देश की रक्षा के लिए लड़ रहे सैनिकों के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है एक स्वरचित कविता के माध्यम से बताइए? - desh kee raksha ke lie lad rahe sainikon ke prati hamaara kya kartavy hai ek svarachit kavita ke maadhyam se bataie?

स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर शहर की वामा साहित्य मंच द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया। डॉ. हेमलता दिखित के मुख्य आतिथ्य में यह कार्यक्रम देशभक्ति को समर्पित था। विषय था : क्या देशभक्ति का दायित्व सिर्फ सैनिकों और उनके परिवार का है? डॉ. दिखित की 5 पीढियां सीमा पर अपने कर्तव्यों के लिए शहीद हुई हैं। विषय की प्रासंगिकता इसलिए अधिक है क्योंकि सोशल मीडिया के जमाने में देशभक्ति हमारे दिलों में उमड़ती बहुत है लेकिन वास्तव में हम अपने देश के लिए करते क्या है?

डॉ. हेमलता दिखित ने साहित्य मंच की सदस्याओं को संबोधित करते हुए कहा कि साहित्य यानी संवेदना और मंच यानी अभिव्यक्ति। शहर का यह वामा साहित्य मंच इन दोनों के कुशल संयोजन के साथ साहित्य संसार में सक्रिय है। एक फौजी परिवार से होने के अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि देशभक्ति एक जज्बा है, एक अनुभूति है। एक फौजी के जीवन में दो ही चीजें होती है, शांति और युद्ध।

सैनिकके व्यक्तित्व में कुछ गुण बड़े कठोर होते हैं। फौजी यानी अनुशासन, फौजी यानी लक्ष्य पक्का, फौजी यानी पूरे परिवार का उनके साथ पक्के मन और दृढ़ इरादों वाला होना है।

विषय पर अपने विचार रखते हुए डॉ. दिखित ने कहा कि अगर हम फौज में नहीं है तो जो कार्य हमारे जिम्मे है वही कर्तव्य परायणता के साथ निभाएं। जरूरी नहीं कि हम सब सीमा पर जाए यह संभव भी नहीं है लेकिन देश में रहते हुए राष्ट्रीय मूल्यों का पालन करना तो संभव है, हम वही कर सकते हैं।

इस अवसर पर मंच की सदस्याओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इंदू पाराशर ने अत्यंत ओजस्वी स्वर में अपनी देशभक्ति की सुंदर रचनाएं प्रस्तुत की।

सरला मेहता ने विचार व्यक्त किए, '' यूं तो एक चिंगारी मंगल पांडे ने सुलगाई थी पर आजादी की आग हर हिन्दुस्तानी ने फैलाई थी। देशभक्ति का दायित्व उन सभी नागरिकों का है जो देश में रहते हैं। जो अपने मूलभूत अधिकारों के साथ देश में स्वतंत्र रूप से जीवन जीते हैं। देश हमारा है, सारे प्राकृतिक संसाधन हमारे हैं, और हम हक से कहते हैं कि हिंदुस्तान हमारा है। ऐ से में हर देशवासी देशभक्त बन सकता है यदि वह अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक है। युद्ध हो या शांति हर नागरिक को अपने कार्यक्षेत्र में दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी एवं पूर्ण निष्ठा से करना चाहिए। सैनिक सीमाओं पर डटे रहते हैं। ऐसे में सामान्य नागरिक सहयोग का हाथ बढ़ाकर सै‍निकों के साथी बन सकते हैं।

निरूपमा नागर ने कहा,'' देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी जितनी हमारे सैनिकों की है उतनी ही देश के प्रत्येक नागरिक की भी है। सैनिक सरहद पर देश की रक्षा करते हैं। देश के नागरिक देशभक्ति का परचम लहराने के साथ अपने कार्य के प्रति ईमानदारी और समर्पण के द्वारा देश को सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं।

हंसा मेहता ने कविता सुनाई... हम सो सके चैन से, वे प्रहरी बन जागते सारी रात, हम सुकून से रह सके, वे भूखे-प्यासे लड़ते सीमा पर दिन-रात... परिवार हमारा निष्कंटक फले-फूले यही सोच पत्थर-कांटों से करते प्यार, शीतल छाया मिले हमें, धूप में तपते, चौकस वे रहते...

अंजू निगम ने रचना सुनाई, लम्हे जो गुजर गए थे उनकी याद दिलाई किसने, बुझी शमा दोबारा सुलगाई किसने, चिंगारी से भड़केंगे शोले हजारों देखना, विद्रोह की यह आग दिला में जलाई किसने....

डॉ. किसलय पंचोली ने कहा, ' यह सही है कि देश की सीमाओं की रक्षा करना निसंदेह सैनिकों का कर्तव्य है। और वे उसे बखूबी अंजाम देते हैं। लेकिन प्रकारांतर से अपने कार्य स्थल पर नैतिक मूल्यों की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है। सोचना यह है कि क्या हम उनकी रक्षा करते हैं? यदि नहीं तो हम सैनिकों द्वारा सुरक्षित देश को दुर्दशा की ओर ठेलने के लिए उत्तरदायी हैं। जब तक हर नागरिक अपनी कर्तव्य चौकी पर मुस्तैदी से तैनात नहीं होता तब तक देश सही अर्थों में पूर्णतः सुरक्षित हो ही नहीं सकता।

कविता वर्मा ने कुशल संचालन करते हुए अपने विचार व्यक्त किए कि हमारी सेना हमारा अभिमान है हमारे सैनिक सिर्फ सरहद पर ही तैनात नहीं रहते बल्कि जरूरत पड़ने पर घरेलू मोर्चे पर भी अपनी सशक्त उपस्थिति से हमारा हौसला बढ़ाते हैं फिर चाहे केदारनाथ त्रासदी हो या देश में अशांति की स्थिति सेना हमेशा तत्पर रहती है। हम देश के आम नागरिक जिस तरह सेना की सराहना करते हैं उन्हीं की तरह अपने कर्तव्य को निभाने के प्रति भी सजग रहें। यह देश हम सभी का है देश की खुशहाली और उन्नति के लिये हमें हर छोटी से छोटी बात के लिये सकारात्मक होना चाहिए। राष्ट्रभक्ति का अर्थ सिर्फ हाथ में बंदूक लिए सरहद पर खड़े होकर दुश्मनों का सामना करना नहीं है। हमारे देश के अंदर अशिक्षा असमानता, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता रूपी जो दुश्मन हैं जो हमारे देश को खोखला कर रहे हैं उनसे हम आम इंसान ही लड़ सकते हैं। अफवाहों पर ध्यान न देना उन्हें फैलाने में सहयोग न करना अंधविश्वास दूर करने की कोशिश, शिक्षा का प्रसार, भ्रष्टाचार की जड़ पर प्रहार जैसे अनेक मुद्दे हैं जिनमें हम अपनी मजबूत और महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। राष्ट्र प्रेम हाथ में झंडा फहराने से बढ़कर रोजमर्रा के जीवन की जिम्मेदारी और कर्तव्य निभाना है। आम नागरिकों का स्व अनुशासन ही किसी भी देश की उन्नति और पहचान है।

इस अवसर पर एक आकर्षक पुस्तिका का विमोचन किया गया। यह पुस्तिका पर्यावरण दिवस पर संपन्न कार्यक्रम के रोचक और प्रेरक स्लोगन को संयोजित कर प्रकाशित की गई है।

आरंभ में आशा मुंशी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। स्वागत भाषण वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष पद्मा राजेंद्र ने दिया। आभार सचिव ज्योति जैन ने माना।

विषयसूची

  • 1 हम अपने देश की रक्षा कैसे कर सकते हैं?
  • 2 देश की रक्षा कौन कौन करते हैं देश की रक्षा कौन कौन करते हैं?
  • 3 देश की रक्षा करने वाला कौन है?
  • 4 अपने देश से लगाव की भावना क्यों होती है?

हम अपने देश की रक्षा कैसे कर सकते हैं?

इसे सुनेंरोकेंमहराजगंज : देश की रक्षा में सैनिकों का योगदान महत्वपूर्ण है। गर्मी, बरसात व ठंड के मौसम में खुले आसमान तले रहते हुए सीमा पर डटे रहते हैं और जरूरत पड़ने पर जान की बाजी लगा देते हैं। हमें अपने देश के सैनिकों पर गर्व है और इसी कारण हर देश प्रेमी सैनिकों के जज्बे को सलाम करता है और उनके प्रति श्रद्धा का भाव रखता है।

देश की रक्षा कौन कौन करते हैं देश की रक्षा कौन कौन करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंरक्षा बल थल सेना, नौसेना, वायु सेना एवं तटरक्षक बल मिलकर भारतीय सशस्त्र बल कहलाते हैं, इन्हें भारतीय रक्षा बल भी कहा जाता है।

सैनिकों का देश के लिए योगदान सर्वोपरि है क्या आप सहमत है अपने विचार लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंहर देश के सैनिक उस देश की शान होते हैं। यह देश के रक्षक होते हैं जो शरहद पर रहकर देश की रक्षा करते हैं। इनमें देशभक्ति कूट कूट कर भरी होती है और यह अपनी मातृभूमि को सबसे ज्यादा प्यार करते हैं। सैनिक देश की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर देते हैं।

देश की रक्षा करने वाला कौन है?

इसे सुनेंरोकेंरक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह नई दिल्ली में 24 मार्च 2022 को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) पर्यटन पोर्टल का शुभारंभ करने के बाद उपस्थित अधिकारियों को संबोधित करते हुए। इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट भी मौजुद हैं।

अपने देश से लगाव की भावना क्यों होती है?

इसे सुनेंरोकेंदेशभक्ति किसी के लिए उसके देश के प्रति प्यार और निष्ठा और अपने नागरिकों के साथ गठबंधन और भाईचारे की भावना को प्रकट करता है। ये बिना किसी शर्त के राष्ट्र का सम्मान और समर्थन करता है। देशभक्ति स्वाभाविक रूप से विकसित होती है और ये देश की संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होती है।

देश का नागरिक होने के नाते आप अपने देशप्रेम की भावना को कैसे साबित करेंगे देश के प्रति अपने कर्तव्य लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंदेश के प्रत्येक नागरिक को अपने राष्ट्र प्रगति के लिए आवश्यक होता है कि वह जिस दशा में है जिस परिस्थिति में है जहां है सकारात्मक सोच के साथ अपना योगदान दे। हमारे राष्ट्र का आदर हो तो इसमें जन्मे व्यक्ति को भी लोग आदरणीय कहेंगे। हमारा देश कभी सोने की चिडि़या कहा जाता था।