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साहित्य कभी पुराना नहीं होता है। विशेषकर कुछ साहित्य। आज हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जन्मदिन है। आज उनकी एक बेहद प्रासंगिक कविता पढिये। कश्मीर हमारे घर का एक कमरा है। वह बेहद खूबसूरत और आरामदेह कमरा है। पर वहां आग लगी है। और हम देश के एक अभिन्न अंग को पंगु किये दूसरे कमरों में आराम से बैठे हैं। चालीस दिन का कर्फ्यू, उस राज्य में जिसे हम दुनियाभर में चिल्ला चिल्ला कर अभिन्न अंग कहते नहीं थकते हैं, लगा है, यह शायद सत्तर
साल में पहलीं बार हुआ होगा। यदि तुम्हारे घर के देश काग़ज़ पर बना इस दुनिया में
आदमी की जान से बड़ा याद रखो आख़िरी बात Donation Appealद क्रिटिकल मिरर से जुडने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. ये आपकी और हमारी आवाज है. इस आवाज़ को बुलंद रखने के लिए हमारी मदद करे: (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});तत्काल मदद करने के लिए, ऊपर " Donate Now" बटन पर क्लिक करें। देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता इस कविता के कवि कौन है *?सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविता जो हमें आईना दिखाती है- 'देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता'
क्या गज़ब का देश है कविता किसने लिखी है?प्रस्तुत है सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कविता: क्या गजब का देश है....
यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में आग लगी हो तो क्या तुम दूसरे कमरे में सो सकते हो?यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में लाशें सड़ रहीं हों / तो क्या तुम / दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो? ' हिंदी के मशहूर कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने जब यह सवाल पूछा था तब महाराष्ट्र और राजस्थान में सूखा नहीं था और मुंबई-पुणे या जयपुर में आइपीएल के टी-20 मुक़ाबले नहीं हो रहे थे.
कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के अनुसार आग कहाँ लगी है?कश्मीर हमारे घर का एक कमरा है। वह बेहद खूबसूरत और आरामदेह कमरा है। पर वहां आग लगी है।
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