ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विनोद शुक्ला Updated Sat, 03 Sep 2022 10:09 AM IST Show September Predictions 2022: ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जब भी कोई ग्रह राशि परिवर्तन करता है तो इसका असर देश-दुनिया के साथ सभी जातकों के जीवन पर अवश्य ही पड़ता है। सभी ग्रह एक नियमित अंतराल पर राशि परिवर्तन करते हैं। राशि परिवर्तन के साथ सभी ग्रह अन्य प्रकार की भी गतिविधियां करते रहते हैं। सितंबर के महीने में कुछ ग्रहों का राशि परिवर्तन होगा। सितंबर में सूर्य और शुक्र ग्रह का राशि परिवर्तन होगा। इसके अलावा बुध की चाल भी बदलेगी। वहीं बाकी ग्रह मंगल,गुरु, शनि और राहु-केतु किसी भी प्रकार का राशि परिवर्तन नहीं करेंगे। सूर्य,शुक्र और बुध के राशि परिवर्तन का प्रभाव देश की आर्थिक सेहत, राजनीतिक दिशा में खास बदलाव देखने को मिल सकता है। इस महीने में सूर्य और शनि का षडाष्टक योग बनेगा। षडाष्टक योग शुभ नहीं माना जाता है। 17 सितंबर के बाद बुध और सूर्य दोनों ही सिंह राशि में मौजूद होने के कारण बुधादित्य योग बनेगा। बुधादित्य योग शुभ योग माना जाता है। 10 सितंबर को बुध कन्या राशि में होंगे वक्री : बुद्धि ,व्यापार और वाणी के कारक ग्रह बुध कन्या राशि में 10 सितंबर को वक्री होंगे और इसके बाद 2 अक्टूबर 2022 को बुध कन्या राशि में मार्गी होंगे। 15 सितंबर को शुक्र सिंह राशि में अस्त होंगे: सुख,वैभव और संपन्नता प्रदान करने वाले शुक्र ग्रह 15 सितंबर 2022 को सुबह 02 बजकर 29 मिनट पर सिंह राशि में अस्त होंगे। 17 सितंबर को सूर्य का कन्या राशि में गोचर: सूर्यदेव 17 सितंबर 2022, शनिवार को अपनी स्वराशि सिंह से निकलकर बुध देव की राशि कन्या में प्रवेश कर जाएंगे। 24 सितंबर को शुक्र का कन्या राशि में गोचर: शुक्र सिंह राशि की अपनी यात्रा को समाप्त करते हुए कन्या राशि में गोचर 24 सितंबर 2022, शनिवार को रात 8 बजकर 51 मिनट पर करेंगे। सिंतबर में सभी 9 ग्रहों का 12 राशियों पर प्रभाव सूर्य- सूर्य मान-सम्मान, यश और आत्मा के कारक ग्रह हैं। यह हर महीने अपनी राशि बदलते हैं। 17 सिंतबर को सूर्य स्वयं की राशि सिंह से निकलकर बुध की राशि कन्या में प्रवेश करेंगे। सूर्य का राशि परिवर्तन से 17 सितंबर से लेकर 17 अक्तूबर तक मेष, कर्क, वृश्चिक और धनु राशि वालों के लिए शुभ समय रहेगा। मंगल- इस महीने मंगल को कोई राशि परिवर्तन नहीं होगा। मंगल पूरे महीने वृषभ राशि में रहेंगे। कर्क, धनु और मीन राशि वालों के लिए समय अच्छा रहेगा जबकि बाकी राशि के लोग थोड़ा संभलकर रहने की जरूरत होगी। बुध- बुध ग्रह राशि परिवर्तन नहीं करेंगे बल्कि अपनी चाल बदलेंगे। बुध ग्रह 8 सितंबर को अस्त होंगे फिर इसके बाद 10 सितंबर को वक्री हो जाएंगे। बुध ग्रह की चाल में बदलाव से मेष,सिंह,धनु और कुंभ राशि वालों पर शुभ असर होगा। जबकि बाकी राशि वालों के ऊपर इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं देखने को
मिलेगा। [[चित्र: 1e7m comparison Uranus Neptune Sirius B Earth Venus |गोचर। ]] गोचर का अर्थ होता है गमन यानी चलना. गो अर्थात तारा जिसे आप नक्षत्र या ग्रह के रूप में समझ सकते हैं और चर का मतलब होता है चलना. इस तरह गोचर का सम्पूर्ण अर्थ निकलता है ग्रहों का चलना. ज्योतिष की दृष्टि में सूर्य से लेकर राहु केतु तक सभी ग्रहों की अपनी गति है। अपनी-अपनी गति के अनुसार ही सभी ग्रह राशिचक्र में गमन करने में अलग-अलग समय लेते हैं। नवग्रहों में चन्द्र का गोचर सबसे कम अवधि का होता है क्योंकि इसकी गति तेज है। जबकि, शनि की गति मंद होने के कारण शनि का गोचर सबसे अधिक समय का होता है। गोचर से फल ज्ञात करना[संपादित करें]ग्रह विभिन्न राशियों में भ्रमण करते हैं। ग्रहों के भ्रमण का जो प्रभाव राशियों पर पड़ता है उसे गोचर का फल या गोचर फल कहते हैं। गोचर फल ज्ञात करने के लिए एक सामान्य नियम यह है कि जिस राशि में जन्म समय चन्द्र हो यानी आपकी अपनी जन्म राशि को पहला घर मान लेना चाहिए उसके बाद क्रमानुसार राशियों को बैठाकर कुण्डली तैयार कर लेनी चाहिए. इस कुण्डली में जिस दिन का फल देखना हो उस दिन ग्रह जिस राशि में हों उस अनुरूप ग्रहों को बैठा देना चाहिए. इसके पश्चात ग्रहों की दृष्टि एवं युति के आधार पर उस दिन का गोचर फल ज्ञात किया जा सकता है। ग्रहों का राशियों में भ्रमण काल-[संपादित करें]सूर्य, शुक्र, बुध का भ्रमण काल 1 माह, चंद्र का सवा दो दिन, मंगल का 57 दिन, गुरू का 1 वर्ष, राहु-केतु का 1-1/2 (डेढ़ वर्ष) व शनि का भ्रमण का - 2-1/2 (ढ़ाई वर्ष) होता है गोचर से जन्म कुन्डली का फ़लादेश[संपादित करें]जन्म कुन्डली मे उपस्थित ग्रह गोचर के ग्रहों के साथ जब युति करते हैं, तो उनका फ़लादेश अलग अलग ग्रहों के साथ अलग होता है, वे अपना प्रभाव जातक पर जिस प्रकार से देते हैं, वह इस प्रकार से है:-
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]आपके जन्म ग्रहों के अनुसार गोचर फल Shukra एक राशि में कितने दिन रहता है?शुक्र के गोचर की अवधि लगभग 23 दिन की होती है यानि यह एक राशि में 23 दिनों तक स्थित रहता है और फिर दूसरी राशि में गोचर करता है। गोचर का शुक्र विभिन्न भावों में अलग-अलग फल प्रदान करता है और व्यक्ति के भौतिक और वैवाहिक जीवन को प्रभावित करता है।
एक ग्रह एक राशि में कितने दिन रहता है?सूर्य, बुध तथा शुक्र एक महीना एक राशि में रहते हैं। चंद्रमा सवा दो दिन एक राशि में रहता है। मंगल डेढ़ महीना, गुरु तेरह महीने, शनि 30 महीने, राहु-केतु 18 महीने एक राशि में रहते है। वक्री अथवा शीघ्र गतिक होने से कभी-कभी बुध आदि ग्रहो को एक राशि का समय तय करने में अंतर पड़ जाता है।
शुक्र उच्च का कब होता है?2, 3, 4, 7 एवं 12 वें खाने में शुक्र श्रेष्ठ होता है जबकि 1, 6, 9 वें खाने में मंदा। मीन राशि में यह उच्च होता है और कन्या में नीच, मिथुन राशि में यह योग कारक होता है।
गुरु एक राशि में कितने दिन रहता है?वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु किसी एक राशि में करीब 13 महीनों तक रहते है फिर उसके बाद राशि परिवर्तन करते हैं।
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