इसे सुनेंरोकेंभागलपुर में शरतचन्द्र का ननिहाल था। नाना केदारनाथ गांगुली का आदमपुर में अपना मकान था और उनके परिवार की गिनती खाते-पीते सभ्रांत बंगाली परिवार के रूप में होती थी। नाना कई भाई थे और संयुक्त परिवार में एक साथ रहते थे। इसलिए मामा तथा मौसियों की संख्या काफी थी। Show
बंकिमचंद्र के पहले उपन्यास की क्या कहानी है? इसे सुनेंरोकेंबंकिम चंद्र चटर्जी कविता और उपन्यास दोनों लिखने लगे और दोनों ही विधाओं में न केवल पारंगत बने, बल्कि एक से बढ़कर एक रचनाओं से भारतीय साहित्य को समृद्ध किया। बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का पहला उपन्यास ‘रायमोहन्स वाईफ’ अंग्रेजी में था। साल 1865 में उनकी प्रथम बांग्ला कृति ‘दुर्गेशनंदिनी’ प्रकाशित हुई। पढ़ना: कैसे सीओपीडी पता चला है? बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय स्वदेश को क्या मानते हैं?इसे सुनेंरोकेंइसे ‘अमर राष्ट्र’ कहा जाता है। साहित्य सेवा के बल पर शरतचंद्र चटर्जी क्या जुटा पाए? इसे सुनेंरोकेंउनके अधिकांश कार्य गांव के लोगों की जीवनशैली, त्रासदी और संघर्ष और बंगाल में व्याप्त समकालीन सामाजिक प्रथाओं से जुड़े हैं। वह अब तक का सबसे लोकप्रिय, अनुवादित, अनुकूलित, और साहित्यिक भारतीय लेखक है। भारतीय लेखक। भारत में एक बंगाली लेखक, वह पैसा कमाने के लिए नौकरी खोजने बर्मा गए, जहाँ उन्होंने 14 साल बिताए। शरत् का जन्म कहाँ हुआ था?देबनान्दापुर, बंडलशरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय / जन्म की जगह शरत् का छोटा भाई कब चल बसा था *? इसे सुनेंरोकेंवह अभी छोटा ही था कि उसकी माँ के फिर संतान होने की संभावना दिखाई दी। उधर शरत् का छोटा भाई शैशव में ही चल बसा था। तब उसकी माँ ने सुरेंद्र को अपना दूध पिलाकर पाला था। इसलिए बहुत अनुनय-विनय करने पर एक दिन वह उसको साथ लेकर अपने तपोवन गया। पढ़ना: परावर्तन के कितने नियम होते हैं? बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के पहले उपन्यास का क्या नाम है?इसे सुनेंरोकेंबंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का पहला उपन्यास ‘रायमोहन्स वाईफ’ अंग्रेजी में था. साल 1865 में उनकी प्रथम बांग्ला कृति ‘दुर्गेशनंदिनी’ प्रकाशित हुई. उस समय उनकी उम्र केवल 27 वर्ष थी. बंकिम चंद्र चटर्जी और बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय में क्या अंतर है? बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय (अंग्रेज़ी: Bankim Chandra Chattopadhyay, जन्म: 26 जून, 1838; मृत्यु: 8 अप्रैल, 1894) 19वीं शताब्दी के बंगाल के प्रकाण्ड विद्वान् तथा महान् कवि और उपन्यासकार थे।… बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्यायविशेष योगदानराष्ट्रीय गीत के रचयितानागरिकताभारतीयइन्हें भी देखेंकवि सूची, साहित्यकार सूचीबंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की मृत्यु कब हुई?8 अप्रैल 1894बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय / मृत्यु तारीख बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म कब और कहां हुआ था? इसे सुनेंरोकेंबंकिम चंद्र चटर्जी या बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ लिखने के लिए प्रसिद्ध हैं। भारत के इस महान सपूत का जन्म 27 जून 1838 को पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के कांठल पाड़ा नामक गाँव में हुआ था। पढ़ना: झोले कहानी का नायक क्या लेने आया था? शरत के पिता का क्या नाम था उनका व्यक्तित्व कैसा था?इसे सुनेंरोकेंउनका व्यक्तित्व कैसा था? उत्तर: शरत् के पिता का नाम मोतीलाल यायावर था। वे शिल्पी मन के थे और दासता के बंधन में बंध कर नहीं रह पाते थे। 2. बीसवीं सदी के सबसे चर्चित लेखकों में गिने जाने वाले शरद चट्टोपाध्याय का जीवन आज भी कई लोगों के लिए एक बंद किताब की तरह है। अपने शानदार लेखन की वजह से एक समय में उन्हें रविंद्र नाथ टैगोर के बाद दूसरा सबसे महान कथाकार के रूप में सम्मानित किया गया। आज की नई पीढ़ी को शरद चट्टोपाध्याय का जीवन काफी कुछ सिखाता है, कुछ लोग अपने जुनून के खातिर बड़े से बड़ा त्याग करने के लिए तत्पर रहते है। ऐसे ही शरतचंद्र को अपने लेखन से प्यार था जिसके लिए उन्होंने विदेशों में मिली सरकारी नौकरी भी त्याग दी। आज हम इस विशिष्ट लेखक की जीवनी में उनके जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण घटनाएं आपके साथ सांझा करेंगे। शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय का व्यक्तिगत परिचयपूरा नामशरतचंद्र चट्टोपाध्यायजन्म तारीख१५ सितंबर १८७६जन्म स्थानदेवानंदपुर गांव(बंगाल)धर्महिन्दूपिता का नाममोतीलालनाना का नामकेदारनाथ गांगुलीमाता का नामभुवनमोहिनीपत्नि का नामहिरण्यमयी देवीभाई/बहन२ भाई १ बहन, प्रभासचंद्र, प्रकाशचंद्र, अनीला देवीशिक्षाप्रारम्भिक शिक्षा(देवानंदपुर),हुगली ब्रांच स्कूल, एंट्रेंसकामकहानी लेखन, उपन्यासकार, हावड़ा कांग्रेस कमेटी के प्रधानमृत्यु तारीख१६ जनवरी १९३८मृत्यु स्थानकलकत्ताउम्र६१ वर्षमृत्यु की वजहलू लगने के बाद बीमारउपलब्धियाकलकत्ता विश्वविद्यालय से जगततारिणी” स्वर्ण पदक, ढाका विशवविद्यालय ने डाक्टर की उपाधिसरत चंद्र चट्टोपाध्याय का प्रारंभिक जीवनसाल 1876 में भारत देश के पश्चिम बंगाल राज्य के देवानंद पुर गांव़, जो कि हुगली जिले में पड़ता है़, इसी स्थान पर 15 सितंबर को सरत चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म हुआ था। सरतचंद्र अपने माता-पिता की 9वी संतान थे। शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय शिक्षाजब सरत चंद्र चट्टोपाध्याय सिर्फ 18 साल के थे, तभी इन्होंने 12वीं की कक्षा को पास कर लिया था। 18 साल की उम्र में ही शरद चंद्र चट्टोपाध्याय ने एक उपन्यास की रचना की थी, जिसका नाम “बासा” था। हालांकि वह इसे प्रकाशित नहीं करवा पाए। शरद चंद्र चट्टोपाध्याय ने कॉलेज की पढ़ाई भी शुरू की, परंतु लंबे समय तक वह अपनी कॉलेज की पढ़ाई जारी नहीं रख पाए। कॉलेज की पढ़ाई को छोड़ने के बाद शरद म्यांमार देश में क्लर्क की नौकरी करने के लिए चले गए, जहां पर उन्हें महीने में ₹30 की सैलरी प्राप्त होती थी। आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि सरत चंद्र चट्टोपाध्याय अकेले ऐसे इंडियन थे, जिन्होंने जो रचना की थी उनमें से अधिकतर रचनाओं के ऊपर बॉलीवुड में फिल्में बनी थी। इसके साथ ही सरत चंद्र चट्टोपाध्याय के द्वारा रचित उपन्यासों और ग्रंथों पर विभिन्न प्रकार के धारावाहिक/सीरियल भी भारतीय मनोरंजन इंडस्ट्री में बने हैं। सरत चंद्र चट्टोपाध्याय का धर्ममहान लेखक और उपन्यासकार सरत चंद्र चट्टोपाध्याय हिंदू धर्म के बंगाली ब्राह्मण समुदाय से तालुकात रखते थे। इन्होंने विभिन्न प्रकार की महान रचनाओं को तैयार किया था। सरत चंद्र चट्टोपाध्याय का परिवारसरत चंद्र के पिता का नाम मोहनलाल था वहीं, उनकी माता का नाम भुवनमोहिनी था। साहित्यिक परिचयसरत चंद्र चट्टोपाध्याय अपने लेख, उपन्यासों में ऐसी बातें लिखते थे, जिससे सामाजिक असर पड़े। यह अपने उपन्यास और कहानियों के द्वारा सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों पर प्रहार करने का काम करते थे। सरत चंद्र चट्टोपाध्याय साहित्य की फील्ड में यथार्थवाद को लेकर उतरे थे, जो कि बांग्ला साहित्य में बेहद नई और विशेष चीज थी। सरत चंद्र चट्टोपाध्याय की प्रतिभासरत चंद्र चट्टोपाध्याय को कहानियां लिखने के अलावा उपन्यास लिखने का भी काफी शौक था, क्योंकि उन्हें लिखने में बहुत ही ज्यादा इंटरेस्ट था। सरत चंद्र चट्टोपाध्याय अक्सर अपने उपन्यास और कहानियों में भारत के मध्यम वर्गीय समाज को प्रस्तुत करने का काम करते थे। इसके अलावा वह अपनी कहानीयों और उपन्यासों के माध्यम से पुरुष और स्त्री के संबंधों के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियां लोगों को प्रदान करने का काम करते थे। सरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने कुछ ऐसी कहानियों की भी रचना की है, जो कला की नजर से बहुत ही ज्यादा मार्मिक है। इनके द्वारा लिखी गई कहानियां सरत चंद्र चट्टोपाध्याय के दिल की भावनाओं का पूर्ण रूप से प्रतिनिधित्व करती हैं। सरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपनी कहानियों में अपने बचपन और अपने दोस्तों तथा ऐसे लोगों का उल्लेख किया है, जिन्होंने उनकी जिंदगी में कुछ बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जब हम इनके द्वारा रचित कहानियों को पढ़ते हैं तो कहानियों को पढ़कर हमें ऐसा लगता है कि जैसे जो हम पढ़ रहे हैं, वह घटना हमारी जिंदगी में भी घटित हो चुकी है। सम्पूर्ण साहित्यनारी के उत्थान से नारी के पतन तक और नारी के पतन से नारी के उत्थान तक की करुण बातों से शरतचंद्र द्वारा रचित संपूर्ण सहित भरा पड़ा है। शरतचंद्र अपनी कहानियों के माध्यम से सिर्फ स्त्री के पतन की कहानी ही नहीं बताते थे बल्कि वह अपनी कहानी और उपन्यास के द्वारा स्त्री के त्याग, बलिदान, औरत की ममता और औरत के प्यार के बारे में भी बताते थे।
शरद चंद्र ने औरत की नीचतम और महानतम दोनों रूपों का वर्णन अपनी कहानियों में किया है। जिस प्रकार से अपनी कहानियों के माध्यम से शरद चंद्र ने नारी के दिल की गांठ और गुत्थियों को खोला है, वह बहुत ही काबिले तारीफ है। सरत चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित कृतियांइंडिया के महान उपन्यासकार और कहानी लेखक सरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने विभिन्न प्रकार के उपन्यास लिखे हैं। इनके प्रमुख उपन्यासों के बारे में बात की जाए तो इनके प्रमुख उपन्यास पंडित मोशाय, अभागिनी का स्वर्ग, श्रीकांत, अरक्षणीया, निष्कृति, बैकुंठेर बिल, मेज दीदी, दर्पचूर्ण, मामलार फल, अनुपमा का प्रेम, गृहदाह, शेष प्रश्न, दत्ता, देवदास, ब्राह्मण की लड़की, सती, विप्रदास, देना पावना आदि है। इसके अलावा सरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलन को लेकर के “पथैर दावी’ नाम के उपन्यास को भी निर्मित किया था। सरत चंद्र ने जितने भी उपन्यास या फिर कहानियां लिखी थी, उनमें से अधिकतर उपन्यास और कहानियों का ट्रांसलेशन भारत की अन्य भाषाओं में भी किया गया है। इसके अलावा सरत चंद्र चट्टोपाध्याय के द्वारा लिखित कुछ उपन्यासों के आधार पर बॉलीवुड की फिल्में भी क्रिएट की गई है। सरत चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास चरित्रहीन को लेकर साल 1974 में बॉलीवुड में एक हिंदी फिल्म बनी थी। इसके बाद इनके उपन्यास देवदास की कहानी के ऊपर बॉलीवुड में देवदास फिल्म को बनाया गया था। देवदास फिल्म कुल तीन बार बन चुकी है़ जिसमें सबसे पहले साल 1936 में, फिर साल 1955 में और उसके बाद आखिर बार 2002 में देवदास फिल्म बनी थी, जिसमें माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्या राय और शाहरुख खान ने एक्टिंग की थी। इसके अलावा चरित्रहीन फिल्म का निर्माण साल 1974 में, परिणीता फिल्म का निर्माण साल 1953 में और बड़ी दीदी तथा मझली बहन जैसी पिक्चर का निर्माण भी सरत चंद्र चट्टोपाध्याय के द्वारा निर्मित उपन्यास और कहानियों पर हो चुके हैं। सरत चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा निर्मित उपन्यास
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा निर्मित नाटक
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा निर्मित गल्प
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा निर्मित निबंध
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय की मृत्युसाल 1938 में 16 जनवरी को इंडिया के फेमस उपन्यासकार सरत चंद्र चट्टोपाध्याय का निधन हो गया था। सरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने जीवित रहते हुए जो भी रचनाएं और कहानियां लिखी थी, आज भी लोग उन्हें बड़े इंटरेस्ट के साथ पढ़ते हैं।
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय के लिए यह भी बड़े गौरव की बात थी कि इन्होंने अपने जीवित रहते हुए जितनी भी रचनाएं, कविता, निबंध की रचना की थी, उनमें से कई रचनाओं और कहानियों पर बॉलीवुड में विभिन्न प्रकार की फिल्में और सीरियल का निर्माण किया गया था। और आज के टाइम में भी अक्सर बॉलीवुड के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर शरतचंद्र के द्वारा रचित रचनाओं में किसी न किसी फिल्म की कहानी ढूढते ही रहते हैं, ताकि वह एक अच्छी फिल्म का निर्माण कर सकें। शरद के छोटे नाना का क्या नाम था?शरत के नाना केदारनाथ गांगुली बड़े आदमी थे। मोतीलाल ससुराल में रहने लगे। लेकिन वह अधिक न पढ़ सके।
शरद चंद्र का जन्म कब हुआ?15 सितंबर 1876शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय / जन्म तारीखnull
शरतचंद्र का जन्म कहाँ हुआ था?देबनान्दापुर, बंडल, भारतशरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय / जन्म की जगहnull
देवदास उपन्यास के लेखक कौन हैं?शरत्चन्द्र चट्टोपाध्यायदेवदास / लेखकnull
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