The relationship between activation energy (E_a) and enthalpy of formation (ΔH) with and without a catalyst, plotted against the reaction coordinate. The highest energy position (peak position) represents the transition state. With the catalyst, the energy required to enter transition state decreases, thereby decreasing the energy required to initiate the reaction. Show रसायन विज्ञान में, किसी रासायनिक अभिक्रिया को सम्पन्न होने के लिये जो न्यूनतम ऊर्जा आवश्यक होती है उसे सक्रियण ऊर्जा (activation energy) कहते हैं। इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले १८८९ में स्वीडेन के वैज्ञानिक अर्हिनियस ने किया था। सक्रियण ऊर्जा को प्रायः Ea से निरूपित किया जाता है। इसकी ईकाई किलोजूल प्रति मोल (kJ/mol) या किलोकैलरी प्रति मोल (kcal/mol) है। दूसरे शब्दों में, ऊर्जा की वह अतिरिक्त पर्याप्त मात्रा जो बाह्य माध्यम से उपलब्ध कराने पर अभिक्रिया के संघट्टकारी अणुओं द्वारा प्रभावी संघट्ट किए जाते हैं ( अर्थात कुल ऊर्जा देहली ऊर्जा के बराबर होती है ), सक्रियण ऊर्जा कहलाती है।Urja ka si matrak kya hota haiUrja ka si matrak kya haiQ. ऊर्जा का मात्रक क्या है ?A. जूल B. न्यूटन C. कैलोरी D. वाट. Answer - जूल भौतिकी में कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते है। ऊर्जा की SI मात्रक जूल (J) है, CGS मात्रक अर्ग होता है। एक जूल 10^7 अर्ग के बराबर होता है। ऊर्जा के निम्न प्रकार का होता है, जैसे गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा, यांत्रिक ऊर्जा, सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, बायोमास ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, तापीय ऊर्जा इत्यादि। गतिज ऊर्जा - भौतिकी में किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा वह ऊर्जा होती है, जो उसकी गति के कारण होती है। स्थितिज ऊर्जा - किसी वस्तु में उसकी स्थिति या स्थिति के कारण काम करने की क्षमता को स्थितिज ऊर्जा कहा जाता है।
इसे सुनेंरोकेंदेहली उर्जा या कार्य फलन (threshold energy or fundamental energy) : किसी इलेक्ट्रॉन को किसी धातु की सतह से मुक्त करने के लिए जितनी न्यूनतम ऊर्जा की आवश्यकता होती है , उस न्यूनतम ऊर्जा के मान को देहली उर्जा अथवा कार्यफलन कहते है। ङ किसी धातु के कार्य फलन तथा देहली तरंगदैर्घ्य में क्या सम्बन्ध है? इसे सुनेंरोकेंकार्य-फलन W=hcλ0, जहाँ λ0 देहली तरंगदैर्घ्य है। दहलीज आवृत्ति क्या है?इसे सुनेंरोकेंदेहली आवृत्ति वह न्यूनतम आवृत्ति है जिससे कम आवृत्ति के प्रकश से धातु साथ से प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं हो सकते, चाहे प्रकश की तीव्रता कितनी भी क्यों न हो . इसे v0 से दर्शाते है. कार्यफलां और देहली आवृत्ति में अग्रलिखित सम्बन्ध होता है . जहाँ ϕ= कार्यफलन h = प्लांक नियतांक. देहली आवृत्ति तथा कार्य फलन में क्या संबंध है? पढ़ना: Nsso क्या है यह क्या कार्य करता है? इसे सुनेंरोकेंधातु तल से इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित कराने के लिए आपतित प्रकाश के अधिकतम तरंगदैर्ध्य (λ0) को देहली तरंगदैर्ध्य तथा उसके संगत न्यूनतम आवृत्ति को देहली आवृत्ति (λ0) कहते हैं। (threshold energy frequency wavelength in hindi) देहली ऊर्जा या कार्यफलन , देहली आवृत्ति , देहली तरंग दैर्ध्य : यहाँ हम इन तीनों के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे। ये सभी परिभाषाएं प्रकाश विद्युत प्रभाव से सम्बंधित है। देहली उर्जा या कार्य फलन (threshold energy or fundamental energy) : किसी इलेक्ट्रॉन को किसी धातु की सतह से मुक्त करने के लिए जितनी न्यूनतम ऊर्जा की आवश्यकता होती है , उस न्यूनतम ऊर्जा के मान को देहली उर्जा अथवा कार्यफलन कहते है। माना किसी इलेक्ट्रान का कार्यफलन का मान W है तो इसे निम्न सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है – W = hv0 यहाँ h = प्लांक नियतांक है तथा v0 = देहली आवृत्ति है। यदि देहली तरंग दैर्ध्य का मान λ0 है तो देहली उर्जा अथवा कार्य फलन का मान निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है – W = hc/λ0 यहाँ c = प्रकाश का वेग है जिसका मान 3 x 10 8 m/s होता है। देहली आवृत्ति (threshold frequency) : किसी धातु पर आपतित प्रकाश या विकिरण की न्यूनतम वह आवृत्ति जो जब धातु के किसी इलेक्ट्रान पर गिरता है तो वह इलेक्ट्रान धातु की सतह से मुक्त हो जाता है। अर्थात धातु की सतह से किसी इलेक्ट्रान को मुक्त कराने के लिए न्यूनतम वह आवृत्ति का विकिरण जो इलेक्ट्रान को मुक्त करवाने में आवश्यक हो विकिरण की उस आवश्यक आवृति को देहली आवृति कहते है। कार्यफलन = hv0 यहाँ v0 = देहली आवृत्ति है। देहली तरंग दैर्ध्य (threshold wavelength) : किसी धातु की सतह से आपतित विकिरण की वह अधिकतम तरंग दैर्ध्य , जो जब धातु पर गिरती है तो धातु से इलेक्ट्रॉन मुक्त या उत्सर्जित हो जाता है , विकिरण या प्रकाश की उस अधिकतम तरंग दैर्ध्य के मान को देहली तरंग दैर्ध्य कहा जाता है। इसे λ0 से प्रदर्शित किया जाता है। देहली ऊर्जा क्या है उसका si मात्रक लिखिए?देहली उर्जा या कार्य फलन (threshold energy or fundamental energy) : किसी इलेक्ट्रॉन को किसी धातु की सतह से मुक्त करने के लिए जितनी न्यूनतम ऊर्जा की आवश्यकता होती है , उस न्यूनतम ऊर्जा के मान को देहली उर्जा अथवा कार्यफलन कहते है।
देहली ऊर्जा का सूत्र क्या है?Solution : किसी अभिकारक की वह न्यूनतम ऊर्जा हो उसे उत्पाद में परिवर्तित होने के लिए आवश्यक होती है उसे देहली ऊर्जा कहते है। देहली ऊर्जा = सक्रियण ऊर्जा `+` सामान्य अनु की ऊर्जा।
Urja का si मात्रक क्या है?सही उत्तर जूल है। किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता उस वस्तु की ऊर्जा कहलाती है। ऊर्जा एक अदिश राशि है। इसका SI मात्रक जूल है।
देहली ऊर्जा और सक्रियण ऊर्जा में क्या संबंध है?अणु ऊर्जा ग्रहण कर सक्रियण ऊर्जा प्राप्त कर लेता है जो शीघ्र ही देहली ऊर्जा में बदल जाती है। देहली ऊर्जा युक्त अणु उत्पाद में बदल जाता है । अतः <br> सक्रियण ऊर्जा = देहली ऊर्जा - अणु की निम्नतम ऊर्जा <br> देहली ऊर्जा = सक्रियण ऊर्जा + अणु की निम्नतम ऊर्जा।
|