सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर डिनर खिचड़ी में क्यों बदल गया? - satkaar kee ooshma samaapt hone par dinar khichadee mein kyon badal gaya?

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          • निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए – 1. अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?
          • 2. कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही हैं?
          • 3. पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?
          • 4. दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई?
          • 5. तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?
          • 6. सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?
          • • प्रश्न-अभ्यास (लिखित)
          • निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए – 7. लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?
          • पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए – 8. अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।
          • 9. अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।
          • 10. लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़ें।
          • 11. मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।
          • 12. एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।
          • निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए – 13. कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
          • 14. ‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना’ – इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? विस्तार से लिखिए।
          • 15. जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?
          • • भाषा अध्ययन 16. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्याय लिखिए – चाँद, ज़िक्र, आघात, ऊष्मा, अंतरंग उत्तर:-
          • 17. निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए – (क) हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएँगे। (नकारात्मक वाक्य) (ख) किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं,जल्दी धुल जाएँगे। (प्रश्नवाचक वाक्य) (ग) सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो रही थी। (भविष्यत् काल) (घ) इनके कपड़े देने हैं। (स्थानसूचक प्रश्नवाची) (ङ) कब तक टिकेंगे ये? (नकारात्मक)
          • 18. पाठ में आए इन वाक्यों में ‘चुकना’ क्रिया के विभिन्न प्रयोगों को ध्यान से देखिए और वाक्य संरचना को समझिए – (क) तुम अपने भारी चरण-कमलों की छाप मेरी ज़मीन पर अंकित कर चुके। (ख) तुम मेरी काफ़ी मिट्टी खोद चुके। (ग) आदर-सत्कार के जिस उच्च बिंदु पर हम तुम्हें ले जा चुके थे। (घ) शब्दों का लेन-देन मिट गया और चर्चा के विषय चुक गए। (ङ) तुम्हारे भारी-भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी और तुम यहीं हो।
          • 19. निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं में ‘तुम’ के प्रयोग पर ध्यान दीजिए – (क) लॉण्ड्री पर दिए कपड़े धुलकर आ गए और तुम यहीं हो। (ख) तुम्हें देखकर फूट पड़ने वाली मुस्कुराहट धीरे-धीरे फीकी पड़कर अब लुप्त हो गई है। (ग) तुम्हारे भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी। (घ) कल से मैं उपन्यास पढ़ रहा हूँ और तुम फिल्मी पत्रिका के पन्ने पलट रहे हो। (ङ) भावनाएँ गलियों का स्वरूप ग्रहण कर रही हैं, पर तुम जा नहीं रहे।
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सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर डिनर खिचड़ी में क्यों बदल गया? - satkaar kee ooshma samaapt hone par dinar khichadee mein kyon badal gaya?

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Sparsh

  • 1 रामविलास शर्मा
  • 2 यशपाल
  • 3 बचेंद्री पाल
  • 4 शरद जोशी
  • 5 धीरंजन मालवे
  • 6 काका कालेलकर
  • 7 गणेशशंकर विद्यार्थी
  • 8 स्वामी आनंदगुप्त
  • 9 रैदास [कविता]
  • 10 रहीम [कविता]
  • 11 नज़ीर अकबराबादी [कगुप्तगुप्तगुप्तविता]
  • 12 सियारामशरण गुप्त [कविता]
  • 13 रामधारी सिंह दिनकर [कविता]
  • 14 हरिवंशराय बच्चन [कविता]
  • 15 a अरुण कमल – नए इलाके में [कविता]
  • 15 b अरुण कमल – खुशबू रचते हैं हाथ [कविता]

Sanchayan

  • 1 गिल्लू
  • 2 स्मृति
  • 3 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी
  • 4 मेरा छोटा -सा निजी पुस्तकालय
  • 5 हामिद खाँ
  • 6 दिये जल उठे

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –
1. अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?

उत्तर:- अतिथि लेखक के घर चार दिनों से अधिक समय तक रहता है।


2. कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही हैं?

उत्तर:- कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ा रही थी।


3. पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?

उत्तर:- पति ने स्नेह से भीगी मुस्कान के साथ गले मिलकर और पत्नी ने आदर से नमस्ते करके उनका स्वागत किया।


4. दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई?

उत्तर:- दोपहर के भोजन को लंच की तरह शानदार बनाकर लंच की गरिमा प्रदान की गई।


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5. तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?

उत्तर:- तीसरे दिन अतिथि ने कपड़े धुलवाने हैं कहकर धोबी के बारे में पूछा।


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6. सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?

उत्तर:- सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर लंच डिनर की जगह खिचड़ी बनने लगी। खाने में सादगी आ गई और अब भी अतिथि नहीं जाता तो उपवास तक रखना पड़ सकता था। ठहाकों के गुब्बारों की जगह एक चुप्पी हो गई। सौहार्द अब धीरे-धीरे बोरियत में बदलने लगा ।


प्रश्न-अभ्यास (लिखित)निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
7. लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?

उत्तर:- लेखक अतिथि को एक भावभीनी विदाई देना चाहता था। वह चाहता था कि जब अतिथि जाए तो पति-पत्नी उसे स्टेशन तक छोड़ने जाए। उन्हें सम्मानजनक विदाई देना चाहते थे परंतु उनकी यह मनोकामना पूर्ण नहीं हो पाई।


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पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए –
8. अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।

उत्तर:- जब लेखक ने अनचाहे अतिथि को आते देखा तो उसे महसूस हुआ कि खर्च बढ़ जाएगा। इसी को बटुआ काँपना कहते हैं।


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9. अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।

उत्तर:- अतिथि जब आता है तो देवता जैसा प्रतीत होता है। अतिथि जब बहुत दिनों तक किसी के घर ठहर जाता है तो ‘अतिथि देवो भव’ का मूल्य नगण्य हो जाता है। आने के एक दिन बाद वह सामान्य हो जाता है अर्थात् इतना बुरा भी नहीं लगता इसलिए इसे मानव रुप में कहा है और ज़्यादा दिन रह जाए तो राक्षस जैसा प्रतीत होता है अर्थात् बुरा लगने लगता है।


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10. लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़ें।

उत्तर:- हर व्यक्ति अपने घर में सुख-शांति बनाए रखना चाहता है। अपने घर को स्वीट होम बनाए रखना चाहता है परन्तु अनचाहा अतिथि आकर उसकी इस मिठास को खत्म कर देता है। असुविधाएँ उत्पन्न हो जाती हैं। उनका आचरण दूसरों के जीवन को उथल-पुथल कर देता है। यह दूसरों के घर की सरसता कम करने का कारण बन जाते हैं।


11. मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।

उत्तर:- अतिथि यदि एक दो दिन ठहरे तो उसका आदर सत्कार होता हैं परंतु अधिक ठहरे तो वह देवत्व को खोकर राक्षसत्व का बोध कराने लगता है। अतिथि चार दिन से लेखक के घर रह रहा था। कल पाँचवा दिन हो जाएगा। यदि कल भी अतिथि नहीं गया तो लेखक अपनी सहनशीलता खो बैठेगा और अतिथि सत्कार भूलकर कुछ गलत न बोल दे।


12. एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।

उत्तर:- यदि अतिथि को देवता माना जाए तो वह मनुष्य के साथ ज़्यादा नहीं रह सकता। दोनों को सामान्य मनुष्य बनना पड़ेगा। देवता की पूजा की जाती है। देवता तो थोड़ी देर के लिए दर्शन देकर चले जाते हैं क्योंकि देवता यदि अधिक समय तक ठहरे तो उसका देवत्व समाप्त हो जाएगा।


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –
13. कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर:- जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो स्थिति में बदलाव आने लगा और संबंध बदलने लगे। लेखक ने उसके साथ मुस्कुराकर बात करना छोड़ दिया, बातचीत के विषय समाप्त हो गए। सौहार्द व्यवहार अब बोरियत में बदल गया। मधुर संबंध कटुता में परिवर्तित हो गए। सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर से खिचड़ी तक पहुँचकर अतिथि के जाने का चरम क्षण समीप आ गया था। इसके बाद लेखक उपवास तक जाने की तैयारी करने लगा। लेखक अतिथि को ‘गेट आउट’ तक कहने के लिए तैयार हो गया।


14. ‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना’ – इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? विस्तार से लिखिए।

उत्तर:- ‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना’ – इस पंक्ति का आशय है संबंधों में परिवर्तन आना। जो संबंध आत्मीयतापूर्ण थे अब घृणा और तिरस्कार में बदलने लगे। जब लेखक के घर अतिथि आया था तो उसके संबंध सौहार्द पूर्ण थे। उसने उसका स्वागत प्रसन्नता पूर्वक किया था। लेखक ने अपनी ढ़ीली-ढ़ाली आर्थिक स्थिति के बाद भी उसे शानदार डिनर खिलाया और सिनेमा दिखाया। लेकिन अतिथि चार पाँच दिन रुक गया तो स्थिति में बदलाव आने लगा और संबंध बदलने लगे। मधुर संबंध कटुता में परिवर्तित हो गए। सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर से खिचड़ी तक पहुँचकर अतिथि के जाने का चरम क्षण समीप आ गया था।


15. जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?

उत्तर:- जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो स्थिति में बदलाव आने लगा और संबंध बदलने लगे। लेखक ने उसके साथ मुस्कुराकर बात करना छोड़ दिया, बातचीत के विषय समाप्त हो गए। सौहार्द व्यवहार अब बोरियत में बदल गया। मधुर संबंध कटुता में परिवर्तित हो गए। सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गई। डिनर से खिचड़ी तक पहुँचकर अतिथि के जाने का चरम क्षण समीप आ गया था। इसके बाद लेखक उपवास तक जाने की तैयारी करने लगा। लेखक अतिथि को ‘गेट आउट’ तक कहने के लिए तैयार हो गया।


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भाषा अध्ययन
16. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्याय लिखिए
चाँद, ज़िक्र, आघात, ऊष्मा, अंतरंग
उत्तर:-
चाँद राकेश शशि
ज़िक्र उल्लेख वर्णन
आघात हमला चोट
ऊष्मा गर्मी घनिष्ठता
अंतरंग घनिष्ठ आंतरिक

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17. निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए
(क) हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएँगे। (नकारात्मक वाक्य)
(ख) किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं,जल्दी धुल जाएँगे। (प्रश्नवाचक वाक्य)
(ग) सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो रही थी। (भविष्यत् काल)
(घ) इनके कपड़े देने हैं। (स्थानसूचक प्रश्नवाची)
(ङ) कब तक टिकेंगे ये? (नकारात्मक)

उत्तर:- (क) हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने नहीं जाएँगे।
(ख) किसी लॉण्ड्री पर दे देने से क्या जल्दी धुल जाएँगे?
(ग) सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो जाएगी।
(घ) इनके कपड़े यहाँ देने हैं।
(ङ) ये अब नहीं टिकेंगे।


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18. पाठ में आए इन वाक्यों में ‘चुकना’ क्रिया के विभिन्न प्रयोगों को ध्यान से देखिए और वाक्य संरचना को समझिए –
(क) तुम अपने भारी चरण-कमलों की छाप मेरी ज़मीन पर अंकित कर चुके।
(ख) तुम मेरी काफ़ी मिट्टी खोद चुके।
(ग) आदर-सत्कार के जिस उच्च बिंदु पर हम तुम्हें ले जा चुके थे।
(घ) शब्दों का लेन-देन मिट गया और चर्चा के विषय चुक गए।
(ङ) तुम्हारे भारी-भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी और तुम यहीं हो।

उत्तर:- पाठ में आए इन वाक्यों में ‘चुकना’ क्रिया के विभिन्न प्रयोगों को ध्यान से देखिए और वाक्य संरचना को समझिए –
(क) तुम अपने भारी चरण-कमलों की छाप मेरी जमीन पर अंकित कर चुके।
(ख) तुम मेरी काफ़ी मिट्टी खोद चुके।
(ग) आदर-सत्कार के जिस उच्च बिंदु पर हम तुम्हें ले जा चुके थे।
(घ) शब्दों का लेन-देन मिट गया और चर्चा के विषय चुक गए।
(ङ) तुम्हारे भारी-भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी और तुम यहीं हो।


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19. निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं में ‘तुम’ के प्रयोग पर ध्यान दीजिए –
(क) लॉण्ड्री पर दिए कपड़े धुलकर आ गए और तुम यहीं हो।
(ख) तुम्हें देखकर फूट पड़ने वाली मुस्कुराहट धीरे-धीरे फीकी पड़कर अब लुप्त हो गई है।
(ग) तुम्हारे भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी।
(घ) कल से मैं उपन्यास पढ़ रहा हूँ और तुम फिल्मी पत्रिका के पन्ने पलट रहे हो।
(ङ) भावनाएँ गलियों का स्वरूप ग्रहण कर रही हैं, पर तुम जा नहीं रहे।

उत्तर:- निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं में ‘तुम’ के प्रयोग पर ध्यान दीजिए –
(क) लॉण्ड्री पर दिए कपड़े धुलकर आ गए और तुम यहीं हो।
(ख) तुम्हें देखकर फूट पड़ने वाली मुस्कुराहट धीरे-धीरे फीकी पड़कर अब लुप्त हो गई है।
(ग) तुम्हारे भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी।
(घ) कल से मैं उपन्यास पढ़ रहा हूँ और तुम फिल्मी पत्रिका के पन्ने पलट रहे हो।
(ङ) भावनाएँ गलियों का स्वरूप ग्रहण कर रही हैं, पर तुम जा नहीं रहे।

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सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर डिनर खिचड़ी में क्यों बदल गया? - satkaar kee ooshma samaapt hone par dinar khichadee mein kyon badal gaya?


सत्कार की उष्मा समाप्त होने पर डिनर खिचड़ी में क्यों बदल गया?

6. सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ? उत्तर:- सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर लंच डिनर की जगह खिचड़ी बनने लगी। खाने में सादगी आ गई और अब भी अतिथि नहीं जाता तो उपवास तक रखना पड़ सकता था।

सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ पाठ के आधार पर लिखिए?

Answer: सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर लंच डिनर की जगह खिचड़ी बनने लगी। ठहाकों के गुब्बारों की जगह एक चुप्पी हो गई। सौहार्द अब धीरे-धीरे बोरियत में बदलने लगा।

सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ तुम कब जाओगे अततथथ पाठ के आधार पर मलखिए?

उत्तर: तीसरे दिन सुबह अतिथि ने कहा कि वह धोबी को कपड़े देना चाहता है। Question 6: सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ? उत्तर: सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर अतिथि के लिए खिचड़ी बनने लगी।

सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर लेखक की पत्नी ने डिनर के बजाय क्या बनाई?

उत्तर: सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर लेखक ने अतिथि को डिनर की बजाय खिचड़ी खिलाई।