनों से इसके लिए तैयारी और प्रतीक्षा कर रहे थे। मुझे बहुत खाँसी-जुकाम हो रहा था। जैसे ही भाई ने बैग उठाकर चलना चाहा, मुझे जोर-जोर से छींक आने लगीं। दादी ने भाई को जाने नहीं दिया और उनका वह महत्त्वपूर्ण इंटरव्यू छूट गया। घर के सभी लोग इस घटना से बहुत दुखी हुए। मैंने दादी को समझाया कि छींक एक स्वाभाविक क्रिया है। जुकाम होने पर नाक में एक प्रकार की सरसराहट होती है। नाक में मौजूद नर्व सेल इसका संकेत मस्तिष्क को भेजते हैं। मस्तिष्क इसकी प्रतिक्रिया में चेहरे, गले और छाती की मांसपेशियों को सक्रिय कर देता है, जिसके फलस्वरूप ये सब मिलकर तेज हवा निकालकर बाहरी कणों को बाहर फेंक देते हैं। यही क्रिया छींक है। दादी के मन में भी भाई के इंटरव्यू को लेकर अफसोस था। उन्होंने मेरी बात समझी और धीरे-धीरे अपनी इस आदत को छोड़ दिया।