सही विकल्प को चुनकर खाली जगह को भरें: 1952 के पहले आम चुनाव में लोकसभा के साथ-साथ ..................... के लिए भी चुनाव कराए गए थे।
एकल पार्टी के प्रभुत्व के बारे में यहाँ चार बयान लिखे गए हैं। प्रत्येक केआगे सही या गलत का चिह्न लगाएँ? A. विकल्प के रूप में किसी मज़बूत राजनीतिक दल का अभाव एकल पार्टी-प्रभुत्व का कारण था। B. जनमत की कमजोरी के कारण एक पार्टी का प्रभुत्व कायम हुआ। C. एकल पार्टी-प्रभुत्व का संबंध राष्ट्र के औपनिवेशिक अतीत से है। D. एकल पार्टी-प्रभुत्व से देश में लोकतांत्रिक आदर्शों के अभाव की झलक मिलती है। A. True सही विकल्प को चुनकर खाली जगह को भरें: ................... लोकसभा के पहले आम चुनाव में 16 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही।
C. भारतीय कमुनिस्ट पार्टी यहाँ दो सूचियाँ दी गई हैं। पहले में नेताओं के नाम दर्ज़ हैं और दूसरे में दलों के। दोनों सूचियों में मेल बैठाएँ:
सही विकल्प को चुनकर खाली जगह को भरें: ...................... स्वतंत्र पार्टी का एक निर्देशक सिद्धांत था।
C. राज्य के नियंत्रण से मुक्त अर्थव्यवस्था Advertisement Remove all ads Advertisement Remove all ads MCQ Fill in the Blanks सही विकल्प को चुनकर खाली जगह को भरें: ______ स्वतंत्र पार्टी का एक निर्देशक सिद्धांत था। Options
Advertisement Remove all ads Solutionराज्य के नियंत्रण से मुक्त अर्थव्यवस्था स्वतंत्र पार्टी का एक निर्देशक सिद्धांत था। Concept: विपक्षी पार्टियों का उद्भव Is there an error in this question or solution? Advertisement Remove all ads Chapter 2: एक दल के प्रभुत्व का दौर - प्रश्नावली [Page 44] Q 1. (ग)Q 1. (ख)Q 2. APPEARS INNCERT Political Science Class 12 [राजनीति विज्ञान - स्वतंत्र भारत में राजनीति १२ वीं कक्षा] Chapter 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर Advertisement Remove all ads स्वराज पार्टी से भ्रमित न हों। स्वतंत्र पार्टी का ध्वज स्वतंत्र पार्टी, भारत का एक राजनैतिक दल था जिसकी स्थापना चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने अगस्त, १९५९ में की थी। इस दल ने जवाहरलाल नेहरू की समाजवादी नीति का विरोध किया और तथाकथित "लाइसेंस-परमिट राज" को समाप्त कर मुक्त अर्थव्यवस्था की वकालत की। भारत की उस समय की स्थिति ऐसी थी कि दुर्भाग्य से इसे जमींदारों और उद्योगपतियों की हितैषी पार्टी माना गया। स्वतंत्र पार्टी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में अच्छी सफलता प्राप्त की थी लेकिन १९७४ में पीलू मोदी की अध्यक्षता वाली इस पार्टी के भारतीय लोकदल में विलय के साथ इसका अस्तित्व खत्म हो गया। इस पार्टी का नेतृत्व सी. राजगोपालाचारी, के.एम. मुंशी, एन.जी. रंगा और मीनू मसानी जैसे पुराने कांग्रेस नेता कर रहे थे । यह पार्टी आर्थिक मस्लो पर अपनी खास किस्म की पक्षधरता के कारण दूसरी पार्टियों से अलग थी। स्वतंत्र पार्टी चाहती थी कि सरकार अर्थव्यवस्था में कम से कमतर हस्तक्षेप करें। इसका मानना था कि समृद्धि सिर्फ व्यक्तिगत स्वतंत्रता के जरिए आ सकती हैं। {| class="wikitable"|- style="background-color:#eee;" ! Year ||data-sort-type="text" |चुनाव || लोकप्रियता ||सीटें |- | 1962 ||data-sort-value="1962 Indian general election"|1962 Indian general election|| style="text-align:right"|7.89 % ||data-sort-value="18"| 18 / 494 |- | 1967 ||data-sort-value="1962 Indian general election"|1967 Indian general election|| style="text-align:right"|8.67 % ||data-sort-value="44"| 44 / 520 |- | 1971 ||data-sort-value="1962 Indian general election"|1971 Indian general election|| style="text-align:right"|3.07 % ||data-sort-value="8"| 8 / 518 |} बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
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